आपका शिशु 12 सप्ताह का हो गया है और अब उनकी आदतों में आपको कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। 12 हफ्ते के बच्चे में आप उसके अंदर हो रहे विकास को नोटिस कर पाएंगे, जैसे कि;
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
आपका शिशु 12 सप्ताह का हो गया है और अब उनकी आदतों में आपको कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। 12 हफ्ते के बच्चे में आप उसके अंदर हो रहे विकास को नोटिस कर पाएंगे, जैसे कि;
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12 हफ्ते के बच्चे से बात करना या कहानी सुना कर उसे कुछ समझाना उसके विकास के लिए सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। जब भी आप अपने शिशु से संवाद करें, अपने टोन को बीच-बीच में बदलते रहें, इससे आपके संवाद और भी मनोरंजकपूर्ण होगा। आपकी टोन से शिशु स्थिति का अनुमान लगाना सिखेगा। कुछ समय बाद अगर वे आपकी बातों पर ध्यान न दे, तो समझ लें कि वह थक चुका है और उसे थोड़े आराम की जरूरत है।
ऐसी कई अच्छी किताबें हैं जो आप अपने शिशु के लिए खरीद सकती हैं। किताबों का चुनाव करते समय ऐसी किताबें चुनें जिनमें बड़े आकार के रंग बिरंगे चित्र हों, ताकि आप आपके शिशु को आसानी से समझा सकें।
आप अपने 12 हफ्ते के बच्चे के लिए कुछ इस तरह का सकारात्मक माहौल बना सकते हैं;
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आपके शिशु के स्वास्थ्य को समझते हुए आपके डॉक्टर बताएंगे कि शिशु को अगले परिक्षण की जरूरत कब है। वह इनमें से कुछ चीजों पर ध्यान दे सकते हैं, जैसे कि:
आप पिछले कुछ दिनों में हुए आपके पारिवारिक बदलाव की जानकारी भी अपने डॉक्टर को दे सकती हैं। जैसे कि, अगर आपके आहार में आपने कोई बदलाव किए हों। घर में किसी को कोई बड़ी बीमारी हुई हो? या आपने आपके रहने की जगह बदली हो। यह सारी चीजें कई बार अंजाने में आपके शिशु की सेहत पर अच्छे या बुरे प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए आपके डॉक्टर को इनकी जानकारी होना जरूरी है।
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यहां कुछ चीजें दी गई हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए, जैसे कि:
सिर का चपटा होना कई शिशुओं में बेहद आम है। इसका मुख्य कारण शिशुओं का लंबे समय तक एक ही स्थिती में सोना है। जन्म के कुछ समय बाद तक शिशु की त्वचा काफी नर्म और मुलायम होती है। ऐसे में यदि आपका शिशु ज्यादा समय तक किसी एक ही स्थिती में सोता है तो उसका सिर वहां से दब जाता है। लेकिन, इसमें परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कुछः समय पश्चात् शिशु का शरीर वापस अपने प्राकृतिक आकार में आ जाता है। इस विषय पर फिर भी एक किसी चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाकर सलाह जरूर लें।
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जन्म के पश्चात गंजापन या फिर शिशु के बाल झड़ना भी बेहद आम समस्या है। 12 हफ्ते के बच्चे ज्यादातर एक ही स्थिती में सोते हैं या फिर सोते समय सिर बिस्तर पर ज्यादा रगड़ने के कारण भी बाल झड़ने की समस्या देखने को मिलती है। कुछ शिशुओं के बाल तुरंत आ जाते हैं तो कुछ शिशुओं के बाल के बाल आने में कुछ समय लग सकता है। वैसे शिशु के एक साल का होने तक यह बाल पूरी तरह वापस आ जाते हैं।
आमतौर पर यह माना जाता है कि जो लोग ज्यादा वजन उठाते हैं, यह उन्ही को होता है लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। हर्निया नवजात शिशुओं में होने वाली कुछ आम बीमारियों में से एक है। यह ज्यादातर जुड़वां बच्चों में और प्री-मेचुअर शिशुओं में पाया जाता है। इसके अलावा लड़कों में हर्निया होने की आशंका ज्यादा होती है। हर्निया के कुछ लक्षणों में से एक शिशु की कमर के नीचे दोनों टांगो के बीच फोड़ा हो जाना भी है। वैसे यह शिशु के लिए हानिकारक नहीं है और इसका इलाज संभव है। एक आसान सर्जरी द्वारा इसका निदान किया जा सकता है। 12 हफ्ते के बच्चे में इसके लक्षण दिखना शुरू हो सकते हैं।
ध्यान रहे कि हर्निया का इलाज समय पर न किए जाने पर कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जैसे की, उल्टी , दस्त, अपचन और कई बार असहन दर्द। ऐसा होने पर तात्कालिक राहत के लिए कई बार आप बर्फ से शिशु की गाँठ की सिकाई कर सकती हैं इसके बाद तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां कुछ बातें दी गई हैं जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए।
यहां जितने भी विकास के संकेत या मापदंड दर्शाए गए हैं, वह बस इसलिए हैं कि आप आपके शिशु के विकास को अन्य साधारण शिशुओं के विकास से जोड़ शिशु की कमियों को पहचान सकें। इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपने घर के अन्य शिशुओं से अपने बच्चे की तुलना करने लगे। इससे आपको कई बार निराशा भी हो सकती है।
हर शिशु एक दूसरे से अलग होते हैं और उसका विकास भी उसी प्रकार होता है। दो शिशुओं का यदि निरीक्षण किया जाए तो हो सकता है कि पहला शिशु जल्दी बोलने लगा होगा और वहीं दूसरे ने थोड़ा समय लिया होगा। इसका उलट ये भी हो सकता है कि दूसरा शिशु जल्दी चलने लगा होगा और पहले ने थोड़ा लिया होगा। इसलिए शारीरिक विकास को लेकर बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए। 12 हफ्ते के बच्चे की स्किन का भी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। ऐसे में बिना डॉक्टर की सलाह के उनकी त्वचा के लिए कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल न करें।
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