प्रेग्नेंट महिलाओं को आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान बहुत सी सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान मां की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। इस दौरान महिलाओं को कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है। उन्हीं में से एक बीमारी है मलेरिया। यह मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है। वैसे तो यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। इसमें मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की जान को खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी में मलेरिया होने पर बिना समय गंवाए चिकित्सक से जांच करानी चाहिए। इलाज में देरी होने पर अबॉर्शन कराने की स्थिति भी बन सकती है।
गर्भावस्था में मलेरिया होने पर क्या करें इससे पहले समझते हैं मलेरिया क्या है?
मलेरिया मच्छरों से पैदा होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। मलेरिया फीमेल एनोफिलीस मच्छर (Female Anopheles mosquito) से इंसानों तक पहुंचाता है। अब वो चाहें गर्भवती महिला ही क्यों न हों। मलेरिया प्लासमोडियम पैरासाइट्स के कारण होता है। प्लास्मोडियम पैरासाइट्स के 100 से भी ज्यादा प्रकार हैं। हर एक प्रकार अलग-अलग स्पीड से खुद को रेप्लीकेट करते हैं जिसके कारण लक्षण भी तेजी से बढ़ने लगते हैं और पीड़ित व्यक्ति कम वक्त में ही संक्रमित हो जाता है।
प्लास्मोडियम पैरासाइट्स के पांच अलग-अलग प्रकार इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं। मलेरिया के इन अलग-अलग प्रकार गंभीर कारण भी बन सकते हैं। एक बार जब एक संक्रमित मच्छर एक इंसान को काटता है तो पैरासाइट्स रेड ब्लड सेल्स (RBC) को संक्रमित करने और खत्म करने से पहले व्यक्ति के लिवर में अपनी संख्या या संक्रमण को तेजी से फैलाने में सफल हो जाता है।
प्रेग्नेंसी में मलेरिया होने के कारण
मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो ‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट के जरिए फैलता है। यह बीमारी संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है कई शोध में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है कि नॉन प्रेग्नेंट महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंट महिलाओं को यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है। मलेरिया पैरासाइट के चार प्रकार होते हैं। प्लास्मोडियम वाइवैक्स, प्लास्मोडियम फैल्सिपैरम, प्लास्मोडियम ओवेल और प्लास्मोडियम मलेरी। प्रेग्नेंसी में मलेरिया होने के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं:
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रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना (Loss of immunity)
इम्युनोग्लोबुलिन संश्लेषण में कमी के कारण गर्भावस्था में महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस वजह से गर्भवती महिला मलेरिया की चपेट में आसानी से आ जाती है।
नया अंग प्लेसेंटा (The new organ placenta)
आपके शरीर के अंदर बढ़ने वाला एक नया अंग है। यह संक्रमण को प्रतिरक्षा चक्र से गुजरने की अनुमति देता है।
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प्रेग्नेंसी में मलेरिया के लक्षण (Symptoms Of Malaria In Pregnancy)
शुरुआत में मलेरिया के लक्षण वायरल इंफेक्शन की तरह लगते हैं। इस इंफेक्शन का पता सिर्फ बल्ड टेस्ट के जरिए लगाया जा सकता है। गर्भावस्था में मलेरिया के निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:
- तेज बुखार और पसीना या ठंड लगना (High fever and sweating or feeling chills)
- जी मिचलाना (Nausea)
- उल्टी आना (Vomiting)
- कफ की समस्या (Cough)
- सिरदर्द होना (Headache)
- मांसपेशियों में दर्द (Muscle pain)
- डायरिया की समस्या (Diarrhea)
- पीलिया की बीमारी (Jaundice)
- सांस लेने में परेशानी होना (Respiratory distress)
- तिल्ली का बढ़ना (enlargement of the spleen)
- शरीर का पीला पड़ना (pale appearance)
समय पर मलेरिया के लक्षणों की पहचान करना जरूरी है। इसलिए ऊपर बताए गए किसी लक्षण के प्रति लापरवाही न बरतें क्योंकि देरी होने पर मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
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इसलिए प्रेग्नेंसी में मलेरिया है खतरनाक
प्रेग्नेंसी में मलेरिया होने से गर्भपात होने का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं मलेरिया के कारण गर्भवती महिलाओं में एनीमिया (Anemia), किडनी या कई महत्वपूर्ण अंगों के फेल होने की संभावना भी रहती है जिसके चलते मां और बच्चे दोनों की जान भी जा सकती है। इसलिए प्रग्नेंसी में मलेरिया के लक्षण नजर आए तो किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इस अवस्था में गर्भवती महिला को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। गर्भावस्था में मलेरिया होने से निम्न परेशानियां हो सकती हैं:
- गर्भपात (miscarriage)
- समय से पहले डिलिवरी (premature delivery)
- जन्म के वक्त शिशु के वजन मे कमी होना (low birth weight)
- जन्मजात संक्रमण (congenital infection)
- बच्चे के जन्म के बाद मृत्यु हो जाना (perinatal death)
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प्रेग्नेंसी में मलेरिया होने से महिला को निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं:
मलेरिया को सरल और गंभीर संक्रमण में वर्गीकृत किया गया है। सरल मलेरिया संक्रमण में सिरदर्द, बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण नजर आते हैं। ये बुखार हर दो से तीन दिनों में छह से दस घंटे तक रहता है।
गंभीर मलेरिया एक जानलेवा संक्रमण है जो एनीमिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सेरेब्रल मलेरिया और शरीर के किसी अंग को डैमेज कर सकता है। प्रेग्नेंसी में मलेरिया से निम्नलिखित कॉम्पलिकेशन हो सकती हैं:
एनीमिया (Anemia): एक बार प्लास्मोडियम फैल्सिपैरम ब्लड को इंफेक्ट कर दे तो हेमोलाइसिस हो जाता है। इसमें रेड ब्लड सेल्स की अत्यधिक कमी हो जाती है जिससे एनीमिया हो जाता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक होता है।
एक्यूट पल्मोनरी एडीमा (Acute pulmonary edema): ये एनीमिया का एक गंभीर रूप है जो दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान हो सकता है। यह गंभीर चिकित्सा स्थिति है जिसमें फेफड़ों में तरल पदार्थ का रिसाव होता है।
हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia): इस मेडिकल स्थिति में ब्लड शुगर लेवल अत्यधिक कम हो जाता है।
रीनल फेलियर (Renal failure): प्रेग्नेंसी में मलेरिया इंफेक्शन से होने वाले जोखिम में यह भी एक है। मलेरिया में डीहाइड्रेशन से रीनल फेलियर हो जाता है। इसका इलाज करते वक्त पेशेंट को लिक्विड डायट पर रखा जाता है। जरूरत पड़ने पर डायलसिस भी किया जाता है।
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प्रेग्नेंसी में मलेरिया का परीक्षण (Diagnosis Of Malaria In Pregnancy)
प्रेग्नेंसी में मलेरिया की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में डॉक्टर मलेरिया का पता लगाने के लिए नीचे बताए टेस्ट में से कोई कराने की सलाह दे सकता है:
- ब्लड स्मीयर टेस्ट (Blood smear test): इसमें ब्लड की एक बूंद को माइक्रोस्कोपिक स्लाइड में फैलाकर देखा जाता है। पैरासाइट का पता लगाने के लिए सैंपल का परीक्षण किया जाता है। यह गर्भावस्था में मलेरिया के निदान के लिए एक मानक परीक्षण है।
- रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (Rapid diagnostic test): यह टेस्ट मरीज के खून से मलेरिया एंटीजेन्स का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में कितने रेड ब्लड सेल्स इंफेक्टेड हैं यह पता लगाया जाता है। यह ज्यादातर वहां किया जाता है जहां माइक्रोस्कोपी नहीं होता है।
- डिटेक्शन ऑफ हेमोजोइन (Detection of hemozoin)
- पॉलीमेरेस चेन रिएक्शन (Polymerase chain reaction)
- हिस्टोलोजिकल एग्जामिनेशन (Histological examination)
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गर्भावस्था में मलेरिया का इलाज (Treatment Of Malaria In Pregnancy)
गर्भावस्था में मलेरिया होने पर बिना देरी इलाज कराने की जरूरत होती है। इसके ट्रीटमेंट में एंटीमलेरियल ड्रग्स दिए जाते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान मलेरिया का सरल संक्रमण का इलाज:
पहले तीन महीने: डब्ल्यूएचओ ने पहली तिमाही के दौरान गर्भावस्था के मलेरिया के मामले में कुनैन (quinine) और क्लिंडामाइसिन (clindamycin) को साथ में लेने का रिकमेंड किया है। पहली तिमाही के बाद यदि मलेरिया होता है तो आर्टेमीसीनिन कॉम्बीनेशन थेरिपी (artemisinin combination therapy) को बेहतर ट्रीटमेंट बताया है।
प्रेग्नेंसी के दौरान मलेरिया के गंभीर संक्रमण का इलाज:
पहले तीन महीने में इसमें आर्टेसुनेट (artesunate) और कुनैन (quinine) लेने की सलाह दी जाती है। तेज बुखार से राहत पाने के लिए पैरासिटामोल रिकमेंड की जाती है। यह दवा 4 से 6 घंटे के लिए बुखार उतारने का काम करती है। दिन में इस दवा को तीन से चार बार लिया जा सकता है। ट्रीटमेंट के दौरान न तो कम पानी पिएं न ही ज्यादा। कमजोरी न हो इसके लिए पर्याप्त डायट लें।
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प्रेग्नेंसी में मलेरिया से बचाव के लिए इन टिप्स को करें फॉलो (Prevention Of Malaria In Pregnancy)
क्योंकि यह बीमारी मच्छरों से होती है इसलिए इस बात का आपको ध्यान रखना होगा कि किस तरह मच्छरों को दूर रखा जाए।
- अपने आस-पास सफाई रखें। मच्छरों को पनपने का माहौल न दें। घर के आस-पास पानी न ठहरा हो। ऐसी जगह अक्सर मच्छर पनपते हैं।
- हमेशा पूरे कपड़े पहनें जिससे कि आपका शरीर पूरी तरह ढंका रहे। मच्छरदानी का इस्तेमाल जरूर करें।
- मच्छर गहरे रंग की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। इसलिए गहरे रंग के कपड़े एवॉइड करें। हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- शाम होते ही घर की खिड़कियां बंद कर दें ताकि बाहर से मच्छर अंदर ना आ सकें।
- शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिनभर तरल पदार्थ का सेवन करें। अपनी दिनचर्या में जूस और नारियल पानी को शामिल करें।
- मच्छर को भगाने के लिए कॉइल या ऑइंमेंट का उपयोग करें।
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हैलो स्वास्थय की टीम ने 33 वर्षीय शिल्पा सिंह से इस बारे में बात की तो शिल्पा यह समझना चाहती हैं की क्या प्रेग्नेंसी के दौरान घरों में कैमिकल मॉस्किटो रिपेलेंट का छिड़काव करवाना चाहिए। दरअसल शिल्पा इस समय गर्भवती हैं और कोई भी संक्रमण न फैले इसलिए वो सचेत रहना चाहती हैं। रिसर्च और स्वास्थय विशेषज्ञों की मानें तो कैमिकल मॉस्किटो रिपेलेंट का छिड़काव सुरक्षित होता है। इसलिए इस दौरान मच्छरों के प्रभाव को खत्म करने के लिए यह विकल्प अवश्य अपनाना चाहिए। अगर गर्भवती महिला अस्थमा या अन्य एलर्जी जैसी परेशानियों से पीड़ित रहती हैं, तो छिड़काव के दौरान कुछ वक्त के लिए अलग स्थान पर चली जाएं तो बेहतर होगा।
प्रेग्नेंसी में महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है जिससे इंफेक्शन के होने की संभावना अधिक रहती है। यदि आप प्रेग्नेंट हैं और आपको मलेरिया के कोई लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। समय पर चिकित्सक को दिखाने से आप वक्त रहते स्थिति कंट्रोल में रख सकते हैं। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी में मलेरिया से जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश की गई है।
अगर आप प्रेग्नेंसी में मलेरिया से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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