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स्कूल जाने वाले बच्चों के विकास के कौन से हैं महत्वपूर्ण चरण, जानें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/03/2021

    स्कूल जाने वाले बच्चों के विकास के कौन से हैं महत्वपूर्ण चरण, जानें

    बचपन जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय है, इस समय बच्चा एक तरह से एक नए चरण में कदम रखता है। यह समय न केवल बच्चों बल्कि माता-पिता के लिए भी खास होता है। जब बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है तो यह उसके विकास की पहली सीढ़ी होती है। स्कूल जा कर बच्चा न केवल दुनिया और लोगों, बल्कि खुद के बारे में भी बहुत कुछ सीखता है। स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास कई चीजों पर निर्भर करता है। जानिए कैसा होता है स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) और पाएं कुछ टिप्स।

    स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास कैसे होता है? (School-age Children Growth and Development)

    स्कूल जाने वाले बच्चे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, भावनात्मक आदि रूप से भी ग्रो करते हैं। इस दौरान वो हर दिन कुछ नया सीखते हैं और समझते हैं। उनकी रूचि सीखने व प्रश्न पूछ कर अपने मन में आई शंकाओं को दूर करने में अधिक रहती है। इस उम्र के बच्चे को विकास को कई बांटा में बनता गया है, जैसे:

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    • स्कूल जाने वाले बच्चों का शारीरिक विकास (Physical Development )
    • स्कूल जाने वाले बच्चों का मानसिक विकास (Mental Development )
    • फाइन मोटर स्किल्स (Fine Motor Skills)
    • लैंग्वेज डेवलपमेंट (Language Development)  
    • सोशल-इमोशनल डेवलपमेंट (Social-Emotional Development)

    स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास

    स्कूल जाने वाले बच्चों का शारीरिक विकास (Physical Development)

    स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) बहुत तेजी से होता है। फिर चाहे बात शारीरिक विकास की हो या अन्य ग्रोथ या डेवलपमेंट की। स्कूल जाने वाले बच्चों की उम्र आमतौर पर 4 से लेकर 9 साल तक होती है। इस दौरान स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) कई तरह से होता है। जानिए उनके शारीरिक विकास के बारे में: 

    • स्कूल जाने वाले बच्चों का हर साल 2 से 3 किलोग्राम का वजन बढ़ता है। यही नहीं, उनकी ऊंचाई भी साल में 3 से 6 इंच तक बढ़ती है। इस उम्र में बच्चों की ग्रोथ में बहुत उछाल आता है।
    • इस दौरान 4 से 6 साल तक के बच्चे अच्छे से कूद सकते हैं क्योंकि उनकी टांगों के मसल्स मजबूत हो चुके होते हैं। यहीं नहीं, ऊपरी शरीर की मॉविलिटी विकसित होने के कारण वो अच्छे से बॉल को कैच और फेंक सकते हैं। इस दौरान उनके पूरे शरीर का कोऑर्डिनेशन सुधर चुका होता है। इसलिए, वो अच्छे से साइकिल चला सकते हैं और बड़े बॉल को किक भी कर सकते हैं।
    • 7 से 9 साल के बच्चे न केवल तेजी से साइकिल चला सकते हैं। बल्कि रस्सी कूदना, स्केटिंग, बाल को हिट करना आदि भी आराम से कर सकते हैं।

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    फाइन मोटर स्किल्स (Fine Motor Skills)

    फाइन मोटर स्किल सामान्य रूप से हाथों और उंगलियों का उपयोग करते हुए छोटे और सटीक मूवमेंट के लिए आवश्यक है। फाइन मोटर स्किल्स मोटर स्किल की तुलना में अलग हैं, जिन्हें प्रदर्शन करने के लिए कम सटीकता की आवश्यकता होती है।

    • 4 से 6 साल के बच्चे हाथों का प्रयोग कर के ब्लॉक्स बना सकते हैं, क्ले का प्रयोग कर के अलग-अलग शेप्स बनाते हैं और क्रेयॉन्स का प्रयोग कर सकते हैं। कैंची का प्रयोग कर करके कागज को अलग-अलग शेप्स में काट सकते हैं। हालांकि, इतने छोटे बच्चे को कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बच्चा खुद अपने कपड़े को पहनना सीख जाता है।
    • 7 से 9 साल के बच्चे चम्मच और फोर्क का अच्छे से प्रयोग करना जानते हैं।  वो अलग-अलग तरह की शेप्स या तस्वीर भी बना सकते हैं। पेंट और क्रेयॉन का प्रयोग कर के वो अच्छी पेंटिंग बना सकते हैं। यही नहीं, खुद खाना, ब्रश करना, नहाना और कंघी करना भी इस उम्र के बच्चे सीख जाते हैं

    स्कूल जाने वाले बच्चों का मानसिक विकास (Mental Development)

    जब बच्चा स्कूल जाने लगता है तो वो उसके सोचने- समझने का तरीका बदल जाता है। ऐसे में बच्चे खुद को अधिक मच्योर समझने लगते हैं। यही नहीं, नए कांसेप्ट समझने और सीखने में भी उन्हें मजा आने लगता है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। वो दुनिया और लोगो को समझने में सक्षम होने लगते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) कई चीजों पर भी निर्भर करता है। लेकिन, इस उम्र में आपका बच्चा अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त करने, समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने आदि से भी सक्षम होगा। स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) इस प्रकार से हो सकता है:

    4 से 6 साल के बच्चों का मानसिक विकास (Mental Development of 4-6 years kid)

    • 4 से 6 साल का बच्चा अधिक से अधिक शब्दों को सीखता और समझता है। 
    • पांच और अधिक शब्दों के वाक्य बना सकता है। 
    • गिनती कर सकता है और दाएं बाएं ऊपर नीचे का भेद जानता है।
    • चीजों के बीच में अंतर समझने लगता है।
    • पिछले कल,आज और आने वाले कल के बारे में भी समझता है। 
    • स्कूल में अपनी जगह पर बैठना, टीचर की बात समझना और सलाह का पालन करना भी वो सीख जाता है।

    7 से 9 साल के बच्चों का मानसिक विकास (Mental Development of 7-9 years kid)

    • 7 से 9 साल का बच्चा अधिक जिम्मेदार हो जाता है। 
    • स्पेस और दुनिया के बारे में समझता है।
    • समय दिन और महीनों के बारे में बता सकता है।
    • खुद किताबों को पड़ने और सिखने में दिलचस्पी लेता है। 
    • आपसे सवाल पूछने के साथ ही आपको भी कई चीजें समझा सकता है।

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    लैंग्वेज डेवलपमेंट (Language development)

    इस दौरान बच्चा अलग -अलग आवाजे समझने में सक्षम होता है। यही नहीं, वो एक समान शब्दों को भी समझने लगता है जैसे बेट ,मेट ,रेट आदि। 4 से 6 साल का बच्चा शब्दों की आवाजों को समझता है और उन्हें पढ़ना सिख जाता है। इस उम्र में, बच्चे यह भी सीखते हैं कि आवाजें कैसे शब्दों को एक साथ जोड़ती हैं। 

    • 4 से 6 साल के बच्चे साधारण कहानियों और आसान शब्दों को पढ़ना सीखते हैं। वो उन्हें स्पेल करना भी सीख जाते हैं  जैसे डोर, बॉल आदि। 
    • 7 से 9 साल के बच्चे जो चीजें पढ़ते हैं, उन्हें अच्छे से समझते भी है। इस उम्र का बच्चा खुद पढ़ सकता है। पढ़ना उनकी पसंदीदा गतिविधि बन जाती है। इस उम्र में वो सिंपल कहानियां स्वयं लिख भी सकता है।

    सामाजिक-भावनात्मक विकास  (Social-Emotional Development)

    हर स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) अलग तरह से होता है। लेकिन, जब बच्चे स्कूल जाने लगते हैं, तो उनमें स्वतंत्रता की भावना विकसित होती है। वो नए रिश्ते बनाते है और उन्हें एन्जॉय करते हैं। हालांकि, माता-पिता के साथ उनका रिश्ता वैसा ही बना रहता है जैसा पहले था।

    4 से 6 साल के बच्चे का सामाजिक-भावनात्मक विकास (Social-Emotional Development of 4-6 years old children)

    • 4 से 6 साल का बच्चा खुद अकेले खेलने में रुचि लेता है। लेकिन ,साथियों के साथ खेलना उसकी प्राथमिकता होती है।
    • खेल के दौरान वो टर्न बाय टर्न खेलना सीख जाता है और दूसरों के विचारों को स्वीकार करता है।
    • अपनी स्वयं की भावनाओं को पहचानने और उन्हें सत्यापित करने में सक्षम होता हैं।
    • वह यह समझ जाता है कि कार्यों के सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
    • 4 से 6 साल के बच्चे सहानुभूति और करुणा दिखाने में सक्षम होते हैं।
    • भाई-बहन को लेकर जलन की भावना भी पैदा हो सकती है।
    • इस उम्र के बच्चे प्रतियोगिताओं का मजा लेते हैं। 

    development of school age children

    7 से 9 साल के बच्चे का सामाजिक-भावनात्मक विकास (Social-Emotional Development of 7-9 years old children)

    • 7 से 9 साल के बच्चों में सेंस ऑफ ह्यूमर विकसित होता है। वो लोगों को स्टोरीज और जोक्स सुनाते हैं।
    • सच और फैंटेसी में अंतर समझ सकते हैं।
    • घर और स्कूल में अधिक जिम्मेदारियां लेने में उन्हें खुशी मिलती है।
    • 7 से 9 साल के बच्चे पसंद और नापसंद के बारे में जान जाएंगे।
    • इस उम्र के बच्चे अधिक स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं और साथियों के साथ भी काम करना पसंद करते हैं।
    • इस उम्र के बच्चेगलतियां करने से डरते हैं।
    • इस उम्र के बच्चे ऊर्जा से भरपूर लेकिन अधीर होते हैं।

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    स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए न्यूट्रिशन और फिजिकल एक्टिविटीज (Nutrition and physical activities for school going children)

    स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) उन्हें मिलने वाले न्यूट्रिशन पर भी निर्भर करता है। इस उम्र के बच्चों को सही न्यूट्रिशन और फिजिकल एक्टिविटीज करने की बहुत अधिक जरूरत होती है। उनकी सही ग्रोथ और विकास के लिए उन्हें दिन में कम से कम 4 से 5 बार खाना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चे की फूड चॉइस और हैबिट्स पर नजर रखनी चाहिए। जानिए बच्चे के आहार में क्या-क्या होना चाहिए: 

    • अनाज (Grains) : बच्चे के आहार में साबुत अनाज का होना जरूरी है। उन्हें ब्राउन राइस, ओट्स आदि खाने को दें।
    • फल और सब्जियां (Fruits and Vegetables) : बच्चे के आहार में रंग- बिरंगी सब्जियों को शामिल करें। जिससे उन्हें पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स प्राप्त हों। बच्चों के लिए रोजाना फल लेना भी जरूरी है।  
    • डेयरी उत्पाद (Dairy Products): स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) सही हो इसके लिए उनके आहार में डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, पनीर आदि को शामिल करना जरूरी है। यह सब चीजें उनकी मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक हैं। 
    • प्रोटीन (Protein) : बच्चों के आहार में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को भी शामिल करें जैसे मेवे, बीन्स, सीड्स आदि।
    • पानी (Water): बच्चे के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। इसलिए उसे अधिक से अधिक पानी और अन्य हेल्दी ड्रिंक्स पीने की सलाह दें।

    फिजिकल एक्टिविटीज़ (Physical Activities)

    वैसे तो शारीरिक रूप से एक्टिव रहना हर उम्र में जरूरी है। लेकिन, बच्चों के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप यह चाहते हैं कि आपके स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) सही से हो, तो उन्हें  पढ़ाई या इंडोर गेम्स में ही न लगे रहने दें। बल्कि, रोजाना कुछ समय उन्हें खेलने और अन्य शारीरिक गतिविधियां करने दें। जैसे: 

    • साइकिलिंग करने दें (Cycling)
    • सैर (Walk)
    • स्विमिंग (Swimming)
    • कोई खेल जैसे क्रिकेट, बास्केटबाल (Any Sport Like Cricket and Basketball)
    • रस्सी कूदना (Skipping)

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    स्कूल जाने वाले बच्चों के विकास में माता-पिता कैसे मदद कर सकते हैं? (How can parents help in the development of school going children)

    माता-पिता अपने बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं जो बच्चों के जीवन को नया आकार देते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) कैसे हो, इसमें माता-पिता की अहम भूमिका होती है। इस दौरान माता-पिता अपने बच्चे को बाहर की दुनिया और नए लोगों से मिलने और उन्हें समझने में मदद करते हैं। जानिए, माता- पिता होने के नाते आप अपने बच्चे की कैसे मदद कर सकते हैं: 

    बच्चे के रोल मॉडल बनें (Be a Role Model)

    बच्चे माता-पिता से प्रेरित होते हैं। इसलिए इस लर्निंग फेज में आपका उन्हें लिए एक रोल मॉडल बनना अच्छा है। पेरेंट्स बच्चों के पहले गुरु होते हैं इसलिए आप उन्हें घर पर बहुत कुछ सिखा सकते हैं। 

    खुशनुमा वातावरण प्रदान करें  (Provide Pleasant Atmosphere)

    माता-पिता को घर में बच्चे को शांत और खुशनुमा वातावरण प्रदान करना चाहिए। बच्चों के सामने पारिवारिक समस्याएं शेयर करने या कोई भी बहस या झगड़ा करने से बचें। इससे बच्चे पर गलत असर हो सकता है। 

    उन्हें मॉनिटर करें  (Monitor their Learning)

    कुछ बच्चे खुद पढ़ना और सीखना पसंद करते हैं। अगर ऐसा है तो माता-पिता को उन्हें खुद से पढ़ने और सीखने देना चाहिए, लेकिन खुद उनकी लर्निंग को मॉनिटर करते रहना चाहिए।

    अपने अनुभव शेयर करें  (Share your Personal Experience)

    अपने बच्चे के साथ अपनी स्कूल लाइफ के अनुभव बांटना भी एक अच्छा विचार है। इससे आप उन्हें अपने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के अनुभवों को शेयर कर के उन्हें सीखने का महत्व समझा पाएंगे।

    स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास

    अपने बच्चे से बात करें (Talk with your Kid)

    रोजाना अपने बच्चे से बात करने में कुछ समय अवश्य व्यतीत करें। उनकी स्कूल से जुड़ी या अन्य चिंताओं को सुनें और हल करने की कोशिश करें। इसके साथ ही उन्हें पढ़ाई आदि के लिए प्रेरित करते रहें।

    यह भी पढ़ें: बच्चों और प्री स्कूलर्स में मोटर स्किल का विकास क्यों है जरूरी?

    स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास (School-age Children Growth and Development) कैसे होता है, इस बारे में तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन अगर आप अपने बच्चे का सम्पूर्ण विकास अच्छे से चाहते हैं तो उनका अच्छा दोस्त बनें। ताकि वो अपनी हर भावना को आपके सामने एक्सप्रेस कर पाएं। इस उम्र के बच्चे इस दौरान सीखते तो बहुत कुछ हैं, लेकिन उनके अंदर बहुत सी शंकाएं होती हैं जो दुनिया, लोगों या उनके खुद से जुड़ी हो सकती हैं। ऐसे में अगर आप उनको समझेंगे और समझाएंगे, तो उन्हें जीवन का यह पड़ाव पार करने में आसानी होगी।

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