स्कूल जाने वाले बच्चों के विकास में माता-पिता कैसे मदद कर सकते हैं? (How can parents help in the development of school going children)
माता-पिता अपने बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं जो बच्चों के जीवन को नया आकार देते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) कैसे हो, इसमें माता-पिता की अहम भूमिका होती है। इस दौरान माता-पिता अपने बच्चे को बाहर की दुनिया और नए लोगों से मिलने और उन्हें समझने में मदद करते हैं। जानिए, माता- पिता होने के नाते आप अपने बच्चे की कैसे मदद कर सकते हैं:
बच्चे के रोल मॉडल बनें (Be a Role Model)
बच्चे माता-पिता से प्रेरित होते हैं। इसलिए इस लर्निंग फेज में आपका उन्हें लिए एक रोल मॉडल बनना अच्छा है। पेरेंट्स बच्चों के पहले गुरु होते हैं इसलिए आप उन्हें घर पर बहुत कुछ सिखा सकते हैं।
खुशनुमा वातावरण प्रदान करें (Provide Pleasant Atmosphere)
माता-पिता को घर में बच्चे को शांत और खुशनुमा वातावरण प्रदान करना चाहिए। बच्चों के सामने पारिवारिक समस्याएं शेयर करने या कोई भी बहस या झगड़ा करने से बचें। इससे बच्चे पर गलत असर हो सकता है।
उन्हें मॉनिटर करें (Monitor their Learning)
कुछ बच्चे खुद पढ़ना और सीखना पसंद करते हैं। अगर ऐसा है तो माता-पिता को उन्हें खुद से पढ़ने और सीखने देना चाहिए, लेकिन खुद उनकी लर्निंग को मॉनिटर करते रहना चाहिए।
अपने अनुभव शेयर करें (Share your Personal Experience)
अपने बच्चे के साथ अपनी स्कूल लाइफ के अनुभव बांटना भी एक अच्छा विचार है। इससे आप उन्हें अपने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के अनुभवों को शेयर कर के उन्हें सीखने का महत्व समझा पाएंगे।
अपने बच्चे से बात करें (Talk with your Kid)
रोजाना अपने बच्चे से बात करने में कुछ समय अवश्य व्यतीत करें। उनकी स्कूल से जुड़ी या अन्य चिंताओं को सुनें और हल करने की कोशिश करें। इसके साथ ही उन्हें पढ़ाई आदि के लिए प्रेरित करते रहें।
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स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) कैसे होता है, इस बारे में तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन अगर आप अपने बच्चे का सम्पूर्ण विकास अच्छे से चाहते हैं तो उनका अच्छा दोस्त बनें। ताकि वो अपनी हर भावना को आपके सामने एक्सप्रेस कर पाएं। इस उम्र के बच्चे इस दौरान सीखते तो बहुत कुछ हैं, लेकिन उनके अंदर बहुत सी शंकाएं होती हैं जो दुनिया, लोगों या उनके खुद से जुड़ी हो सकती हैं। ऐसे में अगर आप उनको समझेंगे और समझाएंगे, तो उन्हें जीवन का यह पड़ाव पार करने में आसानी होगी।