backup og meta

क्या मानसिक रोगी दूसरे लोगों के लिए खतरनाक हैं?

मानसिक रोगी कुछ मामलों में हिंसक रुख अख्तियार कर सकते हैं। बदतर माहौल, असहजता, किसी चीज की चाहत, या डर की वजह से वो खुद को या दूसरों को चोट पहुंचा सकते हैं। इस बात की अधिक संभावना है जब कोई मानसिक रोगी अतीत में हिंसक रहा हो और शराब या ड्रग्स लेता हो। ऐसे लोग मानसिक बीमारी वाले किसी व्यक्ति की तुलना में हिंसक होने की अधिक संभावना रखते हैं।

कुछ मामलों में, अस्वस्थ होने पर मानसिक रोगी आक्रामक हो सकता है। इस तरह की प्रतिक्रिया का एक कारण मतिभ्रम जैसे लक्षणों का डर हो सकता है। ये लोग आम तौर पर अपने प्रति, या परिवार के प्रति अपनी आक्रामकता व्यक्त करते हैं। हालांकि, हिंसा मानसिक बीमारियों का लक्षण नहीं है।  मानसिक रोगीयों के हिंसक हो जाने के कई कारण हो सकते है जैसें :

और पढ़ें : बच्चे के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है परिवार

प्रभावी उपचार प्राप्त नहीं कर रहे हैं

यदि कोई मानसिक रोगी काफी समय से उपचार नहीं ले रहा है और उसकी मानसिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, तो ऐसी स्थिति में वो अपना आपा खो सकता है और इस स्थिति में वो कोई भी जोखिम भरा कदम उठा सकता है।

और पढ़ें : डायरी लिखने से स्ट्रेस कम होने के साथ बढ़ती है क्रिएटिविटी

हिंसा का पिछला इतिहास है

ऐसे मानसिक रोगी, जिनका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड हो या वो शुरुआत से ही मारपीट में आगे रहा हो। इस केस  में मानसिक रोगी कुछ उपद्रव कर सकता है। यदि किसी मानसिक रोगी में लड़ाई करना, गाली देना या बहुत गुस्सैल होने का पिछला प्रमाण मिलता है, तो ये संभव है कि किसी स्थिति में वो पैनिक हो जाए और कोई हिंसात्मक कदम उठा ले।

शराब या ड्रग्स का प्रयोग

यदि मानसिक रोगी पूर्व में शराब का आदी हो या उसे नशे की लत हो, तो उसके हिंसक होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ड्रग्स और नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों रोगियों में यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि वो किसी मौके पर काबू से बाहर जाकर खुद के साथ या दूसरों के साथ कुछ हिंसा कर दे। शराब या ड्रग्स की तलब उन्हें हिंसात्मक बना सकती है।

और पढ़ें : बच्चों के मानसिक तनाव को दूर करने के 5 उपाय

भयभीत होने के कारण

डर एक अहम कारण हो सकता है, जो किसी मानसिक रोगी में हिंसा करने का भाव पैदा कर सकता है। डर और असहज होने पर रोगी अपने बचाव में किसी तरह की हिंसा कर सकता है। उसके डर का कोई भी प्रभावी कारण हो सकता है। असुरक्षा और डर ऐसे कारण हैं, जिनसे मानसिक रोगी ही नहीं, एक आम इंसान भी हिंसक हो सकता है।

अगर किसी व्यक्ति को मानसिक बीमारी के लिए प्रभावी ढंग से इलाज किया जा रहा है, तो उनके हिंसात्मक होने की बहुत ही कम संभावना होती है। यदि कोई मानसिक रोगी अपनी दवाएं ले और साथ ही डॉक्टरी सलाह भी लेता है, तो उसके भी खतरनाक होने की संभावना कम ही है। शराब या ड्रग्स का सेवन न करने वाले रोगियों से भी हिंसा या किसी प्रकार का जोखिम नहीं है।

और पढ़ें : क्या है मानसिक बीमारी और व्यक्तित्व विकार? जानें इसके कारण

कोई मानसिक रोगी हिंसात्मक हो सकता है या नहीं, हमने इसके कई कारणों पर विचार किया। यही निष्कर्ष निकलता है कि सतर्कता और सावधानी से मानसिक रोगी के किसी भी खतरे को रोका जा सकता है। आप उनके पास किसी तरह के हथियार या चाकू छूरी जैसी हाउस होल्ड चीजों को न रखें। इस तरह से आप अपनी और मानसिक रोगी, दोनोंं की सुरक्षा को पुख्ता कर सकते हैं। हालांकि, ऐसे बहुत कम मामले प्रकाश में आए हैं, जहां मानिसक रोगी खतरनाक साबित हुए हैं।

  • अल्जाइमर – बढ़ती उम्र में अल्जाइमर की समस्या होना आम बात है। इसमें व्यक्ति को भूलने की समस्या होने लगती है। याद्दाश्त कमजोर होने की वजह से व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता पर भी असर पड़ता है और इससे उनके दैनिक कार्यों को करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
  • डिमेंशिया – डिमेंशिया एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति कुछ भी याद रखने, समझ पाने और अपनी बातें व्यक्त कर पाने में असमर्थ होता है। अगर भूलने के बाद तुरंत कुछ याद आ जाए, तो समझ लीजिए कि आप डिमेंशिया से पीड़ित नहीं हैं।
  • बाइपोलर डिसऑर्डर – यह एक जटिल मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का माइंड एक ही पल में बदलता रहता है। यह बीमारी लाइलाज बीमारी से कम नहीं है। इसमें एक पल तो व्यक्ति काफी खुश हो जाता है, तो वहीं अगले ही पल उसके मन में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं।
  • पार्किंसन रोग – पार्किंसन रोग में व्यक्ति के हाथ-पैर कांपने लगते हैं। इस रोग में शरीर की सक्रिएता कम होने लगती है और मस्तिष्क भी ठीक से काम नहीं करता। बात करें आंकड़ों की तो पूरे विश्व में 60 लाख से ज्यादा लोग पार्किंसन से पीड़ित हैं।
  • ऑटिज्म – ऑटिज्म एक ऐसी मानिसिक बीमारी है, जो ज्यादातर बच्चों में पाई जाती है और पूरी उम्र इस बीमारी से व्यक्ति पीड़ित रहता है। इसमें बच्चे को सीखने, बात करने और अपनी बात ठीक से प्रकट करने में असमर्थ होते हैं।
  • डिप्रेशन – डिप्रेशन की समस्या आज के समय में काफी आम हो गई है। इस समस्या से दुनियाभर के काफी लोग पीड़ित हैं। चिंता, तनाव या जीवन में कुछ अवांछनीय घटने के कारण डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। इस समस्या से काफी लोगों ने आत्महत्या तक भी की है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Mental illness and violence https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/conditionsandtreatments/mental-illness-and-violence  Accessed on 11/12/2019

Mental illness and violence https://www.health.harvard.edu/newsletter_article/mental-illness-and-violence Accessed on 11/12/2019

Assessing and managing risk of patients causing harm https://www.rcpsych.ac.uk/members/supporting-you/assessing-and-managing-risk-of-patients-causing-harm Accessed on 11/12/2019

Violence and mental illness: what is the true story? https://jech.bmj.com/content/70/3/223 Accessed on 11/12/2019

The Intricate Link Between Violence and Mental Disorder https://jamanetwork.com/journals/jamapsychiatry/fullarticle/210191 Accessed on 11/12/2019

Current Version

05/05/2021

Smrit Singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

ये 6 सुपर फूड्स निकाल सकते हैं डिप्रेशन से बाहर

दिमाग नहीं दिल पर भी होता है डिप्रेशन का असर


समीक्षा की गई डॉ. हेमाक्षी जत्तानी द्वारा · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist · । लिखा गया Smrit Singh द्वारा। अपडेट किया गया 05/05/2021।

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement