योग यानी ध्यान लगाने और व्यायाम का एक तरीका। जो लोग योग के बारे में ज्यादा नहीं जानते, उन्हें योगासन और योग की मुद्रा को लेकर अक्सर कन्फ्यूश भी रहते हैं। आसन एक पॉश्चर या पोज है, जबकि मुद्रा एक भाव है। योग में कई मुद्राएं और आसन हैं, जो मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। आज हम शुन्य मुद्रा के बारे में बात करेंगे। लेकिन पहले जानते हैं मुद्रा के बारे में।
मुद्रा क्या है
मुद्रा एक भाव है, जिसे नियमित करने से बीमारियों के नियमित रूप से उपचार में मदद मिलती है। योग की कुछ मुद्राएं इस प्रकार हैं- जैसे हस्त मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, प्राण मुद्रा, शून्य मुद्रा आदि। मुद्राओं को करना बहुत ही आसान है और आप इन्हें आराम से बैठकर कर सकते हैं। बैठकर ध्यान लगाकर आपको कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। यह सभी मुद्राएं बहुत पुरानी और लोकप्रिय हैं, जो पुराने समय से ही प्रचलित हैं। जानिए शुन्य मुद्रा के बारे में।
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शून्य मुद्रा क्या है?
शून्य मुद्रा को हेवन (Heaven) मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शून्य का अर्थ है “आकाश’। ऐसा माना जाता है कि इस मुद्रा को करने वाले लोग लगातार अभ्यास करने पर अनाहत नाद को सुन पाते हैं। ये अनाहत नाद सामान्य ध्वनियां नहीं हैं। इन्हें केवल उन योगियों द्वारा सुना जा सकता है जो बहुत लंबे समय से इस ध्यान का अभ्यास कर रहे हैं। इस प्रकार, वो लोग शांति का आनंद ले सकते हैं। यह मुद्रा व्यक्ति को दूसरे ही संसार तक ले जाती है। दरअसल इस मुद्रा को करने से उन्हें यह महसूस होता है कि वो किसी दूसरी दुनिया में हैं। इस मुद्रा में हाथ की बीच वाली उंगली का प्रयोग होता है, जो आकाश का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि अंतरिक्ष दुनिया भर में है और यह हमारे शरीर की हर कोशिका में है। शरीर में आकाश तत्व की अधिकता शरीर में होने वाली गड़बड़ी और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बनती है – जैसे हृदय की कमजोरी, कान की समस्या, सिरदर्द या चक्कर आदि। शून्य मुद्रा को करने से आकाश तत्व की अधिकता से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है।
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शून्य मुद्रा को करने का तरीका क्या है?
शून्य मुद्रा को करना बेहद आसान है। इस प्रकार करें शून्य मुद्रा-
- शून्य मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले एक दरी या मैट को किसी शांत जगह पर बिछा लें।
- अब आराम से इस पर पद्मासन में बैठ जाएं।
- ध्यान रहे कि आपकी रीढ़ की हड्डी इस दौरान बिलकुल सीधी हो।
- बैठे-बैठे हुए अपनी आंखों को बंद कर सकते हैं या खोल कर भी रख सकते हैं। यह आपकी मर्जी है। लेकिन बंद आंखों से आप अच्छे से ध्यान लगा सकते हैं।
- अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियां आकाश की तरफ होनी चाहिये।
- बीच वाली उंगली को इस तरह से मोड़ें कि वह अंगूठे को दबाए।
- बाकी उंगलियों को बिलकुल सीधा रखें।
- अब ध्यान लगाएं। ध्यान लगाते हुए अपनी सांसों को सामान्य बनाएं रखें।
- दोनों हाथों से इस मुद्रा को दोहराएं।
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शून्य मुद्रा के फायदे क्या हैं
शून्य मुद्रा के फायदे इस प्रकार हैं। जैसे:
कान के लिए लाभदायक
शून्य मुद्रा कान और सुनने से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए लाभदायक है। कान संबंधी विकारों और टिनिटस को दूर करने के लिए शुन्य मुद्रा एक बहुत ही लोकप्रिय उपाय है। कानों में दर्द को दूर करने शून्य मुद्रा का विशेष लाभ मिलता है।
थायरॉइड की परेशानी होगी दूर
थायरॉइड की समस्या को दूर करने में भी यह मुद्रा बहुत लाभदायक है। दरअसल यह मुद्रा हॉर्मोन को बैलेंस करने में भी अहम भूमिका निभाती है। जैसे थायरॉयड ग्रंथि (हाइपोथायरायडिज्म) के असामान्य व्यवहार को ठीक करने में सहायता प्रदान करती है।
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शरीर की सुन्नता से राहत
शरीर के किसी हिस्से की सुन्नता को दूर करने में भी यह लाभदायक है। इसलिए अगर आपको भी ऐसी परेशानी होती है या आप महसूस करते हैं, तो शून्य मुद्रा को नियमित करें।
मोशन सिकनेस और वर्टिगो में लाभ
यह मुद्रा मोशन सिकनेस और वर्टिगो जैसी परेशानियों को रोकती है। मोशन सिकनेस और वर्टिगो के कारण चक्कर आना, प्रकाशहीनता या उल्टी जैसी परेशानी होती है। मोशन सिकनेस और वर्टिगो मुख्य रूप से भीतरी कान में सूजन के कारण होता है। ऐसे में शून्य मुद्रा को करने से इस समस्या से राहत मिल सकती है।
तनाव से राहत
इस मुद्रा में तनाव बीच वाली उंगली को दिया जाता है और इस उंगली को आकाश की ओर इंगित करते हैं, जो स्वर्ग का प्रतीक माना जाता है यानी तनाव को दूर करने में यह मुद्रा सहायक है। रोजाना इस मुद्रा को करने से एकाग्रता बढ़ती है और इच्छा शक्ति भी मजबूत होती है।
शून्य मुद्रा के अन्य लाभ इस प्रकार हैं:
- शून्य मुद्रा करने से शरीर से आलस कम होता है।
- इसे करने से हड्डियां मजबूत होती हैं।
- हमारे दिल के लिए भी यह मुद्रा लाभदायक है।
- शरीर में होने वाली किसी भी तरह के दर्द को दूर करने में यह मुद्रा सहायक है।
- अगर आपको सूजन की समस्या रहती है, तो यह मुद्रा आपके लिए लाभकारी है क्योंकि इस मुद्रासन को नियमित करने से परेशानी दूर होती है।
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शून्य मुद्रा के दौरान बरतें इन सावधानियां को
- शून्य मुद्रा कोई भी व्यक्ति कर सकता है, लेकिन सुबह के समय जब आपका पेट खाली हो ,उस समय इसे करने से फायदा होता है। शून्य मुद्रा को दिन के समय भी कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस मुद्रा को एक दिन में तीन बार 15 मिनटों के लिए करने से लाभ होता है।
- योगा एक्सपर्ट्स के अनुसार इस मुद्रा को करत हुए फर्श पर ना बैठे क्योंकि ऐसा माना जाता है कि फर्श से कुछ रेडिएशन्स निकलती हैं, जो योग या मुद्रा के किसी भी रूप में अभ्यास करते समय आप पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
- शून्य मुद्रा को करते हुए अंगूठे को जोर से ना दबाएं क्योंकि ऐसा करने से आप खुद दर्द महसूस कर सकते हैं।
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शून्य मुद्रा कब नहीं करना चाहिए?
निम्नलिखित परिस्थितियों में शून्य मुद्रा नहीं करें। जैसे:
- अगर आपकी पीठ में दर्द है या चोट लगी है, तो इस मुद्रा को ना करें।
- भोजन करने के तुरंत पहले या बाद में शून्य मुद्रा ना करें।
- यदि आप बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस कर रहे हैं, तो आपको शून्य मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
- अच्छे परिणाम प्राप्त होने के बाद इस मुद्रा का अभ्यास रोजाना करना चाहिए या नहीं इसकी जानकारी के लिए योगा एक्सपर्ट से बात करें।
- योग की किसी भी मुद्रा या आसन को बिना डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह के ना करें क्योंकि ऐसा करने से आपके स्वास्थ्य को लाभ की जगह हानि भी हो सकते हैं।
अगर आप शून्य मुद्रा से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो योगा एक्सपर्ट से समझना बेहतर होगा। शून्य मुद्रा के साथ-साथ किसी भी आसनों के लिए उससे जुड़े जानकारों से मुद्रा या योगासन करने की प्रक्रिया समझें। ऐसा करने से आपको विशेष फायदा होगा।
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