इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम (Electrocardiogram – ECG)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से डॉक्टर आप की हार्टबीट से जुड़ी सभी बातों का पता लगा सकते हैं। यह टेस्ट डॉक्टर द्वारा ही किया जाता है। इस एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) में इलेक्ट्रोड या पैच को आपके चेस्ट, आर्म और पैरों से जोड़ा जाता है। यह इलेक्ट्रोड आपके आपकी हार्ट एक्टिविटी को रिकॉर्ड करते हैं और इसके अनुसार पिक्चर ड्रॉ करते हैं। इस पिक्चर पैटर्न को देखकर हार्ट बीट की समस्या को पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के इस्तेमाल के लिए अलग-अलग तरह के मॉनिटर और डिवाइज का इस्तेमाल होता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी ये जानकारी।
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इवेंट मॉनिटर और डिवाइज (Event monitors and devices)
एरिथमिया की समस्या किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है, लेकिन एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) के अंतर्गत इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम की मदद से इस स्थिति को पहचाना जा सकता है। इसमें आपकी हार्टबीट को लंबे समय तक मॉनिटर किया जाता है, जिसमें तीन तरह के मॉनिटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें इन डिवाइज का समावेश होता है –
हॉल्टर मॉनिटर (Holter monitor)
हॉल्टर मॉनिटर 24 से 48 घंटे के दौरान आपके हार्ट की एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है। इसमें इलेक्ट्रोड को आपके शरीर के अलग-अलग हिस्सों में लगाया जाता है, जिससे हार्ट रिदम का पता लगाया जा सके और आपकी हार्ट एक्टिविटी क पहचाना जा सके।
इवेंट मॉनिटर (Event monitors)
जिन लोगों को कभी कभी ही एरिथमिया की समस्या होती है, उन लोगों में इवेंट मॉनिटर के जरिए हार्टबीट मॉनिटर की जा सकती है। इवेंट मॉनिटर के दो प्रकार होते हैं, सिम्टम्स इवेंट मॉनिटर और लूपिंग मेमोरी मॉनिटर (Symptom event monitors and looping memory monitors)। यह दोनों ही पोर्टेबल मॉनिटर माने जाते हैं। सिंपल इवेंट मॉनिटर ब्रेसलेट की तरह हाथों में लगाए जाते हैं, जो इलेक्ट्रोड की तरह काम करते हैं और यह आपकी इर्रेगुलर हार्ट बीट को रिकॉर्ड करते हैं। वही लूपिंग मेमोरी मॉनिटर पेजर की तरह होता है, जो इलेक्ट्रोड की मदद से आपके शरीर से जोड़ा जाता है और समय-समय पर आपकी हार्टबीट को मॉनिटर करता है।
इंप्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable loop recorder)
यह डिवाइस आपकी हार्ट एक्टिविटी को इवेंट मॉनिटर की तरह रिकॉर्ड करता है, लेकिन यह आपकी स्किन के अंदर इंप्लांट किया जाता है। इस डिवाइस से पता लगाया जा सकता है कि एरिथमिया (Arrhythmia) की समस्या में आपके शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं और कौन सी समस्याएं हैं, जो एरिथमिया की समस्या को ट्रिगर करती है।
यह तीनों डिवाइस इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के तौर पर एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) के अंतर्गत इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके अलावा और भी कई तरह के टेस्ट हैं, जो एरिथमिया टेस्ट के अंतर्गत किए जा सकते हैं। अलग-अलग लोगों में इस तरह के एरिथमिया टेस्ट अलग अलग तरह के हो सकते हैं। आइए जानते हैं इन अन्य एरिथमिया टेस्ट के बारे में।
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ये हैं अन्य एरिथमिया टेस्ट (Other Arrhythmia Tests)
एरिथमिया (Arrhythmia) की समस्या में के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं। इसीलिए इन कारणों को पहचानते हुए डॉक्टर एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) का चुनाव कर सकते हैं। अलग-अलग लोगों में एरिथमिया की समस्या के अलग-अलग कारण होते हैं, इसलिए आप के कारणों को पहचान कर इस प्रकार के टेस्ट डॉक्टर आपके लिए चुन सकते हैं।
