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फंगल इंफेक्शंस (Fungal Infections)
यह इंफेक्शन आमतौर पर पपड़ीदार त्वचा और कभी-कभी छोटे फफोले द्वारा लाल रैशेज का कारण बनता है। कवक को विकसित होने के लिए नमी की जरूरत होती है, इसलिए यह इंफेक्शन गर्म और नमी वाली जगह पर अधिक होता है। इसके सामान्य प्रकार इस तरह से हैं।
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- यीस्ट इंफेक्शन जैसे थ्रश (Yeast Infections, such as Thrush)
- एथलिट’स फुट (Athlete’s Foot)
- बार-बार होने वाले फफोले (Recurring Blisters)
- रिंगवर्म (Ringworm)
डायबिटिक डर्मोपैथी (Diabetic Dermopathy)
इस स्थिति में त्वचा पर सर्कुलर, लाल या हल्के भूरे रंग के पैच ,होते हैं, जो आमतौर पर काल्फ यानी हमारे पैरों का घुटनों से पंजों के बीच का भाग या शरीर के अन्य हड्डियों वाले हिस्सों पर दिखाई देते हैं। ऐसा माना जाता है कि टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 33 प्रतिशत और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 39 प्रतिशत लोगों को डायबिटिक डर्मोपैथी (Diabetic Dermopathy) होने की संभावना होती है। यह स्थिति नर्व और ब्लड वेसल डैमेज के कारण होती है। डायबिटिक डर्मोपैथी (Diabetic Dermopathy) के घाव राउंड और ओवल शेप के होते हैं। हालांकि यह घाव हानिरहित होते हैं और उन्हें किसी उपचार की जरूरत नहीं होती। अपने शरीर के ब्लड ग्लूकोज लेवल को सही रखने पर यह खुद ही ठीक हो जाते हैं।
डायबिटिक अल्सर (Diabetic Ulcers)
टाइप 2 डायबिटीज और त्वचा से संबंधित अगली समस्या है डायबिटिक अल्सर (Diabetic Ulcers)। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को पैरों से संबंधित समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। कभी-कभी, यह मामूली जख्म बड़े घाव बन सकते हैं, जिसे डायबिटिक अल्सर कहा जाता है। ये त्वचा पर कहीं भी हो सकते हैं लेकिन पैरों पर सबसे आम हैं। डायबिटीज ब्लड सर्कुलेशन और नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकती है। अगर आपके पैरों में कोई चोट लगी है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। हालांकि, बिना किसी उपचार के भी यह अल्सर ठीक हो सकता है। लेकिन अगर यह संक्रमित हो गया है तो टिश्यू के डेड होने का खतरा रहता है।
नेक्रोबायोसिस लिपिडिका डायबिटिकोरम (Necrobiosis Lipoidica Diabeticorum)
नेक्रोबायोसिस लिपिडिका डायबिटिकोरम (Necrobiosis Lipoidica Diabeticorum) एक क्रॉनिक स्थिति है जो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा पर रैशेस का कारण बनती है। यह घाव आमतौर पर छोटे, उभरे हुए बम्प्स के रूप में शुरू होते हैं और कठोर, पीले से लाल-भूरे रंग रंग से लेकर बड़े घाव तक बन सकते हैं। यह घाव आमतौर पर दर्दभरे होते हैं। इस समस्या में इंफेक्शन होने की संभावना अधिक हो सकती है। इसके लक्षणों को बदतर होने से रोकने के लिए डायबिटीज को कंट्रोल करने जरूरी है। हालांकि, इसके उपचार के लिए टोपिकल और ओरल दवाईयां दी जा सकती है। संक्रमण के जोखिम के कारण व्यक्ति को चोट के कारण त्वचा को और अधिक नुकसान से बचाना चाहिए।
जैंथिलास्मा (Xanthelasma)
जैंथिलास्मा से पीड़ित व्यक्ति की पलकों पर और इसके आसपास पपड़ीदार, पीला वसा जम जाती है। यही नहीं उनके गर्दन, कंधे और अंडरआर्म्स के आसपास भी यह समस्या दिखाई दी जा सकती है। टाइप 2 डायबिटीज और स्किन (Type 2 Diabetes and Skin) संबंधित समस्याओं में जैंथिलास्मा (Xanthelasma) भी हाय ब्लड अगर और शरीर में वसा के लेवल के बढ़ाने पर हो सकती है, हालांकि यह समस्या अन्य कारकों से भी हो सकती हैं। कुछ मामलों में यह समस्या जेनेटिक भी होती है। इस परेशानी से कोई स्वास्थ्य जटिलता नहीं होती। लेकिन, यह रोग व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। इसके उपचार के लिए लिपिड कम करने वाली दवाईयां प्रयोग की जा सकती हैं। कुछ रोगियों में एस्थेटिक उपचार जैसे लेजर थेरेपी (Laser Therapy) या केमिकल पील (Chemical Peel) का उपयोग भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज और स्किन संबंधी समस्याओं के लक्षण का कैसे होता है निदान और उपचार? (Treatment of Type 2 Diabetes and Skin Conditions)
अगर टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं तो स्किन संबंधी समस्याओं का निदान डॉक्टर इन समस्याओं को देख के कर सकते हैं। हालांकि, डायबिटीज का इलाज संभव नहीं है लेकिन कुछ उपचार के विकल्पों जैसे ओवर-द-काउंटर या डॉक्टर की सलाह के अनुसार दी दवाईयों, इंसुलिन और जीवनशैली में बदलाव से भी आप स्थिति को मैनेज कर सकते हैं। इनके उपचार इस तरह से किए जा सकते हैं।
ओवर-द-काउंटर रेमेडीज (Over the Counter Remedies)
कुछ टाइप 2 डायबिटीज से जुड़े स्किन डिसऑर्डर्स का उपचार ओवर-द-काउंटर रेमेडीज से किया जा सकता है, जैसे: