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हार्ट डिजीज ही नहीं बल्कि उससे जुड़ी गंभीर समस्याओं के बारे में भी आपको होनी चाहिए जानकारी!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    हार्ट डिजीज ही नहीं बल्कि उससे जुड़ी गंभीर समस्याओं के बारे में भी आपको होनी चाहिए जानकारी!

    हमारा दिल शरीर के अन्य अंगों की तरह ही महत्वपूर्ण है, जो पूरे शरीर में ब्लड को पंप करता है। हार्ट डिजीज उन सभी समस्याओं को कहा जा सकता है जिसमें हार्ट के स्ट्रक्चर और फंक्शन प्रभावित होते हैं। यानी हार्ट डिजीज उन स्थितियों के बारे में बताती हैं जिनसे रोगी के हार्ट मसल्स, हार्ट वॉल्व्स, कोरोनरी आर्टरीज या हार्ट रिदम सही से काम नहीं कर पाते हैं। कुछ स्थितियां हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स का भी कारण बन सकती है। हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) तब होती हैं, जब हार्ट उतना खून प्राप्त नहीं कर पाता है, जितने खून की उसे जरूरत होती है। यह जटिलताएं आमतौर पर तब होती है जब प्लाक के कारण ब्लड वेसल्स ब्लॉक हो जाती हैं। आइए जानते हैं हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) के बारे में विस्तार से।

    हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications)

    हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) यानी वो स्थितियां जिनमें हार्ट को अपना निर्धारित काम करने में समस्या होती है। हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) गंभीर स्थितियां हैं जो रोगी के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। इन स्थितियों में तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है। हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स इस प्रकार हैं:

    हार्ट अटैक के बारे में जानें इस 3-D मॉडल के माध्यम से

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    हार्ट फेलियर (Heart Failure)

    हृदय रोग के कारण हार्ट कमजोर हो सकता है। हार्ट फेलियर तब होता है जब हार्ट सही तरीके से ब्लड पंप नहीं कर पाता। हमारे हार्ट मसल्स बहुत मजबूत होते हैं, लेकिन समय के साथ या किन्हीं कारणों से यह कमजोर हो सकती हैं और उन्हें अपना काम करने में मुश्किल होती है। इसके कारण खून फेफड़ों में वापस जा सकता है। इसके साथ ही फ्लूइड शरीर के अन्य हिस्सों में भी बनना शुरू हो जाता है। यह सब हार्ट फेलियर (Heart Failure) का कारण बनते हैं। हार्ट फेलियर को हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) में सबसे खतरनाक माना जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

    • सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
    • एड़ियों में सूजन( Swelling of the ankles)
    • व्हीजिंग (Wheezing)
    • थकावट (Fatigue)

    हार्ट फेलियर रिवर्सिबल नहीं है। लेकिन, इसके उपचार में लाइफस्टाइल में बदलाव और मेडिसिन शामिल है। इसके साथ ही अगर ट्रीटमेंट वर्क न करे, तो हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी (Heart Transplant Surgery) भी की जा सकती है।

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    हार्ट अटैक (Heart Attack)

    हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) में अगली बीमारी है हार्ट अटैक। हार्ट अटैक की समस्या तब होती है। जब कोरोनरी आर्टरीज इतनी संकरी हो जाती हैं, कि हार्ट तक ब्लड सप्लाई नहीं हो पाती। ऐसा अक्सर तब होता है जब आर्टरीज में कोलेस्ट्रॉल बिल्डअप हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल ब्लड वेसल को ब्लॉक कर सकता है। ऑक्सीजन न मिलने के कारण हार्ट सेल्स डेड होना शुरू हो जाते हैं। इसके लक्षणों में सांस लेने में समस्या, छाती में दर्द, पसीना आना आदि शामिल हैं।  हार्ट अटैक अचानक बदतर हो सकता है। हार्ट अटैक (Heart Attack) के दौरान दिल धड़कना बंद कर देता है। इस स्थिति में तुरंत मेडिकल उपचार की जरूरत होती है। इसके उपचार में दवाइयां, सर्जरी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही रोगी के लिए अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन करना भी जरूरी है।

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    स्ट्रोक (Stroke)

    हृदय रोग के कारण होने वाले स्ट्रोक को इस्कीमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke) कहा जाता है। जिसका अन्य नाम सेरिब्रल एम्बोलिस्म (Cerebral Embolism) है। स्ट्रोक का अर्थ है कि प्रभावित व्यक्ति के हार्ट में ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) बने हैं जो उसके दिमाग तक ट्रेवल कर सकते हैं। अगर यह क्लॉट दिमाग तक पहुंच जाते हैं, तो ब्लड सप्लाई पूरी तरह से रुक सकती है और स्ट्रोक हो सकता है। इस्कीमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke) के लक्षण इस प्रकार हैं:

    इस स्थिति में अगर रोगी को जल्दी से जल्दी उपचार न मिले सके तो ब्रेन के महत्वपूर्ण हिस्सों में सेल्स डेड हो सकते हैं। इस समस्या का उपचार दवाइयों, सर्जरी और अन्य तकनीकों से किया जा सकता है।

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    पल्मोनरी एडिमा (Pulmonary Edema)

    पल्मोनरी एडिमा के कारण लंग्स में फ्लूइड भर जाता है। यह हार्ट फेलियर का सबसे सामान्य कारण है। इससे हार्ट कमजोर हो जाता है और उस तरह से ब्लड पंप नहीं कर पाता, जैसे उसे करना चाहिए। इसलिए, खून लंग्स के ब्लड वेसल्स में वापस चला जाता है। यह फ्लूइड के लीक होने का कारण बनता है। पल्मोनरी एडिमा (Pulmonary Edema) के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    पल्मोनरी एडिमा (Pulmonary Edema) एक तरह की मेडिकल इमरजेंसी है। इसका तुरंत उपचार होना आवश्यक हैं। इसके उपचार में ब्लड प्रेशर और फ्लूइड को कम करने के लिए दवाईयां शामिल हैं। इसके साथ ही रोगी के लिए हेल्दी हैबिट्स अपनाना भी जरूरी हैं।

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    एन्यूरिज्म (Aneurysm)

    एन्यूरिज्म आर्टेरियल वॉल के कमजोर होने के कारण आर्टरी के एनलार्जमेंट को कहा जाता है। इस स्थिति में अधिक लोगों को इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है लेकिन गंभीर स्टेज पर पहुंचने पर यह समस्या जानलेवा हो सकती है। इस रोग के कारण कई आर्टरीज प्रभावित हो सकती हैं। दिल को प्रभावित करने वाले एन्यूरिज्म (Aneurysm) को एओर्टिक एन्यूरिज्म (Aortic Aneurysm) कहा जाता है। हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और स्मोकिंग (Smking) इस समस्या के मेजर रिस्क फैक्टर्स हैं। इस बीमारी के उपचार में डॉक्टर सर्जिकल ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं। इसके उपचार में दवाइयां और हेल्दी लाइफस्टाइल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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    एंजाइना (Angina)

    हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) में अगला रोग है एंजाइना (Angina)। एंजाइना हार्ट डिजीज के कारण होने वाली चेस्ट पेन है। यह दर्द हार्ट अटैक के जैसी नहीं होती है, लेकिन यह एक वार्निंग लक्षण हो सकते हैं। यह समस्या होने पर रोगी की एक्टिविटीज़ लिमिटेड हो सकती हैं और उसके लाइफस्टाइल में ही बदलाव आ सकता है। इसमें रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे उसकी छाती पर दवाब पड़ रहा है। इस समस्या में चेस्ट पेन के साथ ही अन्य कई लक्षण भी नजर आ सकते हैं जैसे थकावट, जी मचलना, सांस लेने में समस्या, स्वेटिंग आदि।

    नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट (National Heart, Lung, and Blood Institute) के अनुसार एंजाइना का ट्रीटमेंट कई बातों पर निर्भर करता है जैसे रोगी के लक्षण, टेस्ट रिजल्ट और जटिलताओं का जोखिम आदि। अनस्टेबल एंजाइना एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। लेकिन अगर आपकी यह समस्या स्टेबल है और लक्षण बदतर नहीं हो रहे हैं तो इस स्थिति में इस समस्या के उपचारों में दवाइयां, सर्जरी और जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल हैं।

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    एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation)

    एट्रियल फिब्रिलेशन एक असामान्य हार्टबीट है। इस समस्या में हार्ट बीट तेज हो सकती है या एकदम कम हो सकती है। यानी, इसमें दिल इर्रेगुलर पैटर्न में धड़कता है। एट्रियल फिब्रिलेशन के लक्षण इस प्रकार हैं

    • सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
    • पैल्पिटेशन (Palpitations)
    • कमजोरी (Weakness)

    एट्रियल फिब्रिलेशन के कारण स्ट्रोक की संभावना बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस रोग के दौरान रोगी का हार्ट अधिक ब्लड क्लॉट्स बनाता है। यह क्लॉट्स हार्ट से निकल कर दिमाग में बहने वाले खून को ब्लॉक कर सकते हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन के उपचार में दवा के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी (Coronary Artery Bypass Surgery), हार्ट रेट (Heart Rate) और रिदम को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए किए जाने वाले अन्य ऑपरेशन शामिल हो सकते हैं।

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    कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest)

    कार्डिएक अरेस्ट की समस्या हार्ट अटैक के जैसी नहीं होती है। दरअसल हार्ट कार्डिएक अरेस्ट के दौरान धड़कना बंद कर देता है। इसमें रोगी की पल्स नहीं होती है। इसका अर्थ है कि दिमाग और अन्य अंगों तक ब्लड फ्लो नहीं कर पाता है। यह समस्या होने पर रोगी की कुछ ही सेकंड्स में जान तक जा सकती है। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) और डिफिब्रिलेशन (Defibrillation) इस रोग के इमरजेंसी उपचारों में शामिल हैं। इन उपचारों से हार्ट बीट को फिर से शुरू किया जा सकता है। कार्डिएक अरेस्ट होने के बाद रोगी को दवाईयों, सर्जरी और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जा सकती है।

    यह तो थी हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) से जुड़ी पूरी जानकारी। हार्ट डिजीज से प्रभावित लोगों का उपचार कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे रोगी को किस तरह की हार्ट डिजीज है। अगर डॉक्टर किसी व्यक्ति में हार्ट डिजीज का निदान करते हैं तो इसका अर्थ है कि रोगी को नियमित जांच करानी चाहिए और डॉक्टर के बताएं निर्देशों का भी पालन करना जरूरी है। आइए, जानते हैं कि इन हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) से कैसे बचा जा सकता है?

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    हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स से बचाव (Prevention of Heart Disease Complications)

    हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) का अगर उपचार नहीं कराया जाता है तो समय के साथ यह कॉम्प्लीकेशन्स बदतर हो सकती हैं। यह समस्याएं जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इससे बचने के लिए आपको न केवल सही इलाज की जरूरत होगी बल्कि आपको अपने लाइफस्टाइल में कुछ हेल्दी बदलाव भी करने चाहिए। यह हेल्दी बदलाव इस प्रकार हैं:

    • हार्ट हेल्दी डायट (Heart Healthy Diet) का पालन करें।
    • नियमित रूप से व्यायाम (Regular Exercise) करें।
    • तनाव से बचें (Avoid Stress)
    • अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करें (Reduce Excess Weight)
    • पर्याप्त आराम करें और नींद ले (Enough Rest and Sleep)
    • डॉक्टर से नियमित जांच कराएं (Regular Check-up)

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    उम्मीद है कि आप हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) के बारे में जान गए होंगे। यह समस्याएं न केवल गंभीर बल्कि रोगी के जीवन को भी पूरी तरह से बदलने वाली होती हैं जो आपको शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करती हैं। इन समस्याओं के कारण रोगी असहाय, डिप्रेस्ड या हताश अनुभव कर सकता है। अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखना, अन्य लोगों से मिलना-जुलना और प्रियजनों का साथ रहना रोगी के जल्दी ठीक होने का मुख्य भाग हैं। इसके साथ ही जरूरी है रोगी का सकारात्मक रहना। सकारात्मक रहने से भी आपको जल्दी रिकवर होने मदद मिलेगी।

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