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कॉर्ड ब्लड बैंक क्या है? जानें इसके फायदे

कॉर्ड ब्लड बैंक क्या है? जानें इसके फायदे

प्रेग्नेंसी के दौरान मां से बच्चे को जोड़नेवाली गर्भनाल (Umbilical Cord) में जमा खून को कॉर्ड ब्लड कहते हैं। कॉर्ड ब्लड नॉर्मल ब्लड (खून) की तरह होता है। इस कॉर्ड ब्लड को स्टोर रखने की प्रक्रिया को कॉर्ड ब्लड बैंक कहते हैं। लेकिन, अंतर बस इतना होता है कि इसमें स्टेम सेल अत्यधिक मौजूद होते हैं। स्टेम सेल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका विकास अलग-अलग सेल्स और टिशू में हो सकता है।

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शिशु के गर्भनाल से कैसे लिया जाता है ब्लड ?

सिरिंज की मदद से ब्लड निकाला जाता है। फिर इसे कॉर्ड ब्लड बैंक में जमा किया जाता है। इससे हेमेटोलॉजिकल या इम्यूनोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या ठीक हो सकती है। गर्भनाल में 70 से 75 ml ब्लड रहता है। ये टिशू या ऑर्गेन के बनने में काफी सहायक होता है।

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कॉर्ड ब्लड बैंक से होने वाले फायदे क्या हैं ?

निम्लिखित बीमारियों में कॉर्ड ब्लड बैंक की सहायता ली जा सकती है:

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हालांकि, भारत में कॉर्ड ब्लड बैंक अन्य देशों की तरह प्रसिद्ध नहीं है। लेकिन, आने वाले वक्त में भारत में भी इलाज के लिए कॉर्ड ब्लड बैंक एक बेहतर विकल्प इलाज के लिए होगा। अभी-भी कॉर्ड ब्लड बैंक पर रिसर्च जारी है। इससे जुड़े एक्सपर्ट सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, टाइप-1 डायबिटीज जैसी बीमारी को भी ठीक करने पर विचार कर रहें हैं।

कॉर्ड ब्लड बैंक का चयन कैसे करें ?

अगर आप एक सार्वजनिक बैंक को कॉर्ड ब्लड बैंक दान करने का निर्णय लेते हैं, तो अस्पताल या बर्थिंग सेंटर से यह अवश्य पूछें कि क्या यह अस्पताल कॉर्ड ब्लड बैंक के साथ काम करता है। यदि नहीं, तो नेशनल मैरो डोनर प्रोग्राम (marrow.org) में प्रत्येक राज्य में पंजीकृत कॉर्ड ब्लड बैंक की सहायता ले सकते हैं।

कॉर्ड ब्लड बैंक की मदद क्यों लें ?

यदि आपके परिवार में गंभीर बीमारियों का इतिहास रहा है। ऐसी बीमारियों को कॉर्ड ब्लड बैंक की मदद से इलाज किया जा सकता है, तो आप इस विकल्प पर विचार कर सकते हैं। अगर आपके परिवार का कोई इतिहास नहीं है तब भी गर्भनाल ब्लड आपके बच्चे को बीमारी से बचा सकता है। आप अन्य परिवारों की मदद करने के लिए एक सार्वजनिक बैंक को कॉर्ड ब्लड बैंक भी डोनेट कर सकते हैं।

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ये तो बात हो गई कॉर्ड ब्लड बैंक की अब हम बात करते हैं, जन्म के बाद कॉर्ड के काटने की यानी कि बच्चे के गर्भनाल को काटने की। अमूमन तो डॉक्टर्स गर्भनाल जन्म के तुरंत बाद काट देते हैं, लेकिन अगर उसमें देर होती है तो नवजात के लिए फायदा ही फायदा है। 

क्या है डिलेड कॉर्ड क्लैम्पिंग (देरी से गर्भनाल काटना)?

