यह कहना गलत नहीं है कि आज के समय में सोशल नेटवर्किंग साइट्स से सबसे ज्यादा कनैक्ट टीनएजर्स ही हैं। ऐसा भी देखा गया है कि बच्चे किसी कार्य को पूरा करने के लिए भी इन सोशल साइट्स पर निर्भर होते हैं। इसके परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगते हैं। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. संदीप वोहरा ने बताया, ‘ऐसी कई घटनाएं हैं, जो यह प्रूफ करती हैं कि फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल साइट्स काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं टीनएजर्स के विकास में। सोशल मीडिया का प्रभाव बच्चों पर काफी बढ़ रहा है। आसान शब्दों में कहें तो सोशल मीडिया जिस मकसद के लिए बनाया गया था, यूजर्स उससे कोसों दूर होते हैं। एक सर्वे में बताया गया है कि, ज्यादातर सोशल साइट्स के यूजर्स एक-दूसरे की जीवन में ताका-झांकी करने में ही व्यस्त रहते हैं। ‘ऐसी कई घटनाएं हैं, जो यह प्रूफ करती हैं कि फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल साइट्स काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं।
टीनएजर्स पर सोशल मीडिया का प्रभाव
बच्चों में नींद की कमी और इससे जुड़ी समस्याएं
माता-पिता का बच्चों के ऊपर से जरा सा ध्यान भटका नहीं कि बच्चे इन सोशल साइट्स पे डूब जाते हैं। घंटों तक इन साइट्स पर ऑनलाइन समय बिताने की वजह से उनकी आंखों को जरूरत के मुताबिक आराम नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पाती हैं, और कई तरह की समस्याएं उन्हें घेर लेती हैं। नींद की कमी के कारण बच्चों की ‘इम्यून सिस्टम‘ भी कमजोर हो जाता है और वे चिड़चिड़े तथा बीमार से होने लगते हैं।
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सोशल मीडिया का प्रभाव – डिप्रेशन से पीड़ित बच्चों में ज्यादातर मामले सोशल साइट्स से संबंधित
सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल करने से टीनएजर्स में डिप्रेशन की शिकायत होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहने से सभी उम्र के लोगों में यह शिकायत होती है कि वे लोगों से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं। उनका अधिकांश समय इन साइट्स के फीड स्क्रॉल करने में ही बीत जाता है।
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सोशल मीडिया का प्रभाव – बच्चों में बढ़ता तनाव
टीनएजर्स सोशल मीडिया पर इमोशनली भी बहुत जुड़े हुए होते हैं। फीड पर पोस्ट को देख तुरंत उसका जवाब देने के लिए जल्दबाजी में होते हैं। बच्चे इन साइट्स पर अपनी अच्छी तस्वीर और पोस्ट डालने के लिए भी चिंतित रहते हैं। कई बच्चों को हमेशा इन पर ऑनलाइन रहने के लिए भी चिंतित देखा जाता है। कई बार बच्चे इन सोशल मीडिया के माध्यम से किसी के प्रति आकर्षित हो जाते हैं, और बच्चे इनसे बहुत परेशान रहने लगते हैं।
सोशल मीडिया का प्रभाव – रियल लोगों से बातचीत करने में रुचि की कमी होती है
सोशल मीडिया परिचित और आपस में जुड़े लोगों से कनेक्ट करने का अच्छा अवसर प्रदान करती है। लेकिन, इन अधिकतर साइट्स पर लोग टेक्स्ट से अधिक इमोजी की मदद से बात करते हैं। इन आर्टिफिशियल भाव और रिएक्शन की वजह से वास्तविक कम्युनिकेशन में बहुत कमी आ जाती है। जिसकी वजह से बच्चे रिश्तों में दूरी बनाने लगते हैं।
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सोशल मीडिया का प्रभाव – फेसबुक तथा ट्वीटर जैसे प्लेटफॉर्म खतरनाक साबित हुए हैं
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. संदीप वोहरा ने बताया, ‘हर हफ्ते ऐसे 80 से 100 मरीज आते हैं जिनमें इंटरनेट की लत के कारण पैदा हुए समस्याएं होती हैं। ऐसी कई घटनाएं हैं, जो फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल साइट्स को काफी खतरनाक साबित होने की तरफ इशारा करते हैं।
पेरेंट्स के लिए जरूरी है वे इस बात को चेक करते रहें कि उनका बच्चा सोशल मीडिया से कितना जुड़ा और कहीं वे इससे प्रभावित तो नहीं हो रहा है।
बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स
तो अगर आप अपने बच्चे पर सोशल मीडिया का प्रभाव कम कराना चाहते हैं, तो नीचे बताए गए तरीके अपनाकर आप उन्हें सोशल मीडिया से दूर कर सकते हैं :
आउटडोड एक्टिविटी में ध्यान बटाएं : आजकल इंटरनेट और गेमिंग का इतना क्रेज बढ़ गया है कि लोग आउटडोर एक्टिविटी पर ध्यान देना ही बंद कर दिया है। इससे न सिर्फ उनके मानसिक विकास में बाधा आती है, बल्कि उनका शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है। तो अगर आप अपने बच्चे को सोशल मीडिया का प्रभाव दूर रखना चाहते हैं, तो उन्हें आउडडोर एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो उन्हें बैडमिंटन, क्रिकेट, फुटबॉल या अन्य कोई ऐसी एक्टिविटी में डाल सकते हैं, जिसमें बच्चे को इंट्रस्ट हो।
अच्छी किताबें खरीदें : आप अपने बच्चे को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए कुछ दिलचस्प किताबें ला कर दे सकते हैं, जिन्हें पढ़ने में उन्हें रुचि आएगी। ऐसा करने से उन्हें किताबें पढ़ने में दिलचस्पी आएगी और वो सोशल मीडिया से दूर रहेंगे। इसके लिए आप चाहें तो उनकी पसंद की कॉमिक, कहानियों की किताब या जनरल नॉलेज की किताबें लाकर दे सकते हैं। इससे उनका ज्ञान भी बढ़ेगा और वो सोशल मीडिया से दूर भी रहेंगे।
हॉबी क्लासेज भेजें : आप चाहें तो अपने बच्चे को हॉबी क्लासेस भी भेज सकते हैं। इसके लिए आप स्विमिंग, पेंटिंग, डांसिंग, म्यूजिक जैसी कोई क्लास चुन सकते हैं और बच्चे को नियमित रूप से वहां भेज सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे का स्किल भी बढ़ेगा और वो सोशल मीडिया से भी दूर रहेंगे।
बच्चे को दें पजल गेम : अगर आपको लगे कि आपका बच्चा फोन या अन्य सोशल मीडिया के उपकरणों से दूर नहीं रहता है, तो आप उसे पजल गेम दे सकते हैं। ऐसा करने से उसका ध्यान बटेगा और बार-बार फोन की डिमांड नहीं करेगा। बच्चे को सोशल मीडिया से दूर करने का ये भी एक अच्छा रास्ता है, जिसे आप आजमा सकते हैं।
फोन को खुद से भी दूर रखें : कहते हैं कि जो बड़े करते हैं, बच्चा भी वही सीखता है। ऐसे में कोशिश करें कि आप भी सोशल मीडिया पर ज्यादा न रहें। खासतौर पर बच्चे के सामने। जब आप सोने जा रहे हों, तो अपने फोन को खुद से और बच्चे से पूरी तरह दूर रखें और इस समय को अपने बच्चे के साथ बिताएं। इस समय आप उनसे बातें कर सकते हैं और उन्हें प्यार करके सुला सकते हैं। इससे भी आप उसे सोशल मीडिया का प्रभाव नहीं पड़ने देंगे।
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