backup og meta

नेत्रहीन व्यक्ति भी सपनों की दुनिया में लगाता है गोते, लेकिन ऐसे

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/10/2020

    नेत्रहीन व्यक्ति भी सपनों की दुनिया में लगाता है गोते, लेकिन ऐसे

    नेत्रहीनों को सपने आना य न आना इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी आंखों की रोशनी कब गई ? हां, यह जरूर है कि समय के साथ उनके सपने धुंधले होते चले जाते हैं। अधिकांश लोगों को यह जिज्ञासा रहती है कि नेत्रहीनों के सपनों में क्या होता है या वह किस तरह के सपने देखते हैं?

    नेत्रहीनों के सपने कैसे होते हैं?

    यह सवाल अपने आप में ही कितनी दिलचस्प है। आखिर नेत्रहीन व्यक्ति सपने कैसे देखते होंगे? ऐसे कई सवाल मन में आते हैं, क्या वो सच में सपना देखते होंगे? कितनी अजीब बात है न जो देख नही सकते वो भी सपने देखते हैं। दरअसल सपने को अपने आप ही  आते हैं, वो तो किसी को भी  आ सकते हैं। दरअसल जो लोग जन्म से ही अंधे होते हैं, वो लोग केवल साउंड से और अपने सेंसेज को महसूस करके सपने देख सकते हैं। लेकिन उनके सपने विजुअल नहीं होता है क्योंकि उन्होंने कभी कुछ देखा नहींं होता है, इसलिए वो सपने में विजुअल का अनुभव नहीं कर पाते हैं। लेकिन जो लोग बाद में नेत्रहीन होते हैं, वो लोग अपने सपने में विजुअल का अनुभव करसकते हैं।

    [mc4wp_form id=’183492″]

    सामान्य लोगों से ज्यादा बुरे सपने देखते हैं नेत्रहीन

    कई शोधों में पाया गया है कि पैदाइशी ब्लाइंड लोगों को जीवन में बाद में ब्लाइंड हुए या नॉर्मल आई साइट वाले लोगों से ज्यादा बुरे सपने आते हैं। डेनिश (Danish) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। जर्नल स्लीप मेडिसिन (Journal Sleep Medicine) में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दृष्टिहीन लोगों में 25 प्रतिशत सपने बुरे सपने होते हैं। वहीं सामान्य दृष्टि वाले लोगों में बुरे सपनों की तादाद मात्र छह प्रतिशत होती है।

    और पढ़ें: आखिर क्यों आते हैं हमें एक्स बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड के सपने

    नेत्रहीनों के सपने: वक्त के साथ धुंधले हो जाते हैं सपने

    नेत्रहीन लोगों को ऐसे आते हैं सपने

    सन् 2014 के डेनिश रिसर्च में पाया गया कि जिनकी आंखों की रोशनी पांच वर्ष या उसके बाद जाती हैं। वह नेत्रहीन होने के कुछ समय तक रंग और छवि आदि को सपनों में देख पाते हैं लेकिन वक्त के साथ-साथ यह छवि भी धुंधली होने लगती है। पूर्ण रूप से ब्लाइंड लोग जहां 25 प्रतिशत बुरे सपने देखते हैं, वहीं बाद में ब्लाइंड हुए लोगों में बुरे सपनों की संख्या मात्र सात प्रतिशत रहती है।

    और पढ़ें: जानें डेंगू टाइमलाइन और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

    बिना आकृति के होते हैं सपने

    यूनिवर्सिटी ऑफ कॉपनहेगन और ग्लोस्ट्रप हॉस्पिटल (University of Copenhagen and Glostrup Hospital) के अनुसार पैदाइशी नेत्रहीनों के सपने आकृति के बिना होते हैं। यानी रंग, छवि ऐसी कोई चीज उन्हें ड्रीम में नहीं दिखती है। उन्हें आवाजों और बिना आकृति वाली छवियों को अहसास होता है, जो डरावना होता है।

    छवि नहीं सेंसेस से जुड़े होते हैं सपने

    दृष्टिहीन लोगों के सपने

    अमानी माइदी जो डेनिस सेंटर फॉर स्लीप मेडिसिन (Danish Centre for Sleep Medicine) से जुड़े हैं उनका मानना है कि नेत्रहीनों के सपने आवाज, गंध, स्वाद और स्पर्श से बने हुए होते हैं। यानी उनके सपनों की आकृतियां गंध और स्पर्श से बनती हैं। जिन आधारों पर वह जीवन जीते हैं उन्हीं के आधार पर अपने सपने भी बुन लेते हैं।

    और पढ़ें: पूरी जिंदगी में आप इतना समय ब्रश करने में गुजारते हैं, जानिए दांतों से जुड़े ऐसे ही रोचक तथ्य

    नेत्रहीनों के सपने: बुरे सपनों का करें धन्यवाद

    विशेषज्ञों का मानना है कि बुरे सपनों का धन्यवाद करना चाहिए चूंकि बुरे सपने हमें आने वाले खतरे से अगाह करते हैं। हिंदु धर्म में सपनों अच्छे-बुरे फल का वर्णन किया गया है। नेत्रहीनों के सपने 25 प्रतिशत बुरे सपनों से जुड़े होने का मतलब ही यह है कि रोजमर्रा की उनकी जिंदगी में यह उनके डर ही होते हैं। इस तरह के सपने देखना कि वह रोड क्रॉस नहीं कर पाए, वह किसी से टकरा ना जाएं, उन्हें सुरक्षा के प्रति प्रेरित करते हैं कि वह सभी सेफ्टी मेजर लें।

    स्लीप-वेक डिसऑर्डर की समस्या

    संयुक्त राज्य में 70 प्रतिशत नेत्रहीनों में स्लीप-वेक डिसऑर्डर की समस्या होती है। इसमें एक व्यक्ति की सर्कैडियन रिद्म सामान्य नींद से अलग हो जाती है। कह सकते हैं कि सोने-उठने का समय बदल जाता है। आप रात को उठना और दिन में सोना कर सकते हैं। इस कारण इंसोम्निया की समस्या पैदा हो सकती है।

    कुत्ते के खो जाने का डर

    अधिकतर नेत्रहीन लोग अपने साथ कुत्ते को रखते हैं और उसकी मदद से ही कई कार्य करते हैं। नेत्रहीनों को रोड पर लगी लाइट नहीं दिखती और यह लाइट कुत्तों को समझाना मुश्किल होता है। ऐसे में नेत्रहीन बहुत ध्यान से कार और भीड़ की आवाजों के अनुसार चीजों को भांपते हैं। शायद यही कारण है कि नेत्रहीनों के सपने में कुत्ते का खो जाना या ट्रैफिक से जुड़े डरावने सपने ज्यादा आते हैं।

    और पढ़ें: क्या प्रेग्नेंसी में सपने कर रहे हैं आपको प्रभावित? तो पढ़ें ये आर्टिकल

    नेत्रदान की मदद से भर सकेंगे हैं नेत्रहीनों की दुनिया में रंग

    आपने अक्सर सुना होगा कि इस व्यक्ति ने अपनी आंखें दान में दे दी। दरअसल बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जो चाहते हैं उनके न होने पर वो अपने शरीर के कुछ खास अंग दान कर दिया जाए। जिससे किसी नेत्रहीन को  दुनिया के रंग देखने का मौका मिल जाए। आजकल के युवा नेत्रदान को लेकर बहुत प्रोत्साहित होते नजर आते हैं। इसलिए अंग दान को लेकर बच्चों को ज्ञान होना जरूरी है। इससे किसी इंसान की मदद कि जा सकती है। लेकिन बहुत लोग ऐसे भी हैं, जो नेत्रदान करना तो चाहते हैं लेकिन उन्हें इसके बारे में सही से जानकारी नहीं है। आइए जानते हैं नेत्रदान क्या है? ऐसे बहुत से लोग हैं, जो नेत्रदान करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं सकते हैं। इस आर्टिकल में हम यह भी जानेंगे कि कौन से लोग नेत्रदान नहीं कर सकते हैं।

    नेत्रदान क्या है?

    नेत्रहीनों के सपने रंगों भरे करने में नेत्रदान मददगार साबित हो सकता है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आंखें किसी नेत्रहीन को दान करने को ही नेत्रदान कहा जाता है। सिर्फ कॉर्नियल ब्लाइंड्नेस से प्रभावित व्यक्ति को ही नेत्रदान का लाभ नहीं मिलता अन्य सभी नेत्रहीनों के लिए यह दुनिया को देखने का एक बेहतरीन विकल्प है। नेत्रदान (eye donation) पूरी तरह से स्वैच्छिक होता है। इस प्रक्रिया को दान दाता की मृत्यु के बाद ही किया जाता है।

    कौन-कौन कर सकता है नेत्रदान का संकल्प

    कोई भी शख्स अपनी आंखों का दान कर सकता है। इस नेक काम में न तो आयु की अड़चन है और न ही लिंग की बाधा। चश्मा लगाने वाले व पूर्व में मोतियाबिंद सर्जरी करा चुके लोग भी अपनी आंखें दान कर सकते हैं।

    नेत्रहीनों के सपने: ये लोग नहीं कर सकते नेत्रदान

    सिफलिस (Syphillis), एड्स, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, रेबीज, एन्सेफलाइटिस (Encephalitis), हैजा, मेनिनजाइटिस (Meningitis) जैसे संचारी रोग से ग्रसित लोग नेत्रदान नहीं कर सकते हैं।

    और पढ़ें: पहले से तीसरे ट्राइमेस्टर में आते हैं अलग-अलग तरह के सपने, जानें क्या है इनका मतलब

    नेत्रहीनों के सपने: क्या है नेत्रदान की प्रक्रिया?

    कुछ लोग इसलिए भी नेत्रदान नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें इसकी प्रक्रिया का पता ही नहीं होता। उन्हें लगता है कि ये काफी जटिल है, लेकिन ऐसा नहीं है। नेत्रदान की प्रक्रिया इस प्रकार है।

    • अगर आप आंखें दान करना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले आईबैंक जाना होगा।
    • आईबैंक में जाने के बाद आपको कुछ फॉर्म भरकर देने होंगे।
    • इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाता है और आपको एक कार्ड दिया जाता है।
    • आपकी मृत्यु के बाद आपकी आंखें किसी और को दे दी जाती हैं।
    • अगर आपने जीवित रहते हुए नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और आपकी मौत के बाद आपके परिवार वाले आपकी आंखों को दान करना चाहते हैं, तो ये भी संभव होता है।
    • इसके लिए परिवार वालों को निकटतम आईबैंक में जानकारी देनी होगी।
    • इसके बाद आईबैंक वाले खुद आकर सारी प्रक्रिया पूरी करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया लीगल है।

    नेत्रहीनों के सपने हमसे अलग भले ही हो सकते हैं पर यह सोचना कि उनके सपने नहीं होते यह गलत है। ब्लाइंड लोगों के सपने छवि वाले नहीं होते पर गंध, स्पर्श आदि सेंसेस के माध्यम से वह सपनों की दुनिया में गोते लगा ही लेते हैं। हालांकि, उनके लिए सपने काफी तकलीफ भरे होते हैं, जो उन्हें हरपल डर का अहसास कराते हैं। किसी भी विशेष जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से सलाह लेना आति आवश्यक है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

    डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


    Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/10/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement