इस दुनिया में अगर ताकत और जोश का पहाड़ युवा है, तो अनुभवों का सागर बुजुर्ग हैं। लेकिन, कई बार हम युवा जोश में होश खो बैठते हैं और बुजुर्गों के सम्मान, आदर और महत्व को भूल जाते हैं। खैर, भूलना माफ किया जा सकता है, लेकिन हिंसा? हिंसा कभी माफ नहीं की जा सकती, लेकिन वर्तमान में बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा (एल्डर एब्यूज) के कई मामले देखने को मिल जाते हैं। आपके आसपास के घर में, मोहल्ले में, शहर में कई बुजुर्ग चुपचाप इस हिंसा को सह रहे हैं। एल्डर एब्यूज (Elder Abuse) के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए दुनियाभर में 15 जून को वर्ल्ड एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे (World Elder Abuse Awareness Day 2020) मनाया जाता है।
एल्डर एब्यूज (बुजुर्गों से दुराचार) क्या है? (What is Elder Abuse)
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, एल्डर एब्यूज का मतलब बुजुर्गों के विश्वास की नीव पर टिके रिश्तों में उचित व्यवहारों की कमी या एक बार हुए या बार-बार हो रहे उन व्यवहारों से है, जो एक बुजुर्ग को किसी भी तरह का नुकसान या कष्ट पहुंचाते हैं। इस प्रकार की हिंसा मानवाधिकारों का उल्लंघन होती है, जो कि फिजिकल, सेक्शुअल, साइकोलॉजिकल, इमोशनल, फाइनेंशियल, मेटेरियल प्रकार की हो सकती है। इसके अलावा, बुजुर्गों को छोड़ देना, नजरअंदाज करना या उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाना भी बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा की श्रेणी में आता है।
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- फिजिकल एब्यूज वह हिंसा है, जिसमें बुजुर्गों के साथ मारपीट, प्रताड़ना आदि की जाती है।
- सेक्शुअल एब्यूज वह हिंसा है, जिसमें बुजुर्गों के साथ अनचाहे और जबरदस्ती यौन संबंध बनाए जाते हैं।
- इमोशनल एब्यूज वह हिंसा है, जिसमें उन्हें भावनात्मक रूप से दुख-दर्द पहुंचाया जाता है।
- नजरअंदाज करने से मतलब, बुजुर्गों की जरूरतों और स्वास्थ्य की अनदेखी करना है, जिसमें उनका खाना, पानी, रहना, कपड़े, साफ-सफाई, मेडिकल जरूरत आदि शामिल होता है।
- फाइनेंशियल एब्यूज वह हिंसा है, जिसमें बुजुर्गों को आर्थिक स्तर पर हानि पहुंचती है। यह उनके पैसों को छीनना, संपत्ति को छीनना या उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर करना शामिल है।
दुनिया में एल्डर एब्यूज के मामले
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 60 साल की उम्र से अधिक 6 में से 1 व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के एल्डर एब्यूज का शिकार है। नर्सिंग होम या लॉन्ग-टर्म केयर फेसिलिटी जैसी जगहों पर बुजुर्गों के खिलाफ हो रही हिंसा का स्तर ज्यादा रहा है। क्योंकि, वहां कार्य करने वाले 3 में से 2 लोगों ने माना कि उन्होंने किसी बुजर्ग के खिलाफ हिंसा की होगी। बुजुर्गों के खिलाफ इस प्रकार की हिंसा उन्हें गंभीर शारीरिक चोटों से लेकर दीर्घ-कालिक मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है। 2017 में हुई एक स्टडी में 28 देशों में हुए 52 शोधों का अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के व्यक्तियों में करीब 15.7 प्रतिशत लोगों को किसी भी प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा है।
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बुजुर्गों के खिलाफ हो रही हिंसा के आंकड़े अधूरे
दुनियाभर में एल्डर एब्यूज के जितने भी मामले दर्द किए गए हैं, वो सभी अधूरे हैं और साफ स्थिति दिखाने में सक्षम नहीं है। अगर, भारत की ही बात की जाए, तो न जाने कितने घरों में बुजुर्गों के साथ किसी न किसी रूप में हिंसा की जाती है। लेकिन, इसके मुकाबले न के बराबर मामले दर्ज किए जाते हैं। इसका कारण बुजुर्गों का अपने बच्चों या दूसरों पर निर्भर होना है। बुढ़ापे में विभिन्न बीमारियों या कमजोरी की वजह से बुजुर्ग अपने कार्य करने में सक्षम नहीं होते हैं, जिस वजह से वह शिकायत करने से डरते हैं, कि कहीं उन्हें मिल रही थोड़ी बहुत सहायता भी बंद न हो जाए। इसका दूसरा कारण यह भी होता है कि, बुजुर्गों के मन में डर भी रहता है कि, कहीं शिकायत के बाद उनके साथ और खतरनाक हिंसा न की जाए।
बुजुर्गों से दुराचार के संकेत क्या हैं?
एल्डर एब्यूज से बुजुर्गों को बचाने के लिए आपको और हम सभी को बुजुर्गों से दुराचार होने पर दिखने वाले संकेतों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आइए, इन संकेतों के बारे में जानते हैं, ताकि हम पता लगा पाए कि, कोई बुजुर्ग किसी प्रकार की हिंसा का शिकार हो रहा है या नहीं और उसकी मदद कर पाएं।
- प्रेशर मार्क्स, हड्डी में फ्रैक्चर, जले के निशान, पिटाई के निशान, चोट के निशान आदि, फिजिकल एब्यूज या हाथापाई के संकेत हो सकते हैं।
- स्तनों या जननांगों के आसपास नीले निशान, दबाव के निशान या खरोचें आदि सेक्शुअल एब्यूज के संकेत हो सकते हैं।
- आर्थिक स्थिति में आया अचानक बदलाव उनके साथ हो रहे फाइनेंशियल एब्यूज का संकेत हो सकता है।
- सामान्य गतिविधियों में बदलाव, सक्रियता में कमी, असामान्य डिप्रेशन एल्डर एब्यूज के इमोशनल एब्यूज का संकेत हो सकते हैं।
- मेडिकल जरूरतों का पूरा न होना, साफ-सफाई में गिरावट, अचानक वजन कम होना उन्हें अनदेखी करने का संकेत हो सकता है।
- डरा या सहमा हुआ रहना, असहाय या कोई राय न रखना आदि, मौखिक या भावनात्मक हिंसा का संकेत हो सकते हैं।
- बुजुर्गों और केयरगिवर्स में बार-बार लड़ाई-झगड़ा होना।
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इसके अलावा, यह संकेत भी उनकी खराब शारीरिक स्थिति और मनोदशा की तरफ इशारा कर सकते हैं। जैसे-
- नींद में अचानक आया बदलाव
- हिंसात्मक हो जाना
- अकेले रहना
- बात न करना
- किसी एक व्यक्ति के लिए खास प्रकार का डर, आदि
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बुजुर्गों से दुराचार को कैसे किया जा सकता है खत्म?
बुजुर्गों से दुराचार अपने आप खत्म नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए उनके साथ या आसपास रह रहे लोगों को आगे आकर कदम उठाने की जरूरत है। यह नहीं सोचें कि, मेरे साथ जाने से कुछ होगा या नहीं या फिर कोई और साथ देगा कि नहीं, बल्कि खुद कदम उठाएं और बुजुर्गों के खो रहे आत्मसम्मान आदि को वापस दिलाने में मदद करें। इसके लिए आप निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं।
- अपने घर या जानकार बुजुर्गों या उनके केयरगिवर्स के पास थोड़ा समय बैठें या उनकी समस्याओं और चुनौतियों को सुनें।
- किसी एल्डर एब्यूज के बारे में पता लगने पर तुरंत संबंधित संस्था से संपर्क करके उन्हें सूचित करें।
- बुजुर्गों या लोगों को बुजुर्गों के साथ हो रही हिंसा को पहचानने के बारे में शिक्षित करें।
- जो बुजुर्ग नयी जगह रहने गए हों, उनसे हालचाल लेते रहें।
- समाज में बुजुर्गों से दुराचार को खत्म करने के लिए जागरुकता फैलाएं।
- जिन केयरगिवर्स पर अत्यधिक प्रेशर हों, उनकी मदद करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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