सीने में दर्द या बेचैनी होना एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) का सबसे आम लक्षण माना जाता है। उपरोक्त दिए गए लक्षण उम्र के हिसाब से बदल सकते हैं। कुछ मेडिकल कंडीशन भी बीमारी के लक्षणों को बढ़ाने का काम कर सकती हैं। वहीं कुछ महिलाओं या मधुमेह से पीड़ित वृद्ध महिलाओं में छाती में दर्द की समस्या नहीं होती है। आप डॉक्टर से भी इस बीमारी के अधिक लक्षणों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
अगर आपको दिए गए लक्षणों में भी किसी भी लक्षण का एहसास हो, तो बेहतर होगा कि घर के किसी सदस्य के साथ आप तुरंत हॉस्पिटल जाए। डॉक्टर को अपनी हालत के बारे में बताएं। डॉक्टर जो भी टेस्ट आपको कराने की सलाह दी है, उसे तुरंत कराएं। ऐसा करने से आप बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।
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एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के का कारण क्या है?
आपके मन में यह सवाल होगा आखिरकार एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) की बीमारी किस कारण से पैदा होती है? इस बीमारी का कारण प्लाक का बनना है। जब कोरोनरी आर्टरीज की अंदर की दीवार पर प्लाक जमने लगता है, तो ब्लड फ्लो में दिक्कत आती है। जब प्लाक टूट जाता है, तो ब्लड क्लॉट बनने शुरू हो जाते हैं। जब ऑक्सीजन की सप्लाई बहुत कम हो जाती है, तो हार्ट की मसल्स धीरे-धीरे डैमेज होने लगती हैं। इस कारण से कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। यही टिशू के डैमेज का कारण बनती है, जो कि हार्ट अटैक को जन्म देने का काम करती है। अगर कोशिकाएं नहीं मरी है, तो भी ऑक्सीजन लेवल की कमी हार्ट मसल्स को ठीक से काम नहीं करने देती है। इस बदलाव के कारण भी कई समस्याएं पैदा होती हैं । इसे अनस्टेबल एंजाइना (unstable angina) के नाम से भी जानते हैं।
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एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम से जुड़े रिस्क फैक्टर (Risk factors related to Acute coronary syndrome)
जो रिस्क फैक्टर्स हार्ट डिजीज से जुड़े हुए होते हैं, लगभग वहीं रिस्क फैक्टर्स एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) से भी जुड़े हुए होते हैं। जानिए कुछ अहम रिस्क फैक्टर्स के बारे में।