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शिशुओं में गैस की परेशानी का घरेलू उपचार

शिशुओं में गैस की परेशानी का घरेलू उपचार

शिशु को रोते हुए देखने का एहसास काफी दर्द भरा होता है, खासतौर पर पैरेंट्स के लिए। जब भी आपका बच्चा रोता है तो मानो आपके दिल की धड़कन कई हिस्सों में बंट जाती है। कई मामलों में शिशुओं में गैस की परेशानी के कारण वो असहज महसूस कर, रोते हैं। शिशुओं में गैस की समस्या बेहद ही सामान्य है। शुरुआती के महीनों में इस कारण ज्यादा परेशानी देखने को मिलती है। वहीं शिशु में गैस की परेशानी का सीधा संबंध मां की डाइट से भी होता है। क्योंकि मां की डाइट के अनुसार ही शिशु ब्रेस्ट मिल्क का सेवन करता है। वहीं शिशु सामान्य की तुलना में जब ज्यादा असहज महसूस करे और रोए तो आप समझ जाएं कि आपका बच्चा अच्छा महसूस नहीं कर रहा है। उसे गैस की समस्या सता रही है। तो आइए इस आर्टिकल में हम शिशुओं में गैस की परेशानी को बताने के साथ घरेलू उपाय आजमाकर कैसे उसे कम किया जाए उसके बारे में जानते हैं।

जानें कैसे करें गैस का इलाज

शिशुओं में गैस की परेशानी का इलाज करने के लिए वैसे तो कोई खास तरीके नहीं हैं। वहीं बच्चों के मामले में उन्हें बाजार से खरीदकर दवा भी नहीं दी जा सकती। ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप घरेलू नुस्खें आजमाएं, यदि वो काम न आए तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास लेकर जाएं, ताकि स्थिति और ज्यादा न बिगड़े।

शिशुओं में गैस की परेशानी होने पर दिखेंगे यह लक्षण

शिशु में गैस की परेशानी होने पर उन्हें असहज महसूस होता है, इस कारण उनमें कुछ खास प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। शिशुओं में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर जरूरी है कि जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। जानें उनमें किस प्रकार के दिखते हैं लक्षण, जैसे

  • शिशु को दूध पिलाने के बाद होता है इरीटेशन
  • अपने पैर को पेट की ओर ले जाते हैं
  • शिशु के पेट में आप सूजन महसूस कर सकते हैं, उनका पेट टाइट हो जाता है
  • पेट को रगड़ने की कोशिश करते हैं, वहीं दिखाने की कोशिश करते हैं कि उन्हें असहज महसूस हो रहा है
  • पेट से गड़गड़ की आवाज का आना
  • चिड़चिड़ा होना और रोना

कोलिक पेन शिशुओं में गैस की परेशानी की वजह

कई बार शिशुओं में गैस की परेशानी का कारण कोलिक पेन होता है। वहीं शिशुओं के साथ बड़ी समस्या यह भी है कि वो अपनी परेशानी को बता नहीं पाते हैं। इसे पहचानने के लिए शिशु के पेट से गड़गड़ाहट की आवाज आए तो समझे कि उसे पेट संबंधी परेशानी है। वहीं शिशुओं में गैस की परेशानी को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार का सहारा लेकर घरेलू इलाज किया जा सकता है।

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सरसों के तेल का दें मसाज

घर में आपने देखना होगा कि बड़े बुजुर्ग शिशु को सरसों तेल से मालिश करते हैं। शिशुओं में गैस की परेशानी को कम करने के लिए उन्हें यह मसाज देना जरूरी होता है। आयुर्वेदिक उपचार के तहत माना जाता है कि गर्म सरसों के तेल से यदि मलिश की जाए तो शिशुओं में गैस की परेशानी नहीं होती और उसे कोलिक पेन से भी निजात मिलता है। वहीं मालिश कर शिशु के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन के मुवमेंट को भी अच्छा कर सकते हैं।

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हींग है गैस का रामबाण

शिशुओं में गैस की परेशानी को दूर करने के लिए पैरेंट्स चाहें तो हींग का इस्तेमाल कर सकते हैं। हींग में एंटी बैक्टीरियल गुण होने के साथ एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टी  होती है। जो शिशु में पेट की परेशानी से निजात दिलाने में मदद करते हैं। वहीं शिशु को इसे मुंह से सेवन करने की सलाह कतई नहीं दी जाती है। हींग को तेल में मिलाकर मसाज करने से शिशुओं में गैस की परेशानी से काफी राहत मिलती है। वहीं शिशु यदि छह महीने से ऊपर हो जाए तो उसे दर्द और गैस की परेशानी से निजात दिलाने के लिए इन खाद्य पदार्थों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें लहसुन, अदरक, दही, शहद आदि शामिल है।

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इलायची का कर सकते हैं इस्तेमाल

शिशुओं में गैस की परेशानी को दूर करने के लिए इलायची का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके द्वारा पेट के गैस को निकाला जा सकता है। शिशु को गैस संबंधी परेशानी न हो इसके लिए उनके खाने में हल्का इलायची पाउडर मिलाकर दिया जाए तो उससे उन्हें राहत मिलती है। छह महीने के बाद जब शिशु अनाज खाने लायक हो जाता है, तब इसे उन्हें खाने में दिया जा सकता है।

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गर्म पानी है कारगर

शिशुओं में गैस की परेशानी के घरेलू उपचार के लिए गर्म पानी कारगर है। ऐसा कर पेट दर्द को सामान्य किया जा सकता है वहीं पेट से गैस आसानी से निकल जाता है और आपका बच्चा असहज महसूस नहीं करता है।

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गैस की परेशानी के घरेलू उपचार

शिशुओं में गैस की परेशानी से निजात दिलाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खें हैं जिसे अपनाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे में पैरेंट्स को इन तरीकों को जरूर आजमाना चाहिए।

  • सामान्य बेबी एक्सरसाइज को करें शामिल : शिशु में गैस की परेशानी को दूर करने के लिए कुछ सामान्य एक्सरसाइज को डेली रूटीन में शामिल करने की जरूरत होती है। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें समय-समय पर साइकिल किक एक्सरसाइज करवाएं। इसके लिए आप बेबी को सॉफ्ट सतह पर लेटा दें, चाहें तो बेड पर लेटा सकते हैं। फिर उनके पैर को साइकिल के पैंडल की भांति ही ऊपर-नीचे करें। ऐसा कर शिशु के एब्डॉमिनल मसल्स को रिलैक्स करने के साथ आंत को उत्तेजित करते हैं, इससे गैस की परेशानी नहीं होती है। ऐसा कर बेबी गैस को आसानी से निकाल पाता है और आराम महसूस करता है।
  • दूध पिलाने के बाद दिलाएं ढकार : बेबी को दूध पिलाने के बाद यदि ढकार की आवाज आए तो इससे गैस बनने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि जब भी आप शिशु को दूध पिलाएं उसके बाद बेबी को गोद में उठाएं, वहीं बेबी के सिर को शोल्डर से टेक लगाकर रखें, वहीं पीठ में हल्के-हल्के सहलाते रहें, ऐसा तबतक करें जबतक शिशु को ढकार न आ जाए। इस दौरान ध्यान रखें अपने कंधे पर आप टॉवेल रख लें ताकि आपका बच्चा असहज महसूस न करे। कई बार देखा गया है कि ऐसा करने से आपके बच्चे ने जो खाया है उसे वो बाहर निकाल देता है।
  • टमी मसाज बेबी को दिलाती है बड़ी राहत : शिशुओं में गैस की परेशानी को टमी मसाज देकर समाप्त किया जा सकता है। इसे करने के लिए शिशु के पेट में सामान्य तौर पर क्लॉकवाइज मसाज देकर उन्हें राहत पहुंचाया जा सकता है। ऐसा करने से शिशु ने जो खाना खाया होता है वो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक से आसानी से पास हो जाता है। आप चाहें तो पीडिएट्रिक या फिर सर्टिफाइड पीडिएट्रिक मसाज थेरेपिस्ट की सलाह ले सकते हैं। फिर उस तकनीक को शिशुओं में गैस की परेशानी न हो इसके लिए आजमा सकते हैं।
  • बेबी की टमी को दें समय : शिशुओं में गैस की परेशानी न हो इसके लिए उनकी टमी को टाइम दें, ताकि वो बेहतर महसूस करें। टमी टाइम के तहत बेबी को पेट के बल नीचे लेटा दिया जाता है। इससे शिशु का गैस निकलता है और वो अच्छा महसूस करता है। वहीं शिशु के ऊपरी बॉडी की स्ट्रेंथ भी मजबूत होती है। टमी टाइम के तहत एब्डॉमिनल मसल्स गैस को रिलीज करने में काफी सपोर्ट करते हैं।
  • अलग-अलग बॉटल के निप्पल का करें इस्तेमाल :यदि डॉक्टर शिशु को बॉटल से दूध पिलाने का सुझाव दे उस स्थिति में ही बेबी को बॉटल से दूध पिलाना चाहिए, अन्यथा नहीं। कुछ छोटे और बड़े बॉटल के कारण शिशु अच्छे से दूध नहीं पी पाता है, संभावनाएं रहती हैं कि दूध पीने के दौरान वो एयर भी ले लें। ऐसे में शिशुओं को गैस की परेशानी हो सकती है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जरूरी है कि शिशु के मुंह में बॉटल के जो निप्पल फिट आए उसी से शिशु को दूध पिलाया जाए। यदि इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो शिशुओं को गैस की परेशानी हो सकती है।
  • अच्छे से दूध पिलाना है बेहद जरूरी : शिशुओं में गैस की परेशानी न हो इसके लिए उन्हें अच्छे से दूध पिलाना जरूरी होता है। माताओं की कोशिश यही होनी चाहिए कि वो शिशु को दूध पिलाने के दौरान बेबी दूध पीते-पीते कहीं हवा भी अंदर न ले लें, इसपर माताओं का ध्यान होना चाहिए। दूध पीने के दौरान हवा का सेवन करने से भी बेबी के पेट में गैस की समस्या हो सकती है। इसके लिए जरूरी है कि शिशु का मुंह निप्पल को पूरी तरह से कवर करें ताकि वो आसानी से दूध पी सके। एक अच्छे लैच की पहचान यही है कि उसके दौरान चूसने की आवाज आती है। यदि शिशु ऐसा करें तो आप समझ जाएं कि वो अच्छे से दूध पी रहा है। वैसे कुछ बच्चे ऑर्थोडोंटिक समस्या से ग्रसित होते हैं और वो मां का दूध आसानी से नहीं पी पाते। यदि आपका शिशु भी सामान्य रूप से दूध न पी पाए तो उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
  • पेस्ड बॉटल फिडिंग मेथड का इस्तेमाल कर : मौजूदा समय में शिशु को दूध पिलाने के लिए कई ऐसे कई बॉटल मार्केट में मौजूद हैं जिसमें हम बॉटल के दूध के फ्लो को कंट्रोल कर सकते हैं। शिशु नियमित रूप से दूध पीएगा तो उससे शिशु में गैस की परेशानी नहीं होगी। संभावना रहती है बॉटल से दूध पीने के दौरान दूध पीते-पीते बेबी एयर भी शरीर के अंदर ले लेता है इससे शिशुओं में गैस की परेशानी काफी ज्यादा देखने को मिलती है। बॉटल से उसी स्थिति में शिशु को दूध पिलाना चाहिए जबतक डॉक्टर इसकी इजाजत न दें, ऐसे में मां का दूध शिशु के विकास के लिए सबसे अहम होता है, इसलिए स्तनपान बेहतर विकल्प होता है। डॉक्टरी सलाह के बाद ही बॉटल से शिशु को दूध पिलाएं।
  • फॉर्मूला में करें बदलाव : यदि आपको यह महसूस हो रहा है कि वर्तमान में आप बेबी को जो फॉर्मूला मिल्क दे रहे हैं उससे उसे गैस बन रहा है तो बेहतर यही होगा कि आप उस दूध को बंद कर दूसरे विकल्पों को चुनें। हो सकता है कि हर फॉर्मूला मिल्क हर शिशु को पसंद न आए। उसे लेने के बाद उसके रिएक्शन भी अलग-अलग हो सकते हैं। कई बार वैसे शिशु जिनको लेक्टोस इनटॉलरेंस की समस्या होती है उनको दूध पीने के बाद गैस बनता है। शिशु में गैस की परेशानी यदि लंबे समय तक रही हो तो ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टरी सलाह लें। वैसे बच्चे जिनको लैक्टोस इनटॉलरेंट की समस्या के साथ पाचन शक्ति कमजोर होती है वैसे बच्चों में गैस बनने की ज्यादा संभावनाएं रहती है। इसके लिए पैरेंट्स डॉक्टरी सलाह लेने के बाद हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला (hydrolyzed formula) और सोय बेस्ड फॉर्मूला (soy-based formula) की ओर रुख कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए डॉक्टरी सलाह खासतौर पर पीडिएट्रिक की सलाह जरूरी होती है।

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शिशु में गैस की परेशानी के हैं यह कारण

  • शिशु में गैस की परेशानी मां की डाइट पर भी निर्भर करती है
  • शिशु को दूध पिलाने के बाद ढकार नहीं दिलवाने की वजह से
  • शिशु जब सामान्य से अधिक रोए तो उस कारण भी शिशु में गैस की परेशानी हो सकती है
  • जल्दी-जल्दी फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने के कारण
  • निप्पल को सही तरीके से नहीं पकड़ पाने के कारण दूध पीने में असुविधा की वजह से
  • फॉर्मूला मिल्क में मिक्सिंग और उसके टाइप की वजह से
  • थोड़े बड़े बच्चे जब वो अनाज का सेवन करने लगते हैं तो वो कई प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। ऐसे में उनके गट में मौजूद बैक्टीरिया के कारण गैस की परेशानी उत्पन्न होती है। इस कारण शिशु के पाचन शक्ति में उन्हें परेशानी होती है

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ज्यादा समय तक गैस की समस्या को न करें इग्नोर

शिशु काफी सेंसेटिव होते हैं, ऐसे में उनको सामान्य लोगों की तुलना में देखभाल की भी अधिक जरूरत होती है। ऐसे में शिशुओं को गैस की परेशानी न हो इसपर ध्यान देना चाहिए। वहीं यदि उन्हें ज्यादा समय तक गैस की समस्या रहे और पेट दर्द सताए तो बिना समय गंवाएं डॉक्टरी सलाह भी लेनी चाहिए।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

05/08/2020

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Mousumi dutta


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/08/2020

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