सर्दियों को बीमारियों का मौसम कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। एक तरफ तो इस मौसम में कॉजी ब्लैंकेट में सोने और गर्मागर्म चाय पीने का मजा ही कुछ और होता है। वहीं इस मौसम के साथ सर्दी-खांसी जैसी परेशानियां तो बिना बुलाए मेहमान की तरह आ जाती हैं और भी ऐसी कई बीमारियां हैं जो सर्दियों का मौसम आने का इंतजार करती हैं। इन्हें सर्दियों में होने वाली बीमारियां कहते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार गर्मियों के बाद सर्दियों का मौसम आता है। ऐसे में बॉडी गर्म के बाद सीधे ठंडे एनवायरमेंट के संपर्क में आती है। कई बार बॉडी नए क्लाइमेट में एडजस्ट होने में टाइम लेती है या आसानी से एडजस्ट नहीं कर पाती जो कई बार कुछ सर्दी की बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके साथ ही पूरे सीजन भी इन बीमारियों के होने का खतरा रहता ही है क्योंकि सर्दियों के मौसम में तापमान घटता बढ़ता रहता है। अचानक से गिरने वाला तापमान हार्ट प्रॉब्लम्स, स्किन प्रॉब्लम्स और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। यहां हम सर्दियों में होने बीमारियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। चूंकि अभी सर्दियों का मौसम चल रहा है तो आपको इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना चाहिए और खुद को इन बीमारियों से बचाना चाहिए।
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1.सर्दियों में होने वाली बीमारियां: कॉमन कोल्ड (Common Cold)
सर्दियों में जो बीमारियां होती हैं उनमें कॉमन कोल्ड पहले नंबर पर आता है। इस बीमारी का नाम कॉमन कॉल्ड क्यों रखा गया है यह हम समझ सकते हैं। बहती नाक, बार-बार छींक आना और कफ ये तीनों सर्दियों के मौसम में होना बहुत सामान्य है। इसे अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इंफेक्शन (Upper Respiratory tract infection) भी कहा जा सकता है। यह बच्चों और बड़ों में होने वाली कॉमन बीमारी है। अमेरिकन एकेडेमिक ऑफ पेडियाट्रिक्स की रिपोर्ट्स के अनुसार 2 साल तक के 10 में से 8 बच्चों में कॉमन कोल्ड होता है। इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें नेजल कंजेक्शन, कफ, गले में खराश और सिर दर्द होता है। बच्चों में इसके साथ बुखार भी हो जाता है, लेकिन यह बुखार हल्का होता है। हालांकि कॉमन कोल्ड के लक्षण कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। यह आपके इम्यून सिस्टम पर निर्भर होता है। सामान्यत: आपको डॉक्टर की जरूरत नहीं होती है।
रोकथाम के लिए उपाय – Tips to Prevent Common Cold
- इस समस्या का उपचार करने के लिए जरूरी है आप ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
- आराम करें और घर का खाना ही खाएं।
2.सर्दियों में होने वाली बीमारियां: इंफ्लुएंजा (Influenza)
इसे सामान्यत: फ्लू के नाम से जाना जाता है। इसमें तेज बुखार, गले में दर्द और खराश, सिर में तेज दर्द, मसल्स पेन, थकान, डायरिया, उल्टी और कफ की समस्या होती है। यह ह्युमन इंफ्लुएंजा वायरस ए और बी के कारण फैलता है और यह एक संक्रामक बीमारी है। यह माइल्ड और सीरियस दोनों तरह का हो सकता है। ज्यादातर लोग 1 या 2 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, लेकिन अगर यह गंभीर हो जाए तो और ज्यादा समय के लिए रहे तो निमोनिया (Pneumonia) भी हो सकता है। सेंटर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार (CDC) प्रेग्नेंट महिलाओं और 2 साल से छोटे बच्चों में फ्लू के बिगड़ने का रिस्क होता है।
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रोकथाम के उपाय ( Tips to Prevent Influenza)
- रेस्पिरेट्री हायजीन को मैंटेन रखें। हाथों को बार-बार धोंए ताकि जर्म्स और बैक्टीरिया से बच करें।
- खूब पानी पिएं और आराम करें
- खांसते और छींकते समय मुंह को ढंककर रखें
- अगर किसी को सर्दी-खांसी है तो उससे डिस्टेंस मैंटेन रखें
- इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए रोज एक्सरसाइज करें
3.स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat) या गले में दर्द भी आता है सर्दियों में होने वाली बीमारियों में
इसको गले में खराश (Soar throat) समझकर कंफ्यूज ना हो। स्ट्रेप थ्रोट का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है। यह स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है। सोर थ्रोट या गले में खराश होने पर गले में दर्द होता है, लेकिन उतना दर्द नहीं जितना स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat) में होता है। यह एक से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्दी फैलता है। इसके लक्षणों में निगलने में कठिनाई, फीवर, सिर में दर्द और गले के लिम्फ नोड्स में सूजन होना है।
रोकथाम के उपाय (How to Prevent Strep throat)
- डॉक्टर स्ट्रेप थ्रोट के लिए एंटीबायोटिक्स देते हैं। इनको लेने के बाद पेशेंट्स को एक से दो दिन में अच्छा महसूस होने लगता है।
- सीडीसी के अनुसार अगर एंटीबायोटिक लेने के बाद भी दो दिन के बाद अच्छा महसूस नहीं होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- स्ट्रेप थ्रोट का उपचार करना बहुत जरूरी है नहीं तो इसके कारण रूमेटिक फीवर (rheumatic fever) और लॉन्ग टर्म हार्ट डैमेज (Long-term heart damage) हो सकता है।
- इस दौरान गर्म पानी पीना और स्टीम लेना गले के दर्द में आराम दिला सकता है।
- अदरक, लहसुन और शहद दोनों गले में आराम पहुंचाते हैं साथ ही इनमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज भी होती हैं। इनका उपयोग स्ट्रेप थ्रोट से राहत दिला सकता है।
4.ब्रोंकियोलाइटिस (Bronchiolitis)
ब्रोंकियोलाइटिस (Bronchiolitis) एक कॉमन लंग इंफेक्शन है। यह बच्चों और शिशुओं में ज्यादा देखने को मिलता है। रेस्पिरेट्री सिंसीशल वायरस (Respiratory syncytial virus) इस कंडिशन का सामान्य कारण होता है। वायरस के कारण एयरवेज में इंफ्लामेशन होता है और छोटे-छोटे लंग एयर पैसेज में म्यूकस बिल्डअप हो जाता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इस सर्दियों में होने वाली बीमारी में नेजल कंजेक्शन, लो ग्रेड फीवर के साथ ही कफ और बार-बार छींकने की समस्या होती है।
रोकथाम के उपाय (How to Prevent Bronchiolitis)
- सर्दियों में होने वाली इस बीमारी को मात देने के लिए ज्यादा से ज्यादा आराम करें
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
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5.निमोनिया (Pneumonia)
निमोनिया लंग्स में होने वाला इंफेक्शन है जिसका कारण बैक्टीरिया है। इस दौरान आपको कफ, फीवर और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अस्थमा, हार्ट से संबंधित समस्याएं, कमजोर इम्यूनिटी और कैंसर जैसी कंडिशन सर्दियों में होने वाली इस बीमारी का जोखिम को बढ़ा देती हैं। हालांकि इस बीमारी का इलाज घर पर किया जा सकता है, लेकिन इसके बिगड़ने पर हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत पड़ सकती है। अगर आपको सांस लने में समस्या और सर्दी के साथ कई दिनों से बुखार है तो डॉक्टर से संपर्क करना ना भूलें क्योंकि इस बीमारी के बारे में शुरुआती तौर पर पता नहीं चलता।
रोकथाम के उपाय (How to Prevent Pneumonia)
- हाथों को रोज कई बार धोएं
- रोज एक्सरसाइज करें
- हेल्दी फूड्स खाएं
- खाने में सीजन फ्रूट्स और सब्जियों को शामिल करें
- स्मोकिंग करना छोड़ दें
6.टॉन्सिल्स (Tonsils)
सर्दियों में होने वाली बीमारियां और टॉन्सिल्स में गहरा संबंध है। गले के अंदर दो ऑवल शेप्ड टिशूज पर आने वाली सूजन को टॉन्सिल्स कहा जाता है। इस इंफ्लामेशन के कारण टॉन्सिल्स का आकार बढ़ जाता है। इससे दर्द और चिढ़चिढ़ापन होता है जिससे आगे चलकर खाने को निगलने में परेशानी होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, वायरस और बैक्टीरिया टॉन्सिल इंफेक्शन का कारण बनते हैं। सर्दियों में अक्सर ऐसा होता है।
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रोकथाम के उपाय (How to Prevent Tonsils)
- अच्छी ओरल हायजीन मैंटेन रखें। जिसमें जीभ से बैक्टीरिया को क्लीन करना भी शामिल है
- स्मोकिंग छोड़ दें
- गुनगुने पानी से गरारे करें
- हायड्रेड रहने के लिए खूब पानी पिएं
7.ईयर इंफेक्शन (Ear Infection)
सर्दियों में होने वाली बीमारियां विंटर के मजे को खराब कर सकती हैं। सर्दियों में होने वाला मॉश्चर और ठंडा मौसम ईयर इंफेक्शन के जोखिम को बढ़ा देता है। एक्यूट ईयर इंफेक्शन (Acute ear infection) सर्दियों में होने वाली कॉमन विंटर प्रॉब्लम है जो एक दिन में हो सकती है। जल्दी इसकी पहचान करना जरूरी है। इसके सामान्य लक्षणों में कानों में ब्लॉकेज, पेन और खुजली होना है।
रोकथाम के उपाय (How to Prevent Ear Infection)
- कानों को ठंड से बचाएं
- कानों को साफ करने के बाद उन्हें और सूखा रखें
8.जॉइंट पेन (Joint Pain)
अगर आप अर्थराइटिस या किसी हड्डी की बीमारी से पीड़ित हैं तो सर्दियों में होने वाली बीमारियां आपकी तकलीफ को और बढ़ा सकती हैं। हालांकि इस बात का कोई साइंटिफिक एविडेंस नहीं है कि सर्दियों में होने वाली बीमारियों में जोड़ों का दर्द शामिल है। फिर भी कई लोग सर्दियों में इस समस्या से परेशान रहते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों के मौसम में वायुमंडलीय दबाव कम होने के कारण बॉडी में मौजूद पेन रिसेप्टर्स अधिक सेंसटिव हो सकते हैं। यह गिरावट टिशूज में सूजन का कारण बनती है और जॉइंट़स के बीच तनाव बढ़ता है जो जोड़ों में दर्द का कारण बनता है।
रोकथाम के उपाय (How to Prevent Join Pain)
- सर्दियों में जोड़ों से दर्द से बचने के लिए पैरों अच्छी तरह कवर करके रखें। खासतौर पर घुटनों को।
- एक्सराइज के जरिए हड्डियों को मजबूत बनाएं
- जॉइंट्स पर ज्यादा अनावश्यक प्रेशर ना डालें
इस तरह सर्दियों में आप अपनी बेहतर देखभाल कर सकते हैं और सर्दियों में होने वाली बीमारियां आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी। इन बीमारियों के अलावा भी सर्दियों में रूखी त्वचा, डेंड्रफ जैसी परेशानियां भी होती हैं। इनसे भी आपको बचाव करना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और सर्दियों में होने वाली बीमारियां और उनसे बचने के उपायों से संबंधित में जरूरी जानकारी मिल गई होगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।