शरीर का कोई अंग जब अपनी कंटेनिंग कपैसिटी यानी अपने खोल या झिल्ली से बाहर निकल आता है, तो उसे हर्निया कहते हैं। इसमें मरीज को तेज दर्द होता है, चलने-फिरने में दिक्कत होती है। कई मामलों में हर्निया खतरनाक भी हो सकता है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे हर्निया के प्रकार और हर्निया के इलाज के तरीके।
जानिए हर्निया के कुछ प्रकार
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रिड्यूसेबल (Reducable) :
इस हर्निया में कोई अंग बाहर निकलता है, फिर अंदर भी चला जाता है। कई बार डॉक्टर हाथ लगाकर भी अंदर कर देते हैं। इस लेवल तक सर्जरी के बिना भी काम चल सकता है।
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इररिड्यूसेबल (Irreducible) :
इसमें ऑर्गन कैविटी से बाहर निकलने के बाद अंदर नहीं जाता। इसके बाद ऑपरेशन जरूरी होता है।
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स्ट्रंग्युलेटिड (Strangulated):
अगर आंत अंदर फंस कर रुक जाए और जिसकी वजह से ब्लड सप्लाई पर असर पड़ता है। यह इमरजेंसी की स्थिति होती है। ऐसे में छह घंटे के अंदर ऑपरेशन जरूरी होता है। आमतौर पर, यह स्थिति छोटे हर्निया के साथ ही होती है, जोकि बाहर निकलकर फंस जाता है। ऐसे में बेहतर है कि हर्निया के साइज छोटा रहते हुए ही ऑपरेशन करा लें।
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हर्निया का इलाज के लिए कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर शरीर में कहीं भी सूजन लगे, तो डॉक्टर को दिखाएं। दर्द होने पर तो जाना ही पड़ेगा, लेकिन दर्द आमतौर पर बाद की स्टेज में होता है और तब तक स्थिति खराब होने लगती है।
नोट- यह जानकारी किसी भी स्वास्थ्य परामर्श का विकल्प नहीं हैं। हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
हर्निया का इलाज
- इसमें दवाएं काम नहीं करतीं। आमतौर पर, दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह से पेनकिलर के तौर पर पैरासिटामोल (Paracetamaol) ले सकते हैं। लेकिन बेहतर है कि पेनकिलर का इस्तेमाल कम-से-कम करें।
- दर्द से राहत के लिए हॉट वॉटर बैग से सिकाई कर सकते हैं। इससे मसल्स रिलैक्स होती हैं और दर्द कम होता है।
- चूंकि, यह फिजिकल डिफेक्ट है, इसलिए सर्जरी जरूरी हो जाती है। हर्निया का इलाज जितनी जल्दी हो सके करा लेना चाहिए, वरना बाद में सर्जरी में दिक्क्त होती है।
हर्निया की सर्जरी
सर्जरी में आमतौर पर मेश (जाली) डालते हैं, ताकि कमजोर मसल्स को सपोर्ट किया जा सके। अगर बिना जाली डाले सिर्फ टांके लगाकर बंद कर देंगे, तो वह हिस्सा फिर बाहर निकल आएगा। जाली में बारीक छेद होते हैं, जिनमें से टिशू ग्रो करके उसे जकड़ लेते हैं। जाली की उम्र करीब 10 साल होती है। लेकिन, फिर टिशू उसे मजबूती देते हैं और वह हमेशा बनी रहती है। इस पकड़ को बनाने में करीब छह महीने लगते हैं। 18 साल से कम उम्र के मरीजों यानी बच्चों में जाली नहीं डाली जाती, क्योंकि उनकी मसल्स बढ़ रही होती हैं।
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हर्निया का इलाज दो तरीके से होते हैं
ओपन और टेलिस्कोप यानी दूरबीन वाली। ओपन में दो मसल्स के बीच जाली लगाते हैं। पहले मसल्स की लेयर होती है, फिर जाली और फिर मसल्स की लेयर। इस प्रक्रिया में जाली आंत में टच नहीं करती। सरकारी अस्पतालों में सिर्फ जाली की कीमत देनी होती है। दूरबीन वाली सर्जरी में दो लेयरों में जाली डाली जाती है। जाली की अब्जॉर्बल यानी घुलने वाली लेयर इंटेस्टाइन की तरफ होती है।
हर्निया का इलाज कराने के बाद ये लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें
- पेशाब करने में दिक्कत होना
- घाव की जगह से खून बहना
- बहुत अधिक बुखार होना
- सर्जरी के 6 – 7 दिनों के बाद भी राहत न मिलना
- ऑपरेटेड जगह पर अत्याधिक दर्द होना
- ऑपरेटेड जगह से पस बहना
- ऑपरेशन की जगह पर से खून आना
- कमजोरी होना
- उल्टियां होना और जी मचलाना
हर्निया का इलाज कराने के बाद इन बातों का रखें ध्यान
- हर्निया का इलाज कराने के बाद सोते समय अपने पास एक मुलायम तकिया रखकर सोएं
- सर्जरी के बाद पेट को साफ रखना जरूरी है। इसके लिए पेट साफ करने वाली दवा लें। डायट में फाइबर युक्त भोजन को शामिल करें। इससे आपको कब्ज की शिकायत नहीं होगी।
- हमेशा ढ़ीले कपड़ों का चयन करें। तंग कपड़े पहनने से आपको दर्द ज्यादा हो सकता है।
- हर्निया का इलाज कराने के कुछ दिनों बाद तक किसी तरह का भारी सामान न उठाएं।
- सर्जरी के बाद जोर से खांसना अच्छा नहीं होता है। यदि आपको बार-बार खांसी आ रही है तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
- हर्निया का इलाज कराने कुछ दिनों तक तेजी से नहीं चलना चाहिए। एक ही जगह बैठे रहना भी अच्छा नहीं है। हल्का हल्का चलने की कोशिश करें।
- समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर जांच कराते रहें।
- तला हुआ और मसालेदार खाना एवॉइड करें।
- वसा युक्त भोजन को डायट से बाहर करें।
- कैफीन युक्त ड्रिंक्स जैसे चाय, कॉफी, हर्बल टी का अत्यधिक सेवन नहीं करना है।
- रेड मीट का सेवन बिल्कुल नहीं करना है।
- हर्निया के पेशेंट्स को चॉकलेट का सेवन मना होता है।
हर्निया से बचाव के लिए यह करें
- वजन को कंट्रोल में रखें। अपने तय वजन को पांत किलो से ज्यादा न बढ़ने दें।
- हर्निया से बचाव के लिए पौष्टिक खाना खाएं। प्रोटीन डाइट लें, ताकि मसल्स मजबूत बनीं रहें।
- स्मोकिंग से परहेज करें। इससे खांसी होती है और खांसी हर्निया की वजह बनता है।
- हर्निया से बचाव के लिए खूब पानी पिएं ताकि पेशाब से जुड़ी बीमारी न हों।
- ज्यादा वेट लिफ्टिंग न करें। जो भारी एक्सरसाइज करते हैं, वे लंगोट बांधें या सपोर्ट लगाएं।
- बहुत ज्यादा या जल्दी-जल्दी सीढ़ियां न चढ़ें।
- पेट को मजबूत बनाने वाले आसन करें।
शरीर में कई कारणों से हर्निया हो सकता है। हर्निया किसी भी प्रकार का हो, इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और जल्द से जल्द हर्निया का इलाज करा लेना चाहिए। क्योंकि, ऐसा करने से यह गंभीर रूप धारण कर लेता है, जिसमें कई बार असहनीय दर्द होता है। आप अपने जीवन में ऊपर बताए बदलाव लाकर भी इस समस्या से बच सकते हैं।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेन न भूलें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह के चिकित्सा परामर्श और इलाज नहीं देता है। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में हर्निया का इलाज से जुड़ी हर मुंकिन जानकारी दी गई है। यदि आप हर्निया का इलाज से संबंधित कुछ अन्य जानना चाहते हैं तो आप अपना सवाल कमेंट सेक्शन में कर सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।
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