एरिथमिया की समस्या किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है, लेकिन एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) के अंतर्गत इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम की मदद से इस स्थिति को पहचाना जा सकता है। इसमें आपकी हार्टबीट को लंबे समय तक मॉनिटर किया जाता है, जिसमें तीन तरह के मॉनिटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें इन डिवाइज का समावेश होता है –
हॉल्टर मॉनिटर (Holter monitor)
हॉल्टर मॉनिटर 24 से 48 घंटे के दौरान आपके हार्ट की एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है। इसमें इलेक्ट्रोड को आपके शरीर के अलग-अलग हिस्सों में लगाया जाता है, जिससे हार्ट रिदम का पता लगाया जा सके और आपकी हार्ट एक्टिविटी क पहचाना जा सके।
इवेंट मॉनिटर (Event monitors)
जिन लोगों को कभी कभी ही एरिथमिया की समस्या होती है, उन लोगों में इवेंट मॉनिटर के जरिए हार्टबीट मॉनिटर की जा सकती है। इवेंट मॉनिटर के दो प्रकार होते हैं, सिम्टम्स इवेंट मॉनिटर और लूपिंग मेमोरी मॉनिटर (Symptom event monitors and looping memory monitors)। यह दोनों ही पोर्टेबल मॉनिटर माने जाते हैं। सिंपल इवेंट मॉनिटर ब्रेसलेट की तरह हाथों में लगाए जाते हैं, जो इलेक्ट्रोड की तरह काम करते हैं और यह आपकी इर्रेगुलर हार्ट बीट को रिकॉर्ड करते हैं। वही लूपिंग मेमोरी मॉनिटर पेजर की तरह होता है, जो इलेक्ट्रोड की मदद से आपके शरीर से जोड़ा जाता है और समय-समय पर आपकी हार्टबीट को मॉनिटर करता है।
इंप्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable loop recorder)
यह डिवाइस आपकी हार्ट एक्टिविटी को इवेंट मॉनिटर की तरह रिकॉर्ड करता है, लेकिन यह आपकी स्किन के अंदर इंप्लांट किया जाता है। इस डिवाइस से पता लगाया जा सकता है कि एरिथमिया (Arrhythmia) की समस्या में आपके शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं और कौन सी समस्याएं हैं, जो एरिथमिया की समस्या को ट्रिगर करती है।
यह तीनों डिवाइस इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के तौर पर एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) के अंतर्गत इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके अलावा और भी कई तरह के टेस्ट हैं, जो एरिथमिया टेस्ट के अंतर्गत किए जा सकते हैं। अलग-अलग लोगों में इस तरह के एरिथमिया टेस्ट अलग अलग तरह के हो सकते हैं। आइए जानते हैं इन अन्य एरिथमिया टेस्ट के बारे में।
और पढ़ें: एक्टोपिक रिदम : ऐसी स्थिति, जब स्किप हो जाए दिल की धड़कन!
ये हैं अन्य एरिथमिया टेस्ट (Other Arrhythmia Tests)
एरिथमिया (Arrhythmia) की समस्या में के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं। इसीलिए इन कारणों को पहचानते हुए डॉक्टर एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) का चुनाव कर सकते हैं। अलग-अलग लोगों में एरिथमिया की समस्या के अलग-अलग कारण होते हैं, इसलिए आप के कारणों को पहचान कर इस प्रकार के टेस्ट डॉक्टर आपके लिए चुन सकते हैं।
स्ट्रेस टेस्ट (Stress test)
एक्सरसाइज चेस्ट टेस्ट आमतौर पर बेहद कॉमन माने जाते हैं। इस स्थिति में देखा जाता है कि स्ट्रेस और एक्सरसाइज के दौरान आपकी हार्टबीट की स्थिति क्या होती है और एरिथमिया (Arrhythmia) की स्थिति आपके शरीर में किस लेवल तक परेशानी पैदा कर रही है। इस टेस्ट में डॉक्टर इलेक्ट्रोड आपके शरीर में लगाते हैं, जिसके बाद आपको ट्रेडमिल, बाइसिकल इत्यादि का इस्तेमाल करना होता है। जिसके बाद आपके हार्टबीट को परखा जा सकता है। यह स्ट्रेस टेस्ट मेडिकेशन के द्वारा भी किया जा सकता है। कुछ खास तरह की मेडिसिन आपके हार्ट रेट को बढ़ाती है, जिससे एरिथमिया की स्थिति को पहचाना जा सकता है। यह एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) आमतौर पर स्ट्रेस की वजह से होने वाली एरिथमिया की समस्या के लिए किया जाता है।
टिल्ट टेबल टेस्ट (Tilt-table test)
यह एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) उन लोगों के लिए किया जाता है, जो आमतौर पर बेहोश हो जाते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को एक फ्लैट टेबल पर लिटाया जाता है और टेबल की स्थिति को बार-बार बदला जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपकी हार्टबीट को परखा जाता है। इससे पता चलता है कि बार-बार आपके शरीर की प्रक्रिया में बदलाव होने के पर हार्ट बीट पर क्या असर पड़ता है।