स्ट्रेस टेस्ट (Stress test)
एक्सरसाइज चेस्ट टेस्ट आमतौर पर बेहद कॉमन माने जाते हैं। इस स्थिति में देखा जाता है कि स्ट्रेस और एक्सरसाइज के दौरान आपकी हार्टबीट की स्थिति क्या होती है और एरिथमिया (Arrhythmia) की स्थिति आपके शरीर में किस लेवल तक परेशानी पैदा कर रही है। इस टेस्ट में डॉक्टर इलेक्ट्रोड आपके शरीर में लगाते हैं, जिसके बाद आपको ट्रेडमिल, बाइसिकल इत्यादि का इस्तेमाल करना होता है। जिसके बाद आपके हार्टबीट को परखा जा सकता है। यह स्ट्रेस टेस्ट मेडिकेशन के द्वारा भी किया जा सकता है। कुछ खास तरह की मेडिसिन आपके हार्ट रेट को बढ़ाती है, जिससे एरिथमिया की स्थिति को पहचाना जा सकता है। यह एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) आमतौर पर स्ट्रेस की वजह से होने वाली एरिथमिया की समस्या के लिए किया जाता है।
टिल्ट टेबल टेस्ट (Tilt-table test)
यह एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) उन लोगों के लिए किया जाता है, जो आमतौर पर बेहोश हो जाते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को एक फ्लैट टेबल पर लिटाया जाता है और टेबल की स्थिति को बार-बार बदला जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपकी हार्टबीट को परखा जाता है। इससे पता चलता है कि बार-बार आपके शरीर की प्रक्रिया में बदलाव होने के पर हार्ट बीट पर क्या असर पड़ता है।
इलेक्ट्रिकल फिजियोलॉजिकल स्टडीज (Electrical physiological studies)
यह एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) आम तौर पर उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें एरिथमिया की वजह से हार्ट अटैक की समस्या हो चुकी है। इसमें इलेक्ट्रोड आपकी वेन के जरिए शरीर में डाला जाता है और आपकी हार्ट की स्थिति को डॉक्टर रिकॉर्ड करते हैं।
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यह सभी टेस्ट एरिथमिया (Arrhythmia) की स्थिति को पहचानने के लिए अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में ब्लड टेस्ट के जरिए भी एरिथमिया की स्थिति को पहचाना जा सकता है। आइए जानते हैं एरिथमिया की स्थिति में ब्लड टेस्ट किस तरह किया जाता है।
ब्लड टेस्ट (Blood test)
ब्लड टेस्ट उस व्यक्ति के लिए एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) के रूप में किया जाता है, जिन लोगों में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम (Calcium, potassium, magnesium) इत्यादि की कमी पाई जाती है। यह तीनों ही हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को सही बनाए रखने का काम करते हैं। यही वजह है कि हार्ट मॉनिटरिंग के अलावा कई लोगों को ब्लड टेस्ट की सलाह भी दी जाती है। इस ब्लड टेस्ट के जरिए डॉक्टर आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल और आपके ब्लड में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी परख सकते हैं।इस तरह मॉनिटर टेस्ट के अलावा कुछ लोगों को ब्लड टेस्ट की सलाह एरिथमिया टेस्ट के अंतर्गत दी जा सकती हैं।
एरिथमिया टेस्ट (Arrhythmia Tests) करवाने के बाद डॉक्टर टेस्ट रिजल्ट के तौर पर आपको आपकी स्थिति के बारे में बताते हैं और इससे संबंधित सही ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं। आमतौर पर एरिथमिया की समस्या से व्यक्ति को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन लंबे समय तक एरिथमिया की स्थिति बने रहने से आपको इससे जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार एरिथमिया की स्थिति की वजह से हार्ट अटैक होने का खतरा भी होता है, इसलिए जरूरत पड़ने पर व्यक्ति को एरिथमिया टेस्ट के बाद सही ट्रीटमेंट दिया जाता है। इन ट्रीटमेंट में मेडिकेशन, सर्जरी, ऑल्टरनेटिव ट्रीटमेंट और कॉम्बिनेशन ट्रीटमेंट भी दिए जा सकते हैं। समय रहते एरिथमिया की स्थिति को समझकर एरिथमिया टेस्ट के जरिए इसका निदान किया जाना जरूरी है, जिससे आपकी हार्ट की स्थिति को नुकसान ना पहुंचे।