आपने कई बार सुना होगा कि मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे के लिए अमृत होता है। लेकिन अगर डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना हो तो क्या किया जाए? डिलिवरी के बाद भी ब्रेस्ट मिल्क का ना होना खुद में एक बड़ी समस्या है। इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है। डिलिवरी के बाद भी दूध ना होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका इलाज भी संभव है। क्योंकि बच्चे के लिए छह महीने तक मां का दूध ही जरूरी होता है। इसलिए हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना होने के कारण क्या हैं, इसका उपाय क्या है?
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डिलिवरी के बाद स्तनों में दूध कैसे होता है?
डिलिवरी के बाद स्तनों में दूध होने के पीछे कई हॉर्मोन जिम्मेदार होते हैं। प्रोलैक्टिन, ऑक्सीटोसिन, इन्सुलिन नामक हॉर्मोन डिलिवरी के बाद स्तनों में दूध बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये हॉर्मोन डिलिवरी के 30 से 40 घंटे बाद स्तनों में दूध की सप्लाई शुरू करते हैं। वहीं, प्रोजेस्ट्रॉन नामक हॉर्मोन ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई में बाधा बनता है।
डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना होने का कारण क्या हैं?
हैलो स्वास्थ्य ने इस संबंध में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के काशी मेडिकेयर की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. शिप्रा धर से बात की। डॉ. शिप्रा का कहना है कि “डिलिवरी के तुरंत बाद मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे जन्म से आधे से एक घंटे के अंदर बच्चे को देना जरूरी होता है। लेकिन आजकल देखा गया कि डिलिवरी के बाद महिलाओं में दूध का निर्माण ही नहीं हो रहा है। इसका कारण आज की लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, खानपान, हॉर्मोनल चेंजेस आदि है। ऐसे में महिला को गर्भावस्था से ही खुद पर ध्यान देना चाहिए, जिससे डिलिवरी के बाद बच्चे के लिए पर्याप्त दूध बन सके।”
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डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना होने के निम्न कारण हैं :
लाइफस्टाइल के कारण
जैसा कि सभी को पता है कि गर्भावस्था एक नाजुक दौर है। इस दौरान अपनी लाइफस्टाइल का खास ध्यान रखना चाहिए। स्मोकिंग, एल्कोहॉल, ड्रग्स, कैफीन, असंतुलित आहार का सेवन खराब लाइफस्टाइल का उदाहरण है। जिससे डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है।
स्ट्रेस हो सकती है एक वजह
शायद ही ऐसा कोई होगा, जो आजकल स्ट्रेस से ना गुजरा हो। स्ट्रेस हमारी भगदौड़ भरी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। ये लोगों के संपर्क में कम आने से और अपनी बातें ना शेयर कर पाने के कारण होता है। वहीं, ये तब और ज्यादा खतरनाक हो जाता है, जब स्ट्रेस किसी गर्भवती महिला को हो। क्योंकि इसका असर सीधा बच्चे पर होता है। डिलिवरी के बाद भी स्ट्रेस के कारण ही महिला के स्तनों में दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता है। स्ट्रेस ही आगे चल कर डिप्रेशन, एंग्जायटी आदि मानसिक समस्याओं में बदल जाता है।
हॉर्मोन के असंतुलन के कारण
जैसा कि डॉ. शिप्रा ने पहले ही बताया कि हॉर्मोन के असंतुलन के कारण भी ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है। कई बार थायरॉइड के असंतुलन के कारण भी ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है। थायरॉइड हॉर्मोन, थायरॉइड ग्लैंड से निकलता है। थायरॉइड ग्लैंड तितली के आकार की गले में पाई जाने वाली एक ग्रंथि है। वहीं, प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन की कमी के कारण भी स्तनों में दूध नहीं बन पाता है। वहीं, कई बार प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन नामक हॉर्मोन बच्चे से लगाव पैदा करता है, जिस कारण से स्तनों में दूध बनता है। इस हॉर्मोन की कमी से भी ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है।
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डिलिवरी में होने वाली परेशानियों के कारण
कई बार डिलिवरी को दौरान होने वाली समस्याएं भी ब्रेस्ट मिल्क ना होने के लिए जिम्मेदार हैं। कई बार डिलिवरी के वक्त ज्यादा ब्लीडिंग होने से ट्रॉमैटिक डिलिवरी होने का खतरा रहता है। ट्रॉमैटिक डिलिवरी के लिए कई बार स्ट्रेस जिम्मेदार होता है। डिलिवरी के बाद ज्यादा ब्लीडिंग होने से ब्रेस्ट मिल्क बनाने वाले हॉर्मोन में कमी आती है, जिससे ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है। इसे शिहांस सिंड्रोम (Sheehan’s Syndrome) भी कहते हैं।
डिलिवरी के बाद प्लेसेंटा के अंश गर्भाशय में रह जाने के कारण
बच्चे की डिलिवरी के बाद प्लेसेंटा को पूरी तरह से मां के गर्भाशय से निकाल दिया जाता है। लेकिन जब प्लेसेंटा का थोड़ा अंश गर्भाशय में रह जाता है तो इसके कारण मां के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं। जिसके कारण मां को डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क नहीं हो पाता है। क्योंकि ये हॉर्मोनल बदलाव मिल्क प्रोडक्शन में बाधा बनते हैं। इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एक बार जब डॉक्टर प्लेसेंटा का बचा हुआ अंश निकाल देगा तो फिर से हॉर्मोन ठीक हो जाएगा और मिल्क प्रोडक्शन करने लगेगा।
बच्चे द्वारा स्तनों को सही से ना पकड़ पाने के कारण
कई बार बच्चों में लैचिंग की दिक्कत होती है। इस कारण भी मां से स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट कम बन पाने के कारण भी डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क नहीं हो पाता है। कई बार नवजात बच्चों में टंग टाई की प्रॉब्लम होती है। टंग टाई में बच्चे की जीभ मुंह निचले हिस्से से जुड़े होने के कारण बच्चा सही से लैच नहीं कर पाता है। इसके अलावा ऐसा भी देखा गया कि मां के निप्पल बहुत छोटे होने या बहुत बड़े होने के कारण भी बच्चा उन्हें सही से लैच नहीं कर पाता है। जिससे ब्रेस्टफीडिंग कराने में ही समस्या आती है।
प्रीमेच्योर बर्थ भी है डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना होने का कारण
यूं तो दूसरी तिमाही के अंत तक महिला के स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन अगर इसी दौरान प्रीमेच्योर बर्थ हो जाती है तो भी ब्रेस्ट मिल्क निर्माण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है। ऐसे में कुछ वक्त गुजरने के बाद ही मां के स्तनों से दूध निकल पाता है। इसके लिए आप ब्रेस्ट मिल्क पंप कैा इस्तेमाल कर सकती हैं। ब्रेस्ट मिल्क पंप से दूध निकलने में मदद मिलती है।
गर्भनिरोधक दवाओं के कारण
ज्यादातर बर्थ कंट्रोल दवाएं हॉर्मोन में बदलाव के लिए जिम्मेदार होती हैं। ऐसे में डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बनाने के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन भी गर्भनिरोधक दवाओं के कारण ही बनने रूक सकते हैं। जिससे डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बनने में समस्या होती है।
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डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना बनने पर क्या करें?
डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क नहीं बनने पर आप निम्न टिप्स को अपना सकती हैं :
ब्रेस्ट का मसाज करें
सर्कुलर और अप-डाउन मोशन में ब्रेस्ट का मसाज करने से ब्रेस्ट में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है। जिससे मैमरी ग्लैंड्स भी स्टीम्यूलेट होती हैं। इसलिए मसाज के बाद कई बार ब्रेस्ट मिल्क बनने में मदद मिलती है।
हाथों से निकालें ब्रेस्ट मिल्क
डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क ना होने पर हाथों से रोजाना ब्रेस्ट मिल्क निकालने पर दूध बनने में मदद मिलती है। हैंड एक्सप्रेस करने से ब्रेस्ट मिल्क जल्दी बनता है।
स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट पर दें ध्यान
कई बार स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट ना हो पाने के कारण भी डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है। ऐसे में बच्चे को अपने स्तनों पर पेट के बल लिटाएं और बच्चे को ब्रेस्ट पर उसकी स्किन टच होने दें। इससे ब्रेस्ट मिल्क बनने में मदद मिलेगी। इस टेक्निक से ब्रेस्ट मिल्क जल्दी बनने में मदद मिलती है।
बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाएं ना खाएं
कई बार हम खुद ही डॉक्टर बनने लगते हैं, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में ये दवाएं डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बनने में बाधा पैदा कर सकती हैं।
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इस तरह से आप ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन में मदद पा सकते हैं। हमेशा याद रखें कि डिलिवरी के बाद भी ब्रेस्ट मिल्क किसी बीमारी की कारण नहीं हो सकता है, लेकिन किसी बीमारी के कारण जरूर हो सकता है। उम्मीद है कि आप इस आर्टिकल से संतुष्ट होंगे। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल जानकारी नहीं दे रहा है।
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