प्रेग्नेंसी में मलेरिया की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में डॉक्टर मलेरिया का पता लगाने के लिए नीचे बताए टेस्ट में से कोई कराने की सलाह दे सकता है:
- ब्लड स्मीयर टेस्ट (Blood smear test): इसमें ब्लड की एक बूंद को माइक्रोस्कोपिक स्लाइड में फैलाकर देखा जाता है। पैरासाइट का पता लगाने के लिए सैंपल का परीक्षण किया जाता है। यह गर्भावस्था में मलेरिया के निदान के लिए एक मानक परीक्षण है।
- रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (Rapid diagnostic test): यह टेस्ट मरीज के खून से मलेरिया एंटीजेन्स का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में कितने रेड ब्लड सेल्स इंफेक्टेड हैं यह पता लगाया जाता है। यह ज्यादातर वहां किया जाता है जहां माइक्रोस्कोपी नहीं होता है।
- डिटेक्शन ऑफ हेमोजोइन (Detection of hemozoin)
- पॉलीमेरेस चेन रिएक्शन (Polymerase chain reaction)
- हिस्टोलोजिकल एग्जामिनेशन (Histological examination)
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गर्भावस्था में मलेरिया का इलाज (Treatment Of Malaria In Pregnancy)
गर्भावस्था में मलेरिया होने पर बिना देरी इलाज कराने की जरूरत होती है। इसके ट्रीटमेंट में एंटीमलेरियल ड्रग्स दिए जाते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान मलेरिया का सरल संक्रमण का इलाज:
पहले तीन महीने: डब्ल्यूएचओ ने पहली तिमाही के दौरान गर्भावस्था के मलेरिया के मामले में कुनैन (quinine) और क्लिंडामाइसिन (clindamycin) को साथ में लेने का रिकमेंड किया है। पहली तिमाही के बाद यदि मलेरिया होता है तो आर्टेमीसीनिन कॉम्बीनेशन थेरिपी (artemisinin combination therapy) को बेहतर ट्रीटमेंट बताया है।
प्रेग्नेंसी के दौरान मलेरिया के गंभीर संक्रमण का इलाज:
पहले तीन महीने में इसमें आर्टेसुनेट (artesunate) और कुनैन (quinine) लेने की सलाह दी जाती है। तेज बुखार से राहत पाने के लिए पैरासिटामोल रिकमेंड की जाती है। यह दवा 4 से 6 घंटे के लिए बुखार उतारने का काम करती है। दिन में इस दवा को तीन से चार बार लिया जा सकता है। ट्रीटमेंट के दौरान न तो कम पानी पिएं न ही ज्यादा। कमजोरी न हो इसके लिए पर्याप्त डायट लें।