मां के गर्भ में नौ महीनों तक धीरे-धीरे बच्चे के शरीर के सभी अंगों का धीरे-धीरे विकास होता है, लेकिन कई बार किन्हीं कारणों से शरीर के किसी अंग का सही विकास नहीं हो पाता है तो इस बारे में अक्सर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के समय बता देते हैं। कई बार भ्रूण की दोनों या एक किडनी का पूरा विकास नहीं हो पाता इस स्थिति को किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) कहते हैं। क्या है किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) के कारण, लक्षण और उपचार जानिए इस आर्टिकल में।
किडनी डिसप्लेसिया क्या है? (What is Kidney dysplasia)
किडनी डिसप्लेसिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भ में भ्रूण की एक या दोनों ही किडनी का सामान्य विकास नहीं हो पाता है। किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) को कई बार मल्टीसिस्टिक डिस्प्लास्टिक किडनी (Multicystic dysplastic kidney) या रीनल डिसप्लेसिया (Renal dysplasia) भी कहा जाता है। आमतौर पर हर किसी के शरीर में दो किडनी होती है जिनका साइज मुट्ठी जितना होता है। किडनी शरीर में मौजूद गैर जरूरी पदार्थों यानी अपशिष्ट को फिल्टर करके पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। किडनी शरीर के सही तरीके से काम करने में मदद करता है, यदि इसका सही विकास नहीं हो पाता है तो शरीर का संतुलन बिगड़ जाएगा, क्योंकि अपशिष्ट पदार्थ सही तरीके से शरीर से बाहर नहीं निकल पाएंगे। किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) की स्थिति में गर्भ में बच्चे की किडनी का सामान्य विकास नहीं हो पाता है। किडनी के सामान्य विकास के दौरान, यूरेटर्स (ureters) नामक दो पतली ट्यूब किडनी में विकसित होती हैं और यह ट्यूब या नलिका छोटी संरचनाओं का एक नेटवर्क बनाने के लिए शाखाओं की तरह निकलती हैं जिसे ट्यूब्यूल्स (Tubules) या नलिकाएं कहते हैं। भ्रूण के विकसित होने पर ट्यूब्यूल्स या नलिकाएं मूत्र इकट्ठा करती हैं। किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) में नलिकाएं छोटी-छोटी सरंचनाओं का नेटवर्क बनाने के लिए यह ब्रांच की बाहर नहीं निकल पातीं। ऐसे में नलिकाओं के जरिए पेशाब बाहर नहीं निकल पाता है और यह प्रभावित किडनी में ही एक एकत्र होता जाता है जिससे तरल पदार्थों से भरी एक थैली बन जाती है जिसे सिस्ट (cysts) कहते हैं। यह सिस्ट सामान्य किडनी टिशू की जगह ले लेते हैं और उसे अपना काम करने नहीं देतें। किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) बच्चे की एक या दोनों किडनी को प्रभावित कर सकती है। आमतौर पर दोनों किडनी प्रभावित होने पर शिशु जन्म के बाद जीवित नहीं रह पाता है और यदि कोई जीवित रह भी जाता है तो, उन्हें निम्न उपचार की जरूरत पड़ती है-
- बल्ड फिल्टरिंग ट्रीटमेंट (Blood-filtering treatments) जिसे डायलिसिस (Dialysis) कहते हैं
- किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant)
यदि किसी बच्चे की एक ही किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) से प्रभावित हुई है और दूसरी सामान्य रूप से काम कर रही है, तो उसे कुछ सालों तक डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) की जरूरत नहीं पड़ती।
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किडनी क्या है और यह क्या काम करती है? (Kidneys Function)
किडनी का आकार बीन जैसा होता है और प्रत्येक किडनी मुट्ठी के साइज की होती है। स्पाइन के एक तरफ यह रिब केज (Rib cage) के ठीक नीचे मौजूद होताहै। प्रतिदिन दोनों किडनी 120 से 150 क्वॉर्ट्स (Quarts) ब्लड को फिल्टर करती है, 1 से 2 क्वॉर्ट्स (quarts) मूत्र का उत्पदान करने के लिए। यह शरीर का अपशिष्ट पदार्थ होता है। बच्चों में मूत्र (Urine) का उत्पादन व्यस्कों की तुलना में कम होता है। पेशाब का उत्पदान उनकी उम्र पर निर्भर करता है। यूरीन किडनी से दो नलिकाओं के जरिए ब्लैडर में फ्लो होता है। ब्लैडर में यूरिन एकत्र हो रहता है। पेशाब एकत्र होने के दौरान ब्लैडर (Balder) की मसल्स रिलैक्स्ड रहती है। जब ब्लैडर की क्षमता जितना यूरीन (Urine) पूरा भर जाता है तो दिमाग को सिग्नल जाता है कि आसपास टॉयलेट तलाशे। इसके बाद ब्लैडर खाली हो जाता है। पेशाब शरीर से एक ट्यूब के जरिए बाहर आता है जिसे यूरेथ्रा (urethra) या मूत्राशय कहते हैं, यह ब्लैडर के नीचे स्थित होता है।
किडनी डिसप्लेसिया के कारण (Causes of kidney dysplasia)
जेनेटिक कारण (Genetic factors) किडनी डिसप्लेसिया के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। माता-पिता के जीन्स बच्चे में बीमारी के लक्षण निर्धारित करते हैं। शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करने वाले जेनेटिक सिंड्रोम (Genetic syndromes) के कारण भी किडनी डिसप्लेसिया हो सकता है। जेनेटिक सिंड्रोम के कारण किडनी डिसप्लेसिया से पीड़ित बच्चे में पाचन तंत्र, नर्वस सिस्ट्म (Nervous system), हार्ट (Heart), ब्लड वेसल्स (Blood vessels), मसल्स (Muscles), स्केलेटन (Skeleton ) और यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary tract) के दूसरे हिस्से में भी समस्या हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान यदि मां कुछ दवाएं ले रही हैं जैसे सिजर्स (Seizures) और हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) के लिए तो इससे भी बच्चे को किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कोकीन जैसे ड्रग्स के सेवन से भी अजन्मे बच्चे में किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) का खतरा रहता है।
किडनी डिसप्लेसिया कितना सामान्य है?
जानकारों के मुताबिक किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) आम स्थिति है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह प्रति 4000 में से एक बच्चे को प्रभावित करता है। यह अनुमान थोड़ा कम हो सकता है, क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित हर बच्चे में इसका निदान नहीं हो पाता है। किडनी डिसप्लेसिया का निदान होने वाले करीब आधे बच्चे यूरिनरी ट्रैक्ट डिफेक्ट (Urinary tract defects) से भी प्रभावित होते हैं।
किडनी डिसप्लेसिया का जोखिम किसे अधिक होता है? (Kidney dysplasia risk)
किडनी डिसप्लेसिया वैसे को किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसका खतरा उन बच्चों में अधिक होता है जिनके-
- माता-पिता में इस स्थिति के अनुवांशिक लक्षण (Genetic traits) होते हैं।
- खास तरह के जेनेटिक सिंड्रोम (Genetic syndromes) जो शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करते हैं।
- जिनकी मां प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ दवाओं या ड्रग्स का सेवन करती हैं।
किडनी डिसप्लेसिया के क्या लक्षण हैं? (Kidney dysplasia symptoms)
किडनी डिसप्लेसिया से पीड़ित ऐसे बच्चे जिनकी सिर्फ एक ही किडनी प्रभावित होती है, उनमें इस बीमारी क कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन कुछ मरीजों में लक्षण नजर आ सकते हैं, जिसमें शामिल है-
- प्रभावित किडनी का जन्म के समय बड़ा होना
- दर्द होना
- यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary tract) में असमान्यता जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infections) हो सकता है
- दुर्लभ मामलों में बच्चे को हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या हो सकती है
- यदि बच्चे को यूरिनरी प्रॉब्लम है जो सामान्य किडनी को प्रभावित कर रही है तो क्रॉनिक किडनी डिसीज (Chronic kidney disease ) और किडनी फेलियर (Kidney failure) हो सकता है।
किडनी डिसप्लेसिया से होने वाली जटिलताएं (Kidney dysplasia complications)
किडनी डिसप्लेसिया कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है जिसमें शामिल हैं-
- क्रियाशील किडनी की हाइड्रोनफ्रोसिस (Hydronephrosis)। यदि बच्चे की सिर्फ एक किडनी में डिसप्लेसिया की समस्या है तो उसमें दूसरे यूरिनरी ट्रैक्ट डिफेक्ट्स (urinary tract defects) हो सकते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाले अन्य दोष के कारण पेशाब शरीर से बाहर निकलने की बजाय वापस आ जाता है और इसके कारण किडनी और मूत्रवाहनियों में सूजन हो जाती है, इस स्थिति को हाइड्रोनफ्रोसिस (Hydronephrosis) कहते हैं। यदि इसका उपचार न किया जाए तो यह किडनी के काम करने की क्षमता को नुकसान पहुंचार उसकी ब्लड फिल्टर करने की क्षमता को कम करे देगा। किडनी को हुई क्षति के कारण क्रॉनिक किडनी डिसीज (Chronic kidney disease) और किडनी फेलियर (Kidney failure) का खतरा रहता है।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection (UTI)। जब पेशाब शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है तो बच्चे को यूटीआई का खतरा बढ़ जाता है। बार-बार यूटीआई होने से किडनी डैमेज (Kidney damage) हो सकती है।
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
- किडनी कैंसर (Kidney cancer) होने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है।
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किडनी डिसप्लेसिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of kidney dysplasia)
डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान किडनी डिसप्लेसिया का निदान अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) के जरिए करता है। अल्ट्रासाउंड गर्भ में बच्चे की तस्वीरों के जरिए उनके विकास का पता लगाने के लिए किया जाता है।
कई बार अल्ट्रासाउंड इमेज (Ultrasound image) के दौरान डॉक्टर को गर्भ में बच्चे कि किडनी में कुछ असमान्यता दिख सकती है। हालांकि, अल्ट्रासाउंड में हमेशा किडनी डिसप्लेसिया का पता नहीं चल पाता है, जब तक की बच्चे का जन्म न हो जाए। रूटीन अल्ट्रासाउंड या चेकअप के दौरान डॉक्टर को इस स्थिति का पता चल सकता है। आमतौर पर किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) एक ही किडनी में होता है। ऐसी स्थिति में बच्चे में कम से कम लक्षण दिखते हैं और बढ़ने के साथ उन्हें समस्याएं भी कम होती है। यदि किडनी डिसप्लेसिया से दोनों किडनी प्रभावित है तो उपचार और निगरानी की जरूरत है। यह भी हो सकता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण जिंदा न रहे।
डॉक्टर सिर्फ जन्म से पहले ही नहीं, बल्कि जन्म के बाद भी किडनी डिसप्लेसिया केलिए बच्चे की जांच करता है। आमतौर पर यूटीआई (UTI) या दूसरी स्वास्थ्य स्थितियों की जांच के समय किडनी डिसप्लेसिया का निदान किया जाता है। इसका पता लगाने के लिए जन्म के बाद बच्चे का अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है।
किडनी डिसप्लेसिया का क्या उपचार है? (Kidney dysplasia treatment)
यदि नवजात शिशु की सिर्फ एक किडनी ही प्रभावित हुई है और उसमें कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे, तो उसे किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि बच्चे को नियमित चेकअप की जरूरत होती है जिसमें शामिल है-
- ब्लड प्रेशर (Blood pressure) की जांच
- किडनी की कार्यप्रणाली की जांच के लिए ब्लड टेस्ट
- एल्बुमिन (Albumin) के लिए पेशाब की जांच, यह एक तरह का प्रोटीन (Protien) है जो ब्लड में मिलता है। पेशाब में इसकी मौजूदगी किडनी डैमेज (Kidney damage) का संकेत है।
- पीरियोडिक अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) के जरिए प्रभावित किडनी की निगरानी की जाती है और जो किडनी काम कर रही है उसके स्वास्थ्य और विकास की जांच की जाती है।
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क्या किडनी डिसप्लेसिया से बचाव किया जा सकता है? (Prevention of kidney dysplasia)
शोधकर्ताओं को जेनेटिक कारणों और जेनेटिक सिंड्रोम की वजह से होने वाले किडनी डिसप्लेसिया से बचाव का कोई तरीका नहीं मिल पाया है। प्रेग्नेंट महिला (Pregnant woman)) कुछ तरह की दवाओं और ड्रग्स से परहेज करके किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) से बचाव कर सकती हैं। प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की दवा खाने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
किडनी डिसप्लेसिया (Kidney dysplasia) बहुत गंभीर स्थिति है, लेकिन आपके बच्चे कि यदि सिर्फ एक किडनी ही इससे प्रभावित है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद वह स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकता है। यदि दोनों किडनी प्रभावित है तो डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है और उसे हमेशा डॉक्टर की निगरानी में रखना होगा।
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