बिना आकृति के होते हैं सपने
यूनिवर्सिटी ऑफ कॉपनहेगन और ग्लोस्ट्रप हॉस्पिटल (University of Copenhagen and Glostrup Hospital) के अनुसार पैदाइशी नेत्रहीनों के सपने आकृति के बिना होते हैं। यानी रंग, छवि ऐसी कोई चीज उन्हें ड्रीम में नहीं दिखती है। उन्हें आवाजों और बिना आकृति वाली छवियों को अहसास होता है, जो डरावना होता है।
छवि नहीं सेंसेस से जुड़े होते हैं सपने
अमानी माइदी जो डेनिस सेंटर फॉर स्लीप मेडिसिन (Danish Centre for Sleep Medicine) से जुड़े हैं उनका मानना है कि नेत्रहीनों के सपने आवाज, गंध, स्वाद और स्पर्श से बने हुए होते हैं। यानी उनके सपनों की आकृतियां गंध और स्पर्श से बनती हैं। जिन आधारों पर वह जीवन जीते हैं उन्हीं के आधार पर अपने सपने भी बुन लेते हैं।
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नेत्रहीनों के सपने: बुरे सपनों का करें धन्यवाद
विशेषज्ञों का मानना है कि बुरे सपनों का धन्यवाद करना चाहिए चूंकि बुरे सपने हमें आने वाले खतरे से अगाह करते हैं। हिंदु धर्म में सपनों अच्छे-बुरे फल का वर्णन किया गया है। नेत्रहीनों के सपने 25 प्रतिशत बुरे सपनों से जुड़े होने का मतलब ही यह है कि रोजमर्रा की उनकी जिंदगी में यह उनके डर ही होते हैं। इस तरह के सपने देखना कि वह रोड क्रॉस नहीं कर पाए, वह किसी से टकरा ना जाएं, उन्हें सुरक्षा के प्रति प्रेरित करते हैं कि वह सभी सेफ्टी मेजर लें।
स्लीप-वेक डिसऑर्डर की समस्या
संयुक्त राज्य में 70 प्रतिशत नेत्रहीनों में स्लीप-वेक डिसऑर्डर की समस्या होती है। इसमें एक व्यक्ति की सर्कैडियन रिद्म सामान्य नींद से अलग हो जाती है। कह सकते हैं कि सोने-उठने का समय बदल जाता है। आप रात को उठना और दिन में सोना कर सकते हैं। इस कारण इंसोम्निया की समस्या पैदा हो सकती है।
कुत्ते के खो जाने का डर
अधिकतर नेत्रहीन लोग अपने साथ कुत्ते को रखते हैं और उसकी मदद से ही कई कार्य करते हैं। नेत्रहीनों को रोड पर लगी लाइट नहीं दिखती और यह लाइट कुत्तों को समझाना मुश्किल होता है। ऐसे में नेत्रहीन बहुत ध्यान से कार और भीड़ की आवाजों के अनुसार चीजों को भांपते हैं। शायद यही कारण है कि नेत्रहीनों के सपने में कुत्ते का खो जाना या ट्रैफिक से जुड़े डरावने सपने ज्यादा आते हैं।