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Dengue fever : डेंगू बुखार क्या है?

Dengue fever : डेंगू बुखार क्या है?

परिचय

डेंगू बुखार क्या है?

डंगू एक वायरल डिजीज है, जो उष्ण या उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रभावित करती है। डेंगू बुखार एडिस एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। डेंगू बुखार में शरीर का तापमान बढ़ जाता है, शरीर पर चकत्ते या दाने निकल आते हैं और मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द रहता है। डेंगू बुखार को ब्रेकबोन या डेंगू हेमोरेजिक फीवर भी कहते हैं जिसके कारण मरीज को तेज ब्लीडिंग होती है और ब्लड प्रेशर अचानक घटने के साथ ही मौत भी हो सकती है।

एक बार डेंगू वायरस से संक्रमित होने के बाद जीवन में कभी भी डेंगू के वायरस इम्युनिटी में विकसित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के वायरस आमतौर पर येलो फीवर या वेस्ट नील वायरस इंफेक्शन से ही जुड़े होते हैं। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।

इस बीमारी को अंग्रेजी में ब्रेक-बोन (Break-Bone Fever) यानी हड्डी तोड़ बुखार की(REMOVE) भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस बुखार में मरीज को हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है।

शुरुआती समय में डेंगू की वजह से बहुत तेज बुखार, शरीर पर लाल चकत्ते और जोड़ों के दर्द जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। लेकिन, डेंगू के बिगड़ने पर खून बहना और ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट जैसे लक्षण सामने आते हैं। गंभीर मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।

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कितना सामान्य है डेंगू बुखार होना?

डेंगू बुखार एक गंभीर समस्या है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। आमतौर पर पूरी दुनिया में लगभग 400 मिलियन लोग हर साल डेंगू बुखार से पीड़ित होते हैं। विदेशों में यात्रा करने वाले लोगों और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से डेंगू का संक्रमण फैलता है। डेंगू बुखार बच्चों, किशोरों सहित हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

इन देशों में ज्यादा फैलता है 

  • अफ्रीका,
  • दक्षिण-पूर्वी एशिया और चीन,
  • भारत,
  • मध्य पूर्व देश,
  • कैरेबियाई देश और दक्षिणी अमेरिका,
  • ऑस्ट्रेलिया

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लक्षण

डेंगू बुखार के क्या लक्षण हैं?

डेंगू बुखार शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। ज्यादातर लोगों खासतौर से बच्चों और टीनएज के लोगों में शुरुआत में डेंगू बुखार के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित मच्छर के काटने के 4 से 7 दिन बाद तेज बुखार आता है और डेंगू बुखार के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :

  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
  • मितली और उल्टी
  • उल्टी आनाग्रंथियों में सूजन
  • शरीर पर चकत्ते

कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से नाक और मसूढ़ों से ब्लीडिंग होने लगती है। डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर 10 दिनों तक रहते हैं।

डेंगू बुखार से पीड़ित अधिकांश लोग एक हफ्ते में ही ठीक हो जाते हैं। हालांकि कुछ मामलों में डेंगू के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और जानलेवा भी बन सकते हैं। डेंगू बुखार होने पर रक्त वाहिकाएं डैमेज होकर लीक करने लगती हैं जिसके कारण थक्का बनाने वाली कोशिकाओं या प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। यह डेंगू का सबसे गंभीर स्टेज है जिसे डेंगू हेमोरेजिक फिर या डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं।

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गंभीर स्थिति में डेंगू बुखार के निम्न लक्षण सामने आते हैं –

डेंगू शॉक सिंड्रोम डेंगू बुखार का गंभीर रुप है। यह घातक हो सकता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम के निम्न लक्षण नजर आते हैं :

  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • रोजाना उल्टी होना
  • ब्लड वेसल्स से फ्लुइड लीक होना
  • हाइपोटेंशन
  • खून में प्लेटलेट्स घटना
  • नाड़ी कमजोर होना

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डेंगू बुखार के प्रकार

इसके तीन तरह के बुखार होते हैं, पहला क्लासिक डेंगू (साधारण) classic dengue, दूसरा हेमरेजिक बुखार (डीएचएफ) dengue hemorrhagic fever और तीसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम dengue shock syndrome

क्लासिकल(साधारण) डेंगू

इसे मूल रूप से डेंगू का सबसे शुरुआती बुखार माना जाता है। इसमें संक्रमित मच्छर के काटने के बाद चार से सात दिन तक बुखार रहता है। इसके साथ नीचे बताए गए लक्षण भी दिखाई देते हैं :

  • 105 डिग्री तक बुखार,
  • तेज सिर दर्द,
  • आंखों के पीछे दर्द,
  • जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द,
  • जी मिचलाना और उल्टी आना

बुखार आने के तीन-चार दिनों के अंदर लगभग पूरे शरीर पर लाल चकत्ते दिखाई देने लगते हैं। ये एक-दो दिन में कम हो जाते हैं और फिर दोबारा से आ जाते हैं।

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डेंगू हेमरेजिक बुखार (डीएचएफ)

इसके हेमरेजिक बुखार में क्लासिक बुखार के सभी लक्षणों के साथ निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

  • नाक और मसूड़ों से खून आना।
  • शौच या उल्टी में खून आना।
  • स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े निशान पड़ जाना।
  • इस तरह के डेंगू के बुखार से मौत भी हो सकती है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस)

डेंगू शॉक सिंड्रोम यानी डीएसएस सबसे खतरनाक माना जाता है। इस बुखार में क्लासिक डेंगू, डीएचएफ के लक्षणों के साथ-साथ ‘शॉक’ की अवस्था के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

  • रक्त वाहिकाओं से खून बहना।
  • मरीज को बेचैनी, बेहोशी और लो-ब्लड प्रेशर की वजह से दौरे पड़ना।
  • तेज ब्लीडिंग होना।

इस तरह का डेंगू आमतौर पर बच्चों और कई बार वयस्कों में देखा जाता है, जिन्हें दूसरी बार डेंगू होता है। कई बार ये बच्चों और युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इस बुखार में कई अन्य तरह के लक्षण भी दिखाई देते हैं। अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर डेंगू बुखार अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि आप अक्सर डेंगू संक्रमित क्षेत्रों में जाते हैं या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से आपको पेट में तेज दर्द, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, नाक एवं मसूढ़ों से ब्लीडिंग, उल्टी और मल में खून आने जैसी समस्या होती है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं।

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कारण

डेंगू बुखार होने के कारण क्या है?

यह एक संक्रामक रोग है, जो एक वायरस की वजह से होता है। ये वायरस एक मच्छर के काटने से फैलता है। इस वायरस के चार प्रकार हैं। हर वायरस को डीईएन-1,2,3,4 (DEN-1,2,3,4) के नाम से जाना जाता है। मच्छरों की एक खास प्रजाति एडेस एजिप्टी और एडेस अल्बोपिक्टस को इसके लिए जिम्मेदार बताया जाता है।

इस प्रजाति के मच्छर किसी भी व्यक्ति को काटकर इन्फेक्शन फैला सकते हैं। हालांकि, डेंगू ठीक होने के बाद आपकी इम्युनिटी ठीक होने लगती है, लेकिन इसकी भी कुछ सीमाएं हैं। जैसा कि इसके चार वायरस होते हैं और इसी वजह से आप दोबारा इसके शिकार बन सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप लक्षणों को पहचानते हुए सही समय पर सही इलाज कराएं।

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डेंगू बुखार चार तरह के डेंगू वायरस से होता है जो एडिज एजिप्टी स्पेसीज के मच्छरों द्वारा फैलाये जाते हैं। ये वायरस 100 से 800 साल पहले बंदरों से इंसानों में आये थे। एडिज एजिस्पी मच्छर अधिक घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहता है और संक्रमित मच्छर से यह वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करता है। यही मच्छर दूसरे व्यक्ति को काटता है और इस तरह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। डेंगू बुखार एक से अधिक बार भी हो सकता है।

दूसरे, तीसरे या चौथी बार डेंगू बुखार होने को डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहा जाता है।(REMOVE)

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जोखिम

डेंगू बुखार के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?

डेंगू बुखार स्वास्थ्य को गंभीर रुप से प्रभावित करता है। डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्ति का फेफड़ा, लिवर और हृदय डैमेज हो सकता है और ब्लड प्रेशर अचानक कम हो सकता है जिसके कारण व्यक्ति को शॉक लग सकता है और मौत भी हो सकती है। डेंगू बुखार के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो सकता है जिससे बार-बार डेंगू वायरस का इंफेक्शन हो सकता है। साथ ही लिवर आकार बढ़ सकता है, सर्कुलेटर सिस्टम फेल हो सकता है डेंगू शॉक सिंड्रोम भी हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

ऊष्णकटिबंधीय इलाके जहां ज्यादा गर्मी और उमस होती है, ऐसी जगहों पर जाना आपको इस बीमारी के करीब ला सकता है। ऐसी जगहों पर मच्छरों की वजह से इसके वायरस तेजी से फैलते हैं। अगर आपको पहले डेंगू हो चुका है, तो आपके दोबारा इसके होने का खतरा बढ़ सकता है।

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परीक्षण

ऐसे की जाती है डेंगू की जांच

इसका इलाज थोड़ा मुश्किल माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार इसके लक्षण दूसरी बीमारियां जैसे मलेरिया, टायफॉइड आदि के लक्षणों की तरह दिखते हैं, जिसे पहचान पाना मुश्किल हो सकता है।

डॉक्टर सबसे पहले आपके स्वास्थ और आपके हाल ही में किसी दूसरी जगह घूमने जाने के बारे में पूछ सकते हैं। हमेशा डॉक्टर को इस बारे में सही जानकारी दें। अगर आप कहीं विदेश गए हों या ऐसी जगह जहां आपका संपर्क मच्छरों से हुआ हो, तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं।

कई तरह के लैब टेस्ट से इस वायरस का पता लगा सकते हैं।

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उपचार

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

डेंगू बुखार का निदान कैसे किया जाता है?

डेंगू बुखार का निदान करना कठिन होता है क्योंकि डेंगू बुखार के अधिकांश लक्षण मलेरिया और टाइफाइड बुखार जैसे ही होते हैं। डेंगू बुखार का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :

  • ब्लड टेस्ट के माध्यम से मरीज के शरीर में डेंगू बुखार के वायरस और इंफेक्शन का पता लगाया जाता है।

इसके अलावा डॉक्टर मरीज के निवास स्थानों या विदेश यात्रा एवं डेंगू वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से जुड़े कुछ सवाल पूछते हैं। इससे डेंगू वायरस के इंफेक्शन का निदान करने में मदद मिलती है। निदान के आधार पर ही डेंगू बुखार का इलाज शुरु किया जाता है।

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डेंगू बुखार का इलाज कैसे होता है?

डेंगू बुखार का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में डेंगू बुखार के असर को कम किया जाता है। डेंगू बुखार के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :

  1. डेंगू बुखार और दर्द को कम करने के लिए कुछ पेनकीलर्स जैसे- रासिटामॉल दिया जाता है।
  2. रिहाइड्रेशन साल्ट मरीज के शरीर में फ्लुइड और मिनरल को बनाए रखने के लिए दिया जाता है। डेंगू बुखार के दौरान उल्टी और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए मरीज को स्वच्छ पानी पिलाना चाहिए।
  3. इंट्रावेनस फ्लुइड सप्लीमेंट या ड्रिप से मरीज को फ्लुइड दिया जाता है।

डेंगू बुखार के दौरान मरीज को नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लैमेटरी ड्रग जैसे एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवा नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे इंटर्नल ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ देते रहना चाहिए और मरीज की स्थिति पर हमेशा निगरानी रखनी चाहिए। साथ ही डायट में बदलाव करने से भी इसका जोखिम कम होता है।  यदि मरीज की हालत में सुधार नहीं होता है तो डॉक्टर से तत्काल बात कर लें।

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डेंगू से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

डेंगू (Dengue) से जुड़े कुछ जरूरी बातें जिन्हें जानना जरूरी है

ट्रांसमिशन

पहले से संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से डेंगू (Dengue) मनुष्यों में फैलता है। एडीज मच्छर व्यक्ति के खून को संक्रमित करते हैं

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नोमिनक्लेचर

डेंगू (Dengue) बुखार को ब्रेक-बोन बुखार  के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बुखार की वजह से हड्डी टूटने जैसा दर्द भी होता है। यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) जैसी जानलेवा स्थितियों के कारण और जटिल हो सकता है।

डेंगू किसी भी मरीज को हो सकता है। इसमें उम्र या फिर लिंग से कोई लेना देना नहीं है। डेंगू में खतरनाक बुखार होने पर कई बार बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है।

  • डेंगू एक वायरल बीमारी है और DENV नाम के वायरस की वजह से होती है।
  • डेंगू एडीज एजेप्टाइ  (Aedes aegptii) मच्छर की वजह से फैलता है।
  • ये मच्छर दिन के समय संक्रमण फैलाता है।
  • एडीज के काटने पर आपको तुरंत डेंगू के लक्षण दिखाई नहीं देंगे। साफ तौर से लक्षणों के दिखने में कम से कम तीन से चौदह दिन लगेंगे।

