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एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

रिसर्च का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एड्स जैसी महामारी से निपटने के लिए अपनाया गया कैस्केड-ऑफ-केयर मॉडल को अपनाकर डायबिटीज की महामारी से भी निपटा जा सकता है। कैस्केड-ऑफ-केयर मॉडल में यह पता करना शामिल है कि कितने रोगी एक निश्चित मेडिकल कंडिशन के साथ रह रहे हैं और कितने अपनी बीमारी के लिए केयर और ट्रीटमेंट प्राप्त कर रहे हैं। यह मॉडल एचआईवी केयर में गैप्स की पहचान करने में सफल रहा है। अब, यह कहा जा रहा है कि एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) भी संभव है। खासकर यह उन रोगियों की पहचान करने में महत्वपूर्ण रूप से मदद कर सकता है जिनका निदान नहीं किया गया है। ऐसे में एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) कितना प्रभावी हो सकता है, आइए जानते हैं इस आर्टिकल में।

कैस्केड-ऑफ-केयर मॉडल क्या है? (Cascade-of-care model) 

स्टडी के को-ऑथर एमोरी यूनिवर्सिटी के मोहम्मद के. अली के अनुसार कैस्केड-ऑफ-केयर मॉडल (Cascade-of-care model) एक विज़ुअल डायग्राम (visual diagram) है जो एंटायर केयर कन्टीन्यूम (Entire care continuum) को दर्शाता है। यह डॉक्टरों को यह देखने में मदद करता है कि डायबिटीज जैसी किसी विशेष स्थिति वाले लोगों की देखभाल में कहां कमी आती है।

क्या उन्हें वह देखभाल मिल रही है जो उन्हें केयर कन्टीन्यूम में हर पॉइंट पर मिलनी चाहिए? यह पहचानने का एक तरीका है कि कौन जानता है कि उन्हें बीमारी है, कौन डिजीज की केयर में लगा हुआ है, और वे उस डिजीज को कितना अच्छे से मैनेज कर रहे हैं। यह सब कैस्केड-ऑफ-केयर मॉडल बताता है।

और पढ़ें: प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज (Pregestational diabetes): क्या आप जानते हैं इस स्थिति के बारे में?

 कई एडल्ट नहीं जानते कि उन्हें डायबिटीज (Diabetes) है!

एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model)

एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन (Annals of Internal Medicine) में प्रकाशित, 2007 से 2012 तक नेशनल हेल्थ एंड नुट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वे (एनएचएएनईएस) के आंकड़ों की मानें तो 2012 में, अनुमानित 28.4 मिलियन अमेरिकी वयस्कों को डायबिटीज था। उनमें से 30 प्रतिशत या लगभग 8 मिलियन अमेरिकी एडल्ट्स इस बात से अनजान थे कि वे डायबिटिक हैं।

निदान किए गए वयस्कों में, 95 प्रतिशत के पास सामान्य केयर प्रोवाइडर था और लगभग 92 प्रतिशत लोगों ने बीते साल में अपने डॉक्टर को दो या दो से अधिक बार विजिट भी किया था। इसके विपरीत, निदान न किए गए वयस्कों में, 85 प्रतिशत के पास सामान्य केयर प्रोवाइडर था और 67 प्रतिशत ने पिछले वर्ष में दो या दो से अधिक बार डॉक्टर के पास विजिट किया था।

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क्या हम एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) कर सकते हैं?

“कैस्केड-ऑफ-केयर” मॉडल जिसका उपयोग एचआईवी और एड्स केयर के लिए किया जाता है, डायबिटीज केयर में भी सुधार कर सकता है। यानी कि एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) हो सकता है। यह खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जिन्हें यह नहीं पता होता है कि वे डायबिटिक हैं। कैस्केड मॉडल की मदद से पॉलिसीमेकर्स को भी यह तय करने में आसानी होगी कि केयर डिलीवरी में सबसे बड़ा गैप आखिर आ कहां रहा है। फिर वे पेशेंट्स की सब-पॉपुलेशन की पहचान कर सकते हैं जो प्रतिकूल परिणामों के लिए सबसे अधिक रिस्क में हो सकते हैं या जो डायबिटीज रोगियों के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।

नई रिसर्च में पाया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लगभग एक तिहाई अमेरिकी वयस्कों में रेगुलर केयर की नियमित पहुंच के बावजूद भी उनमें डायबिटीज अनडायग्नोसड ही रहता है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि “कैस्केड-ऑफ-केयर” मॉडल को देखकर जिसे एचआईवी/एड्स केयर में अंतराल खोजने के लिए सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है, डायबिटीज के डायग्नोसिस, इंगेजमेंट और ट्रीटमेंट के बारे में भी जागरूकता बढ़ा सकता है। एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) के बाद जानिए स्क्रीनिंग कितनी जरूरी है। एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट की जानकारी एक्सपर्ट से जरूर लें।

 स्क्रीनिंग कितनी जरूरी है?

  • यह माना जाता है कि अनुपचारित डायबिटीज से होने वाले कॉम्प्लिकेशन्स के कारण हेल्थ केयर में भारी खर्च होता है। पिछले 3 वर्षों में, 45 वर्ष से अधिक उम्र के केवल 2% लोगों में डायबिटीज की जांच की गई थी, जो कि अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा अनुशंसित से बहुत कम है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 20 साल और उससे अधिक उम्र के अमेरिकी वयस्कों में से केवल 43.6% में डायबिटीज स्क्रीनिंग हुई और यह खासकर उन लोगों पर केंद्रित था जो ओबेसिटी या अधिक वजन की समस्या से ग्रस्त थे।
  • स्टडी में पाया गया कि 18 से 44 वर्ष की आयु के पुरुषों और युवा वयस्कों में अनियंत्रित मधुमेह अधिक कॉमन है। इसका एक कारण यह है कि यंग एडल्ट्स को लगता है कि वे डायबिटीज जैसी बीमारी के लिए अभी काफी यंग हैं, इसलिए वे स्क्रीनिंग के लिए नहीं जाते हैं या नियमित रूप से केयर प्रोवाइडर के पास विजिट नहीं करते हैं।
  • अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के चीफ साइंटिफिक और मेडिकल ऑफिसर रॉबर्ट रैटनर ने कहा, सीडीसी (सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल) के महामारी विज्ञान अध्ययनों के आधार पर पाया गया कि 27% लोग अनडायग्नोस्ड हैं। उन्होंने एंडोक्रिनोलॉजी एडवाइजर को बताया कि जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) हुई है, उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बहुत अधिक होता है और इसलिए समय-समय पर उनकी जांच की जानी चाहिए। इसलिए, स्क्रीनिंन गाइडलाइन्स को इम्प्रूव करके हम इस दिशा में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं।

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तीन रिस्क फैक्टर्स को कंट्रोल करना है जरूरी

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अनडायग्नोस्ड किए गए लोग उनकी केयर में उतना इंगेज नहीं होते हैं जितना कि डायग्नोस्ड लोग होते हैं। निदान किए गए मधुमेह रोगियों में से 60 से 65 प्रतिशत लोगों ने अपने ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर लेवल को कंट्रोल किया, लेकिन केवल 20 से 25 प्रतिशत ही ये तीनों रिस्क फैक्टर्स (ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल) को नियंत्रित करते हैं। जो लोग इन तीनों रिस्क फैक्टर्स को नियंत्रित करते हैं उनमें डायबिटीज के साथ-साथ हार्ट डिजीज, किडनी की बीमारी और आंखों की बीमारी को रोकने में भी मदद मिलती है।

“कैस्केड-ऑफ-केयर मॉडल” एक विशिष्ट बीमारी के लिए हेल्थ सिस्टम द्वारा केयर डिलीवरी के मूल्यांकन के लिए उपयोगी मॉडल है। एचआईवी केयर की पर्याप्तता का इवैल्यूएशन करने के लिए इस मॉडल का व्यापक रूप से कई देशों में उपयोग किया गया है जिसका सक्सेस रेट काफी प्रभावशाली रहा है। इसका उपयोग टाइप II डायबिटीज और हेपेटाइटिस सी सहित अन्य बीमारियों के लिए भी किया गया है।

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एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) के बारे में जान लें

एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) करना एक अच्छी पहल साबित हो सकती है। इससे यह पता लगाना भी आसान होगा कि हम एक्चुअली में कहां लैक कर रहे हैं, जिससे इम्प्रूवमेंट को जारी रखने में मदद मिलेगी। भारत में डायबिटीज रोगियों की वास्तविक संख्या की बात की जाए तो यह लगभग 40 मिलियन है। डायबिटीज एक्सप्लोजन से बचने के लिए भारत में इस तरह के एफर्ट को तुरंत लागू करने की जरूरत है। एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।

उम्मीद करते हैं कि आपको एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। हालांकि, एड्स केयर मॉडल के साथ डायबिटीज ट्रीटमेंट (Diabetes Treatment with AIDs Care Model) के बारे में अधिक पता करने के लिए अभी और स्टडीज करने की आवश्यकता है।  अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

09/05/2022

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Manjari Khare


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Sayali Chaudhari

फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/05/2022

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