आंखें हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इन के बिना हम अपने जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते। लेकिन, अधिकतर लोग जीवन में कभी न कभी आंखों में समस्या का अनुभव करते ही हैं। हालांकि, यह समस्याएं सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकती हैं। इनमें से कुछ समस्याओं का घर पर आसानी से उपचार संभव है। लेकिन, कुछ के लिए आपको मेडिकल हेल्प तक की जरूरत हो सकती है। आंखों की देखभाल के बारे में जानने से पहले जानिए आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) कौन सी हैं।
आंखों से संबंधित समस्याएं कौन-कौन सी हैं? (Problems related to eyes)
आंखों की समस्याओं को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। इनका भी सही समय पर निदान और उपचार जरूरी है। जानिए, कौन सी हैं आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) क्या हैं। जानिए इनके लक्षण और कारण आदि के बारे में:
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मंददृष्टिता (Amblyopia)
आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) में सबसे पहले है मंददृष्टिता, जिसे लेजी ऑय (Lazy Eye) भी कहा जाता है। यह बच्चों में पाई जाने वाली सामान्य समस्या है। दिमाग और आंख के बीच में होने वाली कम्युनिकेशन प्रॉब्लम के कारण यह समस्या होती है, इसके लक्षण इस प्रकार हैं।
- कोई चीज कितनी दूर या नजदीक है, यह बताने में समस्या होना (Trouble Telling how Near or Far Something is)
- एक आंख का सिकुड़ना या बंद हो जाना (Squinting or Shutting One Eye)
- सिर का झुकना (Head Tilting)
मंददृष्टिता के कारण और रिस्क फैक्टर्स (Causes and Risk Factors of Amblyopia)
हालांकि, डॉक्टर मंददृष्टिता के कुछ मामलों में इस रोग के सही कारण का पता नहीं कर पाते। लेकिन, इसके कारण इस प्रकार हो सकते हैं:
- रेफ्रेक्टिव एरर (Refractive Errors)
- बहंगापन (Strabismus)
- मोतियाबिंद (Cataracts)
- ड्रूपी एएलएड (Droopy eyelid)
मंददृष्टिता के रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:
बच्चों को यह समस्या होने की संभावना इन स्थितियों में अधिक होती है:
- अगर बच्चा प्रीमेच्योर हो (Premature Baby)
- अगर बच्चा जन्म के समय सामान्य से छोटा हो (baby were Smaller than Average at Birth)
- परिवारिक हिस्ट्री (Family History)
- विकासात्मक अक्षमताएं (Have Developmental Disabilities)
लेजी ऑय का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
लेजी ऑय के निदान के लिए स्कूल जाने की उम्र के होने से पहले ही सभी बच्चों की जांच होनी चाहिए। इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर बच्चे के आंखों में यह बात सुनिश्चित करेंगे कि:
- बच्चे की आंख में लाइट को आने में कोई रुकावट तो नहीं हो रही
- दोनों आंखें एक-समान देख पा रही हैं या नहीं
- हर आंख उस तरह से मूव कर रही है, जैसे उसे करना चाहिए या नहीं
लेजी ऑय का उपचार जल्दी शुरू कर देना चाहिए। कारणों के अनुसार इसका इलाज इस प्रकार किया जाता है, जैसे:
- अंडरलाइंग विजन प्रॉब्लम (Underling Vision Problem): जैसे निकट दृष्टि (Nearsightedness), दूरदर्शिता (Farsightedness) या एस्टिगमैटिस्म(Astigmatism) की समस्यों का ठीक करना। इस समस्या से पीड़ित अधिकतर बच्चों को चश्मा पहनने की जरूरत होती है।
- सर्जरी (Surgery)
- पैच पहनना (Wearing a Patch)
- एक दवाई के साथ ऑय ड्रॉप्स जिसे एट्रोपाइन कहा जाता है (Eye drops with a Medication called Atropine)
काला मोतियाबिंद (Glaucoma)
काला मोतियाबिंद आंख की स्थिति का एक समूह है, जो ऑप्टिक नर्व (Optic Nerve) को नुकसान पहुंचाता है। ऑप्टिक नर्व का सही होना अच्छी दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण है। यह समस्या अक्सर आपकी आंख में असामान्य रूप से अधिक दबाव के कारण होती है। काला मोतियाबिंद 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। काला मोतियाबिंद के लक्षण इस प्रकार हैं:
काला मोतियाबिंद के लक्षण इसके प्रकार या कंडीशन के स्टेज पर निर्भर करते हैं, जैसे:
ओपन-एंगल काला मोतियाबिंद (Open-angle Glaucoma)
- दोनों आंखों में पैची ब्लाइंड स्पॉट्स (Patchy Blind Spots in both Eyes)
- एडवांस्ड स्टेजेस में टनल विजन (Tunnel Vision in the advanced Stages)
एक्यूट एंगल-क्लोजर काला मोतियाबिंद (Acute angle-closure Glaucoma)
- गंभीर सिरदर्द (Severe Headache)
- आंखों में दर्द (Eye Pain)
- जी मिचलाना और उलटी आना (Nausea and Vomiting)
- आंखों की रोशनी का धुंधला होना (Blurred Vision)
- आंखों का लाल होना (Eye Redness)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
काला मोतियाबिंद ऑप्टिक नर्व को नुकसान का परिणाम है। जैसे-जैसे यह नर्व बिगड़ती है, विजुअल क्षेत्र में ब्लाइंड स्पॉट्स विकसित होते हैं। इससे जुड़े संबंधित जोखिम इस प्रकार हैं:
- अधिक इंटरनल ऑय प्रेशर (Having high Internal Eye Pressure)
- 60 से अधिक उम्र का होना (Being over age 60)
- फैमिली हिस्ट्री (Family History)
- डायबिटीज, हाय ब्लड प्रेशर जैसी मेडिकल स्थितियां (Having Certain Medical Conditions, such as Diabetes, High Blood Pressure)
- अत्यंत निकट या दूरदर्शी होना (Being extremely Nearsighted or Farsighted)
- आंखों में इंजरी या सर्जरी होने से (Having eye injury or eye surgery)
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काले मोतियाबिंद के निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
काला मोतियाबिंद के निदान के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री को जानेंगे और आंखों की जांच करेंगे। इसके साथ ही आपको कुछ टेस्ट कराने की सलाह भी दी जा सकती है, जैसे :
- इंट्राओक्युलर प्रेशर को मापना यानी टोनोमेट्री (Tonometry)
- इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests)
- विज़न लॉस के क्षेत्रों को जांचना (Visual Field Test)
- कॉर्नियल थिकनेस को मापना यानी पैकीमेट्री(Pachymetry)
- ड्रेनेज एंगल का निरीक्षण यानी गोनीस्कोपी (Gonioscopy)
काला मोतियाबिंद से होने वाले नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता है। लेकिन, सही उपचार और नियमित चेकअप नजर के कम होने से या दृष्टि हानि को रोकने में मदद कर सकते हैं, खासकर यदि आप रोग का शुरुआत में ही निदान कर लेते हैं। लेकिन, डॉक्टर आपको इन चीजों की सलाह दे सकते हैं:
- ऑयड्रॉप्स (Eyedrops)
- ओरल मेडिकेशन्स (Oral medications)
- सर्जरी और अन्य थेरपीज (Surgery and other therapies)
डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)
हमारे रेटिना में छोटे ब्लड वेसल्स होते हैं। अगर आपकी ब्लड शुगर हाय रहती है, तो यह वेसल्स फूल जाते हैं और कमजोर हो जाते हैं। जिसका प्रभाव हमारी दृष्टि पर पड़ता है। इस समस्या के लक्षण इस प्रकार हैं :
- सेंट्रल विजन को नुकसान (Loss of Central Vision)
- रंगों को न देख पाना (Not able to see Colors)
- दृष्टि का धुंधला होना (Blurry Vision)
- दृष्टि में ब्लैक स्पॉट या होल्स होना (Holes or Black spots in vision)
- दृष्टि में स्माल स्पॉट्स का होना जो ब्लीडिंग के कारण हो सकते हैं (Small Spots in your Vision caused by Bleeding)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
अगर आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक होता है, तो इसका प्रभाव हमारी दृष्टि पर पड़ता है। इस समस्या का कारण ब्लड ग्लूकोज लेवल का बढ़ना ही है। इन स्थितियों में इसका जोखिम बढ़ सकता है:
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)
- तंबाकू का प्रयोग (Tobacco Use)
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निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही आपको कुछ अन्य टेस्ट्स भी करने के लिए कहा जा सकता है जैसे:
- प्यूपिल डायलेशन (Pupil Dilation)
- फ़्लोरेसिन एंजियोग्राफी (Fluorescein angiogram)
डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार के लिए कई तरीके अपनाये जाते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- एंटी-VEGF इंजेक्शन थेरेपी (Anti-VEGF Injection Therapy)
- फोकल/ग्रिड मैकुलर लेज़र सर्जरी (Focal/grid macular Laser Surgery)
- कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (Corticosteroids)
- स्कैटर लेज़र सर्जरी (Scatter Laser Surgery)
- विटरेक्टॉमी (Vitrectomy)
यूवाइटिस (Uveitis)
यूवाइटिस आंखों की बीमारियों से जुड़े एक समूह का नाम है। जिसके कारण युवीइए (uvea) में जलन होती है। युवीइए (uvea) आंखों की बीच की परत होती है, जिसमे अधिकतर ब्लड वेसल्स होते हैं। बीमारीके लक्षण इस प्रकार हैं:
- धुंधली दृष्टि (Blurred vision)
- आंखों में दर्द (Eye pain)
- आंखों में लालिमा (Eye Redness)
- लाइट के प्रति संवेदनशीलता (Light Sensitivity)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
अधिकतर मामलों में यूवाइटिस के कारणों की जानकारी नहीं होती। लेकिन, इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
- किसी दवाई का साइड इफ़ेक्ट (Medication side effect)
- आंखों में चोट या सर्जरी (Eye Injury or Surgery)
- दुर्लभ मामलों के लिंफोमा जैसा कैंसर भी आंखों को प्रभावित कर सकता है (Cancer such as Lymphoma)
इन स्थितियों में यह रोग जोखिम भरा हो सकता है:
- रेटिनल स्वेलिंग (Retinal swelling)
- रेटिना स्कारिंग (Retina scarring
- ग्लूकोमा (Glaucoma)
- ऑप्टिक नर्व डैमेज (Optic Nerve Damage)
- परमानेंट विज़न लॉस (Permanent Vision Loss)
निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
यूवाइटिस के निदान के लिए डॉक्टर आपकी आंखों की जांच करेंगे और हेल्थ हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। आपकी ऑय एग्जामिनेशन में यह सब शामिल है।
- दृष्टि का आकलन (Assessment of Vision )
- टोनोमेट्री (Tonometry)
- स्लिट-लैंप एग्जामिनेशन (A Slit-Lamp Examination)
- ऑप्टिकल कोहेरेन्स टोमोग्राफी इमेजिंग (Optical Coherence Tomography Imaging)
- फ़्लोरेसिन एंजियोग्राफी (Fluorescein Angiography )
- इमेजिंग टेस्ट्स (Imaging tests)
यदि यूवाइटिस एक अंतर्निहित स्थिति के कारण होता है, तो इसका उपचार उस स्थिति के आधार पर होता है। इसके उपचार में यह सब शामिल है:
- मेडिकेशन्स (Medications): रोगी को ऐसी दवाईयां जो सूजन को कम करती हैं, ऐंठन को कंट्रोल करती हैं या जो इम्यून सिस्टम या डिस्ट्रॉय सेल्स को प्रभावित करती हैं, दी जा सकती हैं।
- सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment)
- विटरेक्टॉमी (Vitrectomy)
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आंखों से संबंधित समस्याएं दूर करने के लिए डायट (Diet for eyes)
आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) दूर करने के लिए सही उपचार और सलाह अनिवार्य है। लेकिन, आपकी आंखों और दृष्टि के लिए सही डायट होना भी जरूरी है। जानिए, इस दौरान आपको क्या खाना चाहिए और क्या बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए:
आंखों से संबंधित समस्याएं दूर करने के लिए क्या खाएं? (What to Eat)
कुछ खाद्य पदार्थ न केवल आंखों की समस्या को दूर करती हैं। बल्कि, आपकी नजर को भी तेज करती हैं। यह आहार इस प्रकार हैं:
- मछली (Fish): मछलियों जैसे सालमोन, टूना आदि ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होती हैं। जो आपको आंखों की कई समस्याओं जैसे ड्राय आईज, मोतियाबिंद आदि से छुटकारा दिलाती हैं। इसके साथ ही आप अलसी के तेल आदि का सेवन भी कर सकते हैं।
- हरी सब्जियां (Green Vegetables): हरी सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, मटर आदि अच्छे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और यह आंखों के लिए लाभदायक हैं।
- अंडे (Eggs): अंडे में विटामिन और न्यूट्रिएंट्स आदि भरपूर होते होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य और फंक्शन के लिए जरूरी हैं।
- साबुत अनाज (Whole Grains): साबुत अनाज जैसे ओट्स, ब्राउन राइस आदि में विटामिन E जिंक आदि होते हैं। जो आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) दूर करने में लाभदायक है।
- खट्टे फल (Citric Fruits): संतरे, नींबू और बेरिस आदि में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है, जो कैटेरेक्ट और मैकुलर डिजनरेशन आदि आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) को कम करने में लाभदायक है।
- मेवे (Dry Fruits): पिस्ता, अखरोट और बादाम में भी ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन E होते हैं। जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसके साथ ही फिश आयल, फ्लेक्स सीड आयल आदि भी आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) दूर करने में मददगार हैं।
आंखों से संबंधित समस्याएं दूर करने के लिए क्या न खाएं? (What not to Eat)
अनहेल्दी आहार यानी जिस चीजों में पोषण मूल्य की कमी होती है। उनसे हमें पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते। इसका असर आंखों और दृष्टि पर पड़ता है। ऐसे में कुछ चीजों का सेवन करने से बचें, जैसे:
- डाइट सोडा (Diet Soda)
- रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स (Refined Carbohydrates)
- हाई सोडियम (High Sodium)
- अधिक नमक और चीनी युक्त खाद्य पदार्थ (Access salt and sugar)
आंखों के स्वास्थ्य के लिए कौन से व्यायाम करने चाहिए? (Exercises for Eyes)
आंखों के लिए सही आहार ही जरूरी नहीं है, बल्कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहना भी जरूरी है। आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) दूर करने के लिए आप नियमित रूप से व्यायाम करें। यह एक्सरसाइज करने से आपको लाभ होगा:
- फिगर आठ (Figure Eight) : आंख के लिए यह व्यायाम बहुत लाभदायक है। इसे करने के लिए ऐसा मान लें कि कोई वस्तु आपसे लगभग 10 फीट दूरी पर है और अपनी नजरों से उस वस्तु पर आठ बनाएं। ऐसा कई बार करें।
- आंखों को घुमाएं (Roll Eyes): आंखों को घुमाना भी एक तरह का व्यायाम है। बिना सिर को हिलाएं कई बार दायीं और बायीं तरफ देखें। इसके बाद ऊपर और नीचे भी कई बार देखें। इस प्रक्रिया को दोहराएं।
- दूर और पास (Far and Near): यह व्यायाम उन लोगों के लिए अच्छा है, जो चश्मा पहनते हैं। चश्मे को निकाल दें और अपने एक अंगूठे को अपने चेहरे के पास रखें और दूसरे हाथ के अंगूठे को थोड़ी दूर रखें। अब दो सेकंड के लिए नजदीक वाले अंगूठे पर फोकस करें और इसके बाद दूर वाले अंगूठे पर फोकस करें। अब किसी ऐसी चीज पर फोकस करें जो दूर हो। इसी तरह से इस प्रक्रिया को दोहराएं।
आंख के स्वास्थ्य के लिए अपने लाइफस्टाइल में किन बातों का ध्यान रखें? (Change in Lifestyle for Eyes)
आंखों को सेहतमंद रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के अन्य अंगों को। ऐसे में आपको न अपने लाइफस्टाइल को भी बदलना चाहिए। जानिए, आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) दूर करने के लिए कौन से तरीके अपनाने चाहिए।
- स्मोकिंग छोड़ दें (Don’t Smoke)
- व्यायाम करें (Exercise)
- सूरज की हानिकारक किरणों से बचें (Avoid the Sun’s Harmful Rays)
- संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें (Eat a Well-Balanced Diet)
- पर्याप्त नींद लें (Enough Sleep)
- तनाव आदि से बचें (Stay away From Depression)
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आंखों से संबंधित समस्याएं (Other Eye Issues) दूर करने के लिए आंखों को सेहतमंद रखना बेहद जरूरी है। समय-समय पर अपनी आंखों की जांच कराना न भूलें। अगर आपको कभी भी कोई आंखों से संबंधित समस्याओं से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। ताकि आपको सही उपचार प्राप्त हो और आप किसी भी जटिलता से बच सकें।