कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उपचार के इस तरीके का मरीजों के शरीर पर कई तरह के साइड इफेक्ट भी देखे जाते हैं, जैसे बालों का गिरना, थकान, जी मिचलाना आदि। इसके अलावा कैंसर मरीजों को कीमोथेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications during chemotherapy) होना भी आम है। आइए, जानते हैं किन कारणों से होता है कीमोथेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications during chemotherapy) और इसे मैनेज किया जा सकता है?
कीमोथेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन क्या है? (oral complications during chemotherapy)
कैंसर के मरीजों में ओरल कॉम्प्लिकेशन होना आम है, खासतौर पर सिर और गले के कैंसर के मरीजों (cancer patients) में। दरअसल, कॉम्प्लिकेशन एक नए तरह की स्वास्थ्य समस्या (health problems) है जो किसी बीमारी या उसके उपचार के दौरान पैदा होती है और यह मरीज की रिकवरी को मुश्किल बना देता है। कैंसर के मरीजों में भी उपचार के साइड इफेक्ट के रूप में ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications) देखा गया है जो मुंह के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
कैंसर मरीजों में ओरल कॉम्प्लिकेशन का खतरा अधिक क्यों होता है? (Why cancer patients have high risk of oral complications)
कैंसर के मरीजों में अन्य उपचार के साथ ही कीमोथेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications during chemotherapy) का जोखिम कई कारणों से बढ़ जाता है जैसे-
- कैंसर के उपचार (cancer treatments) के कारण तेजी से बढ़ने वाले सेल्स का विकास भी धीमा या रुक जाता है जैसे कैंसर सेल्स। इसी तरह मुंह की लाइनिंग में मौजूद सामान्य सेल्स का विकास भी एंटीकैंसर उपचार (anticancer treatment) के कारण रुक जाता है, जिससे मुंह के नए सेल्स का निर्माण नहीं हो पाता है और सेल्स अपने आप रिपेयर नहीं होते हैं।
- रिडिएशन थेरिपी सीधे तौर पर ओरल टिशू (oral tissue), लार ग्रंथियों (salivary glands) और हड्डियों को क्षतिग्रस्त करता है या तोड़ देता है।
- कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी मुंह में हेल्दी बैक्टीरिया के बैलेंस को बिगाड़ देती है।
कई बार ओरल कॉम्प्लिकेशन की वजह से कैंसर ट्रीटमेंट को रोकना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि कैंसर के उपचार (Cancer treatment) के पहले ओरल कॉम्प्लिकेशन का इलाज किय जाए या जैसे की मुंह में कोई समस्या दिखे तुरंत इसका उपचार किया जाए जिससे आगे चलकर ज्यादा परेशानी नहीं होगी और कैंसर का इलाज भी बिना किसी रुकावट के हो सकेगा। कैंसर के उपचार से पहले मरीज की मौजूदा ओरल प्रॉब्लम्स का इलाज किया जाता है। जबकि कैंसर के इलाज के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन को रोकने के साथ ही यदि कोई समस्या होती है तो उसे मैनेज करने की कोशिश की जाती है।
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कैंसर के उपचार के दौरान होने वाले ओरल कॉम्प्लिकेशन (Oral complications from cancer treatment)
आमतौर पर कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी का सहारा लिया जाता है और इन दोनों का ही मरीज की ओरल हेल्थ (oral health) पर गहरा असर पड़ता है।
कीमोथेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications during chemotherapy) में शामिल है-
मुंह के छाले या ओरल म्यूकोसाइटिस (oral mucositis)— म्यूकस मेंब्रान्स (mucous membranes) की सूजन और छाले के कारण दर्द होता है और यह संक्रमण का खतरा बढ़ा देता है।
मुंह में खून आना (bleeding in the mouth) – कीमोथेरिपी का बोन मैरो (bone marrow) पर असर होता है जिसकी वजह से ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है और इसकी के परिणामस्वरूप मुंह में खून आने लगता है।
दांतों की सड़न- दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी भी हो सकती है।
मुंह सूखना या जेरोस्टोमिया (xerostomia)— कीमोथेरिपी मुंह की लार को भी प्रभावित करता है। इसकी वजह से लार कम बनती है और मुंह सूखा रहता है। इससे बोलने, चबाने, मुंह खोलने और कुछ निगलने में परेशानी होती है। लंबे समय तक यदि यह समस्या बनी रहती है तो इससे कैविटी और दांतों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।
स्वाद बदल जाना और दर्द- मरीज को खाने का स्वाद पता नहीं चला और उसे मुंह के अंदर दर्द भी महसूस होता है।
जब मरीज दांत या मुंह के दर्द, स्वाद बदलने और निगलने में हो रही परेशानी की वजह से ठीक से कुछ खा और पी नहीं पाता है तो इससे डिहाइड्रेशन (dehydration) और कुपोषण (malnutrition) का खतरा बढ़ जाता है।
रेडिएशन थेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications during radiation therapy) में शामिल है-
- सिर और गले के कैंसर में रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी वजह से मसूड़ों की बीमारी और दांतों में सड़न हो सकती है।
- मुंह में म्यूकस मेम्ब्रेन (mucous membrane) में फाइब्रोसिस (Fibrosi) का विकास
- जिस हिस्से में रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है उसके टिशू का टूटना
- जिस हिस्से में रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है उसकी हड्डियों का टूटना
- रिडिएशन वाले हिस्से में मांसपेशियों का फाइब्रोसिस (Fibrosis of muscle)
कैंसर उपचार के दौरान होने वाली ओरल समस्याएं कुछ दिनों के लिए या लंबे समय के लिए हो सकती है। आमतौर पर कीमोथेरपी से होने वाली ओरल कॉम्प्लिकेशन कुछ दिनों के लिए होती है और उपचार के बाद ठीक हो जाती है। जबकि रेडिएशन थेरिपी के कारण होने वाली ओरल समस्याएं लंबे समय के लिए होती है और यह कैंसर उपचार के सालों बाद तक बनी रह सकती हैं।
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कैंसर उपचार के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन से बचाव के तरीके (Prevention of oral complications during cancer treatment)
रेडिएशन थेरिपी या कीमोथेरिपी के दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन (oral complications during chemotherapy) से बचाव के लिए ओरल हाइजीन (oral hygiene) का ध्यान रखना, नियमित डेंटल चेकअप (dental checkup) के साथ ही हेल्दी डायट (healthy diet) को भी अपने रूटीन में शामिल करना जरूरी है।
- सुंतिलत आहार का सेवन करें। इससे मरीज का शरीर कैंसर उपचार के दौरान होने वाले तनाव को हैंडल कर सकेगा और शरीर की एनर्जी बनाए रखने, संक्रमण से लड़ने और टिशू को फिर से बनने में मदद मिलेगी। फाइबर से भरपूर फल और सब्जियों को डायट में शामिल करें या दांत और मसूड़ों को साफ रखने में मदद करता है। चीज, दूध, दही जैसे डेयरी प्रोडक्स् का सेवन करें, यह दांतों के इनेमल को दोबारा बनाने में मदद करता है।
- मुंह और दांतों को साफ रखें। इससे कैविटी (cavities), मुंह के छाले (mouth sores) और संक्रमण (infections) से बचाव में मदद मिलेगी।
