हार्ट फेलियर वो स्थिति है, जिसमें हमारा हार्ट पर्याप्त मात्रा में ब्लड को पंप नहीं कर पाता है। ऐसा भी कहा जाता है, इस स्थिति में हार्ट पर्याप्त रूप से रिलेक्स नहीं कर पाता है और इससे चैम्बर्स के अंदर प्रेशर बढ़ सकता है। इसके कारण कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे थकावट, सांस लेने में समस्या या टिश्यूज में फ्लूइड का बनना आदि। ऐसा माना जाता है कि हार्ट फेलियर से पीड़ित आधे रोगियों को नार्मल इजेक्शन फ्रैक्शन की समस्या होती है। हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) उस स्थिति को कहा जाता है जिसमें हार्ट पर्याप्त रूप से आराम नहीं कर पाता है। उम्र का बढ़ना, हायपरटेंशन, मेटाबोलिक सिंड्रोम, मोटापा आदि इसके रिस्क फैक्टर्स हैं। इसे डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Diastolic Heart Failure) के रूप में भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस समस्या के बारे में विस्तार से।
हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन क्या है? (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction)
हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) एक तरह का हार्ट फेलियर है, जो तब होता है जब हार्ट के लेफ्ट वेंट्रिकल सख्त हो जाते हैं और रिलेक्स नहीं कर पाते हैं। ऐसा होने से हार्ट के अंदर प्रेशर बढ़ता है। यह बीमारी आमतौर पर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) , वाल्वुलर हार्ट डिजीज (Valvular Heart Disease), डायबिटीज (Diabetes), मोटापा (Obesity) या हायपरटेंशन (Hypertension) आदि रिस्क फैक्टर्स के बढ़ने के कारण होती है। इस समस्या के बारे में जानने से पहले हमारा यह जानना बेहद जरूरी है कि हमारा हार्ट कैसे काम करता है?
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हार्ट कैसे काम करता है?
दरअसल हमारे हार्ट में चार चैम्बर्स होते हैं जिन्हें राइट एट्रियम (Right Atrium), राइट वेंट्रिकल (Right Ventricle), लेफ्ट एट्रियम (Left Atrium) और लेफ्ट वेंट्रिकल (Left Ventricle) के नाम से जाना जाता है। राइट एट्रियम शरीर के बाकी हिस्सों से ऑक्सीजन रहित रक्त प्राप्त करता है और इसे राइट वेंट्रिकल में भेजता है, जो ऑक्सीजन लेने के लिए फेफड़ों में रक्त पंप करता है। लेफ्ट एट्रियम फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता है और इसे बाएं वेंट्रिकल में भेजता है, जो शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त को पंप करता है।
हमारे शरीर में ब्लड की मूवमेंट हार्ट चैम्बर्स के रिदमिक रिलेक्सेशन और कंट्रक्शन पर निर्भर करती है। इसे कार्डियक सायकल (Cardiac cycle) कहा जाता है। इस कार्डियक सायकल के डायस्टोल चरण (Diastole Phase) के दौरान हार्ट चैम्बर्स रिलेक्स करते हैं। जिसमें हार्ट चैम्बर्स में ब्लड फिल होता है। डायस्टोल चरण (Diastole Phase) के दौरान हार्ट मसल कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जो ब्लड को पंप करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) की समस्या है। तो ऐसे में उसके हार्ट का लेफ्ट वेंट्रिकल सख्त हो जाता है और सही से रिलेक्स नहीं कर पाता। इससे कार्डियक सायकल के डायस्टोल चरण (Diastole Phase) के दौरान यह पूरी तरह फिल नहीं हो पाता और यह फिलिंग बहुत अधिक प्रेशर के साथ होती है।
जिससे पूरे शरीर में पंप करने के लिए उपलब्ध रक्त की मात्रा कम हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि हमारे शरीर में ऑर्गन्स और अन्य टिश्यूज तक कम ऑक्सीजन युक्त ब्लड पहुंचता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) में टिश्यूज में फ्लूइड बन सकता है, जिससे कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure) कहा जाता है। अब जानिए क्या हैं इनके लक्षण?
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हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Heart Failure with Preserved Ejection Fraction)
हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन को सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) भी कहा जाता है। हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
- थकावट और कमजोरी (Tiredness, weakness)
- पैर, टखने, पेट या टांगों में सूजन (Swelling in Feet, Ankles, Legs or Abdomen)
- खांसी और व्हीज़िंग (Cough or Wheezing)
- हार्टबीट का तेज या असामान्य होना (Fast or irregular Heartbeat)
- चक्कर आना (Dizziness)
- अधिक मूत्र त्याग खासतौर पर रात को (Having to pee more often at night)
- जी मचलना (Nausea)
- भूख में कमी (Lack of Appetite)
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार इजेक्शन फ्रैक्शन एक माप है, जिसे प्रतिशत के रूप में एक्सप्रेस किया जाता है। यह बताता है कि प्रत्येक संकुचन के साथ लेफ्ट वेंट्रिकल कितना रक्त पंप करता है। इजेक्शन फ्रैक्शन 60 प्रतिशत का मतलब यह है कि लेफ्ट वेंट्रिकल में रक्त की कुल मात्रा का 60 प्रतिशत प्रत्येक हार्टबीट के साथ बाहर निकाल दिया जाता है। आइए जानते हैं अब हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) के कारणों के बारे में।
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हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण क्या हैं? (Causes of Heart Failure with Preserved Ejection Fraction)
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा दिल और ब्लड वेसल कम इलास्टिक यानी कम लचीले होना शुरू हो जाते हैं। इससे वो अधिक सख्त होते हैं। इसलिए, यह समस्या बुजुर्गों में अधिक सामान्य है। इसके साथ ही इसके कुछ अन्य कारण इस प्रकार हैं:
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) : अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो आपके हार्ट को शरीर में ब्लड पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस अतिरिक्त मेहनत की वजह से हार्ट मसल थिक और लार्ज हो जाती हैं और यह अंततः सख्त हो जाते हैं।
- डायबिटीज (Diabetes): डायबिटीज के कारण हार्ट की वॉल्स थिक हो जाती हैं। जिससे वो सख्त हो जाती हैं और हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) का कारण बनती हैं।
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) : इस स्थिति में हार्ट मसल में बदलने वाले खून की मात्रा ब्लॉक या सामान्य से कम हो सकती हैं। यानी, यह समस्या भी इस बीमारी का कारण बन सकती है
- मोटापा (Obesity) : मोटापा होने या इनएक्टिव रहने से भी आपके हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जो इस बीमारी की वजह बन सकती है।
इसके अलावा भी इस बीमारी के कुछ अन्य कारण हो सकते हैं। अब जान लेते हैं इस समस्या के निदान के बारे में।
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हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन का निदान (Diagnosis of Heart Failure with Preserved Ejection Fraction)
जैसे पहले ही बताया गया है कि हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) में लेफ्ट वेंट्रिकल बहुत सख्त होने के बजाय बहुत कमजोर हो जाता है। यह सही से कॉन्ट्रैक्ट नहीं हो पाता। इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही रोगी की मेडिकल हिस्ट्री भी जानी जाती है। मरीज की शारीरिक जांच भी की जा सकती है और डॉक्टर रिस्क फैक्ट्स के बारे में भी जानेंगे जैसे ब्लड प्रेशर (Blood Presure), कोरोनरी आर्टरी डिजीज या डायबिटीज आदि। डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट्स कराने के लिए भी कह सकते हैं, जो इस प्रकार हैं।
ब्लड टेस्ट्स (Blood Test)
डॉक्टर रोगी के ब्लड सैम्पल्स ले कर अन्य बीमारियों के लक्षणों को जांचते हैं जो हार्ट को प्रभावित कर सकती हैं।
चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
चेस्ट एक्स-रे से लंग्स और हार्ट की स्थितियों को जाना जा सकता है। इसके साथ ही इससे डॉक्टर अन्य बीमारियों का निदान भी कर सकते हैं
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट से हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी (Electrical Activity) को त्वचा में अटैच्ड इलेक्ट्रोड्स के माध्यम से रिकॉर्ड किया जा सकता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को हार्ट रिदम समस्याओं और हार्ट के डैमेज के बारे में जानने में डॉक्टर को मदद मिलती है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इकोकार्डियोग्राम में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है, ताकि हार्ट की वीडियो इमेज को बनाया जा सके। इस टेस्ट से डॉक्टर किसी भी अब्नोर्मिलिटीज़ के साथ ही हार्ट के साइज और शेप के बारे में पता कर सकते हैं। इसके साथ ही इजेक्शन फ्रैक्शन को मापने के लिए भी यह टेस्ट किया जा सकता है।
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स्ट्रेस टेस्ट (Stress Test)
इस टेस्ट से यह मापा जा सकता है कि एक्सरसाइज या परिश्रम के दौरान हमारा दिल कैसे काम करता है। इसके लिए रोगी को ट्रेडमिल पर वॉक करने के लिए कहा जा सकता है जो इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (Electrocardiography) मशीन के साथ अटैच होती है या कई बार इसके लिए मरीज को दवा भी दी जा सकती है।
कार्डिएक कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (Cardiac Computerized Tomography Scan)
कार्डिएक कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी में मरीज को एक मशीन में लेटा दिया जाता है। इस मशीन में लगी एक्स-रे ट्यूब शरीर के आसपास रोटेट करती है और हार्ट व चेस्ट की तस्वीरें इकट्ठा करती है।
मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
इस टेस्ट में मैग्नेटिक फील्ड के माध्यम से हार्ट की इमेज को बनाया जाता है ताकि हार्ट की स्थिति के बारे में पता चल सके। इसके अलावा हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) में रोगी की स्थिति के अनुसार डॉक्टर अन्य टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं। समस्या के निदान के बाद इसका उपचार कैसे होता है, जानिए।
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हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन का उपचार (Treatment of Heart Failure with Preserved Ejection Fraction)
हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) के उपचार के विकल्प सीमित हैं। दवाईयां, जीवनशैली में बदलाव आदि इस बीमारी के उपचार का मुख्य हिस्सा है। इस समस्या के कारण टिश्यूज में बनने वाले फ्लूइड की मात्रा को कम करने के लिए डाइयूरेटिक्स (Diuretics) की सलाह दी जा सकती है। इसके साथ ही डॉक्टर रोगी को क्रॉनिक हेल्थ कंडीशंस (Chronic health conditions) या कार्डियोवैस्कुलर रिस्क फैक्टर्स (Cardiovascular Risk Factors) को मैनेज करने के लिए उपचार की सलाह दे सकते हैं। रोगी को इन स्थितियों में दवाइयों को लेने की सलाह दी जा सकती है:
- हार्ट रेट को कम करने के लिए दवाइयां ताकि हार्ट डायस्टोलिक फेज (Diastolic Phase) में अधिक समय बिताएं।
- अगर आपका ब्लड प्रेशर हाय (High Blood Pressure) है, तो उसको कम करने की दवाईयां।
- कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol Level) अधिक होने पर उसे कम करने की मेडिकेशन्स।
- एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) की स्थिति में, ब्लड क्लॉट्स के रिस्क को कम करने की दवाईयां।
- अगर आपको डायबिटीज (Diabetes) है, तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए मेडिसिन्स।
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इसके साथ ही डॉक्टर आपको अपनी जीवनशैली में भी बदलाव करने के लिए कहेंगे, जैसे:
- अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करें।
- पौष्टिक और हार्ट हेल्दी आहार का सेवन करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- तनाव से बचें।
- एल्कोहॉल की मात्रा सीमित रखें और धूम्रपान से बचें।
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डॉक्टर इस समस्या के उपचार के लिए नए और उपयुक्त ट्रीटमेंट विकल्पों के बारे में आपको सही जानकारी दे सकते हैं। हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) और अन्य क्रॉनिक कंडीशंस के उपचार से रोगी के जीवन की गुणवत्ता बढ़ सकती है।
यह तो थी हार्ट फेलियर और प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction) के बारे में पूरी जानकारी। ऐसा माना जाता है कि हार्ट फेलियर से पीड़ित लगभग 50 प्रतिशत लोगों में यह समस्या होती है। यह स्थिति उस ऑक्सीजन युक्त रक्त की मात्रा को कम कर देती है, जिसे हमारा हार्ट अन्य टिश्यूज और अंगों तक पहुंचाता है और इससे हार्ट में दबाव भी बढ़ता है। इसके कारण कई जानलेवा कॉम्प्लीकेशन्स का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में इस समस्या और अन्य क्रॉनिक हेल्थ स्थितियों का इलाज कराना बहुत जरूरी है। इसके लिए दवाइयां और अन्य उपचार की सलाह दी जा सकती है।लेकिन ,हार्ट समस्याओं को मैनेज करने के लिए सबसे जरूरी है अपनी जीवनशैली को सही रखना, ताकि आपके दिल और संपूर्ण स्वास्थ्य की सुरक्षा हो सके।
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