हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) में अगला रोग है एंजाइना (Angina)। एंजाइना हार्ट डिजीज के कारण होने वाली चेस्ट पेन है। यह दर्द हार्ट अटैक के जैसी नहीं होती है, लेकिन यह एक वार्निंग लक्षण हो सकते हैं। यह समस्या होने पर रोगी की एक्टिविटीज़ लिमिटेड हो सकती हैं और उसके लाइफस्टाइल में ही बदलाव आ सकता है। इसमें रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे उसकी छाती पर दवाब पड़ रहा है। इस समस्या में चेस्ट पेन के साथ ही अन्य कई लक्षण भी नजर आ सकते हैं जैसे थकावट, जी मचलना, सांस लेने में समस्या, स्वेटिंग आदि।
नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट (National Heart, Lung, and Blood Institute) के अनुसार एंजाइना का ट्रीटमेंट कई बातों पर निर्भर करता है जैसे रोगी के लक्षण, टेस्ट रिजल्ट और जटिलताओं का जोखिम आदि। अनस्टेबल एंजाइना एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। लेकिन अगर आपकी यह समस्या स्टेबल है और लक्षण बदतर नहीं हो रहे हैं तो इस स्थिति में इस समस्या के उपचारों में दवाइयां, सर्जरी और जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल हैं।
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एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation)
एट्रियल फिब्रिलेशन एक असामान्य हार्टबीट है। इस समस्या में हार्ट बीट तेज हो सकती है या एकदम कम हो सकती है। यानी, इसमें दिल इर्रेगुलर पैटर्न में धड़कता है। एट्रियल फिब्रिलेशन के लक्षण इस प्रकार हैं
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
- पैल्पिटेशन (Palpitations)
- कमजोरी (Weakness)
एट्रियल फिब्रिलेशन के कारण स्ट्रोक की संभावना बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस रोग के दौरान रोगी का हार्ट अधिक ब्लड क्लॉट्स बनाता है। यह क्लॉट्स हार्ट से निकल कर दिमाग में बहने वाले खून को ब्लॉक कर सकते हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन के उपचार में दवा के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी (Coronary Artery Bypass Surgery), हार्ट रेट (Heart Rate) और रिदम को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए किए जाने वाले अन्य ऑपरेशन शामिल हो सकते हैं।
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कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
कार्डिएक अरेस्ट की समस्या हार्ट अटैक के जैसी नहीं होती है। दरअसल हार्ट कार्डिएक अरेस्ट के दौरान धड़कना बंद कर देता है। इसमें रोगी की पल्स नहीं होती है। इसका अर्थ है कि दिमाग और अन्य अंगों तक ब्लड फ्लो नहीं कर पाता है। यह समस्या होने पर रोगी की कुछ ही सेकंड्स में जान तक जा सकती है। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) और डिफिब्रिलेशन (Defibrillation) इस रोग के इमरजेंसी उपचारों में शामिल हैं। इन उपचारों से हार्ट बीट को फिर से शुरू किया जा सकता है। कार्डिएक अरेस्ट होने के बाद रोगी को दवाईयों, सर्जरी और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जा सकती है।
यह तो थी हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) से जुड़ी पूरी जानकारी। हार्ट डिजीज से प्रभावित लोगों का उपचार कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे रोगी को किस तरह की हार्ट डिजीज है। अगर डॉक्टर किसी व्यक्ति में हार्ट डिजीज का निदान करते हैं तो इसका अर्थ है कि रोगी को नियमित जांच करानी चाहिए और डॉक्टर के बताएं निर्देशों का भी पालन करना जरूरी है। आइए, जानते हैं कि इन हार्ट डिजीज कॉम्प्लिकेशन्स (Heart Disease Complications) से कैसे बचा जा सकता है?
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