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नवजात शिशु का छींकना क्या खड़ी कर सकता है परेशानी?

नवजात शिशु का छींकना क्या खड़ी कर सकता है परेशानी?

एक नए माता-पिता बनने का अनुभव कई पड़ावों से होकर गुजरता है। जन्म के बाद नवजात शिशु की हर हरकत पर नजर रखना बहुत जरूरी होता है। नवजात शिशु के स्वाभाव और शारीरिक स्थितियों से बच्चे के विकास और होने वाली समस्याओं का आसानी से पता लगाया जा सकता है। जन्म के बाद आमतौर पर नवजात शिशु का छींकना काफी सामान्य होता है। नवजात शिशु की छींकना उसका रोना, सोना और दूध पीने जैसा ही नॉर्मल है।

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क्या नवजात शिशु का छींकना सामान्य बात है?

अगर नवजात शिशु का छींकना एक या दो बार लगातार बना रहता है, तो यह बेहद सामान्य है। लेकिन, अगर नवजात शिशु का छींकना लगातार जारी रहता है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। नवजात शिशु का छींकना कितना सामान्य है इसे जानने के लिए शिशु के छींकने के लक्षणों और कारणों को पहचानना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि शिशु के छींकने का सही उपचार उसके लक्षणों पर ही आधारित होता है। 

अगर आप नवजात बच्चे के माता-पिता हैं, तो आप निम्न लक्षणों से नवजात शिशु का छींकना परख सकते हैं।

इन स्थितियों में सामान्य है नवजात शिशु का छींकना

स्तनपान के दौरान छींकना

कई बार बच्चे ब्रेस्टफीडिंग करते समय भी छींकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके शिशु का एक नथुना आपकी त्वचा से दब गया रहता है। जिसे खोलने के लिए बच्चे को छींक आ सकती है।

लार बहने के दौरान छींकना

जन्म के बाद कई नवजात शिशुओं में बहुत ज्यादा लार बहता है ऐसे में बच्चे कई बार इन्हीं लार को निगल जाते हैं। जिसके कण शिशु के वायु मार्ग में फंस सकते हैं, जिसे भी साफ करने के लिए बच्चे का शरीर छींक की प्रक्रिया करता है।

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एमनियोटिक द्रव को साफ करना

जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु के वायु मार्ग से एमनियोटिक द्रव को साफ करना होता है, जो प्राकृतिक तौर पर बच्चे का शरीर साफ करता है, इसके लिए भी नवजात शिशु का शरीर छींक की प्रक्रिया करता है।

सामान्य सर्दी-जुकाम के दौरान शिशु का छींकना

सामान्य सर्दी-जुकाम का कारण भी सांस नली में इंफेक्शन ही होता है। ऐसे में इसके कारण भी नवजात शिशु को छींक आ सकती है। आमतौर पर इसकी समस्या गंभीर नहीं मानी जाती, लेकिन स्थितियों में आसामान्य बदलाव होने अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

हवा में सूखापन के कारण

शिशु के छोटे से नाक मार्ग में नाक का बलगम आसानी से सूख सकता है। वातानुकूलित कमरों में अधिक रहने या बहुत ही ड्राई एयर में रहने के कारण भी शिशुओं में इसकी समस्या हो सकती है। ऐसे में इससे बचने के लिए शिशु का शरीर छींकने की प्रक्रिया करता है, ताकि नाक का निचले हिस्से में छींकनी की क्रिया के दौरान भाप मिले और नाक बहुत ज्यादा सूखी न हो।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उनके पास इस तरह के कई मामले आते हैं, जिनमें बच्चे का बहुत ज्यादा छींकना या शिशु की भरी हुई नाक की समस्याएं शामिल होती है। जिस पर उनका कहना है कि, जब तक बच्चे को सांस लेने में कोई परेशानीनहीं होती है, तब तक यह स्थितियां बेहद सामान्य होती है। ऐसी स्थितियों में बच्चे को किसी तरह के खास उपचार या सलाइन ड्राप या नाक के एस्पिरेटर की जरूरत नहीं होती है। बच्चे के सांस की नली बहुत छोटी है, ऐसे में इन प्रक्रियों को पूरा करने में बच्चे का शरीर समय लेता है। ऐसे में बच्चे का छींकना कुछ लंबे समय तक पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। बस उन्हें धूल भरी स्थानों और धुएं वाली जगहों  में न ले जाएं।

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नवजात शिशु क्यों छींकते हैं?

आपके नवजात शिशु का छींकना कई कारणों से हो सकता हैं। सबसे पहले, इस बात का ध्यान रखें कि आपके नवजात शिशु का छींकना उसके स्वस्थ्य होने का इशारा होता है। इसलिए इसे ज्यादा लेकर गंभीर न हो। क्योंकि नवजात शिशु का छींकना यह बताता है कि बच्चे का तंत्रिका तंत्र सही तरीके से काम कर रहा है। हमारे शरीर में छींकने का कार्य तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित होता है। नवजात शिशु का छींकना, मुंह से थूक या लार बहना, जम्हाई लेना, हिचकी आना और डकार लेना ये सभी बेहद सामान्य और स्वस्थ्य आवस्थाएं हैं।

दरअसल, जब भी कोई बाहरी तत्व या कण हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा होता है तो हमें छींक आती है और छींक के साथ वो संक्रामक चीज शरीर से बाहर आ जाती है। छींक की गति काफी तेज होती है और सांस नली में प्रवेश करने वाले ये कण भी कफी छोटे हैं, तो आंखों से इन कणों को नहीं देखा जा सकता है। लेकिन, अगर किसी माइक्रोस्पोप से आप छींक के बूदों को देखेंगे, तो इसके अंदर के कण और किसी भी तरह के संक्रामक कण को आप देख सकते हैं। 

आमतौर पर किसी वयस्क या बड़े बच्चों के मुकाबले एक नवजात शिशु का छींकना बार-बार जारी रह सकता है। क्योंकि नवजात शिशुओं में वयस्कों की तुलना में नाक का मार्ग काफी छोटा होता है। हवा में हल्का धुआं या धूल होने पर भी छोटे शिशुओं को छींक आ सकती है। इसलिए कभी भी नवजात शिशुओं के आस-पास स्मोकिंग भी नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा जन्म के बाद शिशुओं में अंदर तंत्रिका तंत्र में विकास होता रहता है, इस दौरान वे नाक की जगह मुंह से भी सांस लेते हैं।

नवजात शिशु का छींकना कब हो सकता है गंभीर?

कई बार छींकना एक स्वस्थ नवजात शिशु के लिए सामान्य संकेत नहीं हो सकता है। अगर नवजात शिशु का छींकना लगातार जारी रहता है या वह बहुत ज्यादा छींकता है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सांस नली में इंफेक्शन होना भी एक कारण हो सकता है। अगर आपके नवजात शिशु को बार-बार छींक आ रही है और आपको इनमें से कोई भी लक्षण शिशु में दिखाई देते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से अपने नवजात शिशु की जांच करवानी चाहिए।

  • खांसी
  • सांस लेने में कठिनाई होना
  • दूध पीने से बच्चे का मना करना
  • बच्चे का बहुत ज्यादा सुस्त होना
  • 104 डिग्री या इससे ज्यादा शिशु को बुखार होना
  • बच्चे को नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम (Neonatal abstinence syndrome) होना

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नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम क्या है?

बच्चे का लगातार छींकना नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम (एनएएस) की स्थिति का लक्षण भी हो सकता है। यह तब होता है जब प्रेग्नेंट महिला प्रेग्नेंसी के दौरान नशीली दवाओं का दुरुपयोग करती है या स्मोकिंग और ड्रिंकिंग करती है।

शिशुओं में नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम के लक्षण क्या है?

नवजात शिशु का छींकना अगर नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम के कारण है, तो इसके निम्न लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

  • लगातार नवजात शिशु का छींकना 
  • नाक का हमेशा भरी रहना
  • बिना किसी परेशानी के बच्चे का रोना
  • बच्चे में कंपकंपी होना
  • 30 मिनट से कम समय में तीन से चार बार बच्चे का लगातार छींकना

शिशुओं में नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम का कारण

नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम नवजात शिशुओं में ही होने वाली समस्या होती है। शिशुओं में नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम तब होता है, जब जन्म के बाद उनका शरीर विकास करना शुरू करता है। इस दौरान प्रेग्नेंसी के दौरान मां ने जिस भी नशीले पदार्थों का सेवन किया होता है अगर उसका अंश बच्चे के शरीर में होता है, तो बच्चे का शरीर उसे छींक के जरिए निकालने का कार्य करने लगता है। आमतौर पर शिशुओं में नीओनेटल ऐब्स्टनन्स सिंड्रोम बहुत ही आसामान्य हो सकता है। इसके लक्षणों को पता करने के लिए आमतौर पर डॉक्टर बच्चे के छींकने की स्थिति पर नजर रखते हैं। 

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

24/07/2020

Ankita mishra द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ

Updated by: Ankita mishra


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के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. पूजा दाफळ

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Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/07/2020

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