पूरे भारत में मॉनसून ने दस्तक दे दी है। ऐसे में भारत कोरोना से एक तरफ लड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ मॉनसून से फैलने वाली बीमारियां भी दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं। इस तरह से मॉनसून और कोरोना के बीच सीधा संबंध हो सकता है। बारिश में जहां एक तरफ फ्लू होता है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना भी फ्लू जैसी ही बीमारी है, जिसमें रेस्पायरेटरी सिस्टम प्रभावित हो जाता है। इस स्थिति में हमें जानना होगा कि मॉनसून में हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम कोरोना से बच सकें।
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मॉनसून और कोरोना में क्या संबंध है?
मॉनसून और कोरोना के बीच में संबंध को तो फिलहाल अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए हैं। जैसा कि कोरोना की शुरुआत होने पर ये बात मानी जा रही थी कि जब गर्मी का मौसम आएगा तो कोरोना खुद ही ज्यादा तापमान के कारण खत्म हो जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, बल्कि गर्मी में कोरोना के मामले आसमान छू रहे हैं। इसके बाद ऊपर से मॉनसून कोविड 19 के फैलने के लिए सबसे मुफीद समय माना जा रहा है। इसलिए पहले ही कुछ एक्सपर्ट ने कहा कि जुलाई और अगस्त में कोरोना अपने चरम पर होगा।
मॉनसून और कोरोना में संबंध को जानने के लिए हमें पर्यावरण को समझना होगा। कोरोना काल में हुए अध्ययन में वुहान और चीन के कई हिस्सों के आंकड़ों को निकाला गया। जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि प्रतिगमन या रिग्रेशन मॉडल के अंतर्गत कोरोना वायरस ठंड और शुष्क मौसम में कैसे फैलता है। तो अध्ययन में पाया गया कि कोरोना वायरस के लिए ठंड और शुष्क मौसम पूरी तरह से अनुकूल है। हालांकि, ये रिग्रेशन मॉडल चीन के वातावरण के हिसाब से कुछ जगहों पर पर ही किया गया था। इसके अलावा, एक अन्य अध्ययन में चीन में कोरोना के मामलों की संख्या पर ह्यूमिडिटी या आर्द्रता और तापमान के प्रभावों की जांच की। जिसमें ये बात सामने आई कि तापमान और आर्द्रता कोरोना की संख्या में तेजी से इजाफा कर सकती हैं।
मॉनसून में वायरल रोग मौसम के प्रभाव के कारण काफी तेजी से फैलते हैं। अगर थोड़ा पीछे जा कर देखा जाए तो कोरोना महामारी भारत में शुरुआती बसंत में शुरू हुआ था, लेकिन गर्मियों के मौसम में काफी तेजी से फैला है। इसलिए मॉनसून के मौसम में भी इसके तेजी से फैलने की उम्मीद है।
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मॉनसून और कोरोना के बीच में मौसमी बीमारियों का है ज्यादा डर
मॉनसून में बारिश अपने साथ कई तरह के मच्छर जनित रोगों जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया लेकर आती है। वहीं, डेंगू के मामले में कुछ रिसर्च से पता चला है कि ज्यादा बारिश होने से मच्छरों के प्रजनन चक्र को बाधित हो सकती है। क्योंकि इससे मच्छरों का प्रजनन स्थल तेज बारिश में बह सकता हैं। लेकिन बारिश में इन्फ्लूएंजा यानी कि सर्दी जुकाम जैसी समस्या होना भी आम है। वहीं, कोविड -19 और इंफ्लूएंजा दोनों फेफड़ों से जुड़े हुए रोग हैं। हालांकि दोनों वायरस मनुष्य के शरीर में अलग तरह से रिएक्ट करते हैं।
उदाहरण के तौर पर, फ्लू के मौसम में फ्लू होने कारणों के बारे में जानना बहुत मुश्किल है। तापमान या बारिश या घर के अंदर रहने पर भी फ्लू प्रभावित कर सकता है। वहीं, मॉनसून में सूरज की रोशनी ना मिलना और लोगों में विटामिन डी के स्तर में कमी जैसे कारणों को भी फ्लू के फैलने की वजह मानी गई हैं। अब अगर बात करें मॉनसून और कोरोना की तो यह बहुत स्पष्ट नहीं है कि कोरोना हवा से नहीं फैलता है। बल्कि सतहों से फैलता है, मॉनसून में सतहों पर नमी रहने के चलते कोरोना तेजी से फैल सकता है।
जहां तक बात रही मौसमी बीमारियों की तो अगर कोई भी व्यक्ति मौसमी बीमारियों से ग्रसित हो गया तो उसका इम्यून सिस्टम वैसे ही कमजोर हो गया है। ऐसे में कोरोना से ग्रसित होने के लिए उस व्यक्ति का कमजोर इम्यून सिस्टम जिम्मेदार होगा।
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ह्यूमिडिटी और कोविड-19 के बीच में क्या संबंध है?
ह्यूमिडिटी और कोविड-19 के बीच एन्वायरमेंट फैक्टर जिम्मेदार होता है। कोई भी वायरल इंफेक्शन तीन फैक्टर पर निर्भक करता है- मनुष्य का व्यवहार, मौसम में बदलाव और खुद वायरस का गुण। जैसा कि हमें पता है कि कोविड-19 रेस्पायरेटरी समस्या है, इसके लक्षण देखने में बिल्कुल इंफ्लूएंजा फ्लू की तरह होते हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार इंफ्लूएंजा और SARS वायरस कम तापमान और ह्यूमिडिटी में तेजी से फैलते हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे के द्वारा की गई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि मॉनसून और कोरोना इस समय अपने चरम पर हो सकते हैं। कहने का मतलब ये है कि ह्यूमिड मौसम के दौरान मॉनसून में कोरोना काफी तेजी से फैल सकता है। अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया कि कोविड-19 के मरीज के द्वारा छींकने या खांसने पर किसी भी सतह पर कोरोना वायरस का जीवन कितना है। इसी तरह का एक अध्ययन को अमेरिकन इंस्टीच्यूट ऑफ फिजिक्स ने जर्नल पब्लिश किया। जिसमें ये बात दर्शायी गई कि गर्म और शुष्क मौसम में कोविड-19 से इंफेक्टेड ड्रॉपलेट्स वाष्पित हो कर उड़ जाते हैं। ऐसे में जब नमी वाला मौसम आता है तो ड्रॉपलेट की लाइफ ज्यादा हो जाती है और वह तेजी से फैल सकते हैं।
कुछ अन्य अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि मॉनसून और कोरोना वायरस का सीधा संबंध आद्रता से हैं। जब नमी ज्यादा होती है तो कोरोना वायरस किसी भी सतह पर ज्यादा समय तक जिंदा रह सकता है।
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मौसम और मानव स्वभाव भी हो सकता है कोरोना के फैलने की वजह
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी मौसम में वायरल बीमारियों को बढ़ावा देने के लिए मनुष्य का व्यवहार भी जिम्मेदार होता है। ऐसे में मॉनसून और कोरोना काल में कोविड 19 को फैलाने के लिए खुद हम इंसान ही जिम्मेदार होंगे। उदाहरण के तौर पर लोगों की आदत होती है, यहां-वहां थूंकने की। ऐसे में कोरोना हमारे गलियों और सड़कों से तेजी से फैल सकता है। ऐसे में सिर्फ यहीं उम्मीद की जा सकती है कि बारिश में सड़कों की गंदगी साफ हो कर फ्लश हो जाए।
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मॉनसून में कोरोना को फैलने से कैसे रोकें?
मॉनसून और कोरोना के संबंध को समझते हुए आपको अपनी तरफ से कुछ सावधानियां बरतनी होगी, ताकि कोरोना ना फैल पाए :
- सबसे पहली बात तो ये है कि जरूरत ना पड़ने पर घर से बाहर ना जाएं।
- जिस वक्त बारिश हो रही है तो उसमें भीगे नहीं। अगर आप भीग जाएंगे तो आपको सर्दी-जुकाम हो सकता है। ऐसे में आपको खुद को बहुत बचा कर रखना है।
- बाहर से आने के बाद अपने कपड़े, फुटवियर, रेनकोट या छाता आदि को अच्छे से साबुन पानी के साथ डिसइंफेक्ट करें। कोशिश करें कि बाहर से आने के बाद आप नहा लें।
- बाहर यहां-वहां थूंके नहीं। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो उसे मना करें।
- सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें और पब्लिक प्लेस पर किसी भी सतह को बेवजह छूने से बचें।
- अपने हाथों को बार-बार धुलते रहें या सैनिटाइड करते रहें।
हमेशा याद रखें कि मॉनसून और कोरोना से हमें खुद को बचाना है। कोरोना के फैलने के कारणों को हमें रोकना है। खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी आपकी है। इसलिए इस समय आप ऊपर बताई गई सावधानियों का पालन करें। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।