पिछले 50- 60 वर्षों से जन्म के तुरंत बाद बच्चों की गर्भनाल काटने की प्रथा चली आ रही है लेकिन, रिसर्च बताती हैं कि जन्म के समय शिशु की गर्भनाल को देर से काटना शिशु के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हालांकि, कॉर्ड क्लैंपिंग करने का समय शिशु की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। अंबिलिकल कॉर्ड में भारी मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएं और सफेद रक्त कोशिकाएं पाई जाती हैं और कॉर्ड क्लैंपिंग में देरी करने से मतलब है कि उतने समय में ये शिशु तक पहुंच सकें। 

कितने समय के लिए कॉर्ड क्लैंपिंग रोकी जा सकती है? 

आमतौर पर शिशु के जन्म के 20 से 30 सेकंड के अंदर डॉक्टर अंबिलिकल कॉर्ड को काट देते हैं लेकिन, डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग में यह समय बढ़कर 5 मिनट हो जाता है। इतना ही नहीं वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने इस बात का सुझाव दिया है कि बच्चे के जन्म के कम से कम एक मिनट बाद या जब तक कॉर्ड पंप करना न बंद कर दे, तब ही कॉर्ड क्लैंपिंग की जाए।

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बच्चे की गर्भनाल को देर से काटने के फायदे क्या हैं?

  • बच्चों की क्लैंपिंग देर से होने से उनमें 60 प्रतिशत ज्यादा रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) पाई जाती हैं। 
  • डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग वाले बच्चे एनीमिया से बचे रहते हैं। 
  • डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से बच्चों को स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने में मदद मिलती है।
  • देर से बच्चों की गर्भनाल काटने से प्लेसेंटल ट्रांसफ्यूजन (placental transfusion) में वृद्धि, आरबीसी में 60% वृद्धि और नवजात शिशु में रक्त की मात्रा में 30% की वृद्धि होती है।

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग के क्या नुकसान हो सकते हैं?

पॉलीसिथेमिया (polycythemia)

नवजात शिशु में ब्लड फ्लो ज्यादा होने से लाल रक्त कोशिकाओं की अधिकता होती है। इससे पॉलीसिथेमिया हो जाता है। इससे सांस और सर्क्युलेशन लेने की समस्या हो सकती है और हाइपरबिलिरुबिनमिया (hyperbilirubinemia) हो सकता है।

हाइपरबिलिरुबिनमिया (Hyperbilirubinemia)

 बच्चों में गर्भनाल को देरी से काटने से उनमें आयरन की मात्रा बढ़ जाने की वजह से हाइपरबिलीरुबिनमिया की शिकायत हो सकती है। नवजात शिशुओं में बिलीरुबिन (Bilirubin) की मात्रा बढ़ने की वजह से पीलिया हो सकता है। जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशुओं के अंग बिलीरुबिन को खुद से कम करने के लिए पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं, जिस वजह से न्यू बॉर्न बेबी को पीलिया हो जाता है। 

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सांस लेने में परेशानी 

बच्चों की कॉर्ड क्लैंपिंग में देरी से शिशु को सांस लेने की समस्या का सामना कर पड़ सकता है।

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग प्रीमैच्योर शिशु और सामान्य शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के हिसाब से जन्म के समय गर्भनाल से अगर शिशु थोड़ा ज्यादा समय तक जुड़ा रहे तो ऐसे शिशुओं में न्यूरोडेवलपमेंट अच्छा होता है। 

क्या जन्म के बाद प्लेसेंटा खाना चाहिए?

प्लासेंटा को सुखाकर इसे गोली के रूप में खाया जा सकता है। प्लासेंटा में प्रोटीन और फैट होता है। बच्चे को जन्म देने के बाद प्लासेंटा खाने की प्रक्रिया को प्लासेंटॉफजी (Placentophagy) कहते हैं। जानवरों के साथ ही ट्राईबल महिलाओं में ये चलन प्रचिलित है। अपने देश में इस चलन के बारे में अब तक जानकारी नहीं मिली है

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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What is cord blood banking? https://www.cryo-cell.com/cord-blood-banking Accessed on 09/12/2019

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Umbilical Cord Blood: Information for Childbirth Educators https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3209739/ Accessed on 09/12/2019

Current Version

30/09/2021

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

Updated by: [email protected]


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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

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