हार्ट से जुड़ी कई ऐसी समस्याएं हैं, जो भविष्य में आने वाली जनरेशन इन्हेरिट कर सकती है। इसका अर्थ है कि यह जेनेटिक डिसऑर्डर्स में से एक मानी जाती है। इन समस्याओं में आमतौर पर हार्ट एरिथिमिया, कंजेनिटल हार्ट डिजीज, कार्डियोमायोपैथी, हाय ब्लड कोलेस्ट्रॉल, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट अटैक एक मानी जाती है। कई बार लोगों में अनुवांशिक कार्डिएक कंडिशन (Inherited cardiac conditions) के अंतर्गत स्ट्रोक और हार्ट फेलियर जैसी समस्याएं भी देखी गई हैं। आपके शरीर में मौजूद जीन्स हार्ट डिजीज के रिस्क को बढ़ाने के लिए एक फ़ैक्टर के तौर पर काम करते हैं। आपके जीन्स आपके कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) सिस्टम को कंट्रोल करते हैं, जिसमें ब्लड वेसल्स भी समावेश होता है। वहीं एकलौता जेनेटिक वेरिएशन या जेनेटिक म्यूटेशन हार्ट रिस्क को बढ़ा सकता है और समय के साथ आप हार्ट संबंधित समस्याओं के शिकार हो सकते हैं। यदि आपके शरीर में किसी तरह के जेनेटिक वेरिएशन की वजह से प्रोटीन के काम में बदलाव आता है, तो इसका सीधा प्रभाव आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के काम पर पड़ता है। यही कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने पर आपकी आर्टरी ब्लॉक होने लगती हैं। इस तरह अनुवांशिक कार्डिएक कंडिशन (Cardiac conditions) हार्ट की समस्याओं मे अपना रोल निभाती है।
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यह जेनेटिक वेरिएशन (Genetic variation) पेरेंट्स से बच्चों में एग्स और स्पर्म के जरिए पहुंच सकती है। क्योंकि पेरेंट्स के जेनेटिक कोड बच्चों में दिखाई देते हैं, इसलिए बच्चों के डेवलपमेंट के दौरान उन्हें हार्ट डिजीज की समस्या हो सकती है। यही वजह है कि जब किसी फैमिली मेंबर को हार्ट से जुड़ी समस्या होती हैं, तो उनके परिवार को भी हार्ट से संबंधित स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। इससे हार्ट डिजीज के लिए उनका रिस्क कम किया जा सकता है। यदि समय पर ध्यान ना दिया जाए, तो हार्ट से संबंधित समस्या व्यक्ति के लिए जान का जोखिम भी खड़ा कर सकती है। आइए अब जानते हैं अनुवांशिक कार्डिएक कंडिशन (Inherited cardiac conditions) के कौन से प्रकार आमतौर पर लोगों में दिखाई देते हैं।