ऑटिज्म आज भी मेडिकल साइंस के लिए एक पहेली बना हुआ है। बच्चों में होने वाली इस बीमारी के बारे में जानकारी जुटाने के लिए दुनिया भर शोध किए जाते रहते हैं। बावजूद इसके ऑटिज्म के बारे में बहुत कुछ समझना बाकी है। इसका एक कारण यह भी है कि इस बीमारी से जूझ रहे हर व्यक्ति के लक्षण, कारण और इलाज अलग होते हैं। ऑटिज्म को समझने और इसके इलाज को विकसित करने के लिए भी शोध होते रहते हैं।
ऑटिज्म की बीमारी का दिमागी संरचना पर भी असर पड़ता है। साथ ही किए गए शोधों में यह भी सामने आया है कि जन्म के समय सामान्य से कम वजन और असामान्य दिमागी संरचना वाले बच्चों में ऑटिज्म की बीमारी का शिकार होने की आशंका बहुत अधिक होती है। इसके अलावा शोध के दौरान पाया गया कि ऑटिज्म की बीमारी से जूझ रहे बच्चों में दिमाग के वे भाग असामान्य पाए गए, जो भावनाओं और विचारों को कंट्रोल करते हैं। ऑटिज्म की समस्या में डायट का भी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स को अपनाकर भी इसे कंट्रोल करने की कोशिश की जा सकती है।
पौष्टिक आहार आपके बच्चे के शरीर को मजबूत और दिमाग को तेज बनाता है। जब हम ऑटिज्म की बात करते हैं, तब संतुलित आहार इसके लक्षणों को कम करने में मदद करता है। ऐसे में ऑटिज्म ग्रस्त बच्चों के लिए खास तरह का डाइट प्लान बनाया जाता है। आइए जानते हैं ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स।
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ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स में बच्चों को कुछ नया खिलाएं
जब आपके बच्चे को ऑटिज्म होता है, तो वो कई तरह के खाद्य पदार्थ, उनके स्वाद, गंध, बनावट या रंग को देखकर संवेदनशील हो सकता है और वह उसे खाने से इंकार कर देता है। ऐसे में नए तरह का खाना खिलाना भी एक चुनौती होता है, इसलिए इस दिशा में धीरे-धीरे कदम उठाना चाहिए। इसके लिए आप एक खास तरीका अपना सकते हैं। जब आप शॉपिंग पर जाएं तो अपने बच्चे को साथ ले जाने की कोशिश करें और उसे अपनी पसंद का खाना चुनने को कहें। जब आप वह खाना घर लाएं तो उसे संतुलित तरीके से बनाने की कोशिश करें। हो सकता है कि खाना बनने के बाद बच्चा खाने से इंकार कर दे। ये बेहद सामान्य बात है, उसे इस चीज से परिचित होने में वक्त लग सकता है। ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स को फॉलो करके इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
खाने का एक वक्त तय करें
ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स के तहत खाने का समय तय करने से फायदा हो सकता है। ऑटिज्म ग्रस्त बच्चे खाना खाने से बचते हैं। इसके पीछे घर का वातावरण, लाइट या महज आपके घर का फर्नीचर भी हो सकता है, जिससे उसे डर या असहज महसूस होता हो। ऐसे में खाने का वक्त तय करना काफी मददगार साबित हो सकता है। आप एक तय समय पर बच्चे को खाना देकर उसे परेशान होने से बचा सकते हैं। आप खाना परोसे जाने वाली जगह पर कम लाइट या मोमबत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स में शामिल है खास तरह की डायट
ऑटिज्म ग्रस्त बच्चों के लिए डायट हमेशा खास रखने की जरूरत होती है। इसका अर्थ है कुछ ऐसे फूड आयटम्स डायट से हटाना जो उन्हें हानी पहुंचा सकते हैं। जैसे सोया, ग्लूटेन और केसिन से बनी चीजें।
पैक खाने का लेबल चेक करें
हमेशा अपने बच्चे के लिए खाना खरीदने से पहले उसपर चिपके लेबल को जरूर देखें। इससे आप उसमें मिली सामग्री, पौष्टिक तत्व और केमिकल की जानकारी जुटा लेंगे। इससे आप पता लगा सकते हैं कि वो खाद्य पदार्थ आपके बच्चे के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह । क्योंकि कई बार ग्लूटेन अैर केसिन (gluten and casein) युक्त भोजन ऑटिज्म की स्थिति को और गंभीर बना देता है। ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स को फॉलो करते समय जरूरी है कि आप पैकेज्ड खाने का लेवल ठीक से चेक करें।
ग्लूटेन युक्त फूड से बचना भी ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स में है शामिल
ग्लूटेन आमतौर पर गेहूं और जौ में पाया जाता है। इससे बनी ब्रैड, केक और पास्ता जैसी चीजों में भी इसकी अधिकता रहती है। किसी खाने में यूं तो ग्लूटेन की मात्रा को घटाया नहीं जा सकता लेकिन कई खास तरह की खाद्य साम्री आजकल बाजार में उपलब्ध है, जो ग्लूटेन फ्री होती है। ऑटिज्म में डायट प्लान तैयार करते समय आपको इस तरह की चीजों को अवॉयड करने की जरूरत होगी।
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ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स है केसिन से बचना
आमतौर पर केसिन उन खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जिनमें लैक्टोज (lactose) होता है। लैक्टोज मुख्य रूप से डेयरी प्रोडक्ट में पाया जाता है। लेकिन, डेयरी प्रोडक्ट विटामिन डी और सी के भी सबसे स्त्रोत होते हैं। ऐसे में केसिन से बचने के लिए अगर इनका सेवन रोक दिया जाए, तो विटामिन डी और सी की भरपाई के लिए सप्लिमेंट लेना जरूरी हो जाता है।
ऑटिज्म में डायट तय करते समय सोया प्रोडक्ट का करें यूज
सोया और सोया से बनी अन्य खाद्य सामग्री भी ऑटिज्म रोगियों में एलर्जी पैदा करने के साथ-साथ उन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसी वजह से सोया से बनी खाद्य साम्री जैसे सोया सॉस, सोया, टोफू और सोया मिल्क के सेवन से बचना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि ऑटिज्म एक दिमाग संबंधी बीमारी है और खान-पान का इस पर असर नहीं पड़ता, तो आप गलत सोच रहे हैं, क्योंकि खानपान का सीधा असर इस बीमारी पर पड़ता है। ऐसे में ग्लूटेन, केसिन और सोया से बनी चीजों को ऑटिज्म में डायट प्लान तैयार करते समय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें
बच्चे की डायट के मामले में किसी डॉक्टर, डायट एक्सपर्ट आदि की मदद ली जा सकती है। वे बेहतर जानते हैं कि आपके बच्चे की इस स्थिति के लिए खाना और परहेज जरूरी है। पौष्टिक आहार बच्चे के विकास में बेहद जरूरी रहता है और खासतौर पर तब, जब आपका बच्चा ऑटिस्टिक हो।
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ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स कितनी कारगार हो सकती है, जानें इस पर क्या कहते हैं शोध
एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में ऑटिज्म सेंटर के शोधकर्ताओं ने खाने की समस्याओं और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से संबंधित सभी प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा और विश्लेषण किया है। उन्होंने इस समीक्षा में पाया कि, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) (Autism spectrum disorder (ASD) वाले बच्चों में भोजन की चुनौतियां होने की संभावना सामान्य बच्चों से पांच गुना अधिक हो सकती हैं, जैसे कि खाने को लेकर बच्चे के नखरे, क्या खाना है इसके लिए बहुत ही चुन कर खाना खाना या उनका ईटिंग बिहेवियर।
सामान्य तौर पर देखा जाए, तो हर बच्चे में इस तरह की आदतें विशेष रूप से देखी जा सकती हैं, लेकिन ऑटिज्म प्रभावित बच्चे में इस तरह की आदतें पांच गुना तक अधिक हो सकती हैं। जिसके कारण उन्हें उचित पोषण न मिलने के कारण ऑटिज्म वाले बच्चों में कैल्शियम और प्रोटीन जैसे जरूरी विटामिंस की अधिक कमी हो सकती है। जो शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है। यही एक सबसे मुख्य कारण भी हो सकता है कि अक्सर ऑटिज्म प्रभावित बच्चों की हड्डियां काफी कमजोर होती हैं। जिसका मुख्य कारण उनके आहार में कैल्शियम की भारी कमी के कारण हो सकता है।
इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस तरह की समस्याएं बच्चे के खराब मानसिक विकास के कारण उनकी सामीजिक परेशानियों को काफी अधिक बढ़ा सकती हैं। इससे किशोरावस्था और वयस्क होने पर मोटापा और हृदय रोग जैसी आहार संबंधी बीमारियों का खतरा भी अधिक बढ़ सकता है।
कितना सुरक्षित है ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स से केसिन से बचना?
कई माता-पिता का कहना है कि ऑटिज्म प्रभावित बच्चे के आहार से केसिन की मात्रा (दूध) और ग्लूटेन (गेहूं प्रोटीन) को हटाने से उनके लक्षणों में काफी सुधार होता है। हालांकि, ऐसा करना ऑटिज्म के लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों ने चिंता जाताई है कि ऐसा करने स बच्चे का आहार अधूरा रह सकता है। अगर आप अपने ऑटिज्म प्रभावित बच्चे के आहार से केसिन की मात्रा हटाने का विचार रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें कि बच्चे को कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा प्रदान करने वाले अन्य आहार या तरीके क्या हो सकते हैं।
अगर इससे जुड़ा आपको कोई सवाल है, तो उसके बार में कृपया अपने डॉक्टर की उचित सलाह लें।
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