पिछले 30 वर्षों में जुड़वां बच्चे (Twins) पैदा होने की संख्या 75 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इसके पीछे बढ़ते हुए इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स हैं। आईएसएआर (इंडियन सोसाइटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा कहते हैं, “इस समय सभी जुड़वां बच्चों में से लगभग 30-50% जुड़वां बच्चे (Twins) इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स के परिणामस्वरूप होते हैं।” इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ और आईएसएआर द्वारा मुंबई में आयोजित 113 जोड़ों के एक अध्ययन से पता चला है कि (ART) असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी के माध्यम से 45% प्रेग्नेन्सीज में ट्विन्स या ट्रिप्लेट्स हुए।
अगर कोई महिला जुड़वां बच्चे (Twins) से गर्भ धारण करना चाहती हैं, तो इसका कोई अचूक तरीका नहीं है लेकिन, कुछ आनुवांशिक कारक और चिकित्सीय उपचार हैं जो इस संभावना को बढ़ा सकते हैं।
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जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावनाओं को कैसे बढ़ाएं?
एक स्टडी के अनुसार अनहेल्दी खाने की आदत प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। वही, पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना बढ़ सकती है। डॉक्टरों की मानें तो जो महिला डेयरी उत्पादों का सेवन करती है, उसकी जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती है। कुल मिलाकर, कम वजन के लोगों में जुड़वां बच्चे (Twins) की संभावना कम होती है। अच्छे से पोषित होना या अधिक वजन का होना (एक स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाना), ट्विनिंग के अवसरों को बढ़ा सकता है। हेल्दी तरीके से वजन बढ़ाने के बारे में डॉक्टर से परामर्श लें।
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डेयरी और रतालू की खुराक लें
कुछ खाद्य पदार्थ जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना से जुड़े होते हैं। एक प्रमुख फर्टिलिटी स्पेस्लिस्ट द्वारा की गई एक रिसर्च में पाया गया है कि महिलाएं जो डेयरी उत्पादों का उपयोग करती हैं, उनमें ट्विन्स के साथ गर्भधारण करने की संभावना अन्य महिलाओं से पांच गुना अधिक होती है। दरअसल, एक ग्रोथ प्रोटीन (आईजीएफ), जो गाय के लिवर से रिलीज होता है, ऑव्युलेशन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। जिससे एक ही समय में एक से ज्यादा एग रिलीज की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जो महिलाएं एक बार में जुड़वां बच्चे (Twins) चाहती है वह डेयरी प्रोडक्ट्स लेने की मात्रा बढ़ा सकती हैं।
एक अफ्रीकी जनजाति जिसका आहार जंगली रतालू (yam) है। वहां देखा गया है कि जुड़वां बच्चे (Twins) होने की जन्म दर वैश्विक औसत से चार गुना अधिक है। दरअसल, रतालू में फाइटोएस्ट्रोजन (एक एस्ट्रोजन यौगिक) होता है जो एक महिला के फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) को बढ़ाता है और ऑव्युलेशन की उच्च दर को प्रेरित कर सकता है। इससे ऑव्युलेशन के दौरान ओवरीज से एक से अधिक एग प्रोड्यूस हो सकते हैं। जो आमतौर पर जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना बढ़ा देता है।
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गर्भनिरोधक दवा का सेवन बंद करें
हालांकि, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन प्रेग्नेंसी को अवॉयड करने के लिए किया जाता है लेकिन, यदि महिला इसका सेवन बंद कर देती है तो उसके गर्भ में जुड़वां बच्चे के चांसेज ज्यादा हो जाते हैं। दवा का सेवन बंद करने के बाद महिला के शरीर मे हार्मोनल परिवर्तन आते हैं और उसी दौरान अधिक अंडे रिलीज हो सकते हैं। संभवतः, इस दौरान गर्भ मे दो बच्चे होने की आशंका बढ़ जाती है। तो अगर आप जुड़वां बच्चे (Twins) चाहती हैं तो आज क्या अभी से गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन बंद कर दें।
कुछ फर्टिलिटी दवाएं
कुछ फर्टिलिटी दवाएं भी ट्विन्स होने की संभावना को बढ़ा देती हैं। क्लोमीफीन और गोनाडोट्रोपिन प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है। इनके उपयोग से यह संभावना रहती है कि ऑव्युलेशन के समय एक से अधिक अंडे रिलीज हो सकते हैं। इन दवाओं के उपयोग से पहले डॉक्टर से सलाह लें। हालांकि फर्टिलिटी दवाएं जुड़वां बच्चे (Twins) की संभावना को बढ़ाती है लेकिन बिना किसी के निर्देश के इसका सेवल करना खतरनाक हो सकता है।
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आईवीएफ
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जिसे “टेस्ट ट्यूब बेबीज” भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके दौरान डॉक्टर्स एग को शरीर से बाहर ही फर्टिलाइज करते है। आईवीएफ ट्रीटमेंट में जुड़वां बच्चों के होने की संभावना को 20% से 40% बढ़ा देता है। यह उपचार ट्विन्स करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। हालांकि, यह सस्ता ट्रीटमेंट नहीं है लेकिन, यह इन दिनों आम है। आईवीएफ प्रक्रिया कराने वाले पेरेंट को भी जुड़वां बच्चे (Twins) हो सकते हैं और इसके चांसेस काफी अधिक होते हैं।
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जुड़वां बच्चे होने की संभावना निर्धारित करने वाले कुछ कारक
आनुवंशिक कारक
यदि परिवार में पहले भी जुड़वां बच्चे (Twins) पैदा हुए हैं, तो गर्भवती महिला को ट्विन्स होने की संभावना दोगुना बढ़ जाती है। अगर महिला पहले से ही जुड़वां बच्चों की मां है, तो संभावना कम से कम चार गुना बढ़ जाती है।
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जातीयता
जाति एक अन्य कारक है जो महिलाओं मे जुड़वा बच्चे (Twins) होने की संभावना को बढ़ा सकता है। माना जाता है कि अफ्रीकी और यूरोपीय महिलाओं में जुड़वां बच्चे (Twins) ज्यादा होने की संभावना होती है। वहीं दूसरी ओर एशियाई और हिस्पैनिक जाति की महिलाओं में ट्विन्स की संभावना कम होती है।
उम्र अधिक होने पर बढ़ जाती है जुड़वां बच्चे की संभावना!
अध्ययनों के मुताबिक 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में जुड़वां बच्चों होने की संभावनाएं अधिक होती हैं क्योंकि अधिक उम्र की महिला के अंडाशय से एक से ज्यादा एग रिलीज होने लगते हैं। यदि उम्र 40 के आसपास हैं, तो संभावना सात प्रतिशत के आसपास होगी, 45 पर, यदि महिला गर्भवती होती है, तो संभावना 17% होती है। एक और कारण यह है कि बड़ी उम्र की महिलाओं में एफएसएच (फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन) नामक हार्मोन का स्तर अधिक होता है। जुड़वां बच्चे (Twins) होने के लिए उम्र भी बड़ा कारण है।
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लंबाई और वजन बढ़ा सकते हैं जुड़वा बच्चे की संभावना!
कुछ शोधकर्ताओं का दावा यह भी है कि जिन महिलाओं का कद एवं वजन औसत से अधिक होता है वह ट्विन्स होने की संभावना ज्यादा रखती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जो महिलाएं भरपूर पौष्टिक डायट लेती हैं, उन्हें जुड़वां बच्चे (Twins) होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। इसके अलावा लंबाई और वजन भी जुड़वां बच्चे (Twins) होने के लिए जरूरी प्वाइंट है।
जहां जुड़वां बच्चों के साथ, पेरेंटिंग का हर चरण चुनौतीपूर्वक हो जाता है वहीं खुशी भी दोगुनी हो जाती है। ट्विन्स की प्लानिंग के बारे में पहले डॉक्टर को बताएं और उनसे परामर्श लें क्योंकि हर महिला का स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति अलग होती है और हो सकता है ऊपर दी गई कोई जानकारी आपके मामले में लागू न हो। इसलिए, बच्चे और मां के अच्छे स्वास्थ्य के लिए डॉक्टरों के सुझावों का पालन करें।
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