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पोडियाट्रिस्ट किनको कहते हैं, ये किन बीमारियों का करते हैं इलाज, जानने के लिए पढ़ें

पोडियाट्रिस्ट किनको कहते हैं, ये किन बीमारियों का करते हैं इलाज, जानने के लिए पढ़ें

फुट डॉक्टर को पोडियाट्रिस्ट कहा जाता है। इन्हें डॉक्टर ऑफ पोडियाट्रिस्ट मेडिसिन और डीपीएम कहा जाता है। इस प्रकार के फिजिशयन या सर्जन पांव, एंकल या फिर पांव के कनेक्टिंग पार्ट को ठीक करने का काम करते हैं। पोडियाट्रिस्ट को पहले किरोपोडिस्ट (chiropodist) के नाम से जाना जाता था। वहीं अभी भी कुछ लोग पोडियाट्रिस्ट के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। पोडियाट्रिस्ट इंज्युरी के साथ स्वास्थ्य संबंधी बीमारी जैसे डायबिटीज सहित अन्य रोगों के कारण होने वाली परेशानी को ठीक करने का भी काम करते हैं। सरल शब्दों में हम इन्हें पोडियाट्रिस्ट फिजिशियन या फिर डॉक्टर ऑफ पोडियाट्रिस्ट मेडिसिन के नाम से जानते हैं।

डॉक्टरों के समान ट्रेनिंग लेते हैं विशेषज्ञ

पोडियाट्रिस्ट भी डॉक्टर की ही श्रेणी में आते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद इनके नाम के आगे एमडी (मेडिकल डॉक्टर) की बजाय डीपीएम (डॉक्टर ऑफ पोडियाट्रिस्ट मेडिसिन) लिखा जाता है। बता दें कि पोडियाट्रिस्ट सर्जरी करने के साथ टूटी हुई हड्डियों को जोड़ सकते हैं, दवाइयों का सेवन करने का सुझाव दे सकते हैं, वहीं लैब टेस्ट जैसे एक्स-रे कर सकते हैं। यदि किसी मरीज के पांव या लोअर लेग्स से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या होती है तो उसका निदान करने के लिए हमें पोडियाट्रिस्ट की सलाह लेनी पड़ती है। पोडियाट्रिस्ट लाइसेंस प्राप्त डॉक्टर होने के साथ सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त डॉक्टर होते हैं। वैसे पोडियाट्रिस्ट जिन्होंने सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल हो उन्हें पोडियाट्रिक सर्जन कहा जाता है।

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पैर से जुड़ी समस्याएं

पोडियाट्रिस्ट हर एज ग्रुप के लोगों की समस्याओं को ठीक करते हैं, वहीं पैर से जुड़ी सामान्य समस्याओं से लेकर कई बार जटिल समस्याओं को भी ठीक करते हैं। कुछ पोडियाट्रिस्ट इन फिल्ड में स्पेशलिस्ट होते हैं, जैसे-

  • पीडिएट्रिक (चिल्ड्रेन)
  • घाव भरने व ठीक करने

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सामान्य प्रकार के पांव से जुड़ी समस्याएं

  • स्किन का ड्राय और क्रैक होना
  • फ्लैट फीट
  • हैमर टोस
  • न्यूमास (neuromas)
  • स्प्रेन्स (खिंचाव-ऐठन- sprains)
  • अर्थराइटिस
  • फुट इंज्युरी
  • फुट लिगामेंट और मसल्स पेन
  • नेल इंफेक्शन
  • फुट इंफेक्शन
  • पांव से बदबू आना
  • हील पेन
  • हील स्पर्स (heel spurs)
  • कॉर्नस(corns)
  • कैलयूसेस (calluses)
  • बनियन्स
  • इनग्रो टो नेल (ingrown toenails)
  • ब्लीस्टर्स (blisters)
  • मसा

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अन्य पोडियाट्रिस्ट इन समस्याओं को देख उसका उपचार करते हैं, जैसे;

  • फुट प्रोस्थेटिक्स (foot prosthetics)
  • एम्प्यूटेशन्स (amputations)
  • आर्टरी ब्लड फ्लो डिजीज
  • वॉकिंग पैटर्न
  • करेक्टिव ऑर्थोटिक्स (corrective orthotics)
  • फ्लेक्सिबल कास्ट
  • बनियन रमूवल
  • फ्रैक्चर्स और ब्रोकन बोन
  • ट्यूमर्स
  • स्किन और नेल डिजीज
  • घाव का भरना
  • अल्सर

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इस प्रकार की बीमारियों और परेशानियों से निजात दिलाते हैं पोडियाट्रिस्ट

बच्चों से लेकर बड़ों की बात करें तो पोडियाट्रिस्ट किसी भी उम्र के लोगों के पांव संबंधी रोग और समस्याओं का इलाज करते हैं, आइए जानते हैं कि पोडियाट्रिस्ट किस प्रकार के रोगों का करते हैं इलाज, जैसे

  • बनियन और हैमर टोस (Bunions and hammertoes) : हमारे पांव में हड्डियों से जुड़ी हुई यह एक समस्या होती है। बनियन उस स्थिति को कहते हैं जब हमारे पैर की उंगलियों की ज्वाइंट बड़ी हो जाती है, वहीं वो अपने स्थान से हट जाती है। ऐसी परिस्थिति में लोगों के पैर की उंगलियों सामान्य लोगों की तुलना में टेढ़ी लगती है। वहीं हैमर टोस की स्थिति में उंगलियां सामान्य रूप से बेंड नहीं होती है।
  • नेल डिसऑर्डर : इस बीमारी के होने से हमारे पांव के नाखून में इंफेक्शन के कारण या फिर फंगस के कारण पांव के नाखून असामान्य रूप से बढ़ते हैं, कई मामलों में तो यह बढ़ते ही नहीं है। कई मामलों में यह नाखून सामान्य रूप से न बढ़कर आगे, पीछे या अन्य हिस्सों में बढ़ते हैं। पोडियाट्रिस्ट इस प्रकार की समस्या को भी ठीक करने का काम करते हैं।
  • फ्रैक्चर और मोच (Fractures and sprains) : पांव या फिर एंकल में यदि किसी प्रकार का फ्रैक्चर या फिर मोच आती है तो पोडियाट्रिस्ट डॉक्टर उसका इलाज करते हैं। बता दें कि पोडियाट्रिस्ट स्पोर्ट्स मेडिसिन के लिए भी काम करते हैं। वहीं एथलीट के साथ होने वाली पांव संबंधी परेशानी से निजात दिलाने के लिए उन्हें बेहतर सुझाव देते हैं। एथलीट को बताते हैं कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं ताकि हमारे पांव को चोट न लगे।
  • डायबिटीज : मधुमेह की बीमारी होने पर संभावनाएं रहती है कि हमारा शरीर खास प्रकार के हार्मोन को न बना पाए, जिसे हम इन्सुलिन कहते हैं, इन्सुलिन शरीर में शुगर को पचाने में मदद करता है। डायबिटीज के कारण शरीर में पांव व तलवों से गुजरने वाली नर्व डैमेज हो सकती है। ऐसे में नर्व डैमेज होने के बाद हमारे पांव में सामान्य रूप से ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाती है। डायबिटीज के कारण शरीर में कई गंभीर समस्याएं हो सकती है। सिर्फ डायबिटीज के कारण सालभर में करीब 65 हजार से भी अधिक लोगों के पांव को काटकर अलग किया जाता है। यदि आप डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं तो पोडियाट्रिस्ट आपको इस समस्या से निजात दिलाने में मद करता है। यदि आपके पैर में किसी प्रकार का सोर या घट्टा (sore or callus) है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
  • दर्द का बढ़ना (Growing pains) : यदि आपके बच्चे का तलवा अंदर की ओर है, फ्लैट दिख रहा है, हल्का दाहिने ओर भरा हुआ नहीं है तो इस मामले में पोडियाट्रिस्ट आपकी मदद कर सकता है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए पोडियाट्रिस्ट आपको एक्सरसाइज, पांव में इनसोल व अन्य चीजें लगाने का सुझाव दे सकता है। कई केस में डॉक्टर इस समस्या का इलाज सर्जरी करके भी करते हैं।
  • अर्थराइटिस : अर्थराइटिस की बीमारी होने पर जोड़ों में दर्द और जलन के साथ सूजन और ज्वाइंट्स का टूटना-फूटना जैसी समस्या हो सकती है। हमारे पांव में कुल 33 ज्वाइंट्स होते हैं। ऐसे में मरीज की प्रारंभिक जांच के बाद पोडियाट्रिस्ट फिजिकल थैरेपी, ड्रग्स और खास जूतों को पहनने की सलाह दे सकते हैं। ताकि अर्थराइटिस की बीमारी से निजात पाया जा सके। यदि उपचार के यह तमाम चीजें काम न आए तो पोडियाट्रिस्ट सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं।
  • हील पेन : हील पेन होने का सबसे बड़ा कारण लंबे हील के जूतों को पहनना है। वहीं हील बोल के निचले छोर में कैल्शियम का बढ़ना भी हो सकता है। यह समस्याएं और दौड़ने के कारण, फिटिंग शूज पहनने के कारण और ओवरवेट की वजह से हो सकती है। इसके लिए स्पोर्टस और नन सपोर्टिव शूज को जिम्मेदार माना जाता है। ऐसे में जब आप चलते हैं तो आपका पांव अंदर की तरफ या फिर बाहर की तरफ भागता है, यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है, जिसके कारण यह बीमारी लोगों को हो सकती है। इसके कारण एथलीट भी प्रभावित हो सकते हैं। वहीं उनके हील के पीछे की ओर दर्द हो सकता है। इस प्रकार की समस्या से निजात दिलाने के लिए पोडियाट्रिस्ट दवाओं का सुझाव देने के साथ, खास प्रकार के जूते ऑर्थोटिक्स (orthotics) पहनने का सुझाव देने के साथ कुछ लोगों को सर्जरी कर इस समस्या का इलाज किया जाता है।
  • मॉर्टन्स न्यूरोमा (Morton’s neuroma) : पांव की तीसरी और चौथी हड्डी में नर्व प्रॉब्लम के कारण हमारे पांव में दर्द हो सकता है। इसके कारण जलन, जूते में किसी वस्तु का एहसास होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इस प्रकार की समस्या ज्यादातर धावकों में देखने को मिलती है। वहीं वैसे लोग टाइट जूते पहनते हैं उनको इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। पोडयाट्रिस्ट आपको इस समस्या से निकालने के लिए दवाईयां देने के साथ सर्जरी कर इस समस्या से निजात दिला सकता है।

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यह रिस्क फैक्टर पांव संबंधी बीमारी को बढ़ा सकते हैं

  • मोटापा
  • डायबिटीज
  • अर्थराइटिस
  • हाई कोलेस्ट्रोल
  • खराब ब्लड सर्कुलेशन
  • हार्ट डिजीज और स्ट्रोक

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इलाज के पूर्व पोडियाट्रिस्ट यह कर सकता है जांच

  • ब्लड टेस्ट
  • नेल स्वाब
  • अल्ट्रासाउंड
  • एक्स रे
  • एमआरआई स्कैन

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

इसलिए पड़ती है पोडियाट्रिस्ट के सलाह की जरूरत

यदि हमारा पांव सामान्य से ज्यादा काम करता है। वहीं 50 वर्ष तक आते आते करीब 75 हजार किमोमीटर तक चल चुके होते हैं तो ऐसे में संभावनाएं रहती है कि हमारे पांव के साथ कुछ न कुछ समस्या रह सकती है। ऐसे में सामान्य रूप से चलने के लिए जरूरी है कि हमारे टेंडन्स, लिगामेंट को एक साथ काम करना पड़ेगा ताकि हम आसानी से चल सकें। इस प्रकार की समस्या होने पर पोडियाट्रिस्ट से लें सलाह, जैसे ;

  • पैर-तलवों में दर्द
  • पांव के नाखूनों का पतला और असामान्य होना
  • स्किन में क्रैक और कट मार्क का होना
  • मसा का बढ़ना
  • सोल के कारण तलवों का छिलना

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पोडियाट्रिस्ट आपसे पूछ सकता है यह सवाल

यदि आप पैर से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या को लेकर पोडयाट्रिस्ट के पास जाते हैं तो आपसे किसी अन्य डॉक्टक के ही समान कुछ सवाल पूछ सकते हैं। जैसे आपके मेडिकल हिस्ट्री के बारे में, आप कोई दवा का सेवन तो नहीं करते, आपको पूर्व में कोई सर्जरी तो नहीं हुई, आदि। डॉक्टर यह भी देख सकते हैं कि आप कैसे चलते हैं और कैसे खड़े होते हैं, आपके ज्वाइंट का रेंज ऑफ मोशन भी भांप सकते हैं और आपके जूतों के फिट को भी देखते हैं। पहली मीटिंग में पोडियाट्रिस्ट आपके इनग्रो टोनेल, बनियन, हील और लोअर बैक पेन, डायबिटीज के कारण आपके फीट का सर्कुलेशन ठीक है या नहीं सहित पांव से जुड़ी अन्य बीमारी को ठीक करते हैं।

कई मामलों में आपके पोडियाट्रिस्ट आपको ऑर्थोटिक्स (orthotics), पैडिंग (padding) या फिर फिजिकल थैरेपी के द्वारा आपकी समस्याओं का इलाज करते हैं। दर्द से निजात दिलाने के लिए डॉक्टर कई बार इंजेक्शन, नेल स्प्लीटर्स और नेल एनविल का इस्तेमाल अविकसित टोनेल को ठीक करने के लिए कर सकते हैं।

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पांव संबंधी समस्याओं से राहत पाने के लिए पोडियाट्रिस्ट से मिलें

हेल्दी फीट होने के बावजूद भी पांव संबंधी कोई परेशानी न हो इसके लिए आपको पोडियाट्रिस्ट से मिलना चाहिए। यह आपको पांव, उंगलियों, नेल संबंधी परेशानियों से निजात दिलाने के साथ यह आपको सलाह दे सकते हैं कि आपके लिए किस प्रकार के जूते व चप्पल बेस्ट होता है, जिससे आपके पांव को किसी प्रकार की समस्या नहीं होती। पोडियाट्रिस्ट आपके पांव की बीमारियों को डायग्नोस कर उसका सबसे बेस्ट तरीके से कैसे उपचार किया जाए उसके बारे में बेहतर सलाह दे सकते हैं। वहीं पांव को कैसे हेल्दी व फिट रखना है इसके बारे में भी बता सकते हैं।

 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What Is a Podiatrist?/ https://www.nyspma.org/aws/NYSPMA/pt/sd/news_article/129177/_self/layout_details/false /

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Podiatrist/ https://explorehealthcareers.org/career/podiatric-medicine/podiatrist/ /Accessed on 6 July 2020

Current Version

07/07/2020

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Mousumi dutta


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/07/2020

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