ब्रूस या ब्लड क्लॉट (Bruise Vs Blood Clot) जिसे सामान्य भाषा में चोट और खून जमना बोला जाता है। वैसे ये दोनों ही ब्लड टिशू से जुड़े हुए होते हैं और आसानी से नोटिस कर लिए जाते हैं, लेकिन क्या ब्रूस या ब्लड क्लॉट (Bruise Vs Blood Clot) दोनों एक ही तकलीफ है या अलग-अलग आ इस टॉपिक को डिटेल्स में आपके साथ शेयर करेंगे।
- ब्रूस या ब्लड क्लॉट क्या है?
- ब्रूस या ब्लड क्लॉट के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं?
- ब्रूस या ब्लड क्लॉट के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
- ब्रूस या ब्लड क्लॉट का निदान कैसे किया जाता है?
- ब्रूस या ब्लड क्लॉट का इलाज कैसे किया जाता है?
ब्रूस या ब्लड क्लॉट (Bruise Vs Blood Clot) से जुड़े सवालों का जवाब आगे समझते हैं।
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ब्रूस या ब्लड क्लॉट (Bruise Vs Blood Clot) क्या है?
ब्रूस या ब्लड क्लॉट यानी चोट और खून जमना दोनों अलग-अलग तरह की समस्या है और यहां हम इसे एक-एक कर समझेंगे।
ब्रूस (Bruises) क्या है?
ब्रूस जिसे मेडिकल टर्म में हेमटॉमस या कॉन्यूजन कहा जाता है। ब्रूस यानी चोट लगने पर ब्लड वेसेल्स टूट जाते हैं, लेकिन त्वचा के नीचे के मसल्स को नुकसान कम या ज्यादा पहुंच सकता है। दरअसल यह निर्भर करता है इंजरी कैसे हुई है। चोट लगने की वजह से त्वचा का रंग बदल जाता है और वह गाढ़ा हो जाता है। ब्रूस की समस्या तीन अलग-अलग तरह की होती है। जैसे त्वचा के नीचे, इंट्रामस्क्युलर और हड्डी या पेरीओस्टियल। चलिए अब ब्लड क्लॉट से जुड़ी जानकारी शेयर करते हैं और फिर ब्रूस या ब्लड क्लॉट (Bruise Vs Blood Clot) से जुड़ी दुविधा को दूर करेंगे।
ब्लड क्लॉट ( Blood Clot) क्या है?
ब्लड क्लॉट को अगर आसान शब्दों में समझें तो इसका अर्थ है खून का किसी एक जगह पर जम जाना या थक्का बनना। ब्लड क्लॉटिंग (Blood Clotting) की समस्या किसी को भी हो सकती है या कभी-कभी किसी इंजरी की वजह से भी ऐसी समस्या हो सकती है।
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ब्रूस या ब्लड क्लॉट के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Bruise Vs Blood Clot)
ब्रूस के लक्षण (Symptoms of Bruise)-
- त्वचा के रंग (Skin discoloration) का बदलना।
- चोट वाली जगह पर दर्द (Pain) महसूस होना।
- घाव (Wound) बनना।
ब्लड क्लॉट के लक्षण (Symptoms of Blood Clot)-
- त्वचा का रंग (Skin discoloration) बदलना।
- सूजन (Swelling) आना।
- त्वचा का सख्त (Skin tenderness) होना।
- लगातार दर्द (Pain) महसूस होना।
ये हैं ब्रूस एवं ब्लड क्लॉट के लक्षण।
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ब्रूस या ब्लड क्लॉट के रिस्क फैक्टर क्या हैं? (Risk factor of Bruise Vs Blood Clot)
ब्रूस के रिस्क फैक्टर निम्नलिखित हैं। जैसे:
- एन्टीकोगुलेंट्स (Anticoagulants) के सेवन से ब्लड सामान्य से ज्यादा पतला होने लगता है।
- एस्प्रिन (Aspirin) या आइब्रुफेन (Ibuprofen) जैसी दवाओं का सेवन करना।
- ब्लीडिंग डिसऑर्डर (Bleeding disorder) होना।
- त्वचा (Skin) पर उभार होना।
- विटामिन सी (Vitamin C deficiency) की कमी होना।
- उम्र बढ़ना (Older age)।
इन ऊपर बताये स्थितियों में ब्रूस का खतरा बना रहता है।
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ब्लड क्लॉट के रिस्क फैक्टर अलग-अलग कंडिशन पर निर्भर करते हैं जो इस प्रकार है-
लाइफ स्टाइल फैक्टर (Lifestyle factors)
- शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा (being overweight) होना।
- स्मोकिंग (Smoking) करना।
- तंबाकू (Tobacco) खाना।
- गर्भवती (Being pregnant) रहना।
- एक ही पोजीशन में ज्यादा वक्त तक बैठे (Sitting for prolonged periods) रहना।
- बेड पर ज्यादा देर तक लेटे (Resting in bed for prolonged periods) रहना।
