2. आर्टेरियल स्किन अल्सर (Arterial [Ischemic] skin ulcers)
आर्टेरियल स्किन अल्सर समस्या तब शुरू होती है जब आर्टरी द्वारा ऑक्सिजन सप्लाई लोअर लिंब (Lower limbs) तक कम होने लगता है। ऑक्सिजन सप्लाई कम होने की वजह से टिशू डैमेज होने लगते हैं और अल्सर की समस्या शुरू होने लगती है। आर्टेरियल स्किन अल्सर विशेष रूप से एंकल (Ankle), फीट (Feet) और पैर की उंगलियों (Toes) में ज्यादा देखे जा सकते हैं।
3. न्यूरोपैथिक स्किन अल्सर (Neuropathic skin ulcers)
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार न्यूरोपैथिक स्किन अल्सर की समस्या तकरीबन 60 से 70 प्रतिशत डायबिटीज मरीजों में देखी जाती है। न्यूरोपैथिक स्किन अल्सर (Neuropathic skin ulcers) ब्लड शुगर लेवल इम्बैलेंस होने के कारण होने वाली समस्या है। अगर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में ना रखा जाए, तो नर्व (Nerve) डैमेज होने लगते हैं और हाथ एवं पैरों की सेंसेटिविटी कम होने लगती है।
4. बेडसोर या प्रेशर अल्सर (Bedsores or Pressure ulcers)
बेडसोर या प्रेशर अल्सर को मेडिकल टर्म में डीक्यूबिटस अल्सर (Decubitus ulcers) भी कहा जाता है। बेडसोर या प्रेशर अल्सर की समस्या स्किन पर लगातार दवाब पड़ने या घर्षण की वजह से शुरू हो जाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार स्किन सिर्फ 30-32 मिलीमीटर मर्क्युरी (30 to 32 Millimeters of mercury) तक ही दवाब सह सकती है। अगर इससे ज्यादा स्किन पर प्रेशर पड़ता है, तो बेडसोर की तकलीफ शुरू हो सकती है। वहीं अगर बेडसोर या प्रेशर अल्सर (Bedsores or Pressure ulcers) का इलाज ठीक तरह से ना करवाया जाए, तो टेंडॉन्स (Tendons), लिगामेंट्स (Ligaments) और मसल टिशू (Muscles tissue) डैमेज हो सकते हैं।
5. बुरुली अल्सर (Buruli ulcer)
अगर कोई व्यक्ति माइकोबैक्टीरियम अल्सरंस बैक्टीरिया (Mycobacterium ulcerans bacteria) की समस्या का शिकार है, तो उनमें बुरुली अल्सर (Buruli ulcer) की संभावना ज्यादा होती है। बुरुली अल्सर लेग और आर्म्स पर ज्यादा देखे जा सकते हैं। अगर बुरुली अल्सर का इलाज ना करवाया जाए तो इससे परमानेंट फिजिकल डैमेज (Physical damage) और डिसेबिलिटी (Disability) हो सकती है।
6. स्टैसिस डर्मेटाइटिस (Stasis dermatitis)
स्टैसिस डर्मेटाइटिस को मेडिकल टर्म में ग्रेविटेशनल डर्मेटाइटिस (Gravitational dermatitis) भी कहा जाता है। ऐसा ब्लड सर्क्युलेशन ठीक तरह से नहीं होने वाली समस्या है। दि नैशनल एग्जिमा एसोसिएशन (The National Eczema Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं एवं पुरुषों में स्टैसिस डर्मेटाइटिस (Stasis dermatitis) की समस्या सामान्य है।
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स्किन अल्सर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Skin Ulcers)
स्किन अल्सर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं –
त्वचा का रंग सामान्य स्किन टोन (Skin tone) से अलग होना।
- त्वचा में खुजली (Itching) होना।
- त्वचा पर निशान (Scabbing) नजर आना।
- अल्सर वाले हिस्से पर सूजन (Swelling) आना।
- अल्सर के आसपास की त्वचा रूखी (Dry skin) होना।
- अल्सर के कारण दर्द (Pain) महसूस होना।
- अल्सर से डिस्चार्ज (Discharge) होना।
- अल्सर या घाव से स्मेल (Odor) आना।
- अल्सर वाली जगह के पास हेयर लॉस (hair loss) होना।
इन लक्षणों के नजर आने पर या महसूस होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
स्किन अल्सर के कारण क्या हैं? (Cause of Skin Ulcers)