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रोगी की देखभाल – डेंगू (Dengue) के मरीजों को उचित आराम मिलना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ जैसे पानी, नारियल पानी, ताजा जूस आदि पीना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान – गर्भावस्था के दौरान डेंगू (Dengue) से शिशुओं में प्रीटर्म बर्थ (पीटीबी) और शिशु का वजन कम होना (एलबीडब्ल्यू) हो सकता है। रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था के दौरान डीएचएफ से भ्रूण की मृत्यु या रक्तस्राव हो सकता है।

डेंगू (Dengue) और नवजात – नवजात शिशुओं सहित किसी पर भी डेंगू (Dengue) का हमला हो सकता है। नवजात शिशुओं में रैश या हाई ग्रेड फीवर जैसे अन्य लक्षण होने पर डॉक्टर टेस्ट की मदद से इलाज शुरू कर सकते हैं।

डेंगू (Dengue) होने पर खुद से इलाज न करें और लक्षण समझ में आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

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घरेलू उपचार

जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे डेंगू बुखार को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

अगर आपको डेंगू बुखार है तो आपके डॉक्टर वह आहार बताएंगे जिसमें बहुत ही अधिक मात्रा में विटामिन, मिनरल, फाइबर और अन्य पोषक तत्व पाये जाते हों। इसके साथ ही आप जो पानी पीते हैं, उसे अच्छी तरह उबालकर या फिल्टर करके शुद्ध पानी पीना चाहिए। डेंगू बुखार से बचने के लिए खानपान के साथ ही जीवनशैली को भी बेहतर करने की जरुरत होती है। इस दौरान आपको निम्न फूड्स लेना चाहिए –

  • फल
  • हरी पत्तेदार सब्जियां
  • ब्रोकली
  • ओट्स
  • दलिया
  • जूस
  • सूप
  • बादाम
  • अखरोट
  • दूध

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डेंगू बुखार से बचने के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है इसलिए बचाव ही डेंगू का सबसे अच्छा इलाज है। डेंगू से बचने के लिए घर के आसपास गंदा पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए और बेहतर साफ-सफाई रखनी चाहिए। घर के दरवाजों और खिड़कियों में मच्छररोधी जाली लगवानी चाहिए। साथ ही डेंगू मच्छर के संक्रमण से बचने के लिए निम्न उपाय करना चाहिए

  • अधिक आबादी वाले स्थानों पर रहने से बचना चाहिए।
  • घर के अंदर और बाहर मोस्क्विटो रेपलेंट का प्रयोग करना चाहिए।
  • पूरी बांह का शर्ट और पैंट एवं मोजे पहनना चाहिए।
  • बाथ टब, जानवरों के खाली बर्तन, फूलदान और डिब्बों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
  • अधिक खूशबूदार साबुन या परफ्यूम नहीं रखना चाहिए। ये मच्छरों को आकर्षित करते हैं।
  • डेंगू बुखार का संक्रमण बढ़ने पर बच्चों को घर से बाहर खेलने नहीं देना चाहिए।
  • पानी हमेशा उबालकर या फिल्टर करके पीना चाहिए।
  • इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों से युक्त आहार लेना चाहिए और नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए।
  • शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखना चाहिए और फलों के ताजे जूस का सेवन करना चाहिए।
  • कूलर के पानी को हमेशा बदलते रहने से मच्छर के अंडे जमा नहीं होते हैं।

ये सावधानियां बरतकर डेंगू बुखार से काफी हद तक बचा जा सकता है। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Dengue fever in pregnancy: a case report/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC61035/ Accessed on 17/08/2020

National Dengue Day 2019/https://www.nhp.gov.in/national-dengue-day-2019_pg Accessed on 17/08/2020

Dengue Fact Sheet/https://www1.health.gov.au/internet/main/publishing.nsf/Content/ohp-dengue-fs.htm Accessed on 17/08/2020

Dengue fever. http://www.niaid.nih.gov/topics/DengueFever/Understanding/Pages/overview.aspx. Accessed on 17/08/2020

Dengue fever. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/dengue-fever/basics/definition/con-20032868. Accessed on 17/08/2020

Current Version

01/04/2021

Anoop Singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Anoop Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/04/2021

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