backup og meta

Vaginal tearing : वजायनल टीयरिंग के बारे में जरूर जान लें ये बातें

Vaginal tearing : वजायनल टीयरिंग के बारे में जरूर जान लें ये बातें

महिलाओं के मन में अक्सर डिलिवरी को लेकर ये भय रहता है कि 3.5 किलो का बेबी किस तरह से वजायना से बाहर निकलेगा। जब बेबी बाहर आएगा तो उस समय किस तरह की समस्याएं होंगी? वजायना और एनस टिशूज के बीच कट के बाद कितना दर्द होगा आदि। प्रेग्नेंसी और लेबर के समय वजायना के आसपास ब्लड सप्लाई बढ़ जाती है जिसके कारण वहां के एरिया के टिशू फैल जाते हैं। ऐसा हाॅर्मोन के कारण होता है। ऐसे सबूत पाए गए हैं कि हीट की वजह से प्रसव के दौरान वजायनल टीयरिंग (Vaginal tearing) को कम किया जा सकता है।

और पढ़ें : जानिए क्या है प्रीटर्म डिलिवरी? क्या हैं इसके कारण?

वजायनल टीयरिंग (Vaginal tearing) क्या है?

नॉर्मल डिलिवरी के समय जब वजायना से बच्चे का सिर पूरी तरह से नहीं निकल पाता है तो डॉक्टर वजायना और एनस की बीच के हिस्से जिसे पेरेनियम कहते हैं, उसमें छोटा कट लगाते हैं ताकि बच्चा आसानी से बाहर आ सके। इसे ही वजायनल टीयरिंग (Vaginal tearing) कहा जाता है। कट लगाने के बाद डॉक्टर इसमें टांके भी लगा देते हैं। वजायनल टीयरिंग को फर्स्ट, सेकेंड, थर्ड और फोर्थ डिग्री में बांटा गया है। परिस्थितियों के अनुसार ही डॉक्टर हल्का या गहरा कट करते हैं।

और पढ़ें : डिलिवरी के बाद बॉडी को शेप में लाने के लिए महिलाएं करती हैं ये गलतियां

चाइल्ड बर्थ के दौरान कितना कॉमन है वजायनल टीयरिंग

केवल 2 प्रतिशत महिलाएं चाइल्ड बर्थ (Child birth) के दौरान वजायनल टियरिंग को सहन करती हैं। जबकि 27 प्रतिशत महिलाएं वजायनल टियरिंग को महसूस नहीं करती हैं। 23 प्रतिशत महिलाओं को वजायनल टियरिंग का अहसास नहीं होता है। 26 प्रतिशत महिलाओं को पेरिनियल टीयर का अनुभव होता है। सर्जिकल कट यानी एपिसिओटोमी (Episiotomy) का प्रयोग 20 प्रतिशत महिलाओं में किया जाता है।

क्यों होता है ऐसा?

अगर आप पहली बार मां बनने जा रही हैं तो वजायनल टीयरिंग (Vaginal tearing) की संभावना काफी हद तक रहती है क्योंकि आपके वजायना के आसपास के टिशू में फैलाव नहीं हो पाता है। वहीं, दूसरी बार मां बनने पर वजायनल टीयरिंग की संभावना कम हो जाती है क्योंकि आसपास के टिशू फ्लेक्सिबल हो जाते हैं। वजायनल टीयरिंग से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय कारगर होंगे या नहीं, इस बारे में साफतौर पर कहा नहीं जा सकता है क्योंकि कई बातें डिलिवरी के दौरान परिस्थितयों पर निर्भर करती हैं।

पुश करने के लिए रहे तैयार

लेबर की सेकेंड स्टेज में कंट्रोल के साथ पुश करें। कंट्रोल के साथ पुश करने पर टिशूज में इंजुरी की संभावना कम हो जाती है। आपके हेल्थ केयर प्रोवाइडर आपको इस बारे में जानकारी दे सकते हैं।

वार्म क्लॉथ रखें पास

लेबर के दौरान वार्म क्लॉथ को अपने पास रखें। वार्म क्लॉथ को वजायना के आसपास के हिस्से में कुछ समय के लिए लगाया जा सकता है। ऐसा करने से टिशू के फ्लेक्सिबल होने के चांस बढ़ सकते हैं और टीयरिंग की संभावना थोड़ी कम हो जाती है।

और पढ़ें : डिलिवरी के वक्त होती हैं ऐसी 10 चीजें, जान लें इनके बारे में

चाइल्ड बर्थ से पहले  पेरिनियल मसाज लें

डिलिवरी की सेकेंड स्टेज में डॉक्टर वजायना में हाथ डालकर चेक करेगा। ऐसा बच्चे के सिर को चेक करने के लिए किया जाता है। आप चाहे तो डिलिवरी से पहले पेरेनियल मसाज ले सकती हैं। ये आपकी वजायना के हिस्से को फ्लेक्सिबल बनाने का काम कर सकता है। आप इस काम के लिए अपने पार्टनर की मदद लें।

डिलिवरी पुजिशन तय करें

डिलिवरी के दौरान ऐसी कई पुजिशन होती हैं जो वजायनल टियरिंग को कम करने का काम करती हैं। बेड पर फ्लैट लेट जाने के बजाय अपराइट पुजिशन अपनाएं। अपराइट पुजिशन वजायनल टीयरिंग के चांस को कम कर देता है। आप चाहे तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकती हैं। डॉक्टर आपको सही पुजिशन बताने के साथ ही वजायनल टीयरिंग के बारे में भी जानकारी देगा।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान योग और व्यायाम किस हद तक है सही, जानें यहां

इन कारणों से बढ़ जाती हैं वजायनल टीयरिंग

  • पहला बच्चा होने पर।
  • वैक्यूम डिलिवरी होने पर।
  • खास पृष्ठभूमि से होने पर।
  • एपिड्यूरल के कारण।
  • एपीसीओटॉमी होने के कारण।
  • लेटकर जन्म देने के कारण (लिथोटॉमी)।
  • बच्चे का सिर असामान्य स्थिति में होने पर।
  • बच्चे का सिर बड़ा व वजन (चार किलो) ज्यादा होने पर।

और पढ़ें : क्या हैं शिशु की बर्थ पुजिशन्स? जानें उन्हें ठीक करने का तरीका

इन बातों का रखें ध्यान

  • अगर आपको किसी कारणवश वजायनल टीयरिंग से गुजरना पड़ता है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। एक बात ध्यान रखें कि वजायनल टीयरिंग (Vaginal tearing) से ज्यादा समय के लिए समस्या नहीं होती है। ये कुछ समय बाद ठीक हो जाता है। आपको पांच से दस दिन के अंदर ही इस समस्या से निजात मिल जाता है। आपको वजायनल टीयरिंग के दौरान कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए।
  • डिलिवरी के बाद डॉक्टर आपको टीयरिंग वाले हिस्से की गरम पानी और बीटाडाइन से सफाई करने के लिए कहेगा। ऐसा जरूर करें। आप चाहे तो गुनगुने पानी के टब में भी कुछ समय के बैठ सकती हैं।
  • डिलिवरी के बाद ब्लीडिंग भी होती है। इस दौरान साफ-सफाई का भी ध्यान रखें।
  • सैनेटरी पैड रोज चेंज करें।
  • वजायना टीयरिंग के बाद स्टूल पास करने में दिक्कत हो सकती है। इस दौरान फाइबर (Fiber) युक्त खाना ही खाएं। फाइबर युक्त खाना कब्ज (Constipation) की समस्या को दूर करेगा और आपको स्टूल पास करते समय दिक्कत नहीं होगी।
  • डॉक्टर वजायनल टीयरिंग से होने वाले दर्द को कम करने के लिए मेडिसिन देगा। उसे सयम अनुसार लें।
  • डिलिवरी के एक से दो सप्ताह तक तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें।

डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?

यदि पेरिनियम बहुत लाल है और इसमें तीव्र दर्द के साथ सूजन है, या आपको इससे एक अजीब तरह की गंध आ रही है, तो यह इंफेक्शन हो सकता है। ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर तुरंत संपर्क करें।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) वजायनल डिलिवरी के दौरान एपीसिटोमी, सर्जिकल कटिंग की सिफारिश नहीं करता है, लेकिन कुछ मामलों में यह आवश्यक हो सकता है। जैसे- बच्चे का साइज, उसकी पुजिशन या कोई अन्य स्थिति के कारण। ऐसे में वजायनल टीयरिंग हो सकती है।

सीवियर वजायनल टीयरिंग बहुत कम देखने को मिलती है। बर्थ के दौरान केवल 2 प्रतिशत महिलाओं को ही सीवियर वजायनल टीयरिंग होती है। ये टेर या तो रेक्टम के पास होते हैं या फिर मसल्स को कट कर देते हैं। यह एनल इनकॉन्टिनेंस का रिस्क और दूसरी पेल्विक फ्लोर परेशानियाें को बढ़ा देते हैं। कई बार यह टीयरिंग सेक्स के दौरान दर्द का कारण भी बनती है।

आपको सीवियर वजायनल टीयरिंग हुई है तो नॉर्मल टीयरिंग की तरह इसकाे हील करने में सिट्स बाथ, आइस पैक और एंटीसेप्टिक स्प्रे, विच हेजल मदद करेंगे। अगर आप घाव वाले एरिया को हवा के संपर्क में रखती हैं तो यह जल्दी और कम पेन के साथ हील होगा।

अगर चाइल्ड बर्थ के दौरान आपकी वजायनल टीयरिंग हुई है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि मुझे किस तरह से देखरेख करनी है। अगर आपका घाव गहरा होगा तो डॉक्टर चेक करने के लिए आपको एक हफ्ते बाद हॉस्पिटल बुला सकता है। हमें आशा है कि ऊपर दी गई जानकारी आपके काम आएगी और पेरेनियम या वजायनल टीयरिंग को समझने में आसानी होगी। किसी भी तरह की शंका होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइसइलाज और जांच की सलाह नहीं देता।

[embed-health-tool-due-date]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

(Accessed on 13th November)

labor and delivery, postpartum care/https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/labor-and-delivery/expert-answers/preventing-vaginal-tearing-during-childbirth/faq-20416226/Accessed on 29/12/2021

WHO recommendation on techniques for preventing perineal trauma during labour/
https://extranet.who.int/rhl/topics/preconception-pregnancy-childbirth-and-postpartum-care/care-during-childbirth/care-during-labour-2nd-stage/who-recommendation-techniques-preventing-perineal-trauma-during-labour/Accessed on 29/12/2021

Perineal tearing/https://www.health.qld.gov.au/__data/assets/pdf_file/0024/142197/c-peritears.pdf/Accessed on 29/12/2021

Vaginal Tears During Childbirth/https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/21212-vaginal-tears-during-childbirth/Accessed on 29/12/2021

Does the Use of Dianatal Reduce the Rate of Episiotomy and Vaginal Tears in Birth?/
https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT02492152/Accessed on 29/12/2021

 

Current Version

29/12/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nidhi Sinha


संबंधित पोस्ट

प्रेग्नेंसी के दौरान खाने की लालसा और अरुचि की समस्या क्यों होती है?

प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस का असर पड़ सकता है भ्रूण के मष्तिष्क विकास पर


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/12/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement