तपती धूप में बाहर जाना पड़ जाए तो लोग सबसे पहले ख्याल सनस्क्रीन क्रीम का आता होगा। और आए भी क्यों न? धूप से स्किन टैन होना किसे पसंद है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि धूप से आपकी त्वचा को बचाने वाली सनस्क्रीन आपको फायदा पहुंचाने की जगह आपका नुकसान भी कर सकती है। इसका मतलब है सनस्क्रीन से नुकसान भी हो सकते हैं। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती हैं। दरअसल, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) की रिसर्च के अनुसार सनस्क्रीन ब्लड लेवल पर बुरा असर डाल सकती है। सनस्क्रीन से नुकसान कैसे हो सकता है इससे कैसे बचा जा सकता है?
विशेषज्ञों ने की रिसर्च
सनस्क्रीन आसानी से मिलने वाला कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट है। सनस्क्रीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर देश और विदेशों में भी किया जाता है। डर्मेटोलॉजी स्किनकेयर स्पेशलिस्ट्स (एसडीएसएस) द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि 88% महिलाएं अपनी त्वचा के लिए सही उत्पादों (कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट) के बारे में नहीं जानती हैं। ऐसे में सनस्क्रीन से नुकसान होना तय माना जाता है।
जानते हैं धूप से बचाने वाला सनस्क्रीन कैसे आपकी त्वचा की नुकसान पहुंचाता है।
एलर्जी
सनस्क्रीन में कुछ ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जो आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे त्वचा पर जलन, सूजन, रैश, दाने या खुजली जैसी समस्या शुरू हो सकती है। कभी-कभी दाने, सूजन या रैश जल्द ठीक न होने के स्थिति में एलर्जी की समस्या शुरू हो सकती है। पैरा एमिनोबेंजोइक एसिड (PABA) का इस्तेमाल किया जाता है और इसी पीएबीए का इस्तेमाल एनेस्थीसिया में भी किया जाता है। सनस्क्रीन में मौजूद पीएबीए और अन्य केमिकल एलर्जी का कारण बनती है। सनस्क्रीन से नुकसान न हो इसलिए इन बातों का ध्यान रखें।
और पढ़ें : ब्रेस्ट कैंसर से डरें नहीं, आसानी से इससे बचा जा सकता है
मुंहासे
सनस्क्रीन की वजह से मुंहासे की परेशानी बढ़ सकती है। सनस्क्रीन के इस दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए आपको नॉन-ऑयली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे ही सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें जो आपकी त्वचा के लिए लाभदायक हो।
आंखों की परेशानी
आंखों में सनस्क्रीन लगने से दर्द और जलन हो सकती है। आंखें और ज्यादा संवेदनशीलता हो सकती है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना ये भी है की सनस्क्रीन में मौजूद केमिकल्स अंधापन का कारण बन सकती है। यदि सनस्क्रीन आंखों में जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में ठंडे पानी से आंखों में छींटे मारे और आंख विशेषज्ञ से मिलें।
ब्रेस्ट कैंसर
सनस्क्रीन में ऐसे केमिकल शामिल होते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर सेल्स पर एस्ट्रोजेनिक प्रभाव डाल सकते हैं। कुछ सनस्क्रीन ब्लड में एस्ट्रोजेन के स्तर पर प्रभाव डाल सकती हैं। बच्चों पर सनस्क्रीन के इस्तेमाल से बचें क्योंकि उनकी त्वचा अत्यधिक संवेदनशील होती है।
और पढ़ें : कौन-से ब्यूटी प्रोडक्ट्स त्वचा को एलर्जी दे सकते हैं? जानें यहां
सनस्क्रीन से नुकसान होने वाले हिस्से में शामिल है बालों वाली जगह। इन हिस्सों पर परेशानी महसूस हो सकती है।
ऐसा पुरुषों के साथ ज्यादा हो सकता है। क्योंकि त्वचा और शरीर पर मौजूद बालों के आस-पास के हिस्से पर लाल निशान या सूजन जैसी समस्या शुरू हो जाती है। सनस्क्रीन की वजह से बाल भी सख्त होने लगते हैं और पुरुषों को ज्यादा परेशानी महसूस हो सकती है।
और पढ़ें: Fun Facts: कर्ली बालों वाली लड़कियों को हर किसी से मिलता है इस तरह का ज्ञान
सनस्क्रीन से नुकसान से कैसे बचाव संभव है?
सनस्क्रीन के नुकसान से निम्नलिखित रूप से बचाव संभव है। जैसे-
- अपनी त्वचा के अनुसार सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। आप चाहें तो डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलकर आपकी त्वचा को अच्छे से समझ सकती हैं। सनस्क्रीन भी अलग-अलग स्किन टाइप जैसे ड्राई या ऑयली स्किन टाइप के लिए अलग होती है।
- सनस्क्रीन के इस्तेमाल करने पर अगर आपको कोई परेशानी जैसे खुजली, दाने या कोई और परेशानी महसूस होती है, तो सनस्क्रीन का इस्तेमाल न करें।
- बच्चों के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल सोच समझकर और एक्सपर्ट से राय लेकर ही खरीदें और फिर इस्तेमाल करें। क्योंकि बच्चों की त्वचा वयस्कों की त्वचा से अत्यधिक सेंसेटिव होती है।
- 6 महीने से छोटे बच्चे पर सनस्क्रीन नहीं लगाएं। अगर आप किसी ऐसे ट्रिप पर जा रहीं हैं जहां आपको और आपके शिशु को तेज धूप का सामना करना पड़ेगा तो डॉक्टर से सलाह लें। अपनी मर्जी से शिशु की त्वचा पर क्रीम का इस्तेमाल न करें।
- चेहरे के लिए फेस सनस्क्रीन और शरीर के लिए बॉडी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। ध्यान रखें दोनों अलग-अलग होते हैं। कई बार लोग फेस सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल बॉडी के लिए कर लेते हैं और बॉडी सनस्क्रीन का इस्तेमाल चेहरे पर कर लेते हैं।
सनस्क्रीन खरीदने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखें?
सनस्क्रीन खरीदने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे-
- सनस्क्रीन पर एसपीएफ लिखा हो।दरअसल एसपीएफ का मतलब सन प्रोटेक्शन फैक्टर है जो आपको सूर्य की हानिकरक अल्ट्रा वॉयलट बी और अल्ट्रा वॉयलट ए किरणों से बचाता है। यूवी बी किरणों से सनबर्न होता है जिसकी वजह से कैंसर हो सकता है। इसके अलावा यूवीए किरणों से स्कीन डैमेज होता है जिसकी वजह से टैनिंग हो सकती है। इसलिए सनस्क्रीन खरीदने से पहले इन सभी बातों का ध्यान रखें।
सनस्क्रीन से नुकसान न हो इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट के सलाह अनुसार निम्नलिखित बातों को अवश्य याद रखें जब आप सनस्क्रीन खरीद रहें हों-
- एसपीएफ 15 यूवीबी किरणों से 93 प्रतिशत बचाता है।
- एसपीएफ 30 यूवीबी किरणों से 97 प्रतिशत बचाता है।
- एसपीएफ 50 यूवीबी किरणों से 98 प्रतिशत बचाता है।
इसके साथ यह भी ध्यान रखें की किसी सनस्क्रीन आपको 100 प्रतिशत सनबर्न, टैन या स्किन डैमेज से बचाने में असमर्थ होता है। इसलिए कोशिश करें कि धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें और चेहरे को कॉटन के दुप्पटे या स्टॉल से अच्छी तरह से ढ़क लें। धूप से आंखों को भी बचाये रखें। इसके लिए सनग्लास का इस्तेमाल करें। आप टोपी या हैट का इस्तेमाल कर सकती हैं। पूरी बॉडी को भी कवर करके घर से बाहर निकलें।
इसके साथ ही सनस्क्रीन से नुकसान न हो इसलिए निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें। जैसे-
- बाहर जाने से 15 मिनट पहले सनस्क्रीन क्रीम अपनी त्वचा पर अच्छी तरह से लगाएं।
- एक लिप बाम लगाएं जिसमें 30 या उससे अधिक एसपीएफ वाला सनस्क्रीन हो।
- सनस्क्रीन के पैकेज पर लिखे निर्देश का अच्छी तरह से पालन करें और स्विमिंग या पसीने आने के बाद सनस्क्रीन दोबारा लगाएं। आप चाहें तो हर दो-दो घंटे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकती हैं।
जरूरी नहीं की बाजार में उपलब्ध सनस्क्रीन आपको नुकसान पहुंचाएं। लेकिन, ये जरूरी है की समझदारी के साथ इसका चयन करें। त्वचा संबंधी किसी भी परेशानी को नजरअंदाज न करें इससे समस्या कम होने की बजाए बढ़ सकती है। बेहतर होगा आप डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करें।