backup og meta

Chemical Digestion: क्यों महत्वपूर्ण है डायजेस्टिव सिस्टम की यह प्रोसेस, जानिए?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/02/2022

    Chemical Digestion: क्यों महत्वपूर्ण है डायजेस्टिव सिस्टम की यह प्रोसेस, जानिए?

    पेट हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आहार को पचाने में हमारी मदद करता है।  लेकिन, हर व्यक्ति कभी न कभी पाचन संबंधी समस्याओं का अनुभव करता ही है। दरअसल भोजन से मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स कम आकार के होने चाहिए, ताकि यह ब्लडस्ट्रीम में आसानी से एब्जॉर्ब हो जाएं। ऐसे में, खास केमिकल्स का प्रयोग कर के हमारे शरीर की डायजेस्टिव प्रोसेस लगातार फूड को छोटे टुकड़ों में तोड़ देती है। ऐसा तब तक होता रहता है, जब तक विटामिन, मिनरल्स, एमिनो एसिड्स और फैटी एसिड्स अनलॉक और अपना काम करने में सक्षम नहीं हो जाते हैं। आज हम बात करने वाले हैं डायजेशन की एक प्रोसेस के बारे में, जिसे केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) कहा जाता है। आइए पाएं जानकारी केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) के बारे में विस्तार से।

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) किसे कहा जाता है?

    हमारा शरीर दो तरह की डायजेशन प्रोसेसेज का इस्तेमाल करता है एक केमिकल डायजेशन (Chemical digestion) और दूसरी मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion)। केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) मुंह, स्टमक और इंटेंस्टाइन में एसिड और एंजाइम के इस्तेमाल के माध्यम से फूड के ब्रेकडाउन को कहा जाता है। मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) प्रोसेस में आहार को चबाना, निगलना और मस्कुलर मूवमेंट (डायजेस्टिव ट्रैक्ट के माध्यम से फूड का मूव करना) आदि शामिल हैं।

    जब बात डायजेशन की आती है, तो भोजन को अगर आप अच्छे से चबा लेते हैं, तो समझ लें कि आपने आधी जंग जी ली है। जैसे ही आहार मुंह से डायजेस्टिव सिस्टम तक ट्रेवल करता है, तो यह डायजेस्टिव एंजाइम टूट जाते हैं। यह एंजाइम फूड को स्मॉल न्यूट्रिएंट्स में बदल देते हैं, जिसे हमारा शरीर आसानी से एब्जॉर्ब कर पाता है। इस ब्रेकडाउन को केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में कहा जाए तो इस डायजेशन के बिना, आपका शरीर आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब नहीं कर पाता है। अब जानिए कैसे होती है इसकी शुरुआत?

    और पढ़ें: अच्छे पाचन से लेकर हेल्दी लिवर तक, गन्ने का रस देता है कई स्वास्थ्यवर्धक फायदे!

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) की शुरुआत कैसे होती है?

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) पेट से शुरू नहीं होती है बल्कि इसकी शुरुआत मुंह से होती है। जब भी हम फूड को देखते, स्मेल करते हैं या इसके बारे में सोचते हैं, तो हमारा मुंह अतिरिक्त स्लाइवा का निर्माण करता है। स्लाइवा में एमाइलेज एंजाइम (Amylase enzyme) होते हैं, जिन्हें टायलिन (Ptyalin) कहा जाता है। टायलिन, स्टार्च कंपाउंड में वॉटर मॉलिक्यूल को ऐड कर के स्टार्च को डेक्सट्रोज (Dextrose) और माल्टोज (Maltose) में ब्रेक कर देता है। एक बार जब आहार को निगल लिया जाता है, तो अन्नप्रणाली में पावरफुल मसल्स लगातार इसे मोशन में पेट में नीचे की तरफ पुश करती है। आइए, जानें इस के बारे में।

    स्टमक फंक्शन (Stomach Function)

    ऐसा माना जाता है कि जब फूड अभी हमारे मुंह में होता है, तो गालों और जीभ में मौजूद ग्लैंड, ब्रेन को सिग्नल भेजते हैं। इससे स्टमक लायनिंग में मौजूद ग्लैंड, गैस्ट्रिक जूस स्रावित करने के लिए प्रेरित होती है। एक बार जब यह जूस स्टमक में जाता है, तो और अधिक गैस्ट्रिक जूस बनता है। अब पेट भोजन के साथ इस जूस को मिलाता है, तो इसे एक गाढ़े, क्रीमी लिक्विड में डिसॉल्व कर देता है, जिसे चाएम (Chyme) कहा जाता है। धीरे-धीरे, यह काइम स्मॉल इंटेस्टाइन में जमा हो जाता है।

