विकास और व्यवहार
मेरे 14 हफ्ते के बच्चे का विकास कैसा होना चाहिए?
आपका शिशु 14 सप्ताह का हो गया है और अब तक वो थोड़ा बड़ा भी हो चुका होगा। उसके पैर और घुटने कुछ हद तक मजबूत हो चुके होंगे। वे आपके साथ काफी लगाव और सुरक्षित भी महसूस करता होगा। उसे आपके साथ खेलना काफी पसंद होगा। आपका स्पर्श आपके और शिशु के बीच के बंधन को और भी मजबूत बनाता है। जब भी आपका शिशु डरा हुआ हो या फिर रो रहा हो, तब आपका स्पर्श उसका सारा डर दूर कर सकता है। इसके अलावा, आप कुछ अन्य बदलाव भी अपने शिशु के अंदर देख सकती हैं, जैसे कि;
- 14 हफ्ते के बच्चे अब जोर-जोर से हंसना शुरू कर सकते हैं।
- जमीन पर लेटे हुए वह अपने शरीर को 90 डिग्री तक उठा लेता है।
- 14 हफ्ते के बच्चे अब उत्साहित होने पर चीखें मारना शुरू कर सकते हैं।
- इस उम्र के बच्चे चटकीले या भड़कीले रंग की चीजों की वस्तुओं को देखकर आकर्षित भी हो सकते हैं।
मुझे 14 हफ्ते के बच्चे के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
इस उम्र में आपका शिशु किसी भी वस्तु को छूकर धीरे-धीरे उसे समझने की कोशिश कर सकता है। तो आप इसमें आपके शिशु की सहायता कर सकती हैं। आप उसे खेलने के लिए नकली फर या कपास दे सकती हैं। लेकिन कोई भी वस्तु अपने शिशु को देते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका शिशु अभी भी छोटा है और वह वस्तुओं को मुंह में डाल सकता है। इसलिए उन्हें प्लास्टिक या रबर की चीजें न दें।
आप देखेंगी कि आपका शिशु ज्यादातर समय अपने हाथों और उंगलियों के साथ खेलता होगा। अपने शिशु को वस्तु पकड़ना सिखाने के लिए उसके हाथ में चीजों को रखें ऐसा करने से धीरे-धीरे उसकी पकड़ मजबूत हो जाती है। उन्हें किसी भी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करना सिखाएं। इससे शिशु की आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके अलावा शिशु की अच्छी सेहत के लिए उसकी मालिश भी करते रहना चाहिए।
स्वास्थ्य और सुरक्षा
मुझे अपने 14 हफ्ते के बच्चे को लेकर डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
ज्यादातर डॉक्टर इस महीने बच्चे को चेकअप के लिए नहीं बुलाते हैं, लेकिन आपको कोई भी समस्या शिशु में नजर आ रही है, तो आप आपके डॉक्टर से तुरंत संपर्क कर सकती हैं।
मुझे अपने 14 हफ्ते के बच्चे को लेकर किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
यहां कुछ चीजें दी गई हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए।
यदि शिशु को कोई टीका लगवाना रह गया हो:
जन्म के पश्चात शिशु को संक्रमणों से बचाने के लिए कई तरह के टीके दिए जाते हैं। अगर टीकों का कोर्स करते समय शिशु का कोई टीका रह गया हो, तो परेशान न हो। डॉक्टर अगली बार अतिरिक्त टीका शिशु को दे सकते हैं। लेकिन, अगर आपके शिशु में इनमें से कोई लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें –
- तेज बुखार या अन्य कोई समस्या
- मिर्गी
- दौरे पड़ना
- पिछले टीके का गंभीर परिणाम होना जैसे कि बेहोशी, बुखार इत्यादि।
प्री-मैचुअर शिशुओं या ऐसे शिशु जिनका वजन 2.5 किलोग्राम से कम हो को भी एक सामान्य शिशु की तरह ही टीके लगाए जाते हैं। लेकिन कई मामलों में ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए डॉक्टर खास निर्देश भी दे सकते हैं।
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14 हफ्ते के बच्चे के लिए पोषण :
गाय का दूध छोटे बच्चों के साथ-साथ बड़े लोगों के लिए पोषण का एक मुख्य स्रोत होता है। लेकिन, गाय के दूध में नवजात शिशु के लिए पर्याप्त पोषण नहीं होता है। गाय के दूध में ब्रेस्ट मिल्क से ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है, जो की शिशु के लिवर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसके अलावा गाय के दूध में आयरन के साथ-साथ कई और पोषक तत्व ब्रेस्ट मिल्क के मुकाबले में कम भी होते हैं। तो ऐसे में अगर आप अपने शिशु के लिए ब्रेस्ट मिल्क के अन्य पर्याय तलाश रही हैं, तो फिलहाल गाय के दूध को अपनी सूंची से बाहर ही रखें।
14 हफ्ते के बच्चे को रोजाना शौच का न होना :
आप नोटिस करेंगी कि आपका शिशु कई बार 2 से 3 दिन तक शौच नहीं करता है। लेकिन, यह सामान्य है और इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। कई लोग इसे कब्ज समझ बैठते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है। बढ़ते हुए शिशुओं में पहले की तुलना में काफी बदलाव हो रहे होते हैं। वह पहले से ज्यादा आहार ग्रहण करते हैं। इससे उनका शरीर सारा का सारा आहार एक साथ पचा नहीं पाता है और यही कारण है कि कई बार शिशु रोजाना शौच नहीं करते हैं।
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महत्वपूर्ण बातें
मुझे 14 हफ्ते के बच्चे की किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
यहां कुछ बातें बतायी गई हैं जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए, जैसे कि
14 हफ्ते के बच्चे को बिस्तर पर सुलाना:
कई माताएं बच्चों को स्तनपान कराने के बाद तुरंत ही सुला देती हैं। यह सही नहीं है, शिशु को दूध पिलाने के बाद उन्हें बिस्तर पर लेटा दें, ताकि शिशु खेलते-खेलते खुद ही सो जाए। हालांकि, यह चीजें कुछ समय ले सकती हैं। आमतौर पर शिशु छह से नौ महीने के होने तक यह आदतें सीख जाता है।
14 हफ्ते के बच्चे के साथ एक ही कमरे में सोना :
शिशु के जन्म के पश्चात् कुछ दिनों तक आप काफी व्यस्त रहेंगी। उसे खिलाना-पिलाना, उसका डायपर बदलना या फिर उसे गोद में सुलाने जैसे कई काम होते हैं, जो आपको दिनभर व्यस्त रखते हैं। हर मां की यही कोशिश रहती है कि शिशु को सिर्फ अपने पास रखें, ताकि आप उसकी हर जरूरत तुरंत पूरी कर सकें। लेकिन, कई बार आपसे छोटी-छोटी गलतियां भी हो सकती हैं, जैसे कि—
- जब शिशु आपके साथ सोता है, तो जाने-अनजाने में कई बार शिशु को सही स्थिति में सुलाने के चक्कर में आप भी शिशु को जगा देती हैं। ऐसे में कुछ शिशु आसानी से सो जाते हैं तो कुछ काफी समय लेते हैं।
- रात भर शिशु को सही से सुलाने के चक्कर में आपको सही नींद नहीं मिल पाती और आपको नींद की कमी हो सकती है।
- शिशु की परवरिश के चलते कई बार महिलाएं अपने साथी को जरूरी समय नहीं दे पाती हैं।
यदि आपके दो शिशु हैं और आपने दोनों को एक ही समय पर संभालना आपके लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। ऐसे में आप अपने दोनों शिशु को एक-दूसरे से अलग सुलाएं ताकि रात को किसी एक के रोने या खेलने की आवाज से किसी दूसरे की नींद पर कोई फर्क न पड़े।
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