‘मेरा पांच साल का बेटा है और वो बहुत जिद्दी होता जा रहा था। बच्चे की हर फरमाइस को पूरा करते-करते कब वो जिद्दी बन गया हमें समझ नहीं आया लेकिन, एक दिन बात को लेकर वो काफी गुस्से में नजर आने लगा। यह देख हमें यह साझ आ गया की मेरा बेटा जिद्दी बच्चे (Stubborn toddlers) की तरह बर्ताव करने लगा है।’ यह कहना है 36 साल की रचना पांडे का। दिल्ली में रहने वाली रचना पेशे से एक प्राइवेट कंपनी में बतौर इंजीनिर काम करती हैं। रचना हैलो स्वास्थ्य से बात करते हुए कहती हैं कि यह सिचुएशन काफी कठिन था लेकिन, उन्होंने प्यार से समझकर और बच्चे की अंदाज में अपने बेटी की मदद की और कुछ ही दिनों में उनका लाडला जिद करना छोड़ दिया।
देहरादून की रहने वाली स्नेहा निगम 34 साल की हैं और एक 3 साल के बच्ची की मां हैं। स्नेहा से जब हमने जानने की कोशिश की वो अपने बच्चे की परवरिश कैसे करती हैं, तो वो कहती हैं ‘उनकी बेटी अभी तीन साल दो महीने की है। उसकी मुलाकात सोसायटी के बच्चों से हर शाम होती है और इस दौरान कई अलग-अलग तरह के खिलौने (Toys) को देख उसकी इच्छा भी वैसे खिलौने की होने लगी। दो से तीन बार हमने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब वह जिद्दी बच्चे (Stubborn toddlers) की तरह बर्ताव करने लगी तो हमने उसे समझाया की जरूरी नहीं जो चीज हर किसी के पास हो वो उसके पास होनी चाहिए। वह इस बात को समझ गई। वैसे हमभी ध्यान रखते हैं उसकी पसंद और नापसंद का।
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वैसे आज कल हम बहुत से बच्चों को गुस्सैल और जिद्दी होते हुए देखते है। एक अध्ययन के अनुसार जब बच्चे तीन से बारह साल के बीच होते हैं तब उनके स्वभाव में परिवर्तन होना शुरू होता है। बच्चों के स्वभाव और आदत की रचना उनके आस-पास के वातावरण में घट रही घटनाओं से बनना शुरू होता हैं। इस एज ग्रुप (Age group) के बच्चों में बहुत गुस्सा और कुछ चीजों को लेकर हद से ज्यादा जिद का विकास होता है। कामकाजी माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता यही होती है कि वो अपने जिद्दी बच्चे को कैसे समझाएं? इस आर्टिकल में आपके जिद्दी बच्चे के लिए उपाय बताने जा रहे हैं। अपनाएं ये टिप्स और आसानी से संभाले अपने जिद्दी बच्चे (Stubborn toddlers) को-
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आज हम यहां आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स जिससे आप अपने जिद्दी बच्चे (Stubborn toddlers) को आसानी से संभाल पाएंगे।
कैसे सुधारे अपने बच्चे की जिद और गुस्से को?
बच्चों की जिद और गुस्से को निम्नलिखित तरह से संभाला और समझाया जा सकता है। जैसे:
1. हंसकर दें जवाब
विशेषज्ञों के अनुसार जब भी आपका बच्चा गुस्सा होता है तब वह आपसे यह अपेक्षा करता है कि आप उसकी इस हरकत पर गुस्सा या मायूस होंगे जो आमतौर पर सभी पेरेंट्स करते हैं। पर आप ऐसा कुछ ना करें और माहौल को बदलने के लिये कुछ पल तक शांति बनाएं रखे और हँसे। आपके इस बर्ताव से उसे भी हँसी आएगी और आगे चलकर वो इस तरह का गुस्सा करने से बचेगा।
2. सब्र का फल मीठा होता है
बच्चों को उनकी मनचाही चीज न मिलने पर ही वे जिद करते हैं। ऐसे में उनकी इस आदत को बदलने के लिये आप उन्हें सब्र करना सिखायें। बच्चों में धैर्य विकसित करने के लिये आप उनके साथ उनका पसंदीदा खेल (Games) खेलें। आप अपने बच्चे के साथ ऐसा खेल खेलें जिसमें आप बच्चे बने और वो माता या पिता। ऐसा करने से उसे आपका दृष्टिकोण समझने में मदद मिलेगी।
3. बच्चे से सदा पूछें उसकी राय
आप अपने बच्चे से अपनी परेशानियों के हल मांगे। जैसे कि आप अपने बच्चे से अपने ऑफिस की समस्याओं को सरल बनाकर बच्चे से उसकी राय मांगे। उससे अपनी रोजमर्रा की बातों को शेयर करें। इससे आपके बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह आपके सामने और खुलकर बात करेंगे। बजाय यह बताने के, कि उसे क्या करना है, आप उससे पूछना शुरू करें कि आप कैसे कुछ नया और अलग कर सकते हैं? ऐसा करने से उसे अपनी अहमियत महसूस करने में मदद मिलेगी।
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4. स्कूल न जाने की जिद करे
कई बार बच्चे स्कूल (School) नहीं जाना चाहते हैं। हालांकि कभी-कभी बच्चे ऐसा करें तो ठीक है लेकिन, अगर हमेशा ही बच्चा ऐसा करने लगे तो फिर वो जिद्दी बच्चे कहलाने लगते हैं। जब हमेशा आपका लाडला या लाडली ऐसा करने लगे और स्कूल न जाने की जिद करे तो सबसे पहले यह समझने की कोशिश करें की आखिर वो स्कूल क्यों नहीं जाना चाहता है या चाहती है। कोई-कोई बच्चे इसलिए भी स्कूल नहीं जाना चाहते क्योंकि वे अन्य बच्चों के मुकाबले पढ़ाई में कमजोर होते हैं या उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है। ऐसी परिस्थिति में बच्चे को डांटे नहीं उन्हें प्यार से समझाएं। अगर बच्चे को टीचर द्वार पढ़ाई गई बातें समझ नहीं आती है या टीचर के डांटने की वजह से वह परेशान रहता है तो बच्चे को डांटने की बजाये उसे समझाएं। बच्चे को कहें की आप टीचर से बात करेंगे। ऐसे में आपको टीचर से बात करनी चाहिए और उनसे सलाह लेनी चाहिए की बच्चे के लिए क्या करें जिससे पढ़ाई करने से वो भागे नहीं। इस बीच पेरेंट्स (Parents) अपने जिद्दी बच्चे को प्यार से पढ़ाने की कोशिश करें।
5. बच्चों को इंस्पायर करना न भूलें
कई बार माता-पिता अपने बच्चों को प्रोत्साहित (Inspire) नहीं करते हैं, वे सिर्फ दूसरे बच्चों से तुलना करते हैं देखो वो बच्चा कितना समझदार है। आपके बच्चे में भी कोई न कोई अच्छी बात तो जरूर होगी जिसकी तारीफ आप कर सकते हैं। ऐसा करने से आप अपने बच्चे को जिद्दी बच्चे बनने से रोक सकते हैं।इसे एक एग्जांपल की मदद से समझना आसान हो सकता है। जैसे आप अपने ऑफिस में या घर में कोई काम करते हैं तो परिवार के सदस्य आपकी तारीफ करते हैं की आपने ये काम बहुत अच्छे से किया या कोई ऑफिस का कोई प्रोजेक्ट वर्क अच्छा हुआ तो आपकी तारीफ जाती है। ऐसे में आपका मनोबल बढ़ता है और आप पॉजिटिव (Positive) फील करते हैं। इसी तरह बच्चे के साथ भी करें। अगर आपका बच्चा आराम से बिना परेशान किये खाना खा लेता है या खेलने के बाद आपने खिलौने सही स्थान पर रखता है तो उसकी तारीफ करें। ऐसा करने से वो अन्य कामों में भी मन लग सकता है।
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ऊपर बताये गये सुझावों की मदद से आप अपने बच्चे के स्वभाव में गुस्सा, जिद और बात-बात पर चिड़चिड़ेपन की आदतों से बड़ी आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। आज के बच्चे ज्यादा जानकार, समझदार और खुले विचारों के हैं। अगर आप भी जिद्दी बच्चे से परेशान हैं और इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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