भारतीय युवाओं में हार्ट डिजीज की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में दिल की बीमारी से दूर रहना बेहद जरूरी है। भारत में हार्ट डिजीज के कारण होने वाली डेथ की संख्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है। यह बेहद चौकाने वाली बात है कि जेनेटिकल कारणों या हार्ट डिजीज (Heart Disease) की फेमली हिस्ट्री की तुलना में अनहेल्दी लाइफ स्टाइल इसका मुख्य कारण है। जैसे ऑबेसिटी (Obesity), टेंशन (Tension) या अनहेल्दी डायट (Unhealthy diet) फॉलो करना। अब किसी भी बीमारी की दस्तक के साथ लक्षण समझ आने पर या तकलीफ महसूस होने पर टेस्ट किये जाते हैं। इन्हीं टेस्ट में से एक है हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart)।
- ट्रॉप टी टेस्ट क्या है?
- हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट क्यों की जाती है?
- हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट की प्रक्रिया क्या है?
- हृदय के लिए ट्रॉप टी टेस्ट करवाने से पहले क्या करें?
- ट्रॉप टी टेस्ट के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं?
- हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट के रिपोर्ट्स को कैसे समझें?
- हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट से कौन-कौन से हार्ट डिजीज की जानकारी मिलती है?
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चलिए अब हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) से जुड़े सवालों का जवाब जानते हैं।
ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) क्या है?
ट्रॉप टी टेस्ट या ट्रोपोनिन टेस्ट ह्यूमन बॉडी के ब्लड में मौजूद ट्रोपोनिन लेवल की जानकारी के लिए की जाती है। दरअसल, ट्रोपोनिन हार्ट मसल्स एवं स्केलेटल में मौजूद एक तरह का प्रोटीन है। ट्रोपोनिन आई ,सी, और टी यह तीन अलग-अलग तरह के होते हैं। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार अगर किसी कारण से ट्रोपोनिन लेवल बढ़ जाए, तो इसका अर्थ है कि हार्ट मसल्स डैमेज हुई है। हालांकि इस क्षति की पूर्ति 10 से 15 दिनों में हो जाती है। इसलिए डॉक्टर्स हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) करते हैं। आर्टिकल में आगे समझेंगे कि हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट करवाने की जरूरत है।
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हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) क्यों की जाती है?
डॉक्टर निम्नलिखित स्थितियों में हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। जैसे:
- सीने में दर्द (Chest pain) होना।
- बेचैनी महसूस होना।
- सांस लेने में परेशानी महसूस होना।
- हाथ, गले, जबड़े या फिर कमर में दर्द रहना।
- अत्यधिक पसीना आना।
- उल्टी आना या जी मिचलाने की समस्या रहना।
- चक्कर (Dizziness) आना।
- बिना कारण थका हुआ महसूस करना।
इन स्थितियों के साथ-साथ हार्ट से जुड़े अन्य परेशानियों को ध्यान में रखकर हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) की जा सकती है।
हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट की प्रक्रिया क्या है? (Process for Troponin T Test)
ट्रॉपोनिन टी टेस्ट की प्रक्रिया बेहद आसान है। ट्रोपोनिन टी टेस्ट (Troponin T Test) के दौरान हाथ के वेन से ब्लड सैंपल कलेक्ट किया जाता है। निडिल की सहायता से ब्लड की थोड़ी से मात्रा ली जाती है। यह प्रक्रिया ठीक ब्लड टेस्ट (Blood test) की ही तरह है। ट्रॉप टी टेस्ट के दौरान सिर्फ 5 मिनट का वक्त लगता है।
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टेस्ट करवाने से पहले क्या करें?
इस टेस्ट से पहले किसी भी दवाओं का सेवन अगर आप करते हैं, तो इसकी जानकारी अपने हेल्थ एक्सपर्ट को दें। डॉक्टर से सलाह पहले ही लें कि हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट करवाने से पहले कुछ खाया पिया जा सकता है या नहीं।
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ट्रॉपोनिन टी टेस्ट के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं? (Side effects of Trop-T Test for heart)
ट्रोपोनिन टी टेस्ट (Troponin T Test) के साइड इफेक्ट्स बहुत ज्यादा तो नहीं देखे जाते हैं, लेकिन जिस जगह निडिल से ब्लड ली जाती है वहां पेन (Pain) या हल्के सूजन (Swelling) की समस्या हो सकती है।
ट्रोपोनिन टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) के रिपोर्ट्स को कैसे समझें?
ट्रोपोनिन टी टेस्ट (Troponin T Test) को निम्नलिखित तरह से आसानी से समझा जा सकता है। जैसे:
- कार्डियक ट्रोपोनिन टी <0.2ng/mL वैल्यू नॉर्मल है।
- अगर <0.2ng/mL लेवल >0.2ng/mL हो जाए, तो ऐसी स्थिति कंजेक्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure), किडनी डिजीज (Kidney disease) या फिर लंग्स में ब्लड क्लॉट (Blood clot in your lungs) की ओर इशारा करते हैं।
इस टेस्ट से कौन-कौन से हार्ट डिजीज की जानकारी मिलती है?
इस टेस्ट से मॉनिटर एंजाइना (Angina), हार्ट अटैक (Heart attack) या फिर चेस्ट पेन (Chest pain) जैसी गंभीर बीमारियों की जानकारी मिलती है।
हेल्दी हार्ट के लिए क्या करें? (Tips for Healthy Heart)
हेल्दी हार्ट के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
- फोन (Phone) का प्रयोग जितना हो सके कम करें।
- इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को हार्ट के ऑपोजिट साइड रखें।
- एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) रिच फूड का सेवन नियमित करें।
- नियमित योग, एक्सरसाइज या टहलने की आदत डालें।
- स्मोकिंग (Smoking) एवं एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन कम से कम करें।
- BMI लेवल हेल्दी बनाये रखें।
इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिल सकती है। वहीं हार्ट को हेल्दी रखने के लिए नींद (Sleep) लेना यानी सोना और आराम करना भी जरूरी है। अगर आपको नींद संबंधी कोई समस्या है, तो सबसे पहले इसका उपचार कराएं। क्योंकि अनहेल्दी स्लीप हैबिट हार्ट डिजीज (Heart disease) ही नहीं, बल्कि कई अन्य बीमारियों को दावत देने में सक्षम है।
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अगर आप हार्ट डिजीज की समस्या से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन जल्द से जल्द करें। ध्यान रखें कि हार्ट डैमेज (Heart damage), हार्ट ब्लॉकेज (Heart blockage) या कोई अन्य हार्ट प्रॉब्लेम (Heart problem) नजर आने पर लापरवाही ना बरतें। आपकी छोटी सी लापरवाही आपको गंभीर बीमारियों का शिकार भी बना सकती हैं। इसलिए अगर आपको हार्ट डिजीज की समस्या है, तो डॉक्टर से समय-समय पर कंसल्टेशन करें, वॉक (Walk) करें, योग (Yoga) करें और पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन। वहीं अगर आपको हार्ट के लिए ट्रॉप टी टेस्ट (Trop-T Test for heart) करवाने की सलाह दी है, तो टेस्ट जरूर करवाएं। अगर आप हार्ट डैमेज, हार्ट ब्लॉकेज या कोई अन्य हार्ट प्रॉब्लेम (Heart problem) से जुड़े किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
स्वस्थ्य रहने के लिए हेल्दी फूड (Healthy food) का सेवन जरूरी माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं हेल्दी खाने के लिए टाइम टेबल मैनेज करना भी बेहद जरूरी है। इसलिए नीचे दिय इस वीडियो पर क्लिक करें और एक्सपर्ट से जानिए कब और क्या खाएं।
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