नवजात बच्चे को कब्ज है ये बात तो बच्चा खुद नहीं बताएगा। ऐसे में बच्चे के शारीरिक गतिविधि और लक्षणों के आधार पर आप पता कर सकती हैं कि बच्चे को कब्ज है या नहीं। आइए जानते हैं कि नवजात बच्चे में कब्ज के लक्षण क्या हो सकते हैं?
- चार से पांच दिन बाद पॉटी करना
- मल त्याग करने में दिक्कत होना
- पॉटी करने की फ्रीक्वेंसी में कमी आना
- पॉटी का टाइट होना
- कई बार स्टूल पास करते वक्त ब्लीडिंग होना
- बच्चे के पेट का टाइट होना या बच्चे का असहज महसूस करना
- पॉटी ना करने पर या करने के दौरान बच्चे का लगातार रोना
- बच्चे की पाॅटी छोटे कंकड़ की तरह कठोर होना
उपरोक्त बताए गए लक्षणों के आधार पर कोई भी मां बच्चे को कब्ज है या नहीं ये समझ सकती हैं। अगर फिर भी आपको बच्चे की समस्या समझ में ना आए तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
नवजात बच्चे को कब्ज होने का कारण क्या है?
डॉ. बिरजदार ने कहा कि “छह महीने तक शिशु मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। ज्यादा दूध पीना भी कब्ज का एक कारण होता है। छह महीने की अवधि पूरा करने के बाद शिशु को अन्य सॉलिड फूड या खाना ना खिलाने से कब्ज हो सकता है। दूध में कैल्शियम होता है, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व का अधिक मात्रा में शिशु की बॉडी में जाने से पॉटी सख्त हो जाता है।”
डॉक्टर ने बताया कि “शिशु की बॉडी में पानी की कमी से पॉटी टाइट हो सकती है, जिससे कब्ज की समस्या पैदा हो सकती है। इसके अलावा, बच्चों को डायट में फल और सब्जियां ना देने से भी कब्ज हो सकता है, क्योंकि फल और सब्जियों में फाइबर होता है। फाइबर पॉटी को मुलायम बनाने का कार्य करता है। इसके अलावा, अगर बच्चा बड़ा हो गया है और वह सिर्फ नॉनवेज डायट पर रहता है, तो भी कब्ज हो सकता है।”
डॉ. बिरजदार के अनुसार “इन सभी कारणों के अलावा बच्चे की आंत में भी परेशानी हो सकती है, जो इंटेस्टाइन के कार्य में अवरोध पैदा करती है। स्टूल पास करने वाले एरिया में इंजरी या सफाई करते वक्त उसे रगड़ने से उस हिस्से को नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से वहां दर्द पैदा होता है और बच्चा कई दिनों तक स्टूल को रोके रखता है।”
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