- बर्थ कंट्रोल पिल्स (Birth control) या हॉर्मोन रिप्लेसमेंट (Hormone replacement) थेरिपी लेना।
- ट्रॉमा (Trauma) या सर्जरी (Surgery) होना।
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जेनेटिक फैक्टर्स (Genetic factors)
- परिवार में 40 या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या होना।
- ब्लड क्लॉट की फेमली हिस्ट्री रहना।
- एक या इससे ज्यादा मिसकैरिज (Miscarriages) होना।
बीमारियों के कारण ब्लड क्लॉट का खतरा बढ़ना (Diseases Factor)
- हार्ट फेलियर (Heart failure)
- टाइप 1 एवं टाइप 2 डायबिटीज (Type 1 and type 2 diabetes)
- ब्लड वेसल्स से जुड़ी समस्या (Vasculitis)
- एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation)
- एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)
- मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome)
इन ऊपर बताई गई हेल्थ कंडिशन की वजह से भी ब्लड क्लॉट का खतरा बढ़ सकता है।
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ब्रूस या ब्लड क्लॉट का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Bruise Vs Blood Clot)
ब्रूस या ब्लड क्लॉट के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। जैसे:
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds)
- वेनोग्राफी (Venography)
- एक्स-रे (X-rays)
- ब्लड टेस्ट (Blood tests)
इन टेस्ट के साथ-साथ डॉक्टर पेशेंट से उनकी हेल्थ कंडिशन (Health Condition) एवं मेडिकल हिस्ट्री (Medical History) की भी जानकारी लेते हैं।
ब्रूस या ब्लड क्लॉट का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Bruise Vs Blood Clot)
ब्रूस यानी चोट लगने पर घरेलू उपायों से उसे ठीक किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर ओवर-दि-काउंटर (OTC) मिलने वाली दवाओं का सेवन किया जा सकता है। वहीं अगर चोट ज्यादा गंभीर है, ज्यादा परेशानी हो रही है या अगर पेशेंट डायबिटिक हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करना बेहद जरूरी है। वहीं ब्लड क्लॉट की समस्या होने पर डॉक्टर ब्लड थिनर (Blood thinners) या अन्य मेडिसिन प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। इस दौरान डॉक्टर यह भी ध्यान रखते हैं कि ब्लड क्लॉट के कारणों को समझकर इलाज किया किया जाता है।
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ब्रूस और ब्लड क्लॉट से बचाव कैसे संभव है? (Prevention from Bruise Vs Blood Clot)
ब्रूस और ब्लड क्लॉट से बचा जा सकता है अगर निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाए तो-
ब्रूस से बचाव-
- घर में चलने के दौरान ध्यान रखें की चेयर, टेबल या किसी अन्य फर्नीचर से चोट ना लगे।
- बाहर वॉक (Walk) करने के दौरान भी समतल जगहों का चुनाव करें।
- स्पोर्ट्स एक्टिविटी के दौरान प्रोटेक्टिव गियर का इस्तेमाल करें।
- विटामिन सी (Vitamin C) का सेवन संतुलित मात्रा में करें।
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ब्लड क्लॉट से बचाव-
- बॉडी वेट (Body weight) संतुलित बनाये रखें।
- स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
- नियमित एक्सरसाइज (Exercise regularly) करें।
- ज्यादा देर तक बैठे या लेटे ना रहें।
- डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब्ड मेडिसिन का सेवन समय पर करें।
ब्रूस और ब्लड क्लॉट (Bruise Vs Blood Clot) की समस्या होने पर इसे इग्नोर करना ठीक नहीं है। इसलिए अगर ऐसी कोई परेशानी होती है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें। कंसल्टेशन के दौरान आग पेशेंट को कोई हेल्थ कंडिशन है, तो इसकी जानकारी डॉक्टर या हॉस्पिटल में मौजूद हेल्थ एक्सपर्ट को जरूर दें।
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