प्रीडायबिटीज (Prediabetes) स्थिति होने पर। टाइप टू डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की समस्या होने पर। पीसीओएस (PCOS) की समस्या होने पर। हार्ट डिजीज (Heart disease) की समस्या होने पर। मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) की समस्या होने पर। और पढ़ें : डायबिटीज में ओमेगा 3 कैप्सूल या नैचुरल ओमेगा 3 फूड हैं लाभकारी?
इंसुलिन टेस्ट (Insulin test) के पहले क्या होता है?
इंसुलिन टेस्ट (Insulin test) से पहले पेशेंट को भूखे रहने की सलाह दी जाती है। ज्यादातर डॉक्टर टेस्ट के 8 घंटे पहले से ही खाने पीने पर पाबंदी लगा सकते हैं। हालांकि कुछ केसेस में ऐसा नहीं होता है। इसके साथ ही इस दौरान पेशेंट को ध्यान रखना चाहिए कि अगर आप किसी भी तरह की दवाओं (Medication) या हर्बल सप्लिमेंट्स (Herbal supplements) का सेवन करते हैं, तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को अवश्य दें, क्योंकि डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन (Health Condition) को ध्यान में रखते हुए इन मेडिकेशन को भी नहीं लेने की सलाह दे सकते हैं।
इंसुलिन टेस्ट (Insulin test) के दौरान क्या किया जाता है?
इंसुलिन टेस्ट की प्रक्रिया ब्लड टेस्ट (Blood test) की तरह है। इस टेस्ट के दौरान पेशेंट के आर्म पर एक एलास्टिक बांधी जाती है, जिससे नर्व आसानी से दिखाई देते हैं। अब उस एरिया को कॉटन की सहायता से डॉक्टर या नर्स क्लीन करते हैं और फिर निडिल की सहायता से ब्लड सेंपल लेते हैं। इस दौरान हल्का दर्द या चुभन महसूस हो सकता है।
इंसुलिन टेस्ट (Insulin test) के बाद क्या होता है?
इंसुलिन टेस्ट के बाद सुई वाली जगह पर कॉटन या छोटी सी बैंडेज लगाई जाती है, जिससे ब्लड निकलने का खतरा कम हो जाता है। अब डॉक्टर या नर्स पेशेंट को कुछ देर तक हॉस्पिटल रुकने की सलाह देते हैं। अगर पेशेंट को इस दौरान चक्कर या घबराहट महसूस हो रही है, तो कुछ देर तक एक ही जगह पर बैठना चाहिए। वैसे इंसुलिन टेस्ट के 10 से 15 मिनट के बाद आप फ्री जाएंगें।
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इंसुलिन टेस्ट के जोखिम क्या है? (Risk factor of Insulin test)
इंसुलिन टेस्ट के जोखिम निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- इंजेक्शन वाली जगह से खून (Blood) निकलना।
- निशान (Patch) पड़ना।
- चक्कर (Dizziness) आना।
- बेहोश (Faint) होना।
- इंफेक्शन (Infection) का खतरा होना।