जब एक महिला के शरीर के बाहर से बैक्टीरिया उसके यूरिनरी सिस्टम के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं तो वह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) कहलाता है। प्रेग्नेंसी में यूटीआई एक बैक्टीरिया के वजह से होने वाला इंफेक्शन है। इस बैक्टीरिया को ई-कोलाई कहते हैं और यह संक्रमण यूरिनरी ट्रैक के किसी भी हिस्से में हो सकता है। हालांकि महिलाओं को यूटीआई किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन इसके होने की संभावना सबसे ज्यादा प्रेग्नेंसी के दौरान रहती है। प्रेग्नेंसी में यूटीआई का कारण ग्रोइंग फीटस हो सकता है। ग्रोइंग फीटस ब्लैडर पर प्रेशर डालता है जिसकी वजह से भी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में यूटीआई ज्यादा क्यों होता है?
सभी महिलाओं को यूटीआई होने की संभावना होती है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में इसके होने का अधिक खतरा होता है क्योंकि उनका मूत्रमार्ग छोटा होता है, जिससे बैक्टीरिया को यूरिनरी टैक में प्रवेश करने में आसानी होती है लेकिन इससे भी ज्यादा खतरे में होती हैं गर्भवती महिलाएं क्योंकि हॉर्मोन परिवर्तन, बैक्टीरिया संक्रमण का कारण बनने में मदद करते हैं। इसके अलावा महिलाओं का बढ़ता गर्भाशय, उनके यूरिनरी ट्रैक पर अतिरिक्त दबाव डालता है। जिससे पूरी तरह ब्लैडर पर खाली करना मुश्किल हो जाता है। जुड़वां बच्चों को जम्न देने वाली महिलाओं में खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी में यूटीआई (मूत्रमार्ग संक्रमण) के क्या लक्षण हो सकते हैं?
महिलाएं अक्सर प्रेग्नेंसी में यूटीआई के लक्षणों को पहचान नहीं पाती। गर्भावस्था के दौरान की इस मुख्य समस्या का इलाज समय पर नहीं कराया जाए तो यह परेशानी गंभीर हो सकती है।
- पेशाब करते समय योनि भाग में दर्द या जलन होना।
- बार-बार पेशाब जाने की जरूरत महसूस होना।
- जी-मिचलाना।
- उल्टी आना।
- पेशाब से दुर्गंध आना।
- हल्का बुखार आना।
- पेशाब के साथ मवाद पड़ना।
- कभी गर्मी लगना, कभी ठंड महसूस होना।
- सेक्स के दौरान दर्द होना।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
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क्या प्रेग्नेंसी में यूटीआई शिशु को इफेक्ट कर सकता है?
अगर गर्भावस्था के दौरान यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन हो जाए तो इसके निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान यूटीआई इंफेक्शन से गर्भ में पल रहे शिशु की प्रीटर्म डिलिवरी की संभावना में वृद्धि हो सकती है।
- शिशु जन्म के दौरान सामान्य से कमजोर पैदा हो सकता है।
- गर्भवती महिला को ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है। जिसका प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है।
- एनीमिया की शिकायत हो सकती है।
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प्रेग्नेंसी में यूरिन ट्रैक इंफेक्शन (यूटीआई) को इन उपायों से कम किया जा सकता है
1. शारीरिक संबंध के दौरान सतर्कता बरतें:
प्रेग्नेंसी के दौरान यूटीआई के लक्षण दिखें तो शारीरिक संबंध बनाने के दौरान सतर्कता रखने की जरूरत है। संबंध बनाने से पहले और बाद में यूरिन पास करना और योनि के आसपास वाले भाग को अच्छे से साफ जरूर करें।
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2. प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: सफाई रखें और प्रेग्नेंसी में यूटीआई से बचें
प्रेग्नेंसी में अगर यूटीआई से पीड़ित हो जाएं तो इस बात का अच्छी तरह ध्यान रखें कि आपके अंडरगार्मेंट्स एकदम साफ हो। अपने वजायनल एरिया को बिलकुल साफ रखें। गर्भवती महिलाओं में इम्यून सिस्टम सामान्य के मुकाबले कमजोर हो जाता है। इसलिए उन्हें यूरिन इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में यूटीआई से बचना चाहते हैं तो साफ-सफाई का ध्यान रखें।
3. अधिक-से-अधिक पानी पीना देगा प्रेग्नेंसी में यूटीआई से राहत
सामान्य तौर पर भी यूरिन इंफेक्शन होने पर डॉक्टर ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं क्योंकि योनि में इंफेक्शन होने पर पानी का सेवन जितना ज्यादा होगा, बैक्टीरिया के बाहर आने के चांसेस उतने अधिक होंगे। अधिक पानी के सेवन से बार बार पेशाब लगेगी और इसके जरिए वजायना में फैले हुए बैक्टीरिया बाहर निकलेंगे। पानी के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्यप्रद पेय जैसे नारियल पानी, ग्लूकोज, जूस जैसी तरल चीजें भी ले सकती हैं।
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4. प्रेग्नेंसी में यूटीआई से बचने के लिए नियमित टेस्ट कराएं
गर्भावस्था में किसी चीज का रिस्क न लें। इसलिए आप समय-समय पर डॉक्टर की सलाह से यूटीआई का टेस्ट कराती रहें। ऐसा करने से खतरे को टाला जा सकता है।
5. प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल न करें
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर इस स्थिति में आप कहीं जाएं तो यह कोशिश करें कि पब्लिक शौचालय का इस्तेमाल न करें। क्योंकि इनमें मौजूद बैक्टीरिया संक्रमण का कारण बन सकते हैं और इसे बढ़ा सकते हैं। जेंटल एरिया पर माइल्ड सोप का यूज करें।
महिलाएं प्रेग्नेंसी में यूटीआई के लक्षणों को पहचान नहीं पाती हैं। इसलिए उपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी दिखे तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। गर्भावस्था के दौरान की इस मुख्य समस्या का इलाज समय पर नहीं कराया जाए तो यह परेशानी गंभीर हो सकती है।
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6. प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: फलों के सेवन से इंफेक्शन में राहत
उन फल और सब्जियों का सेवन करें, जिनमें विटामिन-सी (जैसे-आंवला, संतरे, नींबू आदि) की मात्रा अधिक होती है। विटामिन-सी यूरिन इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है।
क्रैनबेरी जूस प्रेग्नेंसी में यूटीआई (UTIs) से राहत दिलाने में काफी मदद करता है। इसमें मौजूद में विटामिन-सी, ई और बीटा कैरोटीन मूत्रमार्ग के संक्रमण में लाभदायक साबित होता है। इसके अलावा यूरिन इंफेक्शन (urine infection) से निजात पाने के लिए डायट में प्रोबायोटिक्स (probiotic) शामिल करें। अध्ययनों से पता चला है कि प्रोबायोटिक्स आंत में अच्छे बैक्टीरिया के स्तर को बढ़ा सकते हैं और एंटीबायोटिक उपयोग से जुड़े दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं।
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यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस और फ्रीक्वेंट यूरिनेशन की भी होती है समस्या
आपको बता दें कि प्रेग्नेंसी में यूटीआई के अलावा यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस और फ्रीक्वेंट यूरिनेशन की समस्या भी होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। बॉडी में खून की उचित मात्रा पहुंचाने के लिए ब्लड तेजी से दौड़ता है। इस दौरान किडनी को भी एक्ट्रा फ्लूड बनाने की जरूरत पड़ती है। प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सट्रा फ्लूड बनने के कारण आपको बार-बार एहसास होगा कि बाथरूम जाने की आवश्यकता है। यह परेशानी डिलिवरी के बाद भी बनी रह सकती है। हालांकि, कुछ समय बाद यह ठीक हो जाता है।
हमें उम्मीद है कि प्रेग्नेंसी में यूटीआई और इसके उपचार पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। प्रेग्नेंसी के दौरान कई समस्याएं जैसे बालों का झड़ना, स्ट्रेच मार्क होना, खुजली और थकान होना आम है, लेकिन यूरिन इंफेक्शन को इग्नोर नहीं किया जाना चाहिए। अगर इंफेक्शन ज्यादा बिगड़ जाता है तो इससे किडनी भी अफेक्ट हो सकती है और इसका असर होने वाले बच्चे पर भी हो सकता है। प्रेग्नेंसी में यूटीआई से जुड़ी किसी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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