    और पढ़ें: प्रोटीन का पाचन और अवशोषण शरीर में कैसे होता है? जानें प्रोटीन की कमी को दूर करना क्यों है जरूरी

    गैस्ट्रिक जूस  कम्पोजीशन (Gastric Juice Composition)

    गैस्ट्रिक जूस में एक विशेष एंजाइम होता है जो पेप्सिन (Pepsin) और हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) नामक प्रोटीन को ब्रेक डाउन करता है। पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड में  pH 1 से 2 होता है। जो इसे पानी की तुलना में दस लाख गुना अधिक एसिडिक बनाता है। यह अधिकांश खाद्य पदार्थों और आपके शरीर के कई ऊतकों को भी डिजॉल्व करने के लिए पर्याप्त पावरफुल होता है।  पेट में एक मोटी म्यूकोस लायनिंग (Mucous lining)  होती है, जो इसे अपने ही एसिड से बचाती है। वहीं, एक स्पिन्क्टर (Sphincter ) जहां आपका अन्नप्रणाली आपके पेट से मिलती है, एसिड को बाहर निकलने और आपके ऊपरी डायजेस्टिव ट्रैक्ट को नुकसान पहुंचाने से रोकता है।

    केमिकल डायजेशन, Chemical Digestion

    इंटेस्टाइनल फंक्शन (Intestinal Function)

    नेशनल डाइजेस्टिव डिजीज इंफॉर्मेशन क्लियरिंगहाउस (National Digestive Diseases Information Clearinghouse) के अनुसार, स्मॉल इंटेस्टाइन में जमा होने वाला कायम (Chyme) आंतों की दीवारों द्वारा स्रावित एंजाइम, बाइल और फ्लुइड्स के साथ मिल जाता है। जिन एंजाइम को हमारा पैंक्रियाज बनाता है, वो कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन और फैट्स में ब्रेक डाउन हो जाते हैं। वहीं, हमारा लिवर बाइल बनाता है, जो फैट को डिजॉल्व करता है। इसी समय, जब तक कायम लार्ज इंटेस्टाइन तक पहुंचता है, यह इसके स्मॉलेस्ट पॉसिबल कॉम्पोनेंट्स में ब्रेक डाउन हो जाता है। ये इंटेस्टाइनल वॉल पर प्रोजेक्शन्स से गुजरते हैं, जिन्हें विली (Villi) कहा जाता है और रक्त प्रवाह में उन्हें आवश्यकतानुसार डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। इसके बाद पानी, फाइबर और सेल्यूलोज जैसे अपचित पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। अब जानिए केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) और मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) क्या हैं और क्या हैं इनमें अंतर?

    और पढ़ें: गैस्ट्रोपैरीसिस : पाचन क्रिया से जुड़ी इस समस्या से हो सकती है टाइप 2 डायबिटीज की तकलीफ!

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion), मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion)। से अलग कैसे है?

    केमिकल और मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) दो ऐसे तरीके हैं, जिनसे हमारा शरीर फूड को ब्रेक डाउन करता है। मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) में फूड को छोटा बनाने के लिए फिजिकल मूवमेंट की जरूरत होती है। जबकि, केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) में फूड के डायजेशन के लिए एंजाइम की आवश्यकता होती है। आइए, जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।

    मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion)

    मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion)। मुंह में आहार को चबाने से शुरू होता है। इसके बाद इसमें फूड पेट में चर्निंग (Churning) और स्मॉल इंटेस्टाइन में विभाजन के लिए आगे बढ़ता है। पेरिस्टैल्सिस (Peristalsis) भी मैकेनिकल डायजेशन का हिस्सा है। पेरिस्टॉसिस, इन्वॉलन्टरी कॉन्ट्रेक्शन (Involuntary contractions) और हमारी अन्नप्रणाली, पेट और आंतों की मांसपेशियों के रिलैक्सेशन को कहा है। ताकि, भोजन को ब्रेक डाउन किया जा सके और इसे हमारे पाचन तंत्र के माध्यम से इसे मूव किया जा सके।

    और पढ़ें: ये योग आपके डायजेशन को बेहतर बनाने निभा सकते हैं अहम रोल

    केमिकल डायजेशन (Chemical digestion)

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) में पूरे डायजेस्टिव ट्रैक्ट में एंजाइमों का स्राव शामिल होता है। यह एंजाइम उन केमिकल बांड्स को ब्रेक कर देते हैं, जो फूड पार्टिकल्स को एक साथ जोड़ कर रखते हैं। इससे फूड को छोटे और डायजेस्टिबल पार्ट्स में ब्रेक डाउन होने में मदद मिलती है। अब जानते हैं कि मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) और केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) एक साथ कैसे काम करते हैं?

    मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) और केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) कैसे एक साथ काम करते हैं?

    एक बार जब फूड पार्टिकल्स स्मॉल इंटेस्टाइन तक पहुंच जाते हैं, तो इंटेस्टाइन मूव करता रहता है। इससे फूड पार्टिकल्स को मूव करने में मदद मिलती है और उनमें से अधिक डायजेस्टिव एंजाइमों के संपर्क में आते हैं। ये मूवमेंट्स डायजेस्टेड फूड को इवेंचुअल एक्सक्रेशन (Eventual excretion) के लिए लार्ज इंटेस्टाइन की ओर ले जाने में भी मदद करती हैं। अब जानिए क्या हैं केमिकल डायजेशन के फायदों के बारे में।

    और पढ़ें: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं ये टिप्स फॉलो करना

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) का क्या उद्देश्य है?

    डायजेशन में भोजन के बड़े हिस्से को मायक्रोन्यूट्रिएंट्स में ब्रेक डाउन करना शामिल है, जो सेल्स द्वारा एब्जॉर्ब किए जाने के लिए पर्याप्त होते हैं। चबाना और पेरिस्टॉसिस (Peristalsis) इसमें मदद करते हैं, लेकिन यह पार्टिकल्स को बहुत छोटा नहीं बनाते हैं। ऐसे में केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) काम में आती है। केमिकल डायजेशन डिफरेंट न्यूट्रिएंट्स जैसे प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट्स और फैट्स को ब्रेकडाउन करती हैं और इन्हें बहुत छोटे पार्ट्स में ब्रेक कर देती है, जैसे:

    • फैट्स, फैटी एसिड्स और मोनोग्लिसरॉइड्स (Monoglycerides) में ब्रेक डाउन
    • न्यूक्लिक एसिड न्यूक्लियोटाइड ((Nucleic acid Nucleotide) में ब्रेक डाउन
    • पॉलीसेकेराइड (Polysaccharides) या कार्बोहाइड्रेट शुगर, मोनोसेकेराइड (Monosaccharides) में ब्रेक डाउन
    • प्रोटीन, एमिनो एसिड्स में ब्रेक डाउन

    केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) के बिना, हमारा शरीर न्यूट्रिएंट्स को एब्जॉर्ब नहीं कर पाता है। जिससे विटामिन डेफिशियेंसी (Vitamin deficiencies) और मॉलन्यूट्रिशन (Malnutrition) जैसी समस्या हो सकती है। कुछ लोगों में केमिकल डायजेशन में इस्तेमाल, कुछ एंजाइमों की कमी हो सकती है। उदाहरण के लिए, लैक्टोज इन्टॉलरेंस (Lactose intolerance) वाले लोगों में आमतौर पर पर्याप्त लैक्टेज नहीं बनते हैं। यह लैक्टोज को ब्रेक डाउन के लिए जिम्मेदार एंजाइम होते हैं।

    और पढ़ें: Digestive Health Issues : जानिए क्या है पाचन संबंधी विकार और इससे जुड़ी खास बातें

    यह तो थी केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) के बारे में जानकारी। यह डायजेशन प्रोसेस का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना, हम जिन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, उनसे हमारा शरीर न्यूट्रिएंट्स को एब्जॉर्ब करने में सक्षम नहीं होता है। मैकेनिकल डायजेशन (Mechanical digestion) में जहां फिजिकल मूवमेंट शामिल होती है जैसे चबाना आदि। वहीं, केमिकल डायजेशन (Chemical Digestion) में फूड को ब्रेक डाउन के लिए एंजाइम का इस्तेमाल किया जाता है। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।

    आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement