शरीर के सभी अंगों की तरह मुंह को स्वस्थ रखना जरूरी है। मुंह (Oral) में होने वाली कोई भी तकलीफ पीड़ादायक होती है। जब भी मुंह को साफ रखने की बात होती है तो दांतों की साफ-सफाई की बात की जाती है लेकिन, दांतों के साथ-साथ मसूड़ों को भी स्वस्थ रखना जरूरी है। मसूड़ों (Gums) के कमजोर होने पर कई तरह की अन्य परेशानियां शुरू हो सकती हैं। कुछ लक्षणों को देखकर पता लगाया जा सकता है कि मसूड़े स्वस्थ है या नहीं। जैसे:
- मसूड़ों (Gums) से पस आना
- मसूड़ों (Gums) में फोड़ा होना
- दांतों का मसूड़ों (Gums) से जुड़ाव कमजोर होना
- मसूड़ों में सूजन आना
यही बीमारियां धीरे-धीरे पायरिया का रूप ले लेती हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि मसूड़ों की बीमारियों से बचा जाए।
और पढ़ें : धूम्रपान (Smoking) ना कर दे दांतों को धुआं-धुआं
मसूड़ों (Gums) को स्वस्थ रखने के टिप्स
- मसूड़ों (Gums) के लिए दांतो की देखभाल करें। दांतों में प्लाक (गंदगी) होने पर फ्लोराइड टूथपेस्ट से दांतों को रोजाना दो बार ब्रश करना चाहिए। दांतों के साथ-साथ गम लाइन तक टूथ ब्रश करने की आदत डालनी चाहिए।
- दांतों के बीच फ्लॉस करने की आदत डालें और दो दांतों के बीच (गैप) भी ध्यानपूर्वक सफाई करें।
- तीन से चार महीनों में टूथ ब्रश को बदल दें, क्योंकि इससे मसूड़ों (Gums) को नुकसान होता है और कभी-कभी ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- दिन में एक बार माउथ वॉश से कुल्ला करने की आदत डालें।
- अत्यधिक मीठा और स्टार्च वाले फूड प्रोडक्ट्स जैसे चावल, बार्ले और आलू के सेवन से बचें।
- पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। 65 साल से अधिक उम्र के पुरुषों पर हाल ही में किए गए रिसर्च में पाया गया कि उच्च फाइबर वाले फल खाने से मसूड़ों से जुड़ी बीमारी होने की संभावना कम हो सकती है।
- ध्रूमपान करने वाले लोगों को प्रयास करके सिगरेट पीने की आदत छोड़नी चाहिए। स्मोकिंग मुंह से जुड़ी परेशानियों को बढ़ाती है।
- सांसों से बदबू आने पर इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह मुंह से जुड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है।
- विटामिन-सी और कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन दांतों और मसूड़ों के लिए लाभकारी होता है।
- दातों का नियमित चेक-अप करना जरूरी है।
और पढ़ें : जब सताए दांतों में सेंसिटिविटी की समस्या, तो ऐसे पाएं निजात
किन कारणों से मसूड़ों (Gums) में होती हैं समस्याएं?
- सही ढंग से टूथ ब्रश न करना
- दांतों में प्लाक (गंदगी) का बनना
- स्मोकिंग
- कुपोषण का शिकार होना
- विटामिन C की कमी होना
- डायबिटीज के कारण मसूड़ों के घाव का जल्दी न भरना
- दवाइयों का इस्तेमाल
स्वस्थ मसूड़ों (Gums) से मुंह की खूबसूरती बढ़ती है, साथ ही दांतों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। मुंह में पाए जाने वाले कुछ बैक्टीरिया और खाने के कण मसूड़ों (Gums) को नुकसान पहुंचाते हैं। दांतों और मसूड़ों में होनी वाली किसी भी समस्या पर डेंटिस्ट से संपर्क करना सबसे सही विकल्प है।
और पढ़ें : Purple Loosestrife: पर्पल लूसस्ट्राइफ क्या है?
ओरल हाइजीन मसूड़ों (Gums) के साथ रखता है सेहत का ख्याल
मुंह में बहुत सारे बैक्टीरिया पाए जाते हैं। कुछ अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं। कुछ बैक्टीरिया हानिकारक होते हैं जो बीमारी और संक्रमण का कारण बनते हैं। यदि आप ठीक से फ्लॉस या ब्रश नहीं करते हैं, तो हानिकारक बैक्टीरिया आपके मुंह में जन्म ले लेते हैं और दांतों पर प्लाक (plaque) जमना शुरू हो जाता है। इससे मसूड़ों में सूजन और मसूड़ों (Gums) के रोगों (जैसे-पीरियोडोंटाइटिस, जिंजीवाइटिस) की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में, नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस करने से मुंह से हानिकारक बैक्टीरिया दूर रहते हैं।
और पढ़ें : जीभ की सही पुजिशन न होने से हो सकती हैं ये समस्याएं
कैंसर रिस्क भी होता है कम
मसूड़ों (Gums) की बीमारी कुछ प्रकार के कैंसर में योगदान दे सकती है, खासतौर से अग्नाशय का कैंसर (pancreatic cancer)। हालांकि, शोधकर्ता इस कनेक्शन को पूरी तरह से नहीं समझते हैं। लेकिन, हो सकता है कि मुंह में बैक्टीरिया से निकलने वाले पदार्थ कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हों। ऐसे में ओरल हाइजीन के फायदे ये होते हैं कि नियमित ब्रश और फ्लॉस से मसूड़े स्वस्थ रहते हैं और कैंसर जैसे रोग की संभावना कम हो जाती है।
कैसे बचे मुंह के कैंसर से?
विशेषज्ञ इस बात को सही से बताने में असमर्थ हैं कि मुंह के कैंसर की असली वजह क्या है, लेकिन मुंह के कैंसर से बचने के लिए इन चीजों का ध्यान रखें और सावधानियां बरतें।
- अपने खान-पान को सही रखें और इसमें खूब सारे फलों और सब्जियों को शामिल करें।
- अगर डेंचर यानी नकली दांतों का प्रयोग कर रहे हैं तो रात को उसे खोल कर सोएं और रोजाना साफ करें।
- अपने दांतों और मुंह की सफाई पर खास ध्यान दें।
- इसमें कोई संदेह नहीं कि मसूड़ों में सूजन या अन्य रोग और मुंह के कैंसर का सीधा संबंध है। इसलिए, आपको अपने दांतों और मसूड़ों का खास ध्यान रखना चाहिए।
और पढ़ें : सिर्फ दिल और दिमाग की नहीं, दांतों की भी सोचें हुजूर
हार्ट अटैक का खतरा होता है कम
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, मसूड़ों (Gums) के रोग होने से दिल का दौरा (heart attack) पड़ने का खतरा लगभग 50% तक बढ़ सकता है। दरअसल, मसूड़ों (Gums) से खून आने की वजह से बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करके आपके पूरे शरीर में फैल सकते हैं। इससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ सकता है। वहीं, ओरल हाइजीन को मेंटेन करने से दिल की बीमारियों (heart diseases) का खतरा कम किया जा सकता है।
फेफड़े रहते हैं हेल्दी
मसूड़ों (Gums) की बीमारी और संक्रमण का दूर रहना अच्छी डेंटल हाइजीन के फायदे हैं जो की हमारे लंग्स के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। ओरल केयर न करने से मुंह में पनपने वाले बैक्टीरिया की वजह से मसूड़ों की बीमारी और संक्रमण हो सकता है। ये बैक्टीरिया सांस के द्वारा फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं। इससे श्वसन संबंधी संक्रमण जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी में मसूड़ों (Gums) का रखें ध्यान
ओरल हाइजीन के फायदे यहीं खत्म नहीं होते हैं। अच्छी डेंटल हाइजीन से हेल्दी प्रेग्नेंसी को भी बढ़ावा मिलता है। कुछ अध्ययनों में गम डिजीज और प्रेग्नेंसी कॉम्प्लीकेशन्स (प्री-मेच्योर/प्री-टर्म प्रेग्नंसी और लो-बर्थ वेट) के बीच संबंध पाया गया। गर्भावस्था के दौरान खराब मौखिक स्वच्छता से मां और शिशु के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
और पढ़ें : बच्चे का रूट कैनाल(Root Canal) ट्रीटमेंट हो तो ऐसे करें डील!
बढ़ रहे हैं दांतों के मरीज
दांतों की बीमारियां भारत में एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रहीं हैं। भारत में दांतो की खराबी से 60 से 65 प्रतिशत और पेरियोडोंटल बीमारियों (Periodontal diseases) से 50 से 90 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित है। ज्यादातर दांतों की समस्याएं इनेमल (enamel) पर एसिड के प्रभाव की वजह से होती हैं। जिसका मुख्य कारण आजकल का अनहेल्दी खानपान है।
[embed-health-tool-bmi]