- कंप्लीट ओरल चेकअप करवाएं।
मरीज की कैंसर केयर टीम में ऐसे डेंटिस्ट का शामिल होना जरूरी है जिसे कैंसर ट्रीटमेंट कै दौरान ओरल कॉम्प्लिकेशन के इलाज का अनुभव हो। कैंसर का उपचार शुरू करने से कम से कम एक महीने पहले मरीज को ओरल हेल्थ चेकअप करवाना चाहिए, ताकि किसी तरह की समस्या होने पर उसका उपचार कैंसर ट्रीटमेंट शुरू होने से पहले ही किया जा सके। ओरल हेल्थ चेकअप (oral health checkup) के दौरान डॉक्टर इन सभी चीजों की जांच करता है-
- मुंह के छाले और संक्रमण
- दांतों का क्षतिग्रस्त होना (Tooth decay)
- मसूड़ों की बीमारी (Gum disease)
- डेन्चर (Dentures), यह नकली दांतों की पक्ति होती है, जो ठीक से फिट नहीं होती
- जबड़े ((jaw) हिलाने में समस्या
- लार ग्रंथियों (salivary glands) की समस्या
जिन मरीजों को सिर और गले का कैंसर है उन्हें स्मोकिंग पूरी तरह से बंद कर देनी चाहिए, वरना इससे न सिर्फ रिकवरी देर से होगी, बल्कि यह कैंसर सेल्स को दोबारा उभार भी सकता है।
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कीमोथेरेपी के दौरान और बाद में कैसे मैनेज करें ओरल हेल्थ कॉम्प्लिकेशन? (Managing Oral Complications During and After Chemotherapy)
कैंसर के इलाज के दौरान और उसके बाद भी किसी तरह की ओरल हेल्थ प्रॉब्लम्स से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
रेग्युलर ओरल केयर (Regular Oral Care)
- अच्छा डेंटल हाइजीन (dental hygiene) ओरल कॉम्प्लिकेशन (decrease complications) को रोकने या कम करने में मददगार होता है।
- कैंसर उपचार के दौरान अपनी ओरल हेल्थ (oral health) पर पैनी नजर रखना जरूरी है। इससे ओरल कॉम्प्लिकेशन होने पर तुरंत इसका उपचार किया जा सकता है।
- कैंसर के इलाज के दौरान और उसके बाद भी मुंह, दांत और मसूड़ों की अच्छी तरह सफाई करके कैवटी, मुंह के छाले और संक्रमण से बचा जा सकता है।
नियमित ओरल केयर रूटीन में शामिल है-
- सॉफ्ट ब्रश से दिन में 2-3 बार 2 से 3 मिनट के लिए दांत और मसूड़ों की साफाई करें।
- ब्रेश को सॉफ्ट बनाने के लिए उसे 15 से 30 मिनट के लिए गर्म पानी में रख सकते हैं।
- दांत साफ करने के बाद ब्रश को अच्छी तरह सूखाकर रखें
- माइल्ड टेस्ट वाले फ्लोराइड टूथपेस्ट (fluoride toothpaste) का इस्तेमाल करें।
- यदि टूथपेस्ट से दांत साफ करने पर आपको इरिटेशन होती है तो 1 कप पानी में ¼ टीस्पून नमक मिलाकर इस मिश्रण से दांतों की सफाई करें।
- गम डिसीज से बचने के लिए 2 से 4 बार एंटीबैक्टीरियल सॉल्यूशन से माउथ वॉश (rinse) करें।
- यदि मुंह सूखने (dry mouth) की समस्या है तो सिर्फ रिन्सिंग से काम नहीं चलेगा। आपको हर बार भोजन के बाद ब्रश और फ्लॉस (floss) करने की जरूरत है।
- जिन लोगों ने नकली दांतों का पूरा सेट लगाया है उन्हें हर दिन इसकी सफाई करनी जरूरी है। सफाई का तरीका डेंटिस्ट आपको बताते हैं।
- जब दांतों को पहनना न हो तो उसे सामान्य पानी में रखें।
- मुंह सूखने की समस्या से बचने के लिए लगातार पानी पीते रहे। साथ ही सोडा, फ्रूट जूस, सिगरेट, तंबाकू और एल्कोहल के सेवन से बचें।
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मरीज को यदि मुंह में दर्द, छाले या संक्रमण है तो डॉक्टर इसके लिए पेनकिलर या एंटीबायोटिक्स दे सकता है। साथ ही ओरल हाइजीन का ध्यान रखने के लिए भी कहता है। स्वस्थ दांतों के लिए हर किसी को ओरल हाइजीन का ध्यान रखना जरूरी है।
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