यह डिजीज न्यूमोकोकस बैक्टीरिया के कारण होती है यह अक्सर माइल्ड होती है। लेकिन, इसके कारण कई गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं। खासतौर, पर दो साल से कम उम्र के बच्चों में इसके गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसकी चार डोज बच्चों को दी जाती है। पहली डोज बच्चे के दो महीने, दूसरी चार महीने, तीसरी छह महीने और चौथी डोज उसके 12 -15 महीने के होने पर लगाई जाती है।
यह तो थी बच्चों के लिए वैक्सीनेशन्स के बारे में पूरी जानकारी। अब जानते हैं वयस्कों के लिए वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) के बार में
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वयस्कों के लिए वैक्सीनेशन्स (Vaccinations): पाएं पूरी जानकारी
वयस्कों को उनकी उम्र, पहले हुई वैक्सीनेशन, हेल्थ, लाइफस्टाइल, ट्रेवल डेस्टिनेशंस आदि के अनुसार वेक्सीनेशन्स की सलाह दी जा सकती है। आइए जानें वयस्कों के लिए वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) के बारे में:
इन्फ्लुएंजा (Influenza)
फ्लू से बचने के लिए वयस्कों को भी हर साल फ्लू वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) की सलाह दी जाती है। क्योंकि, बुजुर्गों में यह समस्या जानलेवा हो सकती है। इसे आप कभी भी लगवा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें।
न्यूमोकोकल डिजीज (Pneumococcal vaccine)
न्यूमोकोकल डिजीज कई इंफेक्शंस का कारण बन सकती है। ऐसे में इसकी दो वैक्सीन्स की सलाह दी जाती है। एक 65 तक के वयस्कों के लिए और दूसरे इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए।
टिटनेस (Tetanus)
टिटनेस टॉक्सॉयड यानी Tdap वैक्सीन की पहली डोज 11-12 साल के बच्चों को दी जाती है। लेकिन, अगर आपने इस उम्र में इसे नहीं लगाया है, तो बाद में भी इसे लगाया जा सकता है। इसकी एक डोज प्रेग्नेंसी में भी लेने के लिए कहा जा सकता है, आमतौर पर प्रेग्नेंसी के 27 या 36 वें हफ्ते में। यही नहीं, इनके बूस्टर को हर दस साल में लिया जाता है।
शिंगल्स रोग (Shingles Disease)
शिंगल्स एक तरह की त्वचा संबंधी बीमारी है, जो दाद जैसी लगती है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग और बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक होता है। इससे बचाव के लिए वैक्सीनेशन्स ही एक उपाय है। इससे बचने के लिए इसकी वैक्सीन को पचास साल या उससे अधिक उम्र के हेल्दी बुजुर्गों को लगाने के लिए कहा जाता है। यह तो थी बच्चों और वयस्कों में वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) के बारे में पूरी जानकारी। अब जानते हैं कि क्या वैक्सीनेशन्स पूरी तरह से सुरक्षित होती हैं?
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क्या वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) पूरी तरह से सुरक्षित है
चाहे बच्चे हों या बड़े सबके लिए वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) को पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। इन्हें इस तरह से बनाया और उसके बाद टेस्ट किया जाता है कि यह आपको या आपके बच्चों को कोई नुकसान न पहुंचाएं। एक वैक्सीन को बनाने में कई साल लगते हैं और इस दौरान उसे कई ट्रायल्स और टेस्ट्स से गुजरना पड़ता है। इन्हें लेने के बाद आप और आपका बच्चा उस बीमारी के प्रति काफी हद तक सुरक्षित हो जाता है। लेकिन, कुछ लोगों को वैक्सीन्स नहीं लेने की सलाह भी दी जा सकती है। निम्नलिखित लोगों को वैक्सीन्स लेने से बचना चाहिए या बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें नहीं लेना चाहिए:
- लोग, जिन्हें गंभीर पहले वैक्सीन से एलर्जिक रिएक्शन हो चुका हो।
- लोग, जिन्हें वैक्सीन के इंग्रीडिएंट्स से गंभीर एलर्जिक रिएक्शन हो ।
- जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो।
अगर आप यह बात को लेकर श्योर नहीं हैं कि आपको या आपके बच्चे को वैक्सीनेशन्स करवानी चाहिए या नहीं, तो डॉक्टर से बात आवश्यक करें। अब जानते हैं वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट्स के बारे में।
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वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
अधिकतर वैक्सीन के बहुत माइल्ड साइड इफेक्ट्स होते हैं और यह अधिक समय तक नहीं रहते। इनमें मेडिकल हेल्प लेने की भी जरूरत नहीं होती। यह सामान्य साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
- जिस जगह पर वैक्सीनेशन हुई है, उस जगह का दो से तीन दिन तक का लाल होना, सूजन आना आदि।
- बच्चों या नवजात शिशुओं का एक से दो दिन तक बीमारी या हाय टेम्प्रेचर का अनुभव करना।
- कुछ बच्चे इसके बाद बेचैनी महसूस कर सकते हैं और रो सकते हैं। यह सामान्य है और वो थोड़ी देर तक ठीक हो जाते हैं।
- वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) के बाद एलर्जिक रिएक्शंस होना दुर्लभ है। लेकिन, अगर ऐसा होता भी है, तो कुछ ही देर में यह समस्या स्वयं ठीक हो जाती है। अगर ऐसा न हो तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। अब जानिए वैक्सीनेशन्स की प्रभावकारिता के बारे में।
वैक्सीनेशन की प्रभावकारिता के बारे में भी जानें
जैसा कि पहले ही कहा गया है कि वैक्सीन्स को प्रभावी, सुरक्षित और लाइफ सेविंग माना जाता है। लेकिन, किसी भी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस सौ प्रतिशत नहीं होती है। जैसे कोविड-19 वैक्सीन्स उन सभी लोगों को पूरी तरह से प्रोटेक्ट नहीं करती है, जो वेक्सीनेटेड होते हैं। हम अभी तक नहीं जानते हैं कि यह वैक्सीन्स वायरस को दूसरों लोगों तक ट्रांसमिट होने कितनी अच्छी तरह रोक सकती हैं। सभी वैक्सीन्स को कई क्लीनिकल ट्रायल्स से गुजरना पड़ता है ताकि उनकी क्वालिटी, सेफ्टी और प्रभावकारिता को टेस्ट किया जा सके।
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अप्रूव होने के लिए उनका हाय एफिशिएंसी रेट पचास प्रतिशत या उससे अधिक होना चाहिए। अप्रूवल के बाद भी इनकी सेफ्टी और इफेक्टिवनेस को लगातार मॉनिटर किया जाता है। वैक्सीन की प्रभावकारिता एक सिंगल नंबर नहीं है बल्कि यह इंफेक्शन से बचाव करती है, जिससे वायरस एक व्यक्ति से अन्य व्यक्ति तक ट्रांसमिट नहीं होता। एक एक्सपोज्ड व्यक्ति वायरस को कॉन्ट्रैक्ट नहीं करेगा और इससे लक्षण या बीमारी भी विकसित नहीं होंगे। वैक्सीन गंभीर बीमारियों से बचाती है। एक एक्सपोज्ड व्यक्ति को गंभीर लक्षण विकसित करने से रोकने में एक वैक्सीन की प्रभावकारिता होना भी जरूरी है। यह तो थी वैक्सीनेशन्स (Vaccinations) के बारे में पूरी जानकारी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से बात करना न भूलें।