ईटिंग डिसऑर्डर मानसिक विकार है। एनोरेक्सिया नर्वोसा (anorexia nervosa), बुलिमिया नर्वोसा (bulimia nervosa) और अधिक खाने का विकार ( binge-eating disorder) शामिल है। ईटिंग बिहेवियर के बदलने से शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है। ईटिंग डिसऑर्डर के कारण व्यक्ति अधिक मात्रा में खाता है और बॉडी शेप बिगड़ जाता है। इस कारण से शरीर से सही मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है। इस विकार के कारण हार्ट डिजीज, डायजेस्टिव डिजीज, बोन्स और माउथ और साथ ही अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। अगर आप खाना न खाने का बहाना ढूंढ़ रहे हैं या फिर अधिक मात्रा खा रहे हैं, तो आपको डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। अधिक उम्र में ईटिंग डिसऑर्डर के कारण निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- खाने के बाद अक्सर लोगों को बाथरूम जाने की आवश्यकता महसूस होती है।
- ईटिंग डिसऑर्डर के कारण अधिक उम्र के लोगों में ठंड के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
- हेयर लॉस प्रॉब्लम, डेंटल इशू आदि भी इन समस्याओं को बढ़ाने का काम कर सकते हैं।
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डेमेंशिया (dementia)
डिमेंशिया (Dementia) एक मानसिक विकार है, जो महिलाओं और पुरुषों को अधिक उम्र में हो सकता है। 60 से 65 साल की उम्र में डिमेंशिया होने की अधिक संभावना होती है। डिमेंशिया के कारण याददाश्त में कमी आना, सोचने की शक्ति कम होना, बोलने में समस्या होना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति का मूड अचानक से बदल सकता है। इस बीमारी के कारण कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा होना आम बात है। अक्सर व्यक्ति सामान को रखकर भूल जाता है और याद करने पर भी बात नहीं आती है। अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
ब्रेन सेल्स के डैमेज के कारण डिमेंशिया की समस्या होती है। अगर डिमेंशिया के लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए, तो स्थिति बदतर हो सकती है। जिन व्यक्तियों को थायरॉइड प्रॉब्लम, डिप्रेशन की समस्या या शरीर में विटामिन की कमी होने लगती है, उनमें डिमेंशिया की संभावना बढ़ जाती है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोग भी इसका आसानी से शिकार हो जाते हैं।
एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety disorder)
व्यक्ति का जब खुद में नियंत्रण खोने लगता है, तब एंग्जायटी की समस्या होती है। कुछ लोग जरा-सी बात के कारण चिंतित हो जाते हैं और खुद की भावनाओं पर कंट्रोल नहीं कर पाते और दुखी हो जाते हैं। इस कारण से दिल तेजी से धड़कने लगता है। एंग्जायटी के कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन हो सकते हैं। ऐसे में खुद के डर पर नियंत्रण जरूरी है। ऐसा करने से समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। अगर आपको उम्र बढ़ने के साथ ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। एंग्जायटी डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के लिए साइकोथेरिपी जैसे कि कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी उपयोगी साबित होती है। करीब 46 प्रतिशत अधिक उम्र के लोगों को कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी से राहत मिलती है।
अल्जाइमर (Alzheimer)
उम्र बढ़ने के साथ ही अल्जाइमर की परेशानी आम हो जाती है। अक्सर लोगों को अल्जाइमर की बीमारी के बारे में पता नहीं चल पाता है। अल्जाइमर के कारण व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है। ऐसा ब्रेन सेल्स डैमेज करने के कारण होता है। व्यक्ति के अंदर अल्जाइमर के कारण भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है। अल्जाइमर की मुख्य तीन स्टेज अर्ली स्टेज, मिडिल स्टेज और लेट स्टेज होती है।
पार्किंसंस डिजीज (Parkinson’s disease)
अधिक उम्र में पार्किंसंस रोग समस्या आम हो सकती है। पार्किंसंस रोग नर्व सेल्स में क्षति के कारण होता है। पार्किंसंस रोग के कारण सूंघने की क्षमता में कमी, आवाज का बदलना, कब्ज की समस्या, शरीर में कंपकंपी होना, चलने में समस्या आदि का सामना करना पड़ता है। पार्किंसंस रोग के कारण शरीर के कुछ हिस्सों में कठोरता का अनुभव भी हो सकता है। वहीं इस बीमारी के कारण व्यक्ति को डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है।
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बढ़ती उम्र में ये मानसिक तकलीफें कर सकती हैं परेशान
बढ़ती उम्र में याददाश्त का कम होना, मूड स्विंग होना, खाने की आदतों में बदलाव, डिप्रेशन की समस्या, स्ट्रेस आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अधिक उम्र में मेन्टल डिसऑर्डर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर मुख्य समस्याओं के रूप में सामने आते हैं। अल्जाइमर, डिप्रेशन, स्ट्रेस आदि अधिक उम्र की मानसिक तकलीफें हैं। अधिक उम्र में मेन्टल डिसऑर्डर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर मुख्य समस्याओं के रूप में सामने आते हैं। जानिए डिमेंशिया के कारणों के बारे में।
- अल्जाइमर (Alzheimer)
- क्रॉनिक हाई ब्लड प्रेशर (Chronic high blood pressure)
- पार्किंसंस डिजीज (Parkinson’s disease)
- हंटिंगटन डिजीज (Huntington’s disease)
- क्रूट्सफेल्ड जेकब डिजीज (Creutzfeldt-Jakob disease)
एजिंग माइंड की समस्याओं को ऐसे करें ठीक
उम्र का बढ़ना प्राकृति है और इसे रोका नहीं जा सकता है। अगर उम्र बढ़ने के साथ ही कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए, तो कुछ समस्याओं से निजात जरूर पाया जा सकता है। एजिंग माइंड के कारण मुख्य रूप से डिमेंशिया (Dementia), डिप्रेशन और स्ट्रेस डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। जानिए इनसे कैसे निजात पाया जा सकता है।