ऊपर बताए गए कारणों के अलावा अगर किसी अन्य कारण से महिला की योनि के आकार में परिवर्तन होता है, तो उसका उपचार किया जा सकता है और फिर से योनि टाइट हो सकती है।
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मेनोपॉज का योनि टाइटनिंग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) से गुजरने वाली अधिकतर महिलाओं को योनि में ढीलेपन की शिकायत हो सकती है। उनका मानना होता है कि योनि के ऊतक पतले होने की वजह से योनि की त्वचा ढीली हो गई है। लेकिन, सच्चाई इसके विपरीत है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में हार्मोन्स बदलते हैं जिससे योनि के ऊतक कुछ हद तक पतले हो जाते हैं। हालांकि, इससे योनि की त्वचा ढीली नहीं होती है।
इसके अलावा एक बात का ध्यान रखें कि योनि का आकार प्राकृतिक रूप से सिर्फ दो कारणों की वजह से ही ज्यादा बढ़ता है, पहला बच्चे को जन्म देना और दूसरा बढ़ती उम्र। जैसा कि ऊपर बता चुके हैं कि बच्चे के जन्म के बाद महिला की योनि का आकार प्राकृतिक रूप से बढ़ जाता है और उसकी त्वचा के ऊतक भी ढीले हो जाते हैं।
इसी तरह बढ़ती उम्र के निशान जिस तरह चेहरे की त्वचा और हड्डियों के स्वास्थ्य पर पड़ते हैं, ठीक उसी तरह यह योनि के ऊतकों को भी प्रभावित करते हैं।
योनि में कसाव अगर बनाए रखना है, तो महिलाएं योनि की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। योनि को हमेशा सूखा रखें। संभोग के दौरान पैरों को कम फैलाएं।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से भी बात करें। याद रखें कि वजायना का हमेशा लूज रहना एक मिथ है और कुछ नही। उम्र और डिलीवरी के कारण भले ही वजायना फैल जाती है लेकिन, ये हमेशा के लिए ऐसी नहीं रहती। कुछ समय बाद ये अपनी शेप में वापस आ जाती है।