इन ऊपर कारणों की वजह से भी जेनेटिक आई डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इसका इलाज संभव नहीं है।
जेनेटिक आई डिसऑर्डर (Genetic Eye Disorders) की समस्या होने पर शुरुआती दिनों से ही डॉक्टर के कंसल्ट में रहने की आवश्यकता होती है।
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क्या है जेनेटिक आई डिसऑर्डर के लिए अर्ली डायग्नोसिस? (Early diagnosis of Genetic Eye Disorders)
सेंटर फॉर जेनेटिक आई डिज़ीज़ेज़ (Center for Genetic Eye Diseases) द्वारा किये जा रहे रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार फिजिशियन डॉक्टर्स की टीम इसपर लगातार रिसर्च कर रही है। वहीं क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) द्वारा पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार जेनेटिक आई डिसऑर्डर के लिए अर्ली डायग्नोसिस एफेक्टीव है। बच्चों में जेनेटिक आई डिसऑर्डर की समस्या होने पर बच्चे को विशेष मूल्यांकन केंद्र (Center for specialized evaluation) भेजा जाता है। क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) के रिसर्च सेंटर में 750 फिजिशियन डॉक्टर्स की टीम जेनेटिक आई डिसऑर्डर की समस्या से कैसे बचा जाए या इस परेशानी को दूर करने के लिए पेशेंट के इलाज में जुटी है।
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स्पेशलाइज्ड इवेल्यूशन से क्या उम्मीद रखी जा सकती है? (What can I expect during an evaluation?)
जेनेटिक आई डिसऑर्डर (Genetic Eye Disorders) की समस्या होने पर डॉक्टर्स बच्चों को या बड़ों को सेंटर फॉर स्पेशलाइज्ड इवेल्यूशन (Center for specialized evaluation) भेजने का निर्णय लेती है। य निर्णय आपके फैमली डॉक्टर, पडियाट्रिशियन या आंखों के डॉक्टर लेते हैं या आपको सेंटर फॉर स्पेशलाइज्ड इवेल्यूशन जाने की सलाह देते हैं। सेंटर फॉर स्पेशलाइज्ड इवेल्यूशन में डॉक्टर्स सबसे पहले जेनेटिक आई डिसऑर्डर की समस्या से पीड़ित बच्चों के फिजिकल हेल्थ की जानकारी लेते हैं और उसके बाद पेशेंट एवं परिवार से जुड़े मेडिकल हिस्ट्री (Medical history) जानने की कोशिश करते हैं।
नोट: स्पेशलाइज्ड इवेल्यूशन के दौरान डॉक्टर आपसे आंखों से जुड़ी बीमारियों की पूरी जानकारी लेना चाहेंगे, जिससे यह पता चल सकते की परिवार में पहले कभी जेनेटिक आई डिसऑर्डर (Genetic Eye Disorders) की समस्या हुई है या नहीं।
आई इवेल्यूशन के दौरान डॉक्टर विजन (Vision) एवं आई मूवमेंट (Eye movement) की जानकारी के लिए आंखों में एक ड्रॉप डालते हैं, जिससे लेंस (Lens), ऑप्टिक नर्व (Optic nerve) एवं रेटिना (Retina) में हुए एब्नॉर्मलटिस की जांच कर सकें।
रिसर्च टू प्रिवेंट ब्लाइंडनेस (Research to Prevent Blindness) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार 350 से भी ज्यादा हेरिडिटरी आई डिजीज (Hereditary Eye Diseases) हैं और ऐसी स्थिति में मेडिकल एडवाइस की आवश्यकता सबसे ज्यादा होती है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार जेनेटिक आई डिसऑर्डर (Genetic Eye Disorders) के अलावा कॉमन आई डिसऑर्डर एवं डिजीज (Common Eye Disorders and Diseases) की भी तकलीफ देखी जाती है। अमेरिका में 40 की उम्र से ज्यादा वाले 4.2 मिलियन लोगों में कॉमन आई डिसऑर्डर एवं डिजीज की समस्या डायग्नोस हुई है। इसलिए आंखों की सेहत का ध्यान जन्म के बाद से ही रखना विशेष लाभकारी माना जाता है। हालांकि छोटे बच्चों में आंखों से जुड़ी बीमरी को जानना कठिन होता है, लेकिन इसे समझा जा सकता है।
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बच्चों में आंखो की समस्या होने पर क्या लक्षण देखे जा सकते हैं? (Symptoms of eye problem in kids)
छोटे बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्या होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे: