सेक्स हर इंसान की जरूरत है। इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग कुछ मामलों में जहां सामान्य है, तो कुछ मामलों में आपको डॉक्टरी सलाह की जरूरत पड़ सकती है। वर्तमान समाज में लोगों के दिमाग में यह भ्रम है कि पहली बार संभोग करने के बाद ब्लीडिंग होती है। जरूरी नहीं कि ऐसा हो ही। उत्तेजना से भरे सेक्स के बाद प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग का होना पूरी तरह सामान्य बात है। लेकिन यह भी संभव है कि कई लोगों को ब्लीडिंग हो ही नहीं।
पहली बार सेक्स के बाद ब्लीडिंग होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं में पहली बार सेक्स के बाद ब्लीडिंग इसलिए होता है क्योंकि उत्तेजना के कारण हाइमन (hymen) टूट जाता है। वजाइना की ओपनिंग में हाइमन एक झिल्ली जैसा होता है। पहली बार सेक्स करने के कारण यह झिल्ली टूटती है, इस कारण ब्लीडिंग हो सकती है।
लोगों को लगता है कि पहली बार सेक्स करने से हाइमन चोटिल होता है, जिससे यह खुलता है और खून निकलता है।
कुछ केस में हाइमन पूरी तरह से बंद रहता है, यह काफी रेयर कंडीशन है, इसे इम्परफॉरेट हाइमन (imperforate hymen) कहा जाता है, इसका उपचार एक्सपर्ट सर्जरी कर करते हैं।
प्राइवेट पार्ट में रफनेस के कारण भी फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग हो सकती है। तो कुछ मामलों में हाइमन के कारण ऐसा होता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग के पीछे के तथ्यों को जानेंगे। वहीं यह पता करेंगे कि यह सामान्य है या असामान्य, कब डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए और कब नहीं।
हर व्यक्ति का फर्स्ट टाइम सेक्स है अलग-अलग
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग का एहसास हर किसी को नहीं होता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग होता है। वहीं लोग अपने पसंद व जरूरत के हिसाब से सेक्स करते हैं। ज्यादातर लोग सेक्स को पेनिस व वजाइना के उत्तेजना से जोड़कर देखते हैं, तो कुछ ओरल सेक्स को सही ठहराते हैं। वहीं कुछ सेक्स टॉय व अन्य को सेक्स की परिभाषा मानते हैं। हर व्यक्ति के लिए इसके निजी मायने हैं। वो अपनी जरूरत के हिसाब से इसकी परिभाषा तय करता है।
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अपने डिसकंफर्ट को कर सकते हैं कम
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग के तहत कुछ चीजें हैं जिसे अपनाकर लोग अपने डिसकंफर्ट को कम कर सकते हैं। यदि आप पहली बार वजायना या एनल उत्तेजना हासिल करना चाहते हैं तो कुछ तरीके हैं जिसे अपनाकर आप ब्लीडिंग को कम कर सकते हैं, वहीं इन तरीकों को अपनाकर आपको सेक्स के दौरान दर्द का भी कम एहसास होगा। सेक्स के दौरान ब्लीडिंग तभी होती है जब आप पूरी तरह से एहतियात नहीं बरतते हैं।
लूब्रिकेंट का इस्तेमाल है बेहतर विकल्प
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग से बचाव के लिए लूब्रिकेंट का इस्तेमाल भी बेहतर विकल्प हो सकता है। यदि आप वजाइनल सेक्स कर रहे हैं तो उस दौरान हमारा शरीर प्राकृतिक तौर पर लूब्रिकेंट का रिसाव करता है। इस लूब्रिकेंट के कारण फ्रिक्शन में कमी आने के साथ महिलाओं को डिसकंफर्ट नहीं होता। कुछ मामलों में सेक्स करने से पहले थोड़ा ध्यान देने की जरूरत होती है, खासतौर पर पहली बार। वहीं यदि आप पहली बार एनल सेक्स करने की सोच रहे हैं तो लूब्रिकेंट का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि एनस लूब्रिकेंट का रिसाव नहीं करता है। लूब्रिकेंट को एनस पर और लिंग पर लगा आप सेक्स का आनंद ले सकते हैं।
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धीरे और आराम से करें संभोग
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग से बचाव के लिए बेहतर यही होगा कि आप धीरे-धीरे और आराम से संभोग की शुरुआत करें। यदि आप पेनिस इन वजाइना (पीआईवी) या पेनिस इन एनस (पीआईए) सेक्स का अनुभव करना चाहते हैं तो बेहतर यही होगा कि पार्टनर को तैयार करें। वहीं लिंग को योनि में डालने की बजाय छोटी चीज जैसे फिंगर या स्मॉल डिल्डो का इस्तेमाल आप कर सकते हैं। लेकिन धीरे-धीरे संभोग की क्रिया को कर, आप फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग से काफी हद तक बचाव कर सकते हैं।
मास्टरबेट कर शरीर के बारे में लें पूरी जानकारी
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग के एहसास से बचने के लिए और सेक्स के दौरान दर्द का कम एहसास हो इसलिए जरूरी है कि आप अपने शरीर के बारे में जान लें। ऐसा कर आप सेक्शुअल एहसास को थोड़ा बहुत पहले ही एहसास कर सकते हैं। महिलाएं वजाइना के साथ पेनिट्रेटिव मास्टरबेशन कर हाइमन के चोटिल होने से बच सकती हैं। ऐसा करने से हाइमन धीरे-धीरे कर समय के साथ खिंचेगा।
संभोग करने से पहले जरूरी बातें
- नाखूनों को अच्छे से काट लें : सेक्स उत्साहित करने वाली क्रिया है, इसमें कई लोग इतने खो जाते हैं कि वो न चाहते हुए भी अपने पार्टनर को चोट पहुँचा देते हैं। इसलिए जरूरी है कि एहतियात के तौर पर नाखूनों को अच्छे से काट लेनी चाहिए। यहां तक कि नाखून के न काटने के कारण भी फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग हो सकता है।
- सावधानी से करें सेक्स : सेक्स के दौरान आप फिंगरिंग या हाथों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो काफी सावधानीपूर्वक करें। इसलिए धीरे-धीरे कर सेक्स करना उचित होता है। प्राइवेट पार्ट काफी नाजुक होता है, यदि आपने ध्यानपूर्वक नहीं किया तो आप पार्टनर को तकलीफ हो सकता है।
- दांतों पर दें ध्यान : यदि आपके दांत नुकीलें व असामान्य रूप से विकसित है तो इससे चोट लग सकता है। खासतौर पर ओरल सेक्स के दौरान। इसके लिए आप डॉक्टरी सलाह भी ले सकते हैं।
सेक्स के लिए हमेशा मूड में रहना है जरूरी
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग से बचाव के लिए सेक्स के दौरान हमेशा मूड में रहना जरूरी होता है। इससे डिसकंफर्ट और ब्लीडिंग होने की संभावना काफी कम हो जाती है। क्योंकि वजाइना से प्राकृतिक तौर पर लूब्रिकेशन निकलता है जो सेक्स को आसान बनाता है। सेक्स को लेकर आप जब भी उत्तेजित होते हैं तो वजाइना खास प्रकार का तरल निकालता है जिससे सेक्स आसान हो जाता है। तो इसलिए जरूरी है कि हर बार सेक्स के पहले उत्तेजित होना चाहिए, इसके लिए क्लिटोरियल स्टिमुलेशन (Clitoral stimulation) की चाहें तो मदद ले सकते हैं। वहीं यदि वजाइना प्राकृतिक तौर पर रिसाव नहीं कर रहा है तो बेहतर यही होगा कि आप लूब्रिकेंट का इस्तेमाल करें।
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वजाइनल सेक्स के कारण भी हो सकता है ब्लीडिंग
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग के तहत जरूरी नहीं कि सिर्फ हाइमन के फटने के कारण ही ब्लीडिंग हो। ऐसा वजाइनल वाल में घर्षण व चोट लगने की वजह से भी हो सकता है। यदि आप वजाइनल सेक्स करने की सोच रहे हैं तो आपको सावधानी रखनी होगी कि ऐसा कोई भी काम न करें जिससे प्राइवेट पार्ट्स को नुकसान पहुंचे।
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एनल सेक्स को लेकर बरतें सावधानी
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग के तहत एनल सेक्स के दौरान भी ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए इस सेक्स के दौरान और सावधान रहने की आवश्यकता होती है। वजाइनल टिशू की तुलना में एनल टिशू सख्त होते हैं। वहीं एनस लूब्रिकेशन का रिसाव नहीं करते हैं। ऐसे में यदि आपने सावधानी नहीं बरती तो आपको फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग का एहसास हो सकता है।
एनल सेक्स करने के दौरान जरूरी है कि एनिमा का इस्तेमाल कर रेक्टम के आसपास की जगह को साफ करें। लिंग की बजाय किसी टॉय जैसी वस्तु से टिशू को बड़ा कर सकते हैं। इस सेक्स के दौरान रिलेक्स होना भी जरूरी होता है। आप रिलेक्स नहीं हुए तो मसल्स टाइट हो जाते हैं। इस कारण उत्तेजना हासिल नहीं कर पाते हैं। आपको दर्द और ब्लीडिंग का एहसास हो सकता है। आप चाहें तो अपने पार्टनर से बात भी कर सकते हैं। आपका पार्टनर कैसे उत्तेजित होता है इसको लेकर बात करें।
क्या पहली बार सेक्स का संबंध एसटीआई से है?
लोगों में गलत धारणा है कि पहली बार सेक्स करने से सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होता है। बल्कि जब भी आप किसी दूसरे पार्टनर के साथ सेक्शुअल कॉन्टैक्ट स्थापित करते हैं तो उससे सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी) हो सकती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किसी अन्य व्यक्ति के साथ पहली बार सेक्स करें या अनेकों बार। यदि संक्रमित व्यक्ति के साथ आपने बिना सुरक्षा के शारिरिक संबंध बनाया तो उससे संक्रमण फैल सकता है।
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यौन संबंधित रोगों से बचने के लिए अपनाएं यह तरकीब
- डेंटल डैम या फिंगर कोट का करें इस्तेमाल : उत्तेजना हासिल करने के लिए वजाइना या एनस में फिंगरिंग करते हैं तो उसके लिए जरूरी है कि आप फिंगर कोट्स या ग्लव्स का इस्तेमाल करें। आप ओरल, वजाइना या एनल सेक्स करते हैं तो उस दौरान डेंटल डैम का इस्तेमाल करना चाहिए। आप चाहें तो कंडोम को स्कवॉयर की तरह काटकर डेंटल डैम बना सकते हैं, या मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं।
- कंडोम का इस्तेमाल करें : कॉन्डोम लिंग के लिए होता है। यह भी संभव है कि सेक्स टॉय का इस्तेमाल यदि एक व्यक्ति कर दूसरे को दे तो उससे भी यौन संक्रमण हो सकता है। इसलिए हमेशा एसटीआई से बचाव के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें।
- नियमित तौर पर एसटीडी की कराएं जांच : सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी) से बचाव का एकमात्र तरीका यही है कि आप नियमित तौर पर इसकी जांच कराते रहें। चाहे आप किसी अन्य महिला व पुरुष के साथ संबंध बनाए या नहीं, लेकिन नियमित चेकअप कराते रहना चाहिए।
पीआईवी सेक्स करते हैं तो प्रेग्नेंसी की है संभावना
आप पेनिस इन वजाइना (पीआईवी) सेक्स करते हैं तो उसके कारण गर्भ ठहरने की संभावना रहती है। आप प्रेग्नेंसी चाहते हैं तो उसके लिए कोई बात नहीं, यदि प्रेग्नेंसी नहीं चाहते हैं तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए या फिर हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। वो आपको आपके हेल्थ कंडीशन को ध्यान में रखते हुए कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सुझाव दे सकते हैं।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग के केस में कब लें डॉक्टरी सलाह
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग या फिर सेक्स के दौरान ब्लीडिंग किसी अन्य बीमारी की ओर भी इशारा करती है, इसलिए जरूरी है कि जब भी आपको अपने शरीर में इस प्रकार की परेशानी महसूस हो तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए, जैसे-
- सर्विसिटिस (cervicitis)
- वैजिनाइटिस (vaginitis)
- वजायनल ड्राईनेस
- पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (pelvic inflammatory disease)
इस प्रकार के लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- पेशाब करने में दर्द का एहसास
- असामान्य डिस्चार्ज
- एब्डॉमिनल और लोअर बैक पेन
- जेनाइटल्स के आसपास खुजली और बर्निंग सेनसेशन
- फर्स्ट टाइम सेक्स के दौरान दर्द
- सेक्स खत्म होने के बाद भी ब्लीडिंग का नहीं रूकना
सेक्स के बाद या दौरान शरीर में इस प्रकार का कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। यदि न लिया जाए तो तबीयत और ज्यादा खराब हो सकती है। सेक्स के बाद अत्यधिक ब्लीडिंग का अर्थ सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीआई) से है।
सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज के सामान्य लक्षण
- बुखार
- पेल्विक और एब्डॉमिनल पेन
- रैशेस
- वार्ट्स, बंप और सोर्स
- पेशाब का रंग बदलना
- असामान्य डिस्चार्ज
आपको संदेह है कि आप कहीं सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से ग्रसित तो नहीं तो ऐसे में आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
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ध्यान देने योग्य बातें
फर्स्ट टाइम सेक्स ब्लीडिंग जहां कुछ लोगों को हो सकती है तो कुछ लोगों में यह नहीं भी होती है, इसमें हैरान होने जैसी कोई बात नहीं है। सेक्स के दौरान सामान्य से अधिक ब्लीडिंग हो रही है या ऐसा हर सेक्शुअल एक्टीविटी के बाद हो रहा है यह ध्यान दें और डॉक्टर से तुरन्त सलाह लें।
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