बच्चों का पढाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) ऐसा व्यवहार आमतौर पर देखने को मिलता है। इसके लिए कारण यह भी माना जाता है कि बच्चों का मन बहुत चंचल होता है और वे आसानी से भटक जाते हैं। स्कूल में बच्चों की खराब परफॉर्मेंस (Bad performance) भी पेरेंट्स और उनके खुद के लिए शर्मिंदगी की वजह बन सकती है। ऐसे में माता-पिता सोचते हैं कि बच्चा पढाई (Child education) में ध्यान नहीं लगा रहा है। कई बार पेरेंट्स यह भी सोचने लगते हैं कि बच्चा पढ़ाई से बचने के लिए बहाने ढ़ुढ रहा है। कई बार वे सोचते हैं कि बच्चे आलस (Lazy) या अन्य किसी कारण से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। लेकिन हर बार पढ़ाई न करने के लिए बच्चों को जिम्मेदार ठहराना गलत है। पेरेंट्स को इसके पीछे का कारण समझने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चों का पढाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) कई कारणों से हो सकता है। ऐसे ही कुछ कारणों को हम आपको बताएंगे। कई बार ये कारण एक्सटरनल हो सकते हैं, तो कई बार ये इंटरनल भी होते हैं।
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एक्सटरनल कारणों से बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना
बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) एक्सटरनल कारणों से भी हो सकता है। इनमें स्कूल का माहौल, सोशल इंट्रैक्शन यानि कि लोगों से घुलना-मिलना, टीचर्स और टीचिंग स्कील्स तकनीक भी शामिल हैं। वहीं इंटरनल कारणों में घर में होने वाली परेशानियां, बच्चों का भावनात्मक स्तर और उसकी समझ भी शामिल हो सकती है।
कारण कोई भी हो लेकिन स्कूल में बच्चों की खराब परफॉर्मेंस के लिए उन्हें डांटना या पीटना कभी एक अच्छा विकल्प नहीं होता है। साथ ही इसके लिए उन्हें दोषी मानना भी गलत है। ऐसी स्थिति में आपको उनसे बात करनी चाहिए। बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) पेरेंट्स और टीचर्स के लिए चैलेंज हो सकता है। दोनों को साथ में मिलकर बच्चों की इस समस्या को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
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बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना इन कारणों से भी होता है:
पेरेंट्स के ज्यादा छूट देने के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies)
कुछ मां-बाप अपने बच्चों को काफी छूट देते हैं। ऐसे में बच्चे कई बार अपने रुटिन को फॉलो नहीं करते। कई मामलों में तो देखा गया है कि पेरेंट्स बच्चों के लिए कोई रुटिन सेट ही नहीं करते। इस तरह के माहौल में बच्चे को जिम्मेदारियों का एहसास ही नहीं होता। कई बार तो यह भी देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चों से यह भी नहीं पूछते कि उनको कितना और क्या होमवर्क मिला है। ऐसे में बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) लाजमी है। साथ ही बच्चों को टेक्नोलॉजी पर निर्भर बनाने से भी बच्चे अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझ पाते हैं।
इंटरनेट, स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेज (Electronic devices) के हद से ज्यादा इस्तेमाल के कारण भी बच्चे स्कूल और पढाई को महत्व नहीं देते हैं। इस कारण भी बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) लाजमी है।
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घर की परेशानियों के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies)
बच्चे की स्कूल में बुरी परफॉर्मेंस का कारण घर में चल रही परेशानियां भी हो सकती हैं। ऐसी ही कुछ सबसे कॉमन प्रॉब्लम्स हैं।
- घर में किसी का हिसंक व्यवहार होना
- बच्चे का घर में शारीरिक शोषण होना
- बच्चे का घर में वर्वल अब्यूज का सामना करना
- घर में किसी का ड्रग एडिक्टिड (Drug addiction) होना
- परिवार के किसी सदस्य को एल्कोहॉलिज्म की समस्या होना
- खुद बीमार होना या घर में किसी को लंबी बीमारी होना
इस तरह के कई कारण हो सकते हैं, जिनकी वजह से बच्चों का पढ़ाई से मन भटक जाता है। इसके अलावा घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होना भी बच्चों का पढाई में मन न लगने का एक कारण हो सकता है। घर में आर्थिक तंगी होने पर घर में तनाव का माहोल रहता है, जिसके कारण बच्चे भी तनाव में रहते हैं और उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता।
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भावनात्मक कारणों से बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies)
किसी ट्रॉमा (Trauma) के बाद बच्चों के दिमाग (Child’s brain) में होने वाले स्ट्रेस (Stress) को पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर कहते हैं। इसे आसानी से पहचान पाना आसान नहीं है। लेकिन, जब इसकी पहचान कर ली जाती है, तो तुरंत किसी प्रोफेशनल की मदद की जरूरत होती है। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस के लक्षण हैं:
- छोटी चीजों से डर
- डरावने सपने
- चिड़चिड़ापन (Iritatation)
- बच्चे का अकेले (Loneliness) रहना
- बच्चे का नर्वस फील करना
- मोटिवेशन (Motivation) की कमी
इन डिस्ऑर्डर के कारण भी बच्चों की स्कूल की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है।
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लर्निंग डिसेबिलिटी के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies)
बच्चों में होने वाली लर्निंग डिसेबिलिटीज बहुत आम हैं। साथ ही यह भी जान लें कि लर्निंग डिसेबिलिटी को मेंटल रिटायर्डनेस न समझें। इनके कारण बच्चों को नई चीजें सीखने में परेशानी हो सकती है। साथ ही अगर आपके बच्चे को चीजें सीखने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो इस परेशानी को पहचान कर किसी प्रोफेशनल की मदद लें और इससे निपटने के लिए रणनीति बनाएं। बच्चों में पाई जाने वाली डिस्लेक्सिया (Dyslexia) और डिसकैल्कुलिया (Dyscalculia) ऐसी ही आम लर्निंग डिसेबिलिटीज हैं, जिनके कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है।
न्यूट्रिशन की कमी (Lack of Nutrition) के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना
खराब डायट भी बच्चों के पढाई में मन न लगने का कारण हो सकती है। बच्चे में न्यूट्रिशन की कमी (Lack of Nutrition) के कारण उसकी एनर्जी (Anergy) में कमी आती है। इस कारण बच्चा क्लास में कॉन्सन्ट्रेट (Concentrate) नहीं कर पाता है। साथ ही अन्य एक्टीविटीज में भी दिमाग नहीं लगा पाता है। इसके अलावा खराब डायट बच्चे के शारीरिक विकास में भी बाधा पैदा करती है।
बच्चों का पढाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) एक समस्या जरूर है। लेकिन, पेरेंट्स (Parents) को इसके पीछें के कारणों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इसके कारणों को समझकर पेरेंट्स बच्चों की मदद कर पाएंगे और साथ ही उसे स्कूल में शर्मिंदा होने से भी बचा पाएंगे।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना (Children’s lack of interest in studies) से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराता है। आपको आर्टिकल में विषय से संबंधित जानकारी दी गई, बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से इस बारे में सलाह करें । आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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