गर्भावस्था से पहले डॉक्टर महिला और पुरुष दोनों के सेहत की जांच करते हैं जिसे प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप कहते हैं। प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप से हेल्थ एक्सपर्ट यह समझने की कोशिश करते हैं की कपल (हसबैंड या वाइफ) किसी शारीरिक परेशानी या बीमारी से पीड़ित तो नहीं हैं। क्योंकि बीमारी की वजह से गर्भधारण करने में या गर्भधारण के बाद मां और शिशु को परेशानी भी हो सकती है।
प्रेग्नेंसी प्लानिंग से पहले प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप क्यों करवाना चाहिए?
गर्भावस्था से पहले का चेकअप यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि महिला स्वस्थ और शारीरिक रूप से बच्चे का पालन-पोषण करने के लिए तैयार हैं या नहीं। प्री-प्रग्नेंसी चेकअप से शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी के साथ-साथ अन्य शारीरिक परेशानी का पता चल जाता है। जिसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप की मदद से डायबिटीज या मिसकैरिज जैसे खतरों से बचा जा सकता है। यही नहीं भविष्य में होने वाली शारीरिक परेशानी की भी जानकारी मिल सकती है। यहां हम महिलाओं के प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप के बारे में बता रहे हैं।
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प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप में किन चीजों की जांच की जाती है?
गर्भावस्था के पहले प्रेग्नेंसी चेकअप में निम्नलिखित चीजों की जांच की जाती है। इनमें शामिल हैं।
1. वेट चेकअप
वेट चेकअप में शरीर के अनुसार जो महिला गर्भधारण करने वाली है उसका वजन कितना होना चाहिए? ये बताया जाता है। बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के अनुसार एक स्वस्थ महिला का BMI 18.5 से 22.9 होना चाहिए। बॉडी वेट के अनुसार डॉक्टर डायट या दवा लेने की सलाह दे सकते हैं।
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2. मानसिक सेहत की जांच
मानसिक या मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम जैसे एंग्जाइटी डिसऑर्डर या ईटिंग डिसऑर्डर जैसी परेशानी होने पर गर्भधारण में समस्या हो सकती है। ऐसे में अत्यधिक मूड स्विंग की समस्या होगी। इसलिए इस दौरान मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग की जाती है।
3. यूरिन टेस्ट
प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान यूरिन टेस्ट भी किया जाता है। इससे यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन और किडनी से जुड़ी परेशानियों को समझा जा सकता है।
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4. गायनोकोलॉजिकल स्क्रीनिंग
गायनोकोलॉजिकल स्क्रीनिंग की मदद से यूटराइन फाइब्रॉइड्स, सिस्ट, ट्यूमर या कोई अन्य पेल्विस इंफ्लमेटरी डिजीज (PID) की जानकारी मिल सकती है। इससे अनियमित पीरियड्स (मासिक धर्म), PCOS (पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन सिंड्रोम) या कोई अन्य गर्भाशय संबंधी समस्या की भी जानकारी मिल सकती है।
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5. ब्रेस्ट, पेल्विस और एब्डॉमिन चेकअप
प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप के वक्त ब्रेस्ट की जांच की जाती है। इससे ब्रेस्ट में लंप की जानकारी मिल सकती है। पेल्विस एग्जामिन से यीस्ट या ट्रीकॉमोनिएसिस जैसी परेशानी की जानकारी मिल जाती है। वहीं एब्डॉमिन एग्जामिन से फिजिकल अनामोलिएस (Anamolies) जैसी अन्य जानकरी मिल जाती है।
6. ब्लड प्रेशर की जांच
मां बनने वाली महिला का ब्लड प्रेशर नॉर्मल या हाई है इसकी जानकारी मिल जाती है। इसके बाद दोनों स्थितियों में डॉक्टर इसको कंट्रोल करने के तरीकों के बारे में बताता है।
7. PAP टेस्ट
PAP टेस्ट में डॉक्टर स्पेक्यूलम से सर्विक्स की जांच करते हैं। इस टेस्ट से HIV जैसे अन्य सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) की भी जानकारी मिल जाती है।
8. ब्लड टेस्ट
प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान निम्नलिखित ब्लड टेस्ट किए जाते हैं।
- विटामिन-डी की डेफिशिएंसी
- हीमोग्लोबिन काउंट
- Rh फैक्टर
- रूबेला
- ट्यूबरक्लोसिस
- हेपेटाइटिस-बी
- टोक्सोप्लाज्मोसिस
- थायरॉइड फंक्शन
- सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD)
- जेनेटिक कंडीशन
- अगर सिस्ट, फाइब्रोसिस, थैलेसीमिया या डाउन सिंड्रोम की समस्या है तो इसकी जानकरी चेकअप के दौरान डॉक्टर को दें।
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9. गर्भनिरोधक की जानकारी दें
10. पहले हो चुकी हैं प्रेग्